Chapter 20
विप्लव-गायन
कविता से
1. ‘कण-कण में है व्याप्त वही स्वर'कालकूट फणि की चिंतामणि'
(क) 'वही स्वर', 'वह ध्वनि' एवं 'वही तान' आदि वाक्यांश किसके लिए / किस भाव के लिए प्रयुक्त हुए हैं?
उत्तरः(क) कवि का आशय यह है कि उनके क्रांतिकारी गीत में इतना उत्साह है कि इस संसार के कण-कण में व्याप्त क्रांति का स्वर मुखरित हो उठा है। शरीर का रोम-रोम इस क्रांति का स्वर भी गा रहा है और क्रांति का स्वर भी दे रहा है। कवि आगे कहते हैं कि इस क्रांति का गीत यह संसार नहीं बल्कि शेषनाग के फन में स्थित मणि भी गा रही है, अर्थात मेरे गीत में इतना उत्साह है कि संसार का हर प्राणी इसमें प्रवाहित हो गया है।
(ख) हां, इन दोनों पंक्तियों के बीच एक संबंध है क्योंकि गीत कवि के क्रांतिकारी हृदय की गहराइयों से उसकी आवाज के रूप में बहता है, उनकी ध्वनि उसे उत्साह प्रदान करती है। तान उसका सहायक बन जाता है और उस गीत को पूरी दुनिया में प्रवाहित कर रहा है। दोनों ही पार्टियों में बदलाव की लहर लाने की बात हो रही है।
(ख) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का 'रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है / निकली मेरी अंतरतर से'- पंक्तियों से क्या कोई संबंध बनता है?
उत्तरः
2. नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
'सावधान! मेरी वीणा में दोनों मेरी ऐंठी हैं।'
उत्तरः इस पंक्ति में कवि सभी कवियों को संबोधित करता है और उनसे ऐसा गीत सुनाने को कहता है जिससे इस संसार के प्रत्येक मनुष्य के हृदय में हाहाकार मच जाए अर्थात चारों ओर क्रांति की लहर उठ जाए, सारा अस्तित्व भीग जाए। उस पहाड़ी में. कवि आगे उन लोगों को संबोधित करता है जो अपने उत्पीड़न चक्र से कहर बरपा रहे हैं। वे सभी सावधान रहें क्योंकि अब मैंने वह गाना शुरू कर दिया है जो पूरी दुनिया को हिला देता है।' अब तो मेरी वीणा की ध्वनि भी मधुरता नहीं क्रांति की अग्नि प्रज्वलित करेगी। भाव यह है कि अब तक मैं केवल मधुर गीत ही बनाता और गाता था। अब मेरे गाने सिर्फ राष्ट्रहित के लिए होंगे.' वे रसिकों के मन का मनोरंजन करने के लिए नहीं बल्कि लोगों को गुलामी के बंधन से जगाने के लिए होंगे। वह कहते हैं, ''आज चाहे मेरा मिसराब टूट जाए या मेरी उंगलियां मुड़ जाएं, मैं शांत नहीं रहूंगा और न ही किसी को रहने दूंगा यानी यह गाना गाते समय मैं अपनी किसी भी समस्या पर ध्यान नहीं दूंगा.'' , दर्द चाहे किसी भी रूप में हो।"
कविता से आगे
■ स्वाधीनता संग्राम के दिनों में अनेक कवियों ने स्वाधीनता को मुखर करनेवाली ओजपूर्ण कविताएँ लिखीं। माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त और सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की ऐसी कविताओं की चार-चार पंक्तियाँ इकट्ठा कीजिए जिनमें स्वाधीनता के भाव ओज से मुखर हुए हैं।
उत्तरः
अनुमान और कल्पना
■ कविता के मूलभाव को ध्यान में रखते हुए बताइए कि इसका शीर्षक 'विप्लव-गायन' क्यों रखा गया होगा?
उत्तरः कविता का सार लोगों को गलत रीति-रिवाजों, रूढ़िवादी विचारों और आपसी भेदभाव को त्यागकर पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित करना है। इसीलिए इस कविता का शीर्षक 'विप्लव-गायन' है जिसका अर्थ है क्रांति का आह्वान करना।
भाषा की बात
1. कविता में दो शब्दों के मध्य () का प्रयोग किया गया है, जैसे 'जिससे उथल-पुथल मच जाए' एवं 'कण-कण में है व्याप्त वही स्वर'। इन पंक्तियों को पढ़िए और अनुमान लगाइए कि कवि ऐसा प्रयोग क्यों करते हैं?
उत्तरः
2. कविता में (,-। आदि) विराम चिह्नों का उपयोग रुकने, आगे बढ़ने अथवा किसी खास भाव को अभिव्यक्त करने के लिए किया जाता है। कविता पढ़ने में इन विराम चिह्नों का प्रभावी प्रयोग करते हुए काव्य पाठ कीजिए। गद्य में आमतौर पर है शब्द का प्रयोग वाक्य के अंत में किया जाता है, जैसे-देशराज जाता है। अब कविता की निम्न पंक्तियों को देखिए-
'कण-कण में है व्याप्त वही तान गाती रहती है,'
इन पंक्तियों में है शब्द का प्रयोग अलग-अलग जगहों पर किया गया है। कविता में अगर आपको ऐसे अन्य प्रयोग मिलें तो उन्हें छाँटकर लिखिए।
उत्तरः
3. निम्न पंक्तियों को ध्यान से देखिए-
'कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ एक हिलोर उधर से आए,' इन पंक्तियों के अंत में आए, जाए जैसे तुक मिलानेवाले शब्दों का प्रयोग किया गया है। इसे तुकबंदी या अंत्यानुप्रास कहते हैं। कविता से तुकबंदी के अन्य शब्दों को छाँटकर लिखिए। छाँटे गए शब्दों से अपनीवता बनाने की कोशिश कीजिए।
उत्तरः