Chapter 9
श्रम के आरती
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प्रश्न 1: कवि काबर कहिथे कि हमला कोनो ले डर्राय के बात नइहे?
उत्तर: कवि कहिथे कि हमला कोनो ले डर्राय के बात नइहे काबर कि हमन मेहनत करेइया मनखे हन। हमन अपन असल पसीना गार के संसार ला सुख पहुँचाय बर काम करथन।
प्रश्न 2:'श्रम के आरती' कहिके कवि का मतलब बताथे?
उत्तर: 'श्रम के आरती' मतलब हे — मेहनत के पूजा करना। कवि कहिथे कि हम अपन मेहनत से नवा सुरुज परघाए (उजियारा फैलाए) बर मेहनत के पूजा करथन।
प्रश्न 3:कवि कल-कारखाना अउ किसान मन के मेहनत के बारे म का कहिथे?
उत्तर: कवि कहिथे कि कल-कारखाना म पोंगा बाजथे अउ मेहनती लोग ह रोज सबेरे उठके काम म जुट जाथे। किसान मन हल चला के धरती ला हरा-भरा करथें। सब मेहनत करके दुनिया ला सुखी बनाथें।
प्रश्न 4:"पथरा ले तेल निकारत हन" — ए पंक्ति के मतलब का हे?
उत्तर: "पथरा ले तेल निकारत हन" के मतलब हे — बहुत कठिन मेहनत करना, जइसे असंभव काम ल घलो मेहनत से संभव बनाना।
प्रश्न 5: कवि के अनुसार मेहनत करइया लोग के तन अउ रूप कइसे हो जाथे?
उत्तर: कवि के अनुसार मेहनत करइया मनखे के तन सोना कस चमकत अउ मेहनत के धुन म माटी कस करिया हो जाथे। मेहनत म ओमन अपन रुप-रंग ल घलो भुला देथें।
प्रश्न 6:कवि दुनिया म नवा सुरुज कइसे परघाए के बात करथें?
उत्तर: कवि कहिथे कि हमन मेहनत करके संसार म उजियारी (सुख-समृद्धि) ले आयबर काम करथन, एही से हमन 'नवा सुरुज' परघाए के प्रयास करथन।
प्रश्न 7: चंदा अउ सुरुज कइसे काम करथें, कवि का बताथे?
उत्तर: कवि कहिथे कि चंदा (चाँद) अउ सुरुज (सूरज) कभू थकथें नइ। ओमन दिन-रात आगू-पाछू काम करत रहिथें, लगातार अपन कर्तव्य निभाथें।
प्रश्न 8: करनी अउ भरम के बारे म कवि का अंतर बताथे?
उत्तर: कवि कहिथे कि करनी (अच्छा काम) के नाँव हमेशा अमर रहिथे, जबकि भरम (भ्रम) के कोनो मोल नइ होथे। सच्चा कामे ह जग म उजियार लाथे।
प्रश्न 9: 'जम्मो मनखे बर एक नीत' — ए पंक्ति के मतलब का हे?
उत्तर: 'जम्मो मनखे बर एक नीत' के मतलब हे कि सब मनखे बर बराबरी के नीति (सिद्धांत) होय चाही। कोनो भेदभाव नइ होना चाही।
प्रश्न 10: कवि 'सुनता-मसाल' कहिके का समझावत हे?
उत्तर: कवि 'सुनता-मसाल' कहिके कहिथे कि हमन अइसन प्रेरक बनन जऊन ह अँधियार म घलो दूसर मनखे बर रस्ता देखाथे, मतलब हमन मेहनत के उजियारी फैलाय बर काम करथन।
प्रश्न 11:'हम नवा सुरुज परघाए बर, श्रम के आरती उतारत हन।' — ए पंक्ति के भावार्थ लिखव।
उत्तर: ए पंक्ति के भावार्थ हे कि हमन मेहनत के पूजा करके संसार म नवा उजियारा, नवा सवेरा लाना चाहथन। हम अपन कर्म-पूजा से समाज म सुधार लाना चाहथन।
बोध प्रश्न के उत्तर
प्रश्न 1: खाल्हे लिखाय प्रश्न मन के उत्तर
(क) 'श्रम के आरती उतारत हन' के का अर्थ हे?
उत्तर: 'श्रम के आरती उतारत हन' के अर्थ हे कि हम मेहनत के पूजा करत हन अउ अपन कठोर परिश्रम से नवा उजियारा (भविष्य) लाने के प्रयास करत हन।
(ख) मिल के पोंगा ह हाँक पार के का कहत है?
उत्तर: मिल के पोंगा (भोंपू) ह रोज हाँक लगाके कहिथे — "जाँगर वाला जागव," मतलब मेहनती लोग उठके अपन काम म लग जावं।
(ग) दुनिया ल सुखी बनाय बर छत्तीसगढ़ के मनखे मन का करत हे?
उत्तर: दुनिया ल सुखी बनाय बर छत्तीसगढ़ के मनखे मन कठिन परिश्रम करथें, पसीना बहाथें अउ बाधाओं के सामना करथें।
(घ) भुइयों कइसे हरिया जाथे?
उत्तर: जब किसान मन नांगर गड़के खेत जोतथें अउ मेहनत करथें, तभे भुइयाँ (धरती) हरिया जाथे अउ फसल लहलहाथे।
(ङ) कवि के अनुसार काकर नाव अमर हो जाथे?
उत्तर: कवि के अनुसार जे मनखे अच्छे काम करथें, मेहनत करथें — ओमन के नाव अमर हो जाथे।
प्रश्न 3 (पंक्तियाँ छाँट के लिखना)
(क) संसार के सुख के खातिर हमन दुख सहिके कड़ा महिनत करत हन।
उत्तर: "दुनिया के सुख बर दुख सहिके, पथरा ले तेल निकारत हन।"
(ख) हमन अमरित कुंड ले बड़ जतन करके अमरित निकालत हन।
उत्तर: "सुस्ता के अमरित-कुंड आज हम, गजब जतन ले झारत हन।"
(ग) जम्मो मनखे बर एक नीत बने, ये सोचके हमन सुनता के मसाल बारत हन।
उत्तर: "जम्मो मनखे बर एक नीत, सुनता-मसाल हम बारत हन।"