Chapter 11

                                                  रामधारी सिंह दिवाकर


 प्रश्न 1.स्टेशन के बाहर लगी जीप को देखकर लीलावती के मन को ठेस क्यों लगी?
उत्तर-
लीलावती को यह उम्मीद थी कि उसे लेने गाँव के कई लोग आएँगे, लेकिन वहां सिर्फ भैया, भतीजे, सुरेश, नरेश और एक अपरिचित व्यक्ति ही मौजूद थे। इस दृश्य को देखकर उसे पहले तो कर्तव्य-बोध हुआ, लेकिन साथ ही वह खिन्न भी हुई। उसे अपनी आगवानी में पुराने समय की पारंपरिक बैलगाड़ी या ओहारवाली बैलगाड़ी की उम्मीद थी। बदलते समय और परिवर्तित समाज के कारण उसका मन ठेस खा गया।

 प्रश्न 2.गाँव शहर से किस प्रकार भिन्न होता है? वर्णन करें।
उत्तर-
गाँव केवल किसी के माता-पिता या भाई-भाई-बहनों का घर नहीं होता, बल्कि पूरा समुदाय, पूरा गाँव एक परिवार के समान होता है। वहीं शहर में लोग अक्सर अपने-अपने जीवन में व्यस्त रहते हैं और किसी के साथ गहरी परवाह या जुड़ाव नहीं होता। यही गाँव और शहर के बीच मुख्य अंतर है।

 प्रश्न 3.‘बुच्ची दाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है?
उत्तर-
जब नरेश के पिस्तौल जेब में होने के बावजूद बुच्ची दाय ने उसे टोका, नरेश ने बड़े सहज और निर्भीक ढंग से इसका उत्तर दिया। बुच्ची दाय के इस उच्चारण में जो स्नेह, अपनत्व और हृदयस्पर्शी भावना झलकती है, वही लीलावती के मन में आनंद और तृप्ति की अनुभूति उत्पन्न करती है।

 प्रश्न 4.बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा किसकी याद आती है और क्यों?
उत्तर-
बुच्ची दाय को सबसे अधिक याद आती है सहेलिया माय की। सहेलिया माय ने उसे अपना दूध पिलाकर पाला-पोसा और उसकी देखभाल की। उसकी माँ भी कहती थी कि सहेलिया माय तुम्हारी दूसरी माँ है, इसलिए बुच्ची दाय का प्रेम और स्नेह सबसे ज्यादा उसी के प्रति जुड़ा हुआ है।

 प्रश्न 5.गाँव में लीलावती फोन, फ्रिज, टीवी, वीसीडी की जगह क्या देखना चाहती है?
उत्तर-
लीलावती मुंबई की आधुनिक सुविधाओं से परिचित है, लेकिन उसे अपने गाँव की पारंपरिक सादगी और प्राकृतिक सौंदर्य को देखना अच्छा लगता है। वह अपने नैहर में सखी-सहेलियाँ, नदी और पोखर, खेत-खलिहान, टोले-पगडंडियाँ, नाथ बाबा का थान, राजा सल्हेश का गहबर, बुढ़िया बाड़ी और बरहम बाबा का मंदिर जैसी चीजें देखना चाहती है।

 प्रश्न 6.प्रस्तुत कहानी में प्रयुक्त उन तथ्यों को एकत्र करें, जिससे ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता है।
उत्तर-
कहानी में टप्परवाली या ओहार वाली बैलगाड़ी, नदी और पोखर, खेत-खलिहान, पगडंडी, नाथ बाबा का थान, काठ का पुल, बरहम बाबा का मंदिर आदि का वर्णन किया गया है। इन विवरणों से गाँव की सरल जीवनशैली, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक-सांस्कृतिक वातावरण स्पष्ट रूप से सामने आता है।

प्रश्न 7.बुच्ची दाय जब सहेलिया माय से मिलने पहुंची तो सबको अचरज क्यों हुआ? वहाँ के दृश्य का वर्णन करें।
उत्तर-
सारे कठिनाइयों और बाधाओं को पार कर बुच्ची दाय जब शादी के अवसर पर सहेलिया माय के आंगन में पहुँची, तो सब हैरान रह गए। माहौल तो पहले गोली-पिस्तौल और मामलात की बातें होने से तनावपूर्ण था, लेकिन बुच्ची दाय के आगमन से पूरा टोला स्तब्ध रह गया। सहेलिया माय के सूखे स्तनों में दूध उतर आया, और लीलावती ने उनका चेहरा छिपाकर देर तक सुबक-सुबक कर रोती रही। यह घटना बाढ़ के पानी की तरह पूरे सोलकन टोले में फैल गई और सभी लोग लीलावती को देखने उमड़ पड़े। इस दृश्य में जीवन की गहन भावनात्मक सार्थकता और प्रेम का सागर उमड़ पड़ा।

