जाति,धर्म और लैंगिक मसले

Chapter 4 

1. जीवन के उन विभिनन पहलूओं का जिंक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के सात भेदभाव होता है या वे कमजोर स्थिलि में होती हैं ।

उत्तरः हमारे देश में आजादी के बाद से महिलाओ की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है । पर वे अभी भी पितृप्रधान है ।औरतों के साथ अभी भी कई तरह के भेदभाव होते है । 

1) महिलाओं में सक्षरता की दर अब भी मात्र 54 फीसदी है जबकि पुरुषों में76 फीसदी। स्कुल पास करने वाली लड़कियों की एक सीमित संख्या ही उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ा पाती हैं । अभी भी माँ बाप अपने संसाधनों को लड़के-लड़की दोनों पर बराबर खर्च करने की जगह लड़कों पर ज्यादा खर्च करना पसंद करते हैं ।

2) साक्षरता दर कम होने के कारण ऊँची तनख्वाह वाले और ऊँचे पदों पर पहुँचने वाली महीलाओं की संख्या बहुत ही कम है । भारत में स्त्रीयाँ पुरुषों से अधिक काम करती हैं पर अक्सर उनके काम को मुल्यवान नहीं माना जाता ।

3) काम के हर क्षेत्र में यानी खेल-कुद की दुनिया से लेकर सिनेमा के संसार तक और कल-काराखानों से लेकर खेत-खलिहान तक महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मज़दूरी मिलती है। भले ही दोनों ने समान काम किया हो ।

4) भारत के अनेक हिस्सों में मा-बाप को सिर्फ़ लड़के की चाह होती है । लड़की को जन्म लेने से बहले ही खत्म कर देने के तरीके इसी मानसिकता से पनपते हैं। इससे देश का लिंग अनुपात गिरकर 919 रह गया है ।

5) महिलाओं के उत्पीड़न,शोषण और उन पर होने वाली हिंसा की खबरें हमें रोज़ पढ़ने को मिलती हैं। शहरी इलाके तो महिलाओं के लिए खास तौर से असुरक्षित हैं । वे अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि वहाँ अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि वहाँ भी उन्हें मारपीट तथा अनेक तरह की घरेलू हिंसा झेलने पड़ती है ।  

2. विभिनन तरह की सांप्रदायिक राजनीलि का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें ।

उत्तरः 1) सांप्रदायिका की सबसे आम अभिव्यक्ति दैनंदिन जीवन में ही दिखती है । इनमें धार्मिक पूर्वाग्रह, धार्मिक समुदायों के बारे में बनी बनाई धारणाएँ और एक धर्म को दुसरे धर्म से श्रेष्ठ मानने की मान्यताएँ शामिल हैं। 

2) सांप्रदायिक सोच अक्सर अपने धार्मिक समुदाय का राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने के फ़िराक में रहती है । जो लोग बहुसंख्यक समुदाय के होते हैं उंकी यह कोशिश बहुसंख्यकवाद का रूप ले लेती है । जो अल्पसंख्यक समुदाय के होते हैं उनमें यह विशवास अलग राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा का रूप ले लेता है । धर्म के आधार पर सिक्खों की खालिस्तान की माँग इसका उदाहरण है ।  

3) सांप्रदायिक आधार पर राजनीतिक गोलबंदी इसके अन्तर्गत धर्म के पबित्त प्रतीकों, धर्मगुरुओं, भावनात्माक अपील और अपने ही लोगों के मन में डर बैठाने जैसे तरीकों का उपयोग बहुत आम है । चुनावी राजनीति में एक धर्म के मतदाताओं की भावनाओं या हितों की बात उठाने जैसे तरीके अक्यर अपनाए जाते हैं।बाबरी मस्जिद का मुद्दा इसका उदाहरण है ।

4) कई बार सांप्रदायिकता सबसे गंदा रूप लेकर संप्रदाय के आधार पर हिंसा, दंगा और नरसंहार करती है। विभाजन के समय भारत और पाकिस्तान में भयाबह सांप्रदायिक दंगे हुए थे । आज़ादी के बाद भी बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई है। 1984 के हिंदू-सिक्ख दंगे इसका प्रमुख उदाहरण हैं । 

3.बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानाताएँ जारी हैं।

उत्तरः

4. दो कारण बताएँ कि क्यों सिरर्फ़ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नसीचे तय नहीं हे सकते ।

उत्तरः 1) देश के किसी भी एक संसदीय चुनाव क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत नहीं है इसलिए हर पार्टी और उम्मीदबार को चुनाब जीतने के लिए एक जाति और एक समुदाय से ज़्यादा लोगों का भरोसा हासिल करना पड़ता है ।

