शहरी क्षेत्र में आजीविका
अध्याय 9
1. नीचे लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों की जिंदगी का विवरण दिया गया है। इसे पढ़िए और आपस में चर्चा कीजिए कि लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों के जीवन की क्या स्थिति है?
उत्तरः लेबर चौक पर जो मज़दूर रहते हैं उनमें से ज्यादातर अपने रहने की स्थायी व्यवस्था नहीं कर पाते और इसलिए वे चौक के पास फुटपाथ पर सोते हैं या फिर पास के रात्रि विश्राम गृह (रैन बसेरा) में रहते हैं। इसे नगरनिगम चलाता है और इसमें छ: रुपया एक बिस्तर का प्रतिदिन किराया देना पड़ता है। सामान की सुरक्षा का कोई इंतज़ाम न रहने के कारण वे वहाँ के चाय या पान-बीड़ी वालों की दुकानों को बैंक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उनके पास वे पैसा जमा करते हैं और उनसे उधार भी लेते हैं। वे अपने औज़ारों को रात में उनके पास हिफाजत के लिए छोड़ देते हैं। दुकानदार मजदूरों के सामान की सुरक्षा के साथ ज़रूरत पड़ने पर उन्हें कर्ज भी देते हैं। स्रोत: हिन्दू ऑन लाइन, अमन सेठी 2. निम्नलिखित तालिका को पूरा कीजिए और उनका काम किस तरह से अलग है इसका वर्णन कीजिए।
नाम | काम की जगह | आय | काम की सुरक्षा | सुविधाएँ | स्वयं का काम या रोजंगार |
बच्चू माँझी | 100रु.प्रतिदिन | ||||
हरप्रीत और वंदना | स्वयं का काम | ||||
निमला | कोई सुरक्षा नहीं | ||||
सुधा | कंपनी | 30,000 रु. प्रतिमाह |
3. एक स्थायी और नियमित नौकरी अनियमित काम से किस तरह अलग है?
उत्तरः 4. सुधा को अ
पने वेतन के अलावा और कौन-से लाभ मिलते हैं?
उत्तरः 5. नीचे दी गई तालिका में अपने परिचित बाज़ार की दुकानों या दफ्तरों के नाम भरें कि वे किस प्रकार की चीजें या सेवाएँ मुहैया कराते हैं?
दुकानों या दफ़्तरों के नाम | चीज़ों/सेवाओं के प्रकार |
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Type-Dimpi Bora