जन-संघर्ष और आंदोलन

Chapter 5 

1. दबाव-समूह और आंदोलन राजनीतिक  को किस तरह प्रभावित करते हैं ?

उत्तरः लोग सरकार से अपनी माँगें मनवाने के लिए कई तरीके अपनाते हैं । लोग इसके लिए संगठन बनाकर अपने हितों को बढ़ावा देने वाले कार्य करते हैं जिसे हित समुह कहते हैं । की कभी-कभी लोग बगैर संगठन बनाए अपनी माँगों के लिये एकजुट होने का फैसला करते हैं । ऐसे समुह को आंदोलन कहा जाता है । ये हित समूह या दबाव-समुह और आंदोलन राजनीति पर कई तरह से असर दालते हैं।

  1) दबाव-समूह और आंदोलन अपने लक्ष्य तथा गतिबिधियों के लिए जनता का समर्थन और सहानुभूति हासिल करने की कोशिश करते हैं । इसके लिए सूचना अभियान चलाना, बैठक आयोजित करना अथवा अर्ज़ी दायर करने जैसे तरीकों का सहारा लिया जाता है । ऐसे अधिकतर समूह मीडिया को प्रभाबित करने की कोशिश करते हैं ताकि उनके मसलों पर मीडिया ज़्यादा ध्यान दे ।

2) ऐसे समुह अक्सर हड़ताल अथवा सरकारी कामकाज में बाधा पहुँचाने जैसे उपायों का सहारा लेते हैं । मज़दूर संगठन, कर्मचारी संघ  तथा अधिकतर आंदोलनकारी समुह अक्सर ऐसी युक्तियों का इस्तेमाल करते हैं कि सरकार उनकी माँगों की तरफ़ ध्यान देने के लिए बाध्य हो ।

3) व्यवसाय-समुह अक्सर पेशेवर 'लाबिस्ट' नियुक्त करते हैं अथवा महँगे विज्ञापनों को प्रयोजित करते हैं। दबाव-समुह अथवा आंदोलनकारी समुह के कुछ व्यक्ति सरकार को सलाह देने वाली समितियों और आधिकारिक निकायों में शिकार कर सकते है ।

 आंदोलनकारी समुह के कुछ व्यक्ति सरकार को सलाह देनेवाली समितियों और आधिकारिक निकायों में  शिरकत कर सकते हैं । इस प्रकार, दबाव-समुह और आंदोलन दलीय राजनीति में सिधे भाग नेहि लेते, लेकिन वे राजनीतिक दलों पर असर दालना चाहते हैं।  

2.दबाव-समूहों और राजनातिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरुप कैसा होता है , वर्णन करें ।

उत्तरः 1) कुछ दबाव- समुह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में काम करते हैं । जैसे- भारत के अधिकतर मज़दूर-संगठन और छात्र-संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा बनाए जाते हैं या उनसे संबंधित होते हैं ।

2) दबाव- समूह चुनावों के समय राजनीतिक दलों की आर्थिक मदद करते हैं तथा इस मदद के बदले में चुनावों के बाद यदि वह राजनीतिक दल सरकार में आता है तो उस पर ये दबाव डालकर अपने हितों की पुर्ति के लिए नीतिया वनबाते हैं । इस प्रकार राजनीतिक दल व दबाव-समुह दोनो एक दूसरे के लिए जरूरी है ।

3) अधिकांशतया दबाव-समूहों का राजनातिक दलों से प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता। दोनों परस्पर बिरोधी पक्ष लेते हैं । फिर भी, इनके बीच संवाद कायम रहता है और सुलह  की बातचीत चलति रहती है। राजनीतिक दलों के अधिकतर नए नेता दबाव-समुह अथवा आंदोलनकारी समुहो से आते हैं ।         

3.  दबाव-समूहों की गतिविधियाँ  लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं ?

