जिसने दुख पाला हो 


1. कवियत्री वर्मा जी के काव्यों की भावभूमि कैसी है?
उत्तर: कवियत्री महादेवी वर्मा जी के काव्यों में विरह वेदना का प्रमुख स्थान है। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत दुख: और पीड़ा को कविता के माध्यम से व्यक्त किया है। छायावादी विशेषताओं के साथ साथ उनकी विचारधारा में मूलतः वैदिक ग्रंथों, उपनिषद के अद्वैतवाद तथा बौद्ध दर्शन के दुखवाद का गहरा प्रभाव  पड़ा है।

2. प्रस्तुत कविता में 'मधुशाला' शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर: प्रस्तुत कविता में 'मधुशाला' शब्द का अर्थ है "संसार रूपी मदिरालय"। यहांँ पर कवयित्री ने जीवन की मादकता में मधुशाला शब्द का प्रयोग किया है।

3.'मेरी सांधों से निर्मित उन अधरों का प्याला' से कवयित्री क्या कहना चाहती हैं?
उत्तर: कवयित्री ने इस कविता के माध्यम से दुखी जनों को अभिनंदन ज्ञापन किया है। उन्होंने अपनी अभिलाषा के पूर्ण प्याले को उनके अधरों के लिए समर्पण किया है, जो दूसरों के दुख रूपी जहर पीने की सामर्थ रखते हैं।

4.'जिसने दुख पाला हो'कविता का सारांश लिखिए?
उत्तर: 'जिसने दुख पाला हो' महादेवी वर्मा जी की विरह वेदना से ओतप्रोत कविता है। इसमें कवयित्री ने दुखी जनों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की है।
        इस कविता में उन्होंने उस व्यक्ति का अभिनंदन किया है जो दुःख और पीड़ा को हंसते हंसते जेल लेने की सामर्थ्य रखता हैं। वे कहते हैं कि मैं अपने आंसुओं का हार उसी को पहनाऊंगी जिसने पीड़ा को सुरभित चंदन की तरह गले लगाकर रखा हो। जिसके जीवन में दुख तूफान बन कर आया हो और उसे हंसते-हंसते गले लगाया हो तथा हार को भी विजय की तरह अपनाया हो। कवयित्री कहते हैं मुझे यह वर दो कि मेरा आंसू उसके हृदय की माला बने जो खुद जलकर दूसरों को उजाला देता हो, जिसने अपना सुख दूसरों को दे कर खुद  हंसते-हंसते दुख रूपी जहर पिया हो। अंत में कवि कहते है कि मेरी अभिलाषाएं उसके अधरों का प्याला बने , यही मेरी कामना है।


5. व्याख्या कीजिए.......
   'जो उजाला देता हो
    जल जल अपनी ज्वाला में,
    अपना सुख बाॅट दिया हो
    जिसने इस मधुशाला में,
    हंस हलाहल ख्याला ढाला हो
    अपनी मधु की हाला में,
मेरी सांसों से निर्मित उन अधरों का प्याला हो।'
उत्तर
संदर्भ: प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'हिंदी साहित्य संकलन' के अंतर्गत महादेवी वर्मा जी द्वारा रचित  'जिसने दुख पाला हो'  शीर्षक कविता से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग: यहांँ कवयित्री जी ने उन लोगों को धन्य माना है जिसने खुद-दुख रूपी जहर पीकर दूसरों को खुशियांँ बाटि हों।

व्याख्या: महादेवी वर्मा जी कहती है कि हमारे बीच ऐसे भी लोग होते हैं जो खुद जलकर दूसरों को उज्वला  देते हैं। कवयित्री ऐसे लोगों को अभिनंदन करती है जिन्होंने इस संसार रूपी मदिरालय में अपना सुख दूसरों को देकर खुद हंसते हंसते दुख रूपी जहर पी लिया हो। कवयित्री वर्मा जी उन लोगों को धन्य मानकर अपनी अभिलाषा से पूर्ण निर्मित प्याले को  औरों के लिए समर्पण किया है।

विशेष: यहांँ कवयित्री वर्मा जी ने दुखी जनों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त किया है। इसमें छायावादी विशेषताएं स्पष्ट रूप से सामने आती है।

Important Question Answer 

(For Paid User)

Join our membership Plan 

(সকলো পাঠৰ Paid উত্তৰবোৰ চাব পাৰিব)









Post Id: DABP001271