Chapter 15
एक और गुरु-दक्षिणा
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प्रश्न 1: ऋषि ने शिष्यों से क्या परीक्षा लेने का निर्णय लिया?
उत्तर: ऋषि ने निर्णय लिया कि वे शिष्यों को गुरुमंत्र देंगे, और जो शिष्य उस गुरुमंत्र को प्राप्त करेगा, वही आश्रम का मुखिया बनेगा।
प्रश्न 2: ऋषि के तीनों शिष्य किस प्रकार के थे?
उत्तर: ऋषि के तीनों शिष्य अस्त्र-शस्त्र में निपुण, शास्त्र-ज्ञान में पारंगत, स्वभाव में विनम्र, और बलशाली थे।
प्रश्न 3: गुरु-दक्षिणा देने का क्या महत्व था?
उत्तर: गुरु-दक्षिणा देने का महत्व यह था कि यह शिष्य के गुरु के प्रति सम्मान और आभार को व्यक्त करने का एक तरीका था। यह शिष्य के समर्पण का प्रतीक भी था।
प्रश्न 4: ऋषि किसे अपने आश्रम का मुखिया बनाना चाहते थे?
उत्तर: ऋषि अपने तीनों शिष्यों में से किसी एक को आश्रम का मुखिया बनाना चाहते थे, लेकिन यह निर्णय लेने में उन्हें कठिनाई हो रही थी, क्योंकि तीनों ही योग्य थे।
प्रश्न 5: इस पाठ से हमें क्या सीखने को मिलता है?
उत्तर: इस पाठ से हमें यह सीखने को मिलता है कि गुरु और शिष्य के रिश्ते में सम्मान, विश्वास और परीक्षा का महत्व होता है। गुरु का मार्गदर्शन शिष्य के जीवन के लिए महत्वपूर्ण होता है, और शिष्य को अपनी योग्यताओं को साबित करने का अवसर मिलता है।
प्रश्न 6: ऋषि ने शिष्यों को किस प्रकार की परीक्षा दी?
उत्तर: ऋषि ने शिष्यों से यह परीक्षा ली कि वे एक वर्ष में अलग-अलग दिशाओं में जाकर श्रम से कुछ अद्भुत भेंट लाकर लाएँ। जो भेंट सबसे सुंदर और मूल्यवान होगी, वही गद्दी का अधिकारी होगा।
प्रश्न 7: तीसरे शिष्य ने गाँववालों की मदद किस तरह की?
उत्तर: तीसरे शिष्य ने गाँववालों को बताया कि उन्हें अकाल की समस्या से उबरने के लिए राजा से मदद की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए, बल्कि उन्हें खुद अपनी मेहनत से खेती में सुधार करके अपनी स्थिति सुधारनी चाहिए। उसने उन्हें खाद्य उत्पादन बढ़ाने के उपाय बताए।
प्रश्न 8: पहले और दूसरे शिष्य ने किस तरह का कार्य किया?
उत्तर: पहले शिष्य ने राजा के दरबार में नौकरी की और दूसरे शिष्य ने मछुआरों से गोता लगाने की विद्या सीखी।
प्रश्न 9: इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी मुश्किल से उबरने के लिए हमें अपने प्रयासों और मेहनत पर भरोसा करना चाहिए, न कि केवल दूसरों से सहायता की उम्मीद करना चाहिए।
प्रश्न 10: क्या आप मानते हैं कि मेहनत से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है?
उत्तर: हाँ, यह सच है कि मेहनत से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है। मेहनत और सही दिशा में किए गए प्रयास से जीवन की कठिनाइयों का समाधान संभव है।
प्रश्न 11: ऋषि का तीसरा शिष्य किस कार्य से प्रसिद्ध हुआ?
उत्तर: ऋषि का तीसरा शिष्य जल संरक्षण के उपायों से प्रसिद्ध हुआ। उसने गाँववालों को कुएं खोदने, पानी बचाने और अकाल से लड़ने के लिए प्रेरित किया।
प्रश्न 12: राजा को कैसे समझ में आया कि असली गुरु-दक्षिणा क्या है?
उत्तर: राजा को यह समझ में आया कि असली गुरु-दक्षिणा उन कार्यों में है, जो समाज की भलाई के लिए किए जाते हैं, जैसे कि तीसरे शिष्य ने जल संरक्षण और गाँववालों की मदद से किया।
प्रश्न 13: पहला और दूसरा शिष्य क्या भेंट लेकर आए थे?