उत्तरः 1) आम नागरिक की जरूरतों से सरकार को अवगत करते हैं- ये दबाव समुह शासकों के ऊपर दबाव डालकर लोकतंत्र में महत्वपुर्ण भूमिका निभाते हैं । सरकारें अक्सर धनी और समस्याओं से सरकार को अवगत कराते हैं ।

2) सरकार की निरंकुशता पर रोक लगाते है- सरकार पर यदि कोइ एक समूह अपने हित में नीति बनाने के लिए दबाव डालता है तो दूसरा समूह उसके प्रतिकार में दबाव डालेगा कि नीतियाँ उस तरह से न बनाई जाएँ । सरकार निरंकुश नहीं हो पाती, ये समुह सरकार पर अंकुश बनाए रखते हैं तथा सरकार को ये भी पता सलता रहता है कि समाज के विभिन्न वर्ग क्या जाते हैं । इससे विरोधि हितों के बीच सामंजस्य बिठाना तथा शक्ति संतुलन करना संभव होता है ।   

4. दबाव-समूह क्या हैं ? कुछ उदाहरण बताइए ।

उत्तरः समान आर्थिक हितों वाले वर्ग सरकार से अपनी मांगें मनवाने तथा हित पूरे करवाने के लिए संगठन बनाकर सरकार पर दबाव डालने का काम करते हैं। इन्हें दबाव-समूह कहते हैं। ये दबाव-समूह किसी खास वर्ग के हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं। मजदूर संगठन, व्यावसायिक संघ और वकीलों, डॉक्टरों और शिक्षकों के निकाय इस तरह के दबाव-समूह के उदाहरण हैं। ऐसे दबाव-समूहों का सरोकार पूरे समाज का नहीं बल्कि अपने सदस्यों की बेहतरी और कल्याण करना होता है।

5.  दबाव-समूह और राजनीतिक दल में क्या अंतर है  ?

उत्तरः दबाव समूह और राजनीतिक दल में अंतर -

(i) दबाव-समूह और राजनीतिक दल में पहला अंतर यह है कि राजनीतिक दल अनेक राजीनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होते है और देश की सत्ता पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैं जबकि दबाव-समूहों का राजनीतिक गतिविधियों में घुसने का कोई उद्देश्य नहीं होता और न ही उन्हें देश की सत्ता सँभालने का कोई लालच होता है।
(ii) राजनीतिक दल एक विस्तृत संस्था होती है जिसके सदस्यों की संख्या हजारों में नहीं वरन लाखों में होती है और उसके फैलाव का क्षेत्रफल भी काफी बड़ा होता है। इनमें कुछ राजनीतिक दलों का आधार लगभग समस्त देश में होता है जबकि हाल में कुछ क्षेत्रीय राजनीतिक दल भी अस्तित्व में आए हैं।
(iii) राजनीतिक दलों के सामने अनेक उद्देश्य होते हैं जो जीवन के हर पहलु राजनीतिक , सामजिक , धार्मिक, आर्थिक आदि को छूटे हैं। वहीँ दबाव-समूहों का उद्देश्य सीमित होता है और वे उस उद्देश्य से हटकर परे देखने का प्रयत्न नहीं करते। वकीलों के दबाव-समूह का अध्यापकों के दबाव-समूह से कोई सरोकार नहीं सब अपनी-अपनी डफली और अपना -अपना राग बोलते हैं।

6. जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मजदूर,कर्मचारी शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलते हैं उन्हें ------------ कहा जाता है ।

उत्तरः जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मजदूर,कर्मचारी शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलते हैं उन्हें दबाव-समूह कहा जाता है ।

7. निन्मलिखित में किस कथन से स्पष्ट होता है कि दबाव-समूह और राजनीतिक  दल में अतंर होता है -

 (क) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं जबकि दबाव-समूह राजनीतिक मसलों की चिंता नहीं करते ।

(ख) दबाव-समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं जबकि राजनीतिक दल का दायरा ज्यादा लोगों तक फैला होता है ।

(ग) दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।

(घ) दबाव-समूह लोगों की लामबंदी नहीं करते जबकि राजनीतिक दल करते हैं ।

उत्तरः (ग) दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।


8. सूची-1 ( संगठन और संघर्ष ) का मिलना सूची-11  से कीजिए और सूचियों के नीचे दी गइ सारणी से सही उत्तर चुनिए ः


सूची-
I

सूची-II

 

1.

