1.उन्नी-मुन्नी ने अखबार की कुछ कतरनों को बिखेर दिया है। आप इन्हें कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित करें:

(क) मंडल आयोग की सिफारिश और आरक्षण विरोधी हंगामा (ख) जनता दल का गठन (ग) बाबरी मस्जिद का विध्वंस (घ) इंदिरा गाँधी की हत्या (ङ) राजग सरकार का गठन (च) संप्रग सरकार का गठन (छ) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम
उत्तरः
2. निम्नलिखित में मेल करें: (क) सर्वानुमति की राजनीति (ख) जाति आधारित दल (ग) पर्सनल लॉ और लैंगिक न्याय (घ) क्षेत्रीय पार्टियों की बढ़ती ताकत

(i) शाहबानो मामला
(ii) अन्य पिछड़ा वर्ग का उभार
(iii) गठबंधन सरकार
(iv) आर्थिक नीतियों पर सहमति 3. 1989 के बाद की अवधि में भारतीय राजनीति के मुख्य मुद्दे क्या रहे हैं? इन मुद्दों से राजनीतिक दलों के आपसी जुड़ाव के क्या रूप सामने आए हैं?
उत्तरः 4. " गठबंधन की राजनीति के इस नए दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठजोड़ नहीं करते हैं।" इस कथन के पक्ष या विपक्ष में आप कौन-से तर्क देंगे।
उत्तरः 5. आपातकाल के बाद के दौर में भाजपा एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी। इस दौर में इस पार्टी के विकास क्रम का उल्लेख करें।
उत्तरः 6. कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया है। इसके बावजूद देश की राजनीति पर कांग्रेस का असर लगातार कायम है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए। उत्तरः
7. अनेक लोग सोचते हैं कि सफल लोकतंत्र के लिए दो-दलीय व्यवस्था जरूरी है। पिछले तीस सालों के भारतीय अनुभवों को आधार बनाकर एक लेख लिखिए और इसमें बताइए कि भारत की मौजूदा बहुदलीय व्यवस्था के क्या फ़ायदे हैं।
उत्तरः 8. निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें: भारत की दलगत राजनीति ने कई चुनौतियों का सामना किया है। कांग्रेसप्रण में अपना खात्मा हो नहीं किया, बल्कि कांग्रेस के जमपद के बिखर जाने से आस-प्रतिनिधित्व की कधी प्रवृत्ति का भी बार बढ़ा। इससे दलगत अवस्था और विभिन्न हितों की समाई करने की इसकी क्षमता पर भी सवाल उठे। राजव्यवस्था के सामने एक महत्त्वपर्ण काम एक ऐसी दलगत व्यवस्था खड़ी करने अथवा राजनीतिक दलों को गढ़ने की है, जो कारगर तरीके से विभिन्न हितों को मुखर और एकजुट करें....
उत्तरः