उत्तर: पहला शिष्य हाथी-घोड़े लेकर आया था और दूसरा शिष्य समुद्र से बहुमूल्य मोती इकट्ठा करके लाया था।
प्रश्न 14: तीसरे शिष्य की भेंट कैसी थी?
उत्तर: तीसरे शिष्य की भेंट बहुमूल्य सामग्री नहीं थी, बल्कि उसने गाँववालों को अकाल से उबारने के लिए मेहनत और साहस से कुएं खोदने और जल संरक्षण के उपाय सिखाए।
प्रश्न 15: इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि असली गुरु-दक्षिणा केवल भौतिक उपहारों में नहीं होती, बल्कि वह समाज की भलाई के लिए किए गए कार्यों और श्रम में होती है।
प्रश्न 17: तीसरे शिष्य ने क्या किया, जिससे वह देवता के समान माना गया?
उत्तर: तीसरे शिष्य ने गाँववालों को जल संरक्षण के उपायों से अवगत कराया, कुएं खोदने में उनकी मदद की और अकाल से जूझते लोगों की मदद की। उसने मनुष्य की सेवा करके असली गुरु-दक्षिणा दी और समाज की भलाई के लिए कार्य किया, इसलिए उसे देवता माना गया।
प्रश्न 18: ऋषि ने तीसरे शिष्य को क्या उपहार दिया?
उत्तर: ऋषि ने तीसरे शिष्य को कोई भौतिक उपहार नहीं दिया, बल्कि उसे यह कहा कि उसने अपनी सेवा और कार्य से असली गुरु-दक्षिणा दी है। वह अब गुरु के समकक्ष है और किसी भेंट का पात्र नहीं है।
प्रश्न 19: राजा ने सुबंधु (तीसरे शिष्य) को कैसे देखा?
उत्तर: राजा ने सुबंधु को एक साधारण किसान जैसा देखा, जो गाँववालों के साथ काम कर रहा था। वह चकित हो गया क्योंकि वह सुबंधु को एक देवता के रूप में देख रहा था, लेकिन उसने सुबंधु के कार्यों की महानता को समझा और उसे देवता के समान सम्मान दिया।
प्रश्न 20: "मनुष्य की सेवा से बढ़कर महान धर्म कोई नहीं है" - इस वाक्य का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि सबसे बड़ा धर्म दूसरों की सेवा करना है। किसी की मदद करना, उनका दुख दूर करना, और उनके जीवन में सुधार लाना ही असली पुण्य है।
प्रश्न 21: ऋषि का आश्रम कैसा था?
उत्तर: ऋषि का आश्रम गंगा तट पर स्थित था और बहुत विशाल था। वहाँ मीलों लंबा-चौड़ा क्षेत्र था, जहाँ बहुत से शिष्य रहते थे। आश्रम में कई गाएँ थीं और हिरनों के झुंड भी चौकड़ी मारते और उछलते-कूदते फिरते थे।
प्रश्न 22: गुरु ने शिष्यों की परीक्षा क्यों ली?
उत्तर: गुरु ने शिष्यों की परीक्षा इसलिए ली क्योंकि वे चाहते थे कि उनके शिष्य किसी एक को चुने, जो आश्रम का मुखिया बने। वे यह जानना चाहते थे कि उनमें से कौन अधिक योग्य और योग्यतम है। इसके लिए उन्होंने शिष्यों को किसी अद्भुत भेंट लाकर देने को कहा।
प्रश्न 23: ऋषि ने अपने शिष्यों की परीक्षा कैसे ली?
उत्तर: ऋषि ने अपने शिष्यों की परीक्षा यह कहकर ली कि वे तीनों अलग-अलग दिशाओं में जाकर एक साल में कुछ अद्भुत और मूल्यवान भेंट लाकर दें। जिसका भेंट सबसे सुंदर और मूल्यवान होगा, वही आश्रम का मुखिया बनेगा।
प्रश्न 24: पहला शिष्य कहाँ गया? उसने ऋषि को भेंट में क्या लाकर दिया?
उत्तर: पहला शिष्य राजा के पास गया और वहाँ नौकरी करने के बाद हाथी और घोड़े भेंट में प्राप्त किए, जिन्हें उसने ऋषि को अर्पित किया।
प्रश्न 25: दूसरे शिष्य द्वारा दी गई मोतियों की पोटली का ऋषि ने क्या किया?
उत्तर: दूसरे शिष्य ने समुद्र से बहुत सारे बहुमूल्य मोती इकट्ठे किए और उन मोतियों की पोटली को ऋषि को दी। ऋषि ने मोतियों की पोटली ले ली और एक ओर रख दी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा।
प्रश्न 26: ऋषि के तीनों शिष्यों की क्या विशेषताएँ थी?
