सीताराम सेकसरिया
मौखिक प्रश्न-अभ्यास (उत्तर)
सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?
उत्तर:सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था।
विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:जब अविनाश बाबू ने श्रद्धानंद पार्क में झंडा गाड़ा, तो पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और अन्य लोगों को मारा या हटाया।
लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
उत्तर:लोग राष्ट्रीय झंडा फहराकर यह संकेत देना चाहते थे कि वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग ले रहे हैं और देश की स्वतंत्रता की ओर बढ़ रहे हैं।
पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?
उत्तर:पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों और मैदानों को घेर लिया था ताकि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर होने वाले प्रदर्शन और सभाओं को रोका जा सके।
लिखित प्रश्न-अभ्यास (उत्तर)
(क)
26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गईं?
उत्तर:26 जनवरी 1931 को अमर बनाने के लिए काफ़ी तैयारियाँ की गई थीं, जैसे कि दो हजार रुपए प्रचार में खर्च किए गए थे, विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय झंडे लगाए गए थे, और लोग अपने-अपने घरों और सार्वजनिक स्थानों पर झंडा फहराने के लिए उत्साहित थे। पुलिस की पूरी ताकत शहर में गश्त करने के लिए लगाई गई थी।
'आज जो बात थी वह निराली थी' किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:यह वाक्य इस बात से संदर्भित है कि इस दिन को मनाने के लिए जो कदम उठाए गए, वह पहले कभी नहीं देखे गए थे। पुलिस की कड़ी कार्रवाई, स्वतंत्रता संग्रामियों का साहसिक प्रदर्शन, और बड़ी संख्या में गिरफ्तारियाँ इस दिन को एक अपूर्व घटना बनाते हैं।
पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
उत्तर:पुलिस कमिश्नर का नोटिस यह बताता था कि किसी भी सभा में भाग लेने वाले को अपराधी माना जाएगा, जबकि कौंसिल का नोटिस यह था कि एक निर्धारित समय पर स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी और झंडा फहराया जाएगा, इस पर लोगों को उपस्थित होना चाहिए।
धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?
उत्तर:धर्मतल्ले के मोड़ पर जुलूस टूट गया क्योंकि पुलिस ने जुलूस को रोका और लाठियाँ चलानी शुरू कर दीं, जिससे लोग बिखर गए और जुलूस को रोकने में पुलिस सफल हो गई।
डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर ही रहे थे, उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फ़ोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:डॉ. दासगुप्ता ने घायल लोगों के फ़ोटो इस लिए खींचे ताकि उन घटनाओं को दस्तावेज़ के रूप में सहेजा जा सके और स्वतंत्रता संग्रामियों की संघर्ष को सार्वजनिक किया जा सके, जो उस समय के अन्यायपूर्ण दमन को दिखाता था।
(ख)
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
उत्तर:सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की महत्वपूर्ण भूमिका थी, क्योंकि स्त्रियाँ सक्रिय रूप से जुलूस में शामिल हुईं और उन्होंने झंडा फहराने तथा प्रदर्शन में भाग लिया। उनका संघर्ष और साहस स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की शक्ति को उजागर करता है।
जुलूस के लालबाजार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?