 प्रश्न 8.लीलावती खासटोली और बबुआन टोली को तबाह होने से किस प्रकार बचा लेती है?
उत्तर-
विनाशकारी माहौल में लीलावती ने सोलकन टोली में शादी के अवसर पर पहुँचकर समाज में शांति और सौहार्द्र की स्थिति स्थापित की। उसके साहस और व्यवहार से सोनेलाल के बेटे कलेसर ने लीलावती के पैर छूकर वचन दिया कि अब से वे हाथ नहीं उठाएंगे और पुरानी भूल-चूक माफ करेंगे। इस प्रकार लीलावती ने अपने व्यवहार और समझदारी से दोनों टोली को तबाही से बचा लिया।

 प्रश्न 9.लीलावती अपनी पांच एकड़ जमीन भैया कोन देकर सहेलिया माय के नाम करने का फैसला क्यों करती है?
उत्तर-
लीलावती के विवाह के समय उसके पिता ने जो पाँच एकड़ जमीन दी थी, वह गाँव में बैकवार्ड-फॉरवर्ड लड़ाई का कारण बन गई थी। गाँव में अमन-चैन और शांति बनाए रखने के लिए, लीलावती ने अपने भाई-भतीजों से वचन लेकर यह जमीन सहेलिया माय के नाम कर दी। उसका उद्देश्य यह था कि दूध का मोल कोई नहीं चुका सकता, इसलिए झगड़ा हमेशा के लिए समाप्त हो जाए और सभी मिलजुल कर रहें।

 प्रश्न 10.गाँव में दंगा भड़कने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर-
शहर में लोग आराम और मनोरंजन की जिंदगी जीते हैं, जबकि गाँव में गरीबी और बेरोजगारी का दबाव है और लोग पारिवारिक जिम्मेदारियों से जूझते हैं। इसके साथ ही सरकारी नीतियों का आरक्षण और अन्य सामाजिक असमानताएँ भी दंगे भड़काने में मदद करती हैं।

व्याख्याएँ

बिहार बोर्ड हिंदी बुक Class 9 Bihar Board प्रश्न 11.
(क) “तुम्हारी जो पांच एकड़ जमीन है, वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है।”
उत्तर-
यह पंक्ति रामधारी सिंह दिवाकर के ‘सूखी नदी का पुल’ से ली गई है। इसमें लेखक ने ग्रामीण समाज में संपत्ति को लेकर होने वाली वैमनस्यता और संघर्ष को बड़े स्पष्ट रूप में दिखाया है। लीलावती के भाई का कथन यह दर्शाता है कि अब गाँव पहले जैसा सुरक्षित नहीं रहा। आरक्षण के लागू होने के बाद जातियों और समाज में कटुता फैल गई है, निजी सेनाएँ बन गई हैं, और जमीन-जायदाद पर विवाद आम बात हो गई है। पाँच एकड़ जमीन इस स्थिति में “गिद्धों के मांस का लोथड़ा” बन गई है, यानी लोग इसे पाने के लिए संघर्ष और द्वेष कर रहे हैं।

(ख) “समय ही ऐसा आ गया है बुच्ची दाय! अपनी सुरक्षा के लिए यह सब अब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले जैसा गाँव नहीं रहा।”
उत्तर-
यह पंक्ति ‘सूखी नदी का पुल’ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने लीलावती के प्रश्नों के माध्यम से गाँव की बदलती सामाजिक और राजनीतिक परिस्थिति को उजागर किया है। लीलावती अपने भाई के पिस्तौल को देखकर आश्चर्यचकित होती है, क्योंकि पहले गाँव में लोग सभ्य और शांतिपूर्ण रहते थे। अब वही गाँव राजनीतिक संघर्ष, जातिगत भेदभाव और असुरक्षा का सामना कर रहा है। भाई के अनुसार सुरक्षा के कारण पिस्तौल रखना आवश्यक हो गया है, जो गाँव के बदलते और कठिन हालात का प्रतीक है।