उत्तर: ऋषि के तीनों शिष्य अस्त्र-शस्त्र में निपुण, शास्त्र-ज्ञान में पारंगत, बोलचाल में मीठे, स्वभाव में विनम्र, धरती की तरह सहनशील, सागर की तरह गंभीर और सिंह के समान बलशाली थे।
प्रश्न 27: सुबंधु ने गाँव में जाकर क्या देखा?
उत्तर: सुबंधु ने गाँव में जाकर देखा कि यहाँ अकाल पड़ा हुआ था और लोग पानी की कमी से जूझ रहे थे। गाँव में कोई पुरुष नहीं था क्योंकि सभी सहायता के लिए राजा के पास गए थे।
प्रश्न 28: सुबंधु ने गाँववासियों की दशा कैसे सुधारी?
उत्तर: सुबंधु ने गाँववालों को जल संरक्षण के उपायों से अवगत कराया और उन्हें कुएँ खोदने के लिए प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप गाँव में पानी की धारा फूटी और फसलें लहलहाने लगीं। इससे गाँववासियों की हालत सुधरी।
प्रश्न 29: गाँव के लोग सुबंधु को देवता क्यों कहते थे?
उत्तर: गाँववालों ने सुबंधु को देवता इसलिए कहा क्योंकि उसने उनके जीवन में सुधार लाया। उसने गाँववालों की मदद की, उनका दुख दूर किया और उन्हें जल संरक्षण के उपाय सिखाए। उसकी सेवा को देखकर लोग उसे देवता मानने लगे।
प्रश्न 30: गुरु जी ने गुरु-मंत्र पाने का अधिकारी किसे माना? और क्यों?
उत्तर: गुरु जी ने सुबंधु को गुरु-मंत्र पाने का अधिकारी माना क्योंकि उसने समाज की भलाई के लिए कार्य किया और दूसरों के आँसू पोंछे। वह न केवल ज्ञान में, बल्कि मानव सेवा में भी सर्वोत्तम था।
प्रश्न 31: पहले विद्यार्थी आश्रम में रहकर ही पढ़ाई करते थे। सोचकर बताओ कि आज भी तुम्हें स्कूल में रहकर ही पढ़ना होता तो क्या होता?
उत्तर: अगर आज भी हमें स्कूल में रहकर पढ़ाई करनी होती, तो हमें घर का आराम और परिवार से दूर रहना पड़ता। हालांकि, यह शिक्षा के लिए एक गंभीर वातावरण प्रदान करता, लेकिन इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में कमी आ सकती थी। हमें अपनी दिनचर्या और समय का अधिक ध्यान रखना पड़ता।
भाषातत्व और व्याकरण
प्रश्न 1: पाठ में से कोई पाँच क्रिया शब्द छाँटकर लिखो।
उत्तर: 1.रहना
2. जाना
3. उतरना
4. देखना
5. पढ़ना
प्रश्न 4: (क) नीचे लिखे वाक्यों में से विशेषण और विशेष्य छाँटो-
1. सैकड़ों आदमी मिलकर भी कोई काम न कर सके।
2. विशेष्य: आदमी
3. विशेषण: सैकड़ों
4. ऋषि के शिष्य की बात सुनकर सारे लोग सोच में पड़ गए।
5. विशेष्य: लोग
6. विशेषण: सारे
7. सारे कुएँ सूखे पड़े हैं।
8. विशेष्य: कुएँ
9. विशेषण: सारे
10. प्यासी धरती की प्यास बुझाओ।
11. विशेष्य: धरती
12. विशेषण: प्यासी
(ख) दोनों चौकोर में से विशेषण और विशेष्य लेकर सही जोड़े बनाओ।
लहलहाती - फसल
साधारण - किसान
अधूरा - काम
महान - धर्म
नम - आँखें
धूल-धूसरित - सुबंधु
प्रश्न 6: अब नीचे लिखे शब्दों को इसी प्रकार तोड़कर लिखो-
राज-सिंहासन = राजा का सिंहासन
लंबा-चौड़ा = लंबा और चौड़ा
गुरु-दक्षिणा = गुरु की दक्षिणा
जी जान = अपनी पूरी जान
बुरा-भला = बुरा और भला
योग्यता-विस्तार: महापुरुषों के गुरुओं के नाम
राम - वशिष्ठ
चंद्रगुप्त - चाणक्य
कृष्ण - संदीपनि
शिवाजी - दादाजी कोंडदेव
कर्ण - परशुराम
विवेकानंद - रामकृष्ण परमहंस
लवकुश - वाल्मीकि