किसी विशेष सबके या समूह के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन

(क) आंदलोन

2.

जन-सामान्य के बढ़ावा देने वाले संगठन

(ख) राजनीतिक दल

3.

किसी सामाजिक

समस्या के समाधान के लिए चलाया गया एक एसा संघर्ष 

जिसमें सांगठनिक संरचना हो भी सकती है औऱ नहीं भी।

(ग) वर्ग-विशेष के हित समूह

4.

एसा संगठन जो राजनीतिक सत्ता पाने की गरज से लोगों

 के लामबंद करता है

(घ) सोक कल्याणकारी हित समूह

 

 

1

2

3

4

(क)

(ख)

(ग)

(घ)

उत्तरः ख) ग, घ, क, ख ।

9. सूची 1 सूची 11 से  मिलान करें जो सूचीयों के नीचे दी गइ सारणी में सही उत्तर हो चुने ः


सूची 1

सूची 11

 

1.

 

दबाव समुह

(क) नर्मद बचाओ आंदोलन

2.

लंबी अविध का आंदोलन

(ख) असम गण परिषद्

3.

एक मुहे पर आधारित आंदोलन

(ग) महिला आंदोलन

4.

राजनीचिक दल

(घ) खाद विक्रेताओं का संघ


 

1

2

3

4

(अ)

(ब)

(स)

(द)







उत्तरः अ) घ, ग, क, ख ।


10. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निन्मलिखित  कथनों पर विचार कीजिए ।

(क) दबाव-समूह समाज के किसी कास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते है ।

(ख) दबाव-समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई पक्ष लेंते हैं ।

(ग) सभी दबाव-समूह  राजनीतिक दल होते हैं ।

अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चूनें-

  (अ) क,ख और ग (ब) क और ख (स) ख और ग (द) क और ग


उत्तरः (ब) क और ख ।

11. मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा झलाका है।यह गुड़गावँ और फ़रीदाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता था । मेवात के लोगों को  इस इलाके को अगर जिला बना दिया जाय तो इस इलाके पर ज्यादा ध्यान जाएगा । लेकिन राजनीतिक दल इस बात में कोई रुचि नहीं ले रहे थे । सन् 1996 में मेवात एजुकेशन एंड सोशल आर्गेनाइजेशन तथा मेवात  साक्षरता समिति ने  अलग जिला बनाने की मागँ उठाई । बाद में सन् 2000 में मेवात विकास सभा को स्थापना हूई । इसने एक के बाद  कई जन-जागरण अभियान चलाए।इससे बाध्य होकर बड़े दलों यानी कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को इस मुद्दे  को अपना  समर्थन देना पड़ा । उन्होंने फ़रवरी 2005 में होने वाले विधान सभा के चूनाव से पहले ही कह दिया कि नया जिला बना जिला सन् 2005 की जुलाई में बना ।

    इस उदाहरण में आपको आंदोलन राजनीतिक दल और सरकार के बाच क्या रिशता नजर आता है ? क्या आप कोई एसा उदाहरण दे सकते हैं जो इससे अलग रिशता बताता हो ? 

उत्तरः इस उदाहरण में देखा गया कि मेवात को अलग जिला बनाने के लिए दबाव-समूह और आंदोलनों ने राजनीतिक दलों व सरकार को प्रभावित किया । जब चुनाव का समय आया तो राजनीतिक दलों को दबाव-समूहों के समर्थन की आवश्यकता हुई । इसलिए  


Question and answer type by-Mandira Saha 






Post ID: DABP004359