(ग) सूखी नदी का पुल! पिछली बार आई थी तब नदी में पानी था और सीमेंट की पुल की जगह काठ का पुल था-कठपुल्ला। नदी सूख गई है अब। रेत ही रेत। रेत की नदी।
उत्तर-
यह पंक्ति ‘सूखी नदी का पुल’ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने गाँव में हुए बदलाव का मार्मिक चित्र प्रस्तुत किया है। लीलावती जब गाँव लौटती है, तो उसे बदलाव देखकर आश्चर्य होता है। पिछली बार नदी में पानी था और काठ का पुल था, अब नदी सूख गई है और सीमेंट का पुल बन चुका है। लेखक इस विवरण के माध्यम से समय के साथ गाँव की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों में आये परिवर्तन को प्रभावपूर्ण ढंग से दर्शाता है।

(घ) “जीप जब दरवाजे से आगे बढ़ी तब लीलावती को ऐसा महसूस हुआ जैसे दूध की कोई उमगी हुई उजली नदी है और उस नदी में वह ऊब-डूब रही है।”
उत्तर-
यह पंक्ति ‘सूखी नदी का पुल’ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने लीलावती के दृष्टिकोण से गाँव में आए सामाजिक और भावनात्मक बदलाव को बड़ी खूबसूरती से चित्रित किया है। जब लीलावती अपने भैया से पाँच एकड़ जमीन सहेलिया माय के नाम कर देने की शपथ लेती है, तो माहौल शांत और सौहार्दपूर्ण हो जाता है। उस समय लीलावती को ऐसा प्रतीत होता है जैसे चारों ओर दूध की उजली, उमगी हुई नदी बह रही हो और वह उसमें अपने मन की संतुष्टि और सुख की अनुभूति में डूब रही हो। लेखक ने इस रूपक के माध्यम से शांतिपूर्ण और प्रेमपूर्ण वातावरण का भाव प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया है।

(ङ) “सिर्फ अपना, अपने माँ-बाप या भाई-भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। यह शहर तो है नहीं। यहाँ तो पूरा गाँव रिश्तों-नातों में बंधा होता है।”
उत्तर-
यह पंक्ति ‘सूखी नदी का पुल’ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने ग्रामीण जीवन में अपनत्व और सामूहिकता की भावना को बड़े मार्मिक ढंग से दर्शाया है। लीलावती जब वर्षों बाद अपने नैहर लौटती है, तो उसे केवल अपने माता-पिता या भाई-भौजाई का घर ही नहीं, बल्कि पूरा गाँव अपना लगता है। वह शहर के अलगाव और व्यक्तिगत जीवन की तुलना में गाँव की घनिष्ठता और आपसी संबंधों में बंधे रहने की मिठास को महसूस करती है। लेखक ने लीलावती के दृष्टिकोण से यह स्पष्ट किया है कि गाँव में अपनत्व और संबंधों की व्यापकता ही उसका असली घर बनाती है।

(च) “विवाह को उल्लास भरे वातावरण में आँसुओं की यह गंगा-यमुनी बाद! इस बाढ़ में किसका कितना कुछ डूबा, बहां-कौन जाने।”
उत्तर-
यह पंक्तियाँ ‘सूखी नदी का पुल’ से उद्धृत हैं। लेखक ने यहाँ सामाजिक वातावरण में हुए विघटन और संघर्ष के बावजूद उत्पन्न शांति और सामूहिक सौहार्द का भाव चित्रित किया है। लीलावती जब सहेलिया माय की शादी में पहुँचती है, तो उसका शांत और सकारात्मक व्यवहार सभी बाधाओं को पार कर देता है। गाँव के लोग, जो पहले वैमनस्य और मतभेद में बँटे थे, लीलावती की उपस्थिति से अपने वैर-भाव भूलकर मिल-जुलकर एक सुखद और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने की कसमें खा लेते हैं। लेखक ने भावपूर्ण रूप से यह दर्शाया है कि कठिन परिस्थितियों में भी मानवीय संवेदनाएँ और अपनत्व उजागर हो सकते हैं।