उत्तर:जब जुलूस लालबाजार पहुँचा, पुलिस ने लाठियाँ चलानी शुरू कर दीं और कई लोग घायल हो गए। सुभाष बाबू पर भी लाठियाँ पड़ीं, जिससे जुलूस में शामिल लोग बुरी तरह से घायल हुए और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया।
'जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।' यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:यह वाक्य उस कानून की बात करता है जो पुलिस कमिश्नर द्वारा लागू किया गया था, जिसमें सभा करने और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने पर प्रतिबंध था। कानून भंग करना इस संदर्भ में उचित था क्योंकि यह स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा था और नागरिकों का अधिकार था कि वे अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करें।
बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:यह सब अपूर्व था क्योंकि इस दिन लोगों ने अत्याचार और हिंसा का सामना करते हुए भी स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष को जारी रखा। स्त्रियाँ, जो आमतौर पर इन संघर्षों से बाहर रहती थीं, उन्होंने भी भाग लिया और यह साबित किया कि स्वतंत्रता संग्राम में हर कोई शामिल हो सकता है। यह दृढ़ संकल्प और साहस का प्रतीक था।
(ग)
आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।
उत्तर:इसका आशय यह है कि कलकत्ता में स्वतंत्रता संग्रामियों के संघर्ष में एक लंबा समय था जब यहाँ पर कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं हुआ था, लेकिन इस दिन ने साबित कर दिया कि यहाँ भी स्वतंत्रता संग्राम के लिए लोग उठ खड़े हुए हैं और महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।
उत्तर:इसका आशय है कि यह सभा पहले कभी नहीं आयोजित की गई थी, क्योंकि इस प्रकार की खुले तौर पर चैलेंजिंग सभा पुलिस और सरकार के खिलाफ होती थी, और इसमें सार्वजनिक रूप से विरोध किया गया। यह एक साहसिक और असाधारण कदम था।
भाषा अध्ययन
रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं:
साधारण वाक्य (Simple Sentence)
यह वाक्य केवल एक विचार व्यक्त करता है। उदाहरण: "मैं स्कूल जा रहा हूँ।"
संधि वाक्य (Compound Sentence)
इसमें दो या दो से अधिक स्वतंत्र विचारों को जोड़कर एक वाक्य बनाया जाता है। उदाहरण: "मैं स्कूल जा रहा हूँ और मेरी बहन बाजार जा रही है।"
सम्बंध वाक्य (Complex Sentence)
इसमें एक मुख्य विचार और एक या अधिक उपवाक्य होते हैं। उदाहरण: "जब मैं स्कूल जाता हूँ, तब मेरी माँ मुझे आशीर्वाद देती हैं।"निम्नलिखित वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलिए:
(क) दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाजार गया। वहाँ पर गिरफ़्तार हो गया।
(ख) मैदान में हजारों आदमियों की भीड़ होने लगी। लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।
(ग) सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया। गाड़ी में बैठाकर लालबाजार लॉकअप में भेज दिया गया।
II. 'बड़े भाई साहब' पाठ में से वाक्य:
सरल वाक्य
वह स्कूल गया।
मैंने किताब पढ़ी।
संयुक्त वाक्य
वह स्कूल गया और मैंने किताब पढ़ी।
वह बाजार गया, परंतु मुझे घर पर रहना पड़ा।
मिश्र वाक्य
जब वह स्कूल गया, तब मैंने किताब पढ़ी।
जब मैं बाजार गया, तब मुझे यह किताब मिली।
2. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं का अध्ययन:
(क) 1. कई मकान सजाए गए थे। (कृदंत क्रिया, "सजाए" - क्रिया का भूतकाल में प्रयोग)
2. कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए थे। (कृदंत क्रिया, "लागाए" - क्रिया का भूतकाल में प्रयोग)(ख) 1. बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था। (क्रिया का निरंतर काल में प्रयोग, "फहरा" - वर्तमान काल)
2. कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं। (क्रिया का भूतकाल में निरंतर प्रयोग, "घुमाई" - प्रक्रिया में होना)पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन कर रही थी। (वर्तमान काल, "कर रही" - प्रक्रिया में क्रिया)
(ग) 1. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था, वह प्रबंध कर चुका था। (क्रिया का भूतकाल, "कर चुका" - कार्य का समापन)
2. पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था। (क्रिया का भूतकाल, "निकला" - कार्य का समापन)1. ❤स्वतंत्रता आंदोलन में निम्नलिखित महिलाओं का योगदान:(क) सरोजिनी नायडू:
