Chapter:8

रहीम(दोहे)


1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नही हो पाता ?

उत्तर: प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति नही हो पाता क्योंकि जब धागा टूट जाती हैं, तब अगर उस धागे को जोड़ा जाए, उस धागे पर गाँठ पर जाति हैं।


(ख) हमें अपना दु:ख दूसरों पर क्यों नही प्रकट करना चाहिए?अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है ?

उत्तर: हमें अपना दु:ख दूसरों पर प्रकट नही करना चाहिए क्योंकि- किसी के सामने अगर हम अपना  दु:ख बताएगें तो सब हसकर उस बात को मजाक बना देते हैं।


(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?

उत्तर: रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य कहा है क्योंकि- उससे न जाने कितने लघु जीवों की प्यास बुझती है। कितने जीव उसकी पानी पीकर ही जिंदा हैं।


(घ) एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?

उत्तर: कवि रहीम के अनुसार एक ही ईश्वर पर अटूट विश्वास रखने से सारे कार्य सफल होते हैं। जौसे जड़ को सींचने से हमें फल और फूलों की प्राप्ति होती है उसी प्रकार एक को साधने से सब सध जाता हैं।


(ङ) जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?

उत्तर: जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी नही कर पाता क्योंकि एर फूल को पुष्पित होने में जितना सूर्य का प्रकाश चाहिए, उससे भी ज्यादा पानी चाहिए । क्योंकि बिना पानी के फूल शुख जाता हैं।


(च) अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?

उत्तर: अवध नरेश को चित्रकूट इसलिए जाना पड़ा क्योकिं राम को जब 14 बर्ष का बनबास हुआ तब चित्रकूट नामक वन में बहुत ऋषिमुनि रहते थे। इसलिए वह चित्रकूट वन में रुके थे।


(छ) 'नट' किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?

उत्तर: 'नट' कुंडली मारने की कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता हैं।


(ज) 'मोती, मानुष, चून' के संदर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: 'मोती' के संदर्भ में अर्थ है चमक या आब इसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं है। 'मानुष' के संदर्भ में पानी का अर्थ मान सम्मान है मनुष्य का पानी अर्थात सम्मान समाप्त हो जाए तो उसका जीवन व्यर्थ है। 'चून' के संदर्भ में पानी का अर्थ अस्तित्व से है। पानी के बिना आटा नहीं गूँथा जा सकता।


2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ यह हैं कि- एक धागा अगर टूट जाता हैं तो उसे जोड़ा तो जा सकता हैं, मगर उसे दुबारा जोड़ने से उस धागे पर गाँठ पर जाती हैं।


(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ यह हैं कि- मनुष्य को अपना दुख सबके सामने प्रकट न करके अपने हृदय में छिपाकर रखना चाहिए। लोग उसे जानकर केवल मजाक उड़ाते हैं।


(ग) रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलेै फलै अघाय।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ यह हैं कि- पहले एक काम पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। बहुत से काम एक साथ शुरू करने से कोई भी काम ढंग से नहीं हो पता, वे सब अधूरे से रह जाते हैं। एक ही काम एक बार में किया जाना ठीक है।


(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ यह हैं कि-  रहीम जी का कहना है कि उनके दोहों में भले ही कम अक्षर या शब्द हैं, परंतु उनके अर्थ बड़े और दीर्घ हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई नट अपने करतब के दौरान अपने बड़े शरीर को सिमटा कर कुंडली मार लेने के बाद छोटा लगने  लगता है।


(ङ) नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ यह हैं कि- हिरण संगीत पर मुग्ध होकर अपना जीवन तक देते हैं अर्थात अपना अस्तित्व समर्पित कर देता है तथा मनुष्य दूसरों पर प्रसन्न होकर धन देता है और हित भी करता है। किन्तु जो दूसरों पर प्रसन्न होकर भी उसे कुछ नहीं देता, वह मनुष्य पशु के समान हैं।


(च) जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ यह हैं कि- जिस जगह सुई काम आए, उस जगह तलवार का क्या काम, और जिस जगह तलवार काम आए उस जगह सुई का क्या काम, तो जिस जगह जिस की कीम हैं उसे ही करना चाहिए।


(छ) पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ यह हैं कि- अगर मोती की चमक न हो तो  वह मोती किसी किसी कीम की नही, वैसे ही इंसान को भी अपना व्यवहार हमेंशा अच्छा करना चाहिए, क्योंकि अच्छे व्यवहार के बिना इंसान का कोई मौल नहीं।


3. निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है-

(क) जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।

उत्तर: इस भाव को पाठ में नीचे दिए गये पंक्चितियों से अभिव्त्रयक्कूत किया गया है।

          चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस।

          जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।।


(ख) कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।

उत्तर: इस भाव को पाठ में नीचे दिए गये पंक्चितियों से अभिव्त्रयक्कूत किया गया है।

             बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।

             रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।

(ग) पानी के बिना सब सूनी है अत: पानी अवश्य रखना चाहिए।

उत्तर: इस भाव को पाठ में नीचे दिए गये पंक्चितियों से अभिव्त्रयक्कूत किया गया है।

           रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।

           पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।


4. अदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप लिखिए-


उदाहरण: कोय-कोेई,


ज्यों-जैसे

नहिं-नहीं

धनि-धन्य

जिय-जी

होय-होना

तरवारि-तलवार

मूलहिं- मूल को

पिआसो- प्यासा

आवे- आए

ऊबरै- ऊबरना

बिथा- व्यथा

परिजाय- पड़ जाए

कछु- कुछ

कोय-कोई

आखर-अक्षर

थोरे-थोड़े

माखन-मक्खन

सींचिबो-सींचना

पिअत-पीना

बिगरी-बिगड़ी

सहाय-सहायक

बिनु-बिना

अठिलैहैं- हँसी उड़ाना


DIKHA BORA



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