 प्रश्न 12.शीर्षक की सार्थकता पर विचार करते हुए कहानी का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
दिवाकर की यह कहानी ग्रामीण जीवन में आए परिवर्तनों और टूट-फूट की स्थिति को उजागर करती है। गाँव के लोग और परिवेश पहले जैसा नहीं रहा, जबकि शहर में बसे नौकरी-पेशा वर्ग की जड़ें गाँव में पाई जाती हैं। शहर और गाँव के बीच उत्पन्न यह अंतर्विरोध गाँव के जीवन में तनाव और असंतोष की स्थिति पैदा करता है। इसी सामाजिक और भावनात्मक टूट-फूट को लेखक ने कहानी में बड़े प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। ‘सूखी नदी का पुल’ शीर्षक इस कहानी की सार्थकता को दर्शाता है, क्योंकि यह गाँव के बदलते परिवेश और टूटते सामाजिक ढांचे का प्रतीक है। केंद्रीय भाव यही है कि ग्रामीण जीवन में आई गिरावट को समझकर सुधार की दिशा में प्रयास किया जा सकता है।

नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. समय ही ऐसा आ गया है बुच्चीदाय! अपनी सुरक्षा के लिए अब यह सब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले वाला गाँव नहीं रहा। जब से आरक्षण लागू हुआ है, बैकवर्ड-फॉरवर्ड की दुर्भावना बुरी तरह फैल गई है। गाँव में जातियों के अलग-अलग संगठन हो गए हैं, निजी सेनाएँ हो गई हैं। जमीन-जायदाद को बचा पाना मुश्किल हो गया है। तुम्हारी वाली जो पाँच एकड़ जमीन है वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है। भैया बोल ही रहे थे कि बीच में नरेश ने कहा, ‘हमलोगों की भी अपनी सेना है बुआ!’

भैया कहने लगे, “अच्छा हुआ तुम आ गई बुच्चीदाय! अब अपनी जमीन का ‘नौ-छौ’ कुछ करके ही जाना।” चलती जीप की घरघराहट में सामने बैठे भैया बोलते जा रहे थे।

(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
उत्तर-पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर

(ख) गाँव में अब कैसा समय आ गया है? क्यों?
उत्तर-आज का गाँव पहले जैसा नहीं रहा। अब यहाँ लोग फॉरवर्ड और बैकवर्ड दो जातियों के समूहों में बँट चुके हैं। प्रत्येक समूह ने अपने संगठन बना लिए हैं और निजी सेनाएँ भी तैयार कर ली हैं। बड़े भूस्वामियों के लिए अपनी जमीन सुरक्षित रखना कठिन हो गया है। सुरक्षा की आवश्यकता के चलते अब लोगों को पिस्तौल रखना पड़ता है। इस पूरे बदलाव के पीछे प्रमुख कारण आरक्षण का लागू होना और इससे उत्पन्न सामाजिक असंतुलन है।

(ग) गाँव में फॉरवर्ड के लिए अब क्या मुश्किल हो गया है, और क्यों ?
उत्तर-आरक्षण लागू होने के बाद गाँव में लोग फॉरवर्ड और बैकवर्ड दो मुख्य जाति समूहों में विभाजित हो गए हैं। इन समूहों के बीच तनाव और वैमनस्य बढ़ गया है। प्रत्येक जाति समूह ने अपने-अपने संगठन बना लिए हैं, और निजी सेनाएँ भी गठित हो गई हैं। इस अस्थिर और कटु सामाजिक स्थिति के कारण फॉरवर्ड जाति के भूस्वामियों के लिए अपनी जमीन और संपत्ति सुरक्षित रखना अब बहुत कठिन हो गया है।

(घ) कौन-सी चीज गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है? क्यों और कैसे?
उत्तर-लीलावती को शादी के समय उसके पिता ने पाँच एकड़ जमीन दान में दी थी। इसके बाद वह ससुराल में रहने लगी। गाँव में उसकी उस जमीन की देखभाल उसके भाई-भतीजे कर रहे थे, लेकिन सोलकन टोले के भूमिहीन और लालची लोग, खासकर सहेलिया माय के बेटे कलेसर, उस जमीन पर नज़र गड़ाए बैठे थे। इसी कारण वह जमीन भूमिहीन लोगों के लिए ऐसा लोभपूर्ण वस्तु बन गई, जिसे लेखक ने “गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा” कहा है।

(ङ) आज आपके गाँव की कैसी हालत है?
उत्तर-आज हमारे गाँव की स्थिति भी बदल गई है। लोग विभिन्न जाति समूहों में बँट गए हैं और अपनी-अपनी जातियों के लिए संगठन बना चुके हैं। कई जगहों पर जाति-सेनाओं का गठन हो चुका है और जमीन-जायदाद के लिए झगड़े और लूटपाट होने लगी है। इस वजह से गाँव का सामाजिक माहौल अस्थिर और अशांत हो गया है, और कुछ स्थानों पर हिंसा व हत्याएँ भी हो रही हैं।

