(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
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कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है? कवि ने उस मृत्यु को सुमृत्यु कहा है, जो दूसरों के लिए जीवित रहते हुए, उनका कल्याण करने के बाद आती है। वह मृत्यु, जो परोपकार, त्याग और मानवता के लिए समर्पित हो, वह सुमृत्यु है, क्योंकि ऐसी मृत्यु के बाद भी व्यक्ति अपनी कीर्ति और योगदान के कारण युगों तक जीवित रहता है।
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उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है? उदार व्यक्ति की पहचान इस बात से की जा सकती है कि वह स्वयं के हित से पहले दूसरों के हित की सोचता है। वह परोपकार, दया, और सहानुभूति का परिचायक होता है। उसका जीवन दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित होता है, और वह किसी भी अवस्था में स्वार्थी नहीं होता।
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कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर 'मनुष्यता' के लिए क्या संदेश दिया है? कवि ने दधीचि, कर्ण और अन्य महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर यह संदेश दिया है कि वास्तविक मनुष्य वही है, जो अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के लिए त्याग करता है। इन महान व्यक्तियों ने अपनी जान, शरीर और जीवन के सर्वोत्तम हिस्से दूसरों के कल्याण के लिए बलिदान किए, जिससे उनकी मृत्यु भी अमर हो गई।
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कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए? "रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में, सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।" इन पंक्तियों में कवि ने यह कहा है कि हमें अपनी संपत्ति और स्थिति पर गर्व नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा विनम्र और सच्चे रहते हुए जीना चाहिए, क्योंकि हमारा वास्तविक मूल्य हमारी अच्छाई और परोपकार में है, न कि वित्तीय स्थिति में।
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'मनुष्य मात्र बंधु है' से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए। 'मनुष्य मात्र बंधु है' का अर्थ है कि सभी मनुष्य एक-दूसरे के भाई हैं। यह संदेश यह देता है कि हमें सभी इंसानों को एक समान समझना चाहिए, भले ही उनके बीच बाह्य भेद हों। यह बंधुत्व की भावना को बढ़ावा देता है और हमें एक दूसरे की मदद करने, समझने और सहानुभूति दिखाने की प्रेरणा देता है।
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कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है? कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा दी है ताकि समाज में एकता बनी रहे और सभी मिलकर संघर्षों और विघ्नों का सामना कर सकें। एकता से ही हम किसी भी विपत्ति को पार कर सकते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह हमें आत्मबल और सहयोग की भावना सिखाता है।
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व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए। इस कविता के आधार पर व्यक्ति को एक परोपकारी, दयालु और विनम्र जीवन व्यतीत करना चाहिए। उसे अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के हित के लिए जीना चाहिए। उसे अपनी संपत्ति या शक्ति का घमंड नहीं करना चाहिए और न ही किसी के प्रति भेदभाव करना चाहिए। जीवन का उद्देश्य केवल स्वयं के लिए नहीं, बल्कि समाज और मानवता के लिए होना चाहिए।
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'मनुष्यता' कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है? 'मनुष्यता' कविता के माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहता है कि असली मनुष्य वही है, जो अपने जीवन में दूसरों के लिए त्याग और परोपकार करता है। उसे स्वार्थ और अहंकार से ऊपर उठकर, समाज और मानवता के हित के लिए कार्य करना चाहिए। यह कविता हमें एकता, प्रेम, सहानुभूति और परस्पर सहयोग का महत्त्व सिखाती है।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
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सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही; वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही। विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा, विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