2) कोई भी पार्टी किसी एक जाति या समुदाय के सभी लोगों का वोट हासिल नहीं कर सकती । जब लोग किसी जाति विशेष को किसी एक पार्टी का 'वोट बैंक' कहते हैं तो इसका मतलब यह होता है कि उस जाति के ज़्यादातर लोग उसी पार्टी को वोट देते हैं ।

इस प्रकार चुनाव में जाति की भुमिका महत्त्वपूर्ण तो होति है किंतु दुसरे कारण भी महत्त्वपुर्ण होति हैं।मतदाताओं का लगाव जाति के साथ-साथ राजनीतिक दलों से भी होता है । सरकार के काम-काज के बारे में लोगों की राय और नेताओं के लोकप्रियता का चुनावों पर निर्णयक असर होता है ।        

5. भारत की विधायिकाओं में महिलाओं  के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है ?

उत्तरः भारत की विधायिकाओं में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है । जैसे-लोकसभा में महिला संसदो की दस प्रतिशत भी नहीं है । राज्यों की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 5 प्रतिशत से भी कम है । इस मामले में भारत दुनिया के अन्य देशों से बहुत नीचे है । भारत,आफ्रिका और लैटिन अमरिका के कोई  देशों से पीछे है। कभी-कभार कोई महिला प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बन भी जाये तो मंत्रिमंडलों में पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है ।     

6. किन्हीं  दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत कौ धर्मनिरपेक्ष  देश बनाते हैं।

उत्तरः संबिधान निर्माताओं ने सांप्रदायिकता से निपतने के लिए भारत के लिए धर्मनिरपेक्ष शासन का माडल चुना और इसके लिए संविधान में महत्त्वपूर्ण प्रावधान किए गएः 

1) भारतीय राज्य ने किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया है । श्रालंका में बौद्ध धर्म, पाकिस्तान में इस्लाम और इंग्लैंड में ईसाई धर्म का जो दर्जा रहा है उसके विपरीत भारत का संविधान किसी धर्म को विशेष दर्जा नहीं देता ।

2) संविधान सभी नागरिकों और समुदायों को किसी भी धर्म का पालन करने और प्रचार करने की आज़ादी देता है ।

3) संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी तरह के भेदभाव को अवैधानिक घोषित करता है ।  

7. जब हम लैगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है ः

(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अतंर

(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भुमिकाएँ 

(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनूपात।

(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में ं महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना ।

उत्तरः (ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भुमिकाएँ ।

8. भारत में यहा औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है ः

(क) लोकसभा 

(ख) विधानसभा 

(ग) मंत्रिमंडल 

(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ 

उत्तरः (घ) पंचायती राज की संस्थाएँ । 

9. सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबधी निन्मलिखित कथनों पर गौर करें । सांप्रदायिक राजनीति इस धारण पर आधारित हा कि ः

(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ है ।

(ब) विभिनन धार्मिक के लोग समान नागरिक के रुप में खुसी-खुसी  साथ रह सकते हैं।

(स) एक धर्म के अनुयायी एक समूदाय  बनाते है ।

(द) एक धार्मिक समूह का प्रभूत्व  बाकी सभी धर्मो पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयें नहीं किया जा सकता ।

 इनमे से कौन या कौन-कौन सा कथन सही है ?

(क) अ,,स और द (ख) अ,ब और द (ग) अ और स (घ) ब और

उत्तरः ग) अ और स ।


10. भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कैौन सा कथन गलत है ?
 
(क) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है ।

(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।

(ग) सभी लोगों को कई भी धर्म  मानने की   आजादी देता है ।

(घ) किसी धार्मिक समुदाय में सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है ।

उत्तरः (ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है। 


11. ------------------------- पर आधारित सामाजिक  विभाजन  सिर्फ़  भारत में ही है ।

उत्तरः जीति पर आधारित सामाजिक  विभाजन  सिर्फ़  भारत में ही है ।


12. सूची I और सूची  II का मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर  सही जवाब खोजें ।


 सूची-I

सूची- II

 

1.

अधिकारों और अवसरों के मामले में स्त्री और पुरुष की बराबरी मानने वाला व्यक्ति

(क) सांप्रदायिक

2.

धर्म को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति

(ख) नारीवादी

3

जाति को समूदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति

(ग) धर्मनिरपेक्ष

4.

व्यक्तियों के बीच धार्मिक आस्था के आधार पर भेदभाव न करने वाला व्यक्ति

(घ) जातिवादी


 

1

2

3

4

(सा)

(रे)

(गा)

(मा)



उत्तरः 1-ख, 2-क, 3-घ ,4-ग ।








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