(घ) लीलावती के पिता ने उसकी शादी में उसे पाँच एकड़ जमीन दान के रूप में दी थी। शादी के बाद वह ससुराल में रह रही थी। इधर गाँव में उस जमीन की देखभाल उसके भाई-भतीजे करते थे सोलकन टोला के भूमिहीन परिवार के लोगों खासकर सहेलिया माय के बेटे कलेसरा की गिद्ध-दृष्टि उसपर पड़ी हुई थी और जमीन का वह टुकड़ा भूमिहीन गिद्धों के लिए इस रूप में मांस का लोथड़ा बना हुआ था।

2. तेरह-चौदह वर्षों बाद लीलावती नैहर लौट रही है। पिछले बार माँ के श्राद्ध-कर्म पर आई थी। सब कुछ याद आ रहा है लीलावती को! याद आ रहा है गाँव का नैहर सिर्फ अपने माँ-बाप या भाई-भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। यह शहर तो नहीं है। यहाँ तो पूरा गाँव रिश्ते-नातों से बँधा रहता है और गाँव के वही रिश्ते-नाते इस वक्त बड़ी शिद्दत से याद आ रहे हैं लीलावती को। सबसे ज्यादा याद आ रही है सहेलिया माय! मुंबई में जब-जब नैहर की याद आई, खवासटोली की वह सहेलिया माय सबसे ज्यादा याद आई। माँ कहती थी-सहेलिया माय खवासिन नहीं, तुम्हारी दूसरी माँ है! इसी ने तुमको अपना दूध पिलाकर पाला-पोसा। माँ कहती थी-जब तुम जन्मी थी, अपना दूध नहीं उतरा था। डागडर-वैद्य, ओझा-गुनी सब हार गए। गाय, बकरी, भेड़ी किसी का दूध तुमको नहीं पचता था। एकदम मरने-मरने को हो गई थी तुम। तब सहेलिया माय सामने आई। नई-नई लरकोरी बनी थी। गोद में बेटा था कलेसर। उसी ने अपना दूध पिला-पिलाकर तुमको जिंदा रखा।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
उत्तर-पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर

(ख) लीलावती को गाँव आने पर सामान्य रूप से क्या याद आ रही
उत्तर-गाँव पहुँचते ही लीलावती को याद आ रहा है कि पहले उसके नैहर में केवल माँ-बाप और भाई-भौजाई ही नहीं रहते थे, बल्कि पूरा गाँव अपने आप में शामिल था। गाँव का माहौल रिश्तों, नातों और अपनत्व से भरा हुआ था। अब वह वही पुराना, मिलनसार और सामूहिक वातावरण उसे याद आ रहा है, जो अब बदल चुका है।

(ग) लीलावती को गाँव आने पर विशेष रूप से किसकी याद आ रही है और क्यों?
उत्तर-गाँव आने पर लीलावती को सबसे अधिक याद सहेलिया माय आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी माँ ने उसे बताया था कि सहेलिया माय उसकी नौरी नहीं, बल्कि दूसरी माँ के समान हैं। इसी सहेलिया माय ने लीलावती के बचपन में उसे अपना दूध पिलाकर पाला और बड़ा किया, इसलिए उसका स्मरण लीलावती के मन में विशेष रूप से जीवंत है।

(घ) लीलावती की माँ ने लीलावती से सहेलिया माय के बारे में क्या बताया था?
उत्तर-लीलावती की माँ ने बताया कि सहेलिया माय उसकी दूसरी माँ के समान हैं। जब लीलावती का जन्म हुआ, तो उसकी माँ के स्तन में दूध नहीं था। डॉक्टरों और वैद्य की कई दवाएँ भी काम नहीं आईं। उस समय शिशु लीलावती को गाय, भेड़ या बकरी का दूध भी नहीं पचता था। ऐसे संकट के समय सहेलिया माय ने अपनी छाती का दूध पिला-पिलाकर लीलावती को जीवित रखा।