इस पंक्ति का भाव है कि सहानुभूति और दया की भावना सबसे बड़ी शक्ति है। वही व्यक्ति सच्चा महाविभूति होता है, जो दूसरों के दुखों को समझता है और उनकी सहायता करता है। बुद्ध की दया-प्रवृत्तियाँ और विनम्रता ने समाज में गहरी छाप छोड़ी, और वे सबके लिए आदर्श बने। यह पंक्तियाँ हमें यह सिखाती हैं कि दया और सहानुभूति के साथ काम करने से ही हम समाज में आदर्श बन सकते हैं।
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रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में, सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में। अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं, दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं। इस पंक्ति का भाव है कि हमें कभी भी अपने धन और स्थिति पर गर्व नहीं करना चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि त्रिलोकनाथ (ईश्वर) हमेशा हमारे साथ हैं और उनका हाथ हर समय हमारे साथ है। किसी भी व्यक्ति को अनाथ नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि ईश्वर की दया और सहायता हमारे साथ हमेशा बनी रहती है।
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चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए, विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए। घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी, अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी। इस पंक्ति का भाव है कि हमें अपने जीवन के उद्देश्य की ओर बढ़ते हुए, विपत्तियों और समस्याओं का सामना साहस के साथ करना चाहिए। हमें एकजुट रहकर और एक दूसरे का साथ देकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ना चाहिए। यह पंक्तियाँ हमें एकजुटता, दृढ़ता और सहयोग की भावना सिखाती हैं, ताकि हम एक साथ सफलता की ओर बढ़ सकें।
1. पौराणिक पात्रों के बारे में जानकारी:
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रंतिदेव: रंतिदेव एक प्रसिद्ध राजा थे, जिनकी कथा का प्रमुख संदेश परोपकार और त्याग है। उन्होंने खुद को भूखा रखा और अपने खाने का भाग दूसरों को दे दिया, ताकि किसी अन्य का पेट भरे। यह कथा उनके महान दानी स्वभाव को दर्शाती है।
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दधीचि: दधीचि एक महान ऋषि थे, जिन्होंने अपने शरीर की हड्डियाँ देवताओं को दे दीं ताकि वे इंद्र के लिए वज्र बना सकें। उनकी यह कथा परोपकार, त्याग और महान साहस का प्रतीक है।
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कर्ण: कर्ण महाभारत के एक महत्वपूर्ण पात्र थे, जिन्होंने अपने सारे दान और संघर्षों के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की। उनका सबसे प्रसिद्ध दान था, जब उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से अपनी कवच और कुंडल दान में दे दिए, जिससे वे पूरी तरह से असुरक्षित हो गए। वे त्याग और दान के प्रतीक माने जाते हैं।
2. 'परोपकार' पर आधारित कविताएँ और दोहे:
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कविता 1:
"सुखी वह नहीं जो सुखी हैं, जो सुखी कर सकें दूसरों को,
जीवन का यही संदेश है, पार करें हर रुकावट साथ ही सबको।" -
कविता 2:
"परहित की राह पर चलो, हर दिल में प्यार भर लो,
सेवा करने से बढ़ता है, जीवन का असली रंगो।" -
दोहे:
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"परहित के कार्यों से मनुष्य को मिलता है जीवन सुख,
दूसरों के हित में जो जीते, वही सच्चा धर्म को मुक़बिल कर।" -
"जो दूसरों के लिए जीता, वही असली मानव बन जाता है,
परोपकार का मार्ग ही है, जो सच्चे जीवन की राह बताता है।"
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3. अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की कविता 'कर्मवीर' तथा अन्य कविताओं को पढ़िए:
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इस कार्य के लिए आप 'कर्मवीर' और अन्य कविताओं को पढ़ने के बाद कक्षा में उन कविताओं का विश्लेषण करें। इनमें कर्म, त्याग, और परोपकार के विषय पर विस्तृत चर्चा की जाती है।
4. भवानी प्रसाद मिश्र की 'प्राणी वही प्राणी है' कविता:
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इस कविता में जीवन के सरलतम और मौलिक गुणों पर जोर दिया गया है। 'प्राणी वही प्राणी है' कविता में यह संदेश दिया गया है कि सच्चा प्राणी वह है जो जीवन में ममता, संवेदनशीलता, और सहानुभूति से भरा हुआ होता है। यह कविता 'मनुष्यता' कविता के भावों से मेल खाती है क्योंकि दोनों में मानवता, परोपकार, और दूसरों के लिए जीने का संदेश दिया गया है।
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