Lesson 3


             (असम का वृन्दावन)


1. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दो:


(क) बरपेटा सत्र का निर्माण किसने कब किया था?

उत्तर: महापुरुष माधवदेव ने सन 1583 ई. को बरपेटा सत्र का निर्माण किया था।


(ख) महापुरुष माधवदेव बरपेटा सत्र को किसके समान पवित्र मानते थे?

उत्तर: महापुरुष माधवदेव बरपेटा सत्र को मथुरापुरी और वृन्दावन के समान पवित्र मानते थे।


(ग) 'कीर्तन घर' का निर्माण पांँचवीं बार के लिए कब किया गया था?

उत्तर: उन्नीसवीं सदी के एक भूकंप ने कीर्तन घर को काफी हानि पहुंँचाई थी। तब पांँचवीं बार के लिए आस-पड़ोस के लोगों ने इस कीर्तन घर का निर्माण फिर से किया था।


(घ) बरपेटा-सत्र के प्रवेश-द्वार कितने हैं?

उत्तर: बरपेटा सत्र के कूल तीन प्रवेश द्वार हैं।


(ङ) महापुरुष शंकरदेव के जन्मोत्सव पर यहांँ किन नाटकों को प्रदर्शित किया जाता है?

उत्तर: महापुरुष शंकरदेव के जन्मोत्सव पर यहांँ 'कालीय दमन' और 'राम विजय' अंकीयांँ नाटकों को प्रदर्शित किया जाता है।


(च) भवानीपुर सत्र का निर्माण किसने किया था?

उत्तर: भवानीपुर सत्र का निर्माण 'गोपाल आता' ने किया था।


(छ) श्रीमाधवदेव के कीर्तन-महोत्सव के दिन किन नाटकों को प्रदर्शित किये जाते हैं?

उत्तर: श्रीमाधवदेव के कीर्तन महोत्सव के दिन 'रुक्मणी हरण' और 'पारिजात हरण' अंकीया नाटकों को प्रदर्शित किये जाते हैं।


2. पढ़ो, समझो और लिखो:

उत्तर:(i) सत्र- पाटवाउसी, स्थान- बरपेटा, निर्माता- शंकरदेव

(ii) सत्र- जनीया सत्र, स्थान- बरपेटा, निर्माता- नारायणदास ठाकुर आता

(iii) सत्र- आउनीआटी सत्र, स्थान- माजुली, निर्माता- निरंजन देव

(iv) सत्र- गड़मूर सत्र, स्थान- माजुली, निर्माता- जयहरि देव

(v) सत्र- भवानीपुर सत्र, स्थान- पाठशाला, निर्माता- गोपालदेव आता

(vi) सत्र- सुन्दरीदिया सत्र, स्थान- बरपेटा, निर्माता- माधवदेव


3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो:

(i) श्रीशंकरदेव और श्रीमाधवदेव द्वारा बरपेटा में स्थापित तीन-तीन सत्रों के नाम लिखो।

उत्तर: श्रीशंकरदेव द्वारा स्थापित सत्रों के नाम: कमारकुछि थान

        चुणपोरा थान

        पाटवाउसी थान

श्रीमाधवदेव द्वारा स्थापित सत्रों के नाम: सुन्दरीदिया सत्र

        गणककुछि सत्र

        वारादि सत्र


(ii) राजेंद्र क्या सोच रहा था?

उत्तर: राजेंद्र सोच रहा था कि बरपेटा में जो कीर्तन घर है दरअसल वह प्राचीन कीर्तन घर नहीं है।


(iii) बरपेटा के 'कीर्तन घर' में कितने 'गुरु आसान' है? वहांँ क्या-क्या रखे हुए हैं?

उत्तर: बरपेटा के 'कीर्तन घर' में तीन गुरु आसान है। इसकी 'थापना' में श्री शंकर जी और श्री माधव जी द्वारा लिखित शास्त्र रखे हुए हैं। और उन गुरु आसन के सम्मुख बारह दीये जलाए जाते हैं।


(iv) गुरु आसन के सम्मुख कितने दीये जलाये जाते हैं और क्यों?

उत्तर: गुरु आसन के सम्मुख बारह दीये जलाये जाते हैं। यह बारह दीये उन बारह आतापुरुषों के नाम पर जलाये जाते हैं जो कीर्तन घर के  सत्राधिकारी थे।


(v) बरपेटा को सत्रों की मिलनभूमि क्यों कहा जाता है?

उत्तर: बरपेटा को सत्रों की मिलनभूमि इसलिए कहा जाता है क्योंकि कीर्तन घर के सत्राधिकारगण सत्रों की स्थापना द्वारा लोगों को धर्म और न्याय के प्रति आकर्षित करना चाहते थे, मन के भेदभाव को मिटाकर एकता बढ़ाना चाहते थे। इसी उद्देश्य से कई महापुरुषों ने बरपेटा में कई सत्रों का निर्माण किया जिससे आगे चलकर बरपेटा को सत्रों की मिलनभूमि कहा जाने लगा। महापुरुष मधदेव के लिए तो बरपेटा सत्र 'मथुरापुरी' और 'वृन्दावन' जैसा पवित्र था। जिसका जिक्र उन्होंने 'बरगीत' में भी किया है।


4. बरपेटा के 'कीर्तन घर' के संबंध में एक लेख लिखो।

उत्तर: श्रीमाधवदेव ने सबसे पहले बरपेटा के कीर्तन घर को 1583 ई० को उत्तरी दक्षिणी दिशा करके निर्माण किया था। लेकिन दो वर्ष बाद उनके द्वारा ही इसे पुनः पूर्वी-पश्चिमी दिशा करके बनाया गया। जब सन् 1595 ई० में कीर्तन घर में आग लगी तब माधवदेव के कहने पर उनके प्रधान शिष्य मथुरादास ने कीर्तन घर का पुनः निर्माण किया था। फिर उन्नीसवीं सदी में मान लोगों ने आकर कीर्तन घर को पुनः जला दिया था। तब आस पड़ोस के लोगों ने बड़ी मेहनत से चौथी बार के लिए इस कीर्तन घर का निर्माण किया था। इस प्रकार कई प्राकृतिक कारणों की वजह से भी कई बार कीर्तनघर का निर्माण किया गया है। 

        

        वर्तमान कीर्तन घर के सरल पेड़ के बड़े-बड़े खंभों को हटाकर दो तुलसी पेड़ के बड़े-बड़े खंभे लगा दिये गए हैं। वर्तमान कीर्तन घर के अंदर तीन गुरु आसान है और थापना में श्रीशंकरदेव और माधवदेव द्वारा लिखित शास्त्रों को रखा गया है। हर रोज गुरु आसाम के सम्मुख बारह दीये बारह सत्राधिकारगणों के नाम पर जलाये जाते हैं। और इन दीयों में से तीन दिए दिन-रात जलते रहते हैं।


5. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ-पार्थक्य लिखो:

उत्तर:

पानी - जल

पाणि - हाथ


कुल - वंश

कूल - किनारा


बलि - बलिदान

बली - शक्तिशाली


दिन - दिवस

दीन - गरीब

 

सर्ग - अध्याय

स्वर्ग - देवलोक


कलि - कलयुग

कली - अधखिला फूल




Author- Reetesh Das

MA IN HINDI



Post ID : DABP004062