(ङ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-इस गद्यांश में लेखक यह स्पष्ट कर रहे हैं कि पुराने समय में गाँव के लोग आज की तरह जाति-आधारित समूहों में बँटे नहीं थे। वहाँ सामाजिक सौहार्द्र और आपसी मेल-जोल का वातावरण था। उस समय सहेलिया माय जैसी स्त्री भी थी, जो आवश्यकता पड़ने पर दूसरी जाति के बच्चे को अपना स्तनपान कराकर जीवित रखती थी।

(ग) लीलावती को गाँव आने पर विशेष रूप से सहेलिया माय याद आ रही है। इसका कारण यह है कि लीलावती को माँ से यह पता चला था कि सहेलिया माय उसकी खवासिन (नौरी) नहीं, बल्कि उसकी दूसरी माँ है। इसी सहेलिया माय ने शैशवावस्था में लीलावती को अपने स्तन का दूध पिला-पिलाकर उसे जीवित रखा है!

3. दिन के तीसरे पहर घर के पिछवाड़े कमलपोखर की तरफ निकल गई लीलावती। एकदम सुनसान था कमलपोखर। ढेर सारी कँटीली झाड़ियाँ उग आई थीं। बगल के किसी पेड़ से पंडुकी पक्षी की आवाज आ रही थी-तू-तूरूम! तू-तूरूम!-तू कहाँ! तू कहाँ! पोखर के ऊँचे मोहार पर खड़ी लीलावती हसरत भरी आँखों से पश्चिम की तरफ देखने लगी-खवासटोली की तरफ। शहनाई और खुरदुक बाजै की मीठी-मीठी ध्वनि सुनाई पड़ रही थी। पुराने नक्शे की स्मृति को उतारते हुए लीलावती सोचने लगी-खवासटोली का पहला घर सहेलिया माय का है। वहीं से शहनाई की आवाज आ रही है। शायद। लगता है सादी-बियाह है खवासटोली में। शहनाई पर यह पुरानी धुन कौन बजा रहा है! “पिया मोर बालक हम तरुनी हे।” शायद रथ्यू काका होंगे।

(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
उत्तर-पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर

(ख) तीसरे पहर घर के पिछवाड़े कमलपोखर की तरफ वहाँ कैसा प्राकृतिक परिवेश था? उसे अपने शब्दों में वर्णन करें।
उत्तर-तीसरे पहर घर के पिछवाड़े, कमलपोखर की ओर का प्राकृतिक दृश्य कुछ ऐसा था कि चारों ओर सन्नाटा फैला हुआ था। जमीन पर जंगली झाड़ियाँ उगी हुई थीं और पास के पेड़ पर पंडुकी ‘तू-तूरूम! तू-तुरूम!’ करती सुनाई दे रही थी।

(ग) लीलावती खड़ी होकर क्या देख रही थी और क्या सुन रही थी?
उत्तर-लीलावती पोखर के ऊँचे मोहार पर खड़ी होकर पश्चिम दिशा में खवासटोली की ओर देख रही थी और वहाँ से आती शहनाई और खुरदुक की मधुर, मांगलिक ध्वनि सुन रही थी। यह संगीत सहेलिया माय के घर से आ रहा था, जहाँ आज उसकी पोती की शादी होने वाली थी।

(घ) पुराने नक्शे की स्मृति को उतारते हुए लीलावती क्या सोचने लगी?
उत्तर-पुराने नक्शे की स्मृति ताज़ा करते हुए लीलावती ने सोचना शुरू किया कि खवास टोली में सबसे पहला घर सहेलिया माय का है। शहनाई और खुरदुक की मंगल ध्वनि यह संकेत दे रही थी कि खवास टोली में आज किसी के घर शादी हो रही है। शहनाई की पुरानी धुन सुनकर उसे लगा कि यह गीत शायद रघू काका ही बजा रहे हैं, जो ‘पिया मोर बालक हम तरुनी हे’ बजा रहे होंगे।

(ङ) ‘पिया मोर बालक हम तरुनी हे’-यह गीत किसका लिखा गीत है? गीत की इस पंक्ति का अर्थ लिखें।
उत्तर-यह गीत प्रसिद्ध कवि विद्यापति द्वारा रचित है। इस गीत में एक युवती (गोपी) अपने हृदय में बालक श्रीकृष्ण के प्रति उमड़ते प्रेम की भावनाएँ व्यक्त करती है। गीत की इस पंक्ति का अर्थ है कि वह स्वयं तरुणी है, और उसका प्रिय श्रीकृष्ण अभी बालक रूप में है। इस प्रकार गीत में युवती और बालक के बीच पवित्र और मधुर प्रेम का भाव दर्शाया गया है।

