lesson:12

 (धरती पर स्वर्ग)


1. आर्यों का आदर्श क्या था?

उत्तर: भगवान श्री राम ने मानव का अवतार लेकर आर्यों का आदर्श बताने आए थे। लोगों में सुख शांति बनी रहे, जन-जन को निज रक्षा का अधिकार मिले, लोगों में विश्वास बनी रहे यही राम का आदर्श था। भगवान राम ने धन संपत्ति को धूल के समान माना है। उनके अनुसार लोग त्यागी बने, परस्पर विश्वास करें, प्रेम करें तथा मानवता की हित की सोचे तभी धरती पर स्वर्ग का निर्माण हो पाएगा।


2. कवि गुप्तजी ने कैसी क्रान्ति की बात कही है?

उत्तर: गुप्तजी ने भगवान राम के माध्यम से इस धरती पर क्रान्ति लाने की बात कही है। कवि के अनुसार भगवान राम ही धरती को स्वर्ग बना सकते हैं। इस संसार में जितने भी बुरे कर्म है उसे दूर करने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाना जरूरी है। और वह क्रांतिकारी कदम श्री राम ने मानव अवतार लेकर उठाया है। राम का एक…


3. दीन-हीन की रक्षा कवि क्यों करना चाहते हैं?

उत्तर: कवि ने अपने काव्यों के द्वारा साधारण जन को सर्वाधिक प्रभावित किया है। उनके अनुसार जब देश के दीन दुखियों तथा कमजोर वर्गों का कल्याण होगा, तब जाकर राष्ट्र का कल्याण हो सकता है। ऐसे लोग हमेशा डर के साए में जीते हैं। जिस कारण वे मुक्त मन से सांसारिक जीवन का लुफ्त नहीं उठा पाते। इसलिए कवि उन गरीब एवं असहाय लोगों का उद्धार करना चाहते हैं, ताकि वह देश की उन्नति हेतु अपना योगदान दे सकें और भयमुक्त होकर सांसारिक जीवन का उपभोग कर सके।


4. मानव कैसे ईश्वर हो सकते हैं?

उत्तर: मानव ईश्वर तभी बन सकता है जब वह बिना स्वार्थ के जन कल्याण हेतु काम करें। जब मनुष्य समाज की भलाई के लिए अपने आप को समर्पित कर देता है तथा अपनी दिशा से नहीं भटकता, हमेशा जनता के बीच रहकर जनता के लिए कार्य करता है। तब वही मनुष्य समाज की दृष्टि में ईश्वर बन जाता है।


5. हम धरती को कैसे स्वर्ग बना सकते हैं?

उत्तर: हम धरती को तभी स्वर्ग बना सकते हैं जब संसार का हर एक मनुष्य अपने आप को लोभ, मोह, घृणा, अंधविश्वास, अत्याचारी जैसे मनोभावों से अपने आप को मुक्त कर लेगा। जब संसार के सभी मनुष्य सुरक्षित, निष्पाप एवं  समानाधिकारी एवं कर्तव्यनिष्ठ होंगे तब लोग एक दूसरे के विश्वासी बनेंगे। चारों ओर प्रेम का संदेश फैलाएंगे, सभी लोग निर्भय होकर जीवन-यापन करेंगे, तथा चारों और खुशहाली चाई रहेगी। तब जाकर हम धरती को स्वर्ग बना सकते हैं।


6. व्याख्या कीजिए-

(क)

 सुख देने आया, दुःख झेलने आया,

 मैं मनुष्यत्य का नाट्य खेलने आया।।


उत्तर:

संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक हिंदी साहित्य संकलन के अंतर्गत मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा रचित 'धरती पर स्वर्ग' शीर्षक कविता से लिया गया है।


प्रसन्न- यह पद्यांश गुप्त जी के महाकाव्य साकेत के आठवें स्कंद से ली गई है। इस पद्यांश में किस प्रकार श्रीराम मानव का अवतार लिए जन कल्याण हेतु पृथ्वी पर आए हैं उसका वर्णन किया गया है।


व्याख्या- राम ने अपने आप को एक सामान्य नागरिक के रूप में प्रदर्शित किया है। राम कहते हैं कि मानव को उनके दुख कष्टों से मुक्त कराना ही उनका मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने मानव अवतार ही लिया है दूसरों को सुख दिलाने के लिए। तथा वे यह भी कहते हैं कि मनुष्यों के जितने भी दुःख दर्द है उन्हें वे स्वयं झेलने को तैयार है।मानव सेवा करना, सांसारिक दुखों से समस्त मानव जाति का उद्धार करना ही उनका लक्ष्य है। तथा वे स्वयं कहते हैं कि मोनुष्यत्व का पाठ पढ़ाने हेतु वे इस धरती पर नाटक करने आए हैं।


(ख)

संदेश यहांँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया,

इस भूतल को ही स्वर्ग बनाने आया।


उत्तर:

संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक हिंदी साहित्य संकलन के अंतर्गत राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा रचित कविता 'धरती पर स्वर्ग' से लिया गया है।


प्रसंग- यह पद्यांश गुप्त जी के महाकाव्य 'साकेत' के आठवें स्कन्द से ली गई है। किस कारण राम ने मानव का अवतार लिया है उसका वर्णन है।


व्याख्या- यहांँ भगवान राम स्वयं कह रहे हैं कि उन्होंने मानव कल्याणार्थ मानव का अवतार लिया है। वह धरती को स्वर्ग जैसा बनाना चाहते हैं। इसीलिए वे कहते हैं कि वह स्वर्ग से कोई संदेश देने यहांँ नहीं आए हैं। बल्कि धरती को ही स्वर्ग जैसा बनाने आए हैं। जिस प्रकार स्वर्ग में देव खुशी-खुशी अपना जीवन बिता रहे हैं, ठीक उसी प्रकार धरती के लोगों को भी वह सुख प्राप्त हो सके इस उद्देश्य से वे यहांँ आए हैं।


7. लघु प्रश्न उत्तर:

(क) राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म कब और कहांँ हुआ था?

उत्तर: राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म चिरगांँव जिले के झांँसी में सन 1883 ई. में हुआ था।


(ख) मैथिलीशरण गुप्त जी की सर्वप्रथम प्रकाशित काव्य कौन सी है?

उत्तर: 'रंग में भंग' (1909)।


(ग) 'धरती पर स्वर्ग' कविता गुप्त जी की किस महाकाव्य से ली गई है?

उत्तर: 'धरती पर स्वर्ग' कविता गुप्त जी की अमर सृष्टि 'साकेत' के अष्टम स्वर्ग से ली गई है।


(घ) राम के जीवन का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: धरती को स्वर्ग बनाना श्री राम के जीवन का उद्देश्य है।


(ङ) राम ने मानव अवतार क्यों लिया था?

उत्तर: राम ने धरती पर लोगों के कल्याणार्थ अवतार लिया था।


(च) राम इस धरती का रूप कैसा बनाना चाहते हैं?

उत्तर: राम इस धरती का रूप स्वर्ग जैसा बनाना चाहते हैं।


Important Question Answer 

(For Paid User)

Join our membership Plan 

(সকলো পাঠৰ Paid উত্তৰবোৰ চাব পাৰিব)








Reetesh Das

(M.A in Hindi)