सरोजिनी नायडू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख नेता और कवयित्री थीं। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मंच से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहमति व्यक्त की। वे महिलाओं के अधिकारों की समर्थक थीं और समाज में समानता की पक्षधर थीं। उन्हें "भारत की नाइटिंगेल" कहा जाता है, क्योंकि उनकी कविताएँ भारतीय संस्कृति और समाज के भावनात्मक पहलुओं को व्यक्त करती थीं।(ख) अरुणा आसफ अली:
अरुणा आसफ अली भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महान क्रांतिकारी थीं, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सक्रिय सदस्य के रूप में विभाजन के बाद भी संघर्ष किया। उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बंबई में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सक्रिय विरोध किया। 1942 में उन्होंने दिल्ली के चौक पर झंडा फहराया था, जिससे उन्हें गिरफ्तार किया गया था। वे भारतीय महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गईं।(ग) कस्तूरबा गांधी:
कस्तूरबा गांधी महात्मा गांधी की पत्नी और स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रेरणास्त्रोत थीं। उन्होंने समाज में महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा की बात की। कस्तूरबा ने महात्मा गांधी के साथ असहमति व्यक्त की, विशेष रूप से उनके सत्याग्रह आंदोलनों में। उन्होंने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को जागरूक करने के लिए कई कार्य किए और महात्मा गांधी के आंदोलन में भाग लिया।2. इस पाठ के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में कलकत्ता (कोलकाता) के योगदान का चित्र स्पष्ट होता है।
उत्तर:कलकत्ता (कोलकाता) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यहाँ पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई महत्वपूर्ण आंदोलन और आंदोलनों की शुरुआत हुई। जैसे, 1911 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कलकत्ता अधिवेशन, और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का एक प्रमुख केन्द्र बना। इस शहर ने संघर्ष की भावना को जन्म दिया और भारत के राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम को गति दी। यहां की जनता ने अपने साहस और संघर्ष से ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलन चलाए, जिनका असर पूरे देश पर पड़ा।3. 'केवल प्रचार में दो हजार रुपया खर्च किया गया था।' तत्कालीन समय को मद्देनजर रखते हुए अनुमान लगाइए कि प्रचार-प्रसार के लिए किन माध्यमों का उपयोग किया गया होगा?
उत्तर:तत्कालीन समय में, प्रचार के लिए सीमित साधन थे। प्रचार के लिए मुख्य रूप से पत्रिकाएं, समाचार पत्र, पोस्टर, और सभाएँ इस्तेमाल की जाती थीं। इसके अलावा, सार्वजनिक स्थानों पर भाषण देने और जनसभाएँ आयोजित करने का भी रिवाज था। सोशल मीडिया या अन्य आधुनिक प्रचार माध्यमों का उपयोग नहीं था, इसलिए प्रचार का खर्च मुख्य रूप से इन साधनों पर होता था।4. आपको अपने विद्यालय में लगने वाले पल्स पोलियो केंद्र की सूचना पूरे मोहल्ले को देनी है। आप इस बात का प्रचार बिना पैसे के कैसे कर पाएँगे? उदाहरण के साथ लिखिए।
उत्तर:मैं बिना पैसे के प्रचार के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाऊँगा:मुंह से प्रचार: मैं अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को जानकारी दूँगा और उनसे कहूँगा कि वे भी यह सूचना दूसरों तक पहुँचाएँ।
सार्वजनिक स्थानों पर सूचना देना: मोहल्ले में स्थित सार्वजनिक स्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, या पार्क में जाकर वहाँ लगे Notice board पर सूचना लगा सकता हूँ।
पेशेवर संपर्क: मोहल्ले के बड़े लोग, जैसे कि वार्ड मेंबर या शिक्षक, से मदद लेकर उन्हें भी इस सूचना को आगे बढ़ाने के लिए कह सकता हूँ।
सामुदायिक समूहों में जानकारी देना: मोहल्ले के सामाजिक समूहों, जैसे महिला मंडल, युवा मंडल आदि में सूचना फैलाना।
इन सभी माध्यमों से हम बिना पैसे खर्च किए इस जानकारी को बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँचा सकते हैं।
शब्दार्थ और टिप्पणियाँ:
पुनरावृत्ति: किसी कार्य का बार-बार होना या उसका दोहराव।
गश्त: पुलिस या अन्य सुरक्षा बलों द्वारा निरंतर निगरानी रखना।
सारजेंट: पुलिस विभाग में एक पद, जो सुरक्षा कार्यों का संचालन करता है।
मोनुमेंट: ऐतिहासिक या सांस्कृतिक महत्व का स्मारक।
कौंसिल: एक सभा या परिषद, जो किसी विशेष कार्य के लिए गठित होती है।
चौरंगी: कोलकाता का एक प्रसिद्ध चौराहा।
वालेंटियर: वह व्यक्ति जो बिना किसी भत्ते के स्वेच्छा से कार्य करता है।
संगीन: गंभीर या संवेदनशील।
मदालसा: एक महिला पात्र, जो स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार थी।
कलकत्ता (कोलकाता): भारत का एक प्रमुख नगर, जो पहले ब्रिटिश भारत की राजधानी था।