(ग) लीलावती वहीं पोखर के ऊँचे मोहार पर खड़ी पश्चिम की ओर स्थित खवासटोली की तरफ देख रही थी और उस मोहल्ले से आ रही शहनाई और खुरदुक की मधुर मांगलिक आवाज सुन रही थी। यह आवाज सहेलिया माय के घर से आ रही थी जहाँ आज उसकी पोती की शादी होने वाली थी।

4. सुबह हो गई। वैशाख के महीने का सूरज बाँस भर ऊपर चढ़ आया। लीलावती भैया के घर लौटने के लिए तैयार थी। गाँव की अपनी बुच्चीदाय को विदा करने खवासटोली के लोग ही नहीं, पूरे सोलकाटोले के लोग, औरतें, बच्चे सब एकत्रित थे। इन सबसे घिरी लीलावती आम बमान के इस पार तक आ गई। पोखर के मोहार पर भैया, भौजी, बहू, भतीजे और बबुआनटोले के लोग खड़े थे और एकटक इसी तरफ देख रहे थे।
वायल की गाढ़ी लाल साड़ी पहने और भर माँग सिंदूर पोते लीलावती पोखर के मोहार पर आई। सारे लोग स्तब्ध लीलावती को देखते रहे। बंबई में सारी आधुनिक सुविधाओं के बीच रहनेवाली लीलावती इस वक्त पूरी देहातिन लग रही थी। चेहरे पर परम उपलब्धि की अपूर्व आभा! भैया, भाभी, भतीजे सब चुप। न कोई आरोप-प्रत्यारोप, न रोब, न उलाहना! नरेश भौंचक-सा बुआ का सिंदूरी चेहरा देखता रहा।

(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
उत्तर- पाठ-सूखी-नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर

(ख) सोलकनटोले के लोग लीलावती के साथ क्यों और किस रूप में एकत्र थे?
उत्तर-रात्रि में लीलावती जब सोलकनटोली की सहेलिया माय के घर पहुँची और वैवाहिक कार्यक्रम में रातभर रही, तो वहाँ के लोग यह जानते थे कि सोलकनटोली के पिछड़ी जाति के लोगों और सहेलिया माय के बेटे के साथ लीलावती के पारिवारिक संबंध कभी-कभी कटु रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में लीलावती की उपस्थिति और सहभागिता से लोग हर्षित और कृतज्ञ हुए। इसी भाव को व्यक्त करने के लिए वे सभी लीलावती के साथ वहाँ एकत्रित हुए।

(ग) लीलावती कब, कहाँ और किस रूप में देहातिन लग रही थी?
उत्तर- सुबह के समय, लीलावती सहेलिया माय के घर से अपने नैहर लौट रही थी। पोखर के मोहार पर पहुँचते ही उसने गाढ़ी लाल साड़ी पहन रखी थी और माथे पर भर-माँग सिंदूर भी था, जिससे वह पूरी देहातिन के रूप में दिखाई दे रही थी। बंबई में रहने वाली लीलावती उस समय अपने देहाती रूप में पूरी तरह घुल-मिल गई थी।

(घ) उस समय लीलावती के नैहर के लोग वहाँ उसे किस मनःस्थिति में देख रहे थे?
उत्तर-उस समय लीलावती के नैहर के लोग उसे देखकर स्तब्ध और चकित थे। उसके भैया-भाभी और दोनों भतीजे चुपचाप खड़े रह गए, किसी के मुँह से कोई गुस्सा या उलाहना नहीं निकला। भतीजा नरेश आश्चर्यचकित होकर अपनी बुआ का सिंदूरी चेहरा देखता ही रह गया।

(ङ) ‘चेहरे पर परम उपलब्धि की अपूर्व आभा।’ भाव और अर्थ
स्पष्ट करें।
उत्तर-जब लीलावती सहेलिया माय के घर से सुबह निकली, तो उसके मन में अत्यंत संतोष और प्रसन्नता थी। सहेलिया माय से मिलने के बाद उसे गहरी शांति और आत्मसंतोष का अनुभव हुआ। इसी भावना का प्रभाव उसके चेहरे पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था, जिसे लेखक ने ‘चेहरे पर परम उपलब्धि की अपूर्व आभा’ के रूप में व्यक्त किया है।

