1. सही विकल्प को चुनकर साली जगह को भर
(क) 1952 के पहले आम चुनाव में लोकसभा के साथ-साथ---------------- के लिए भी चुनाव कराए गए थे। (भारत के राष्ट्रपति पद/राज्य विधानसभा/राज्यसभा/प्रधानमंत्री) |
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(ग) ------------- स्वतंत्र पार्टी का एक निदंशक सिद्धांत था। (कामगार तबके का हित/रियासतों का बचाव/राज्य के नियंत्रण से मुक्त अर्थव्यवस्था/संघ के भीतर राज्यों की स्वायत्तता) |
2. यहाँ दो सूचियाँ दी गई हैं। पहले में नेताओं के नाम दर्ज़ है और दूसरे में दलों के। दोनों सूचियों में मेल बैठाएँ:
(क) एस.ए. डांगे (i) भारतीय जनसंघ
(ख) श्यामा प्रसाद मुखर्जी (ii) स्वतंत्र पार्टी
(ग) मीनू मसानी (iii) प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
(घ) अशोक मेहता (iv) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
3. एकल पार्टी के प्रभुत्व के बारे में यहाँ चार बयान लिखे गए हैं। प्रत्येक के आगे सही या गलत का चिह्र लगाएँ :
(क) विकल्प के रुप में किसी मजबूत राजनीतिक दल का अभाव एकल पार्टि-प्रभुत्व का कारण था।
(ख) जनमत की कमजोरी के कारण एक पार्टी का प्रभुत्व कायम हुआ।
(ग) एकल पार्टी-प्रभुत्व का संबध राष्ट्र के औपनिवेशिक अतीत से है।
(घ) एकल पार्टी-प्रभुत्व से देश में लोकतात्रिक आदषृर्शाी के अभाव की झलक मिलती है।
4. अगर पहले आम चुनाव के बाद भारतीय जनसंघ अथवा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो किन मामलों में इस सरकार ने अलग नीति ओपनाई होती ? इन दोनों दलों दारा अपनाई गई नीतियों के बीज तीन अंतरों का उल्लेख करें।
5. कांग्रेस किन अर्थी में एक विचारधारात्मक गठबंघन थी ? कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारघारात्मक उपस्थितियों का उल्लेख करें।
6. क्या एकल पार्टि प्रभुत्व की प्रणाली का भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक चरित्र पर खराब ओसर हुआ ?
7. समाजवादी दलों और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच के तीन अंतर बताएँ। इ सी तरह भारतीय जनसंघ और स्वतँत्र पार्टी के बीच के तीन अंतरो का उल्लेख करें ।
8. भारत और मैक्सिको दोनों ही देशों में एक खास समय तक एक पार्टी का प्रथृभुत्व रहा। बताएँ कि मैक्सिको में स्थापित एक पार्टी का प्रभुत्व कैसे भारत के एक पार्टी के प्रभुत्व से अलग था ?
9. भारत का एक राजनीतिक नक्शा लीजिए (जिसमें राज्यों की सीमाएँ दिखाई गई हों) और उसमें निम्नलिखित को चिह्रित कीजिए:
(क) ऐसे दो राज्य जहाँ 1952-67 के दौरान काग्रेस सता में नहीं थी।
(ख) दो ऐसे राज्य जहाँ इस पूरी अवधि में कांग्रस सत्ता में रही।
10. निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
कांग्रेस के संगठनकत पटेल कांग्रेस को दूसरे राजनीतिक समूह से निसंग रखकर उसे एक सवगसम तथा अनुशासित राजनीतिक पार्टी बानाना चाहते थे। वे चाहते थे कि कांग्रेस सबको समेटकर चलने वाला स्वभाव छोड़े और अनुशासित काडर से युक्त एक सगुंफित पार्टी के रुप में उभरे। ' साथार्थवादी' होने के कारण पटेल व्यापकता की जगह अनुशासन को ज्य़ादा तरजीह देते थे। अगर ''आंदोलन को चलाते जले जाने '' के बारे में गाँधी के ख्याल हद से ज़्यादा रोमानी थे तो कांग्रेस को किसी एक विचारधारा पर चवने वाली अनुशासित तथा धुरंधर राजनीतिक पार्टी के रुप में बदलने की पटेल की धारणा भी उसी तरह काग्रेस की उस समन्वयवादी भूसिका को पकड़ पाने में चूक गई जिसे काग्रें को आने वाले दशकों में निभाना था।