5. भैया ने फिर दृढ आवाज में कहा, ‘हाँ बुच्चीदाय, तुम जो फैसला करोगी, हमें मंजूर होगा। आखिर जमीन तो तुम्हारी ठहरी! वह भी दान की जमीन!’ लीलावती भैया की आँखों में झाँकने लगी, मुझे आपलोगों ‘की दुआ से कोई कमी नहीं है भैया। इसलिए दान में मिली जमीन मैं दान में ही देना चाहती हूँ। आप वचन दे चुके हैं। मुकरिएगा नहीं। मैं यह जमीन सहेलिया माय को रजिस्ट्री करना चाहती हूँ। दूध का मोल कौन दे सकता है, फिर भी…। झगड़ा हमेशा-हमेशा के लिए खतम। है न सुरेश, नरेश, भौजी! है न। सब हतप्रभ! और लीलावती का चेहरा ऐसा दिख रहा था जैसे कोई बहुत बड़ी चीज मिल गई हो उसे। हँसती हुई भैया से बोली, “सहेलिया माय और कलेसर कल फारबिसगंज रजिस्ट्री ऑफिस में मिलेंगे। मैंने कह दिया है उनसे। मेरा मान रखिएगा भैया! पता नहीं फिर कब लौटकर आना हो नैहर! आपको और सुरेश-नरेश को भी साथ चलना होगा, सिनाखत (शिनाख्त) के लिए।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
उत्तर- पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर

(ख) भैया की आवाज में दृढ़ता क्यों थी? उसने अपनी बहन को क्या विश्वास दिलाया?
उत्तर-लीलावती के भैया की आवाज में दृढ़ता इस कारण थी कि वे अपनी बात में पूरी तरह आश्वस्त और निश्चयपूर्वक थे। उन्होंने अपनी बहन को यह भरोसा दिलाया कि अब वे अपने कहे हुए निर्णय से पीछे नहीं हटेंगे और लीलावती द्वारा जमीन-संबंधी किए गए फैसले का हर हाल में पालन करेंगे।

(ग) दूध का मोल कौन दे सकता है, फिर भी प्रसंग के साथ इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर- लीलावती ने कहा, “दूध का मोल कौन दे सकता है।” इसका अर्थ यह है कि अपने शैशवास्था में उसने सहेलिया माय का दूध पीकर जीवन पाया था, और इस कृपा का प्रतिफल किसी भी मूल्य या चीज़ से नहीं चुकाया जा सकता। इसके बावजूद, उसने यह निश्चय किया कि अपनी पाँच एकड़ जमीन दान में सहेलिया माय के बेटे के नाम रजिस्ट्री कर देगी। यह कार्रवाई प्रतीकात्मक रूप से उस ऋण का आंशिक चुकाव है, लेकिन उसका भाव यह भी दर्शाता है कि सहेलिया माय के दूध का सच्चा मोल कोई नहीं चुका सकता।

(घ) लीलावती को कौन-सी बड़ी चीज मिल गई थी? स्पष्ट करें।
उत्तर-लीलावती को वह आत्मसंतोष और संतोष की भावना प्राप्त हुई, जो उसके लिए सबसे बड़ी चीज़ थी। उसने अपने पैतृक पाँच एकड़ जमीन का दान सहेलिया माय के बेटे के नाम करने का निश्चय किया और परिवार का पूर्ण समर्थन पाया। यह निर्णय उसे इसलिए अत्यंत सुखद और संतोषजनक लगा क्योंकि उसकी शैशवस्था में सहेलिया माय ने उसे अपने स्तन का दूध पिला कर जीवित रखा था, और इस कृतज्ञता का प्रतीक रूप में उसने जमीन दान करने का कार्य किया।

(ङ) मेरा मान रखिएगा-यह किसका और कौन-सा मान है? प्रसंग के साथ स्पष्ट करें।
उत्तर-यह कथन लीलावती के आत्मसम्मान और इच्छाशक्ति से संबंधित है। लीलावती अपने नैहर-परिवार के सदस्यों से यह विनम्र निवेदन कर रही है कि वे उसके इस मान—जो सहेलिया माय के बेटे के नाम पाँच एकड़ जमीन दान करने का निर्णय है—को मान्य रखें और उसका सम्मान करें। पिछली रात उसने सहेलिया माय से आशीर्वाद लिया था और भाई-भतीजों ने भी इस फैसले में उसका साथ देने का विश्वास दिलाया था। अब वह अपने निर्णय पर अडिग रहते हुए अपने मान की रक्षा चाहती है।

Answer by Mrinmoee