Chapter 1
संसाधन एवं विकास
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(1) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?
उत्तर; लौह अयस्क एक खनिज संसाधन है। यह प्राकृतिक संसाधन है जो पृथ्वी की सतह से खनन करके प्राप्त किया जाता है। लौह अयस्क मुख्य रूप से लौह (iron) और अन्य तत्वों जैसे ऑक्सीज़न, सिलिकॉन, और एल्यूमिनियम से बना होता है, और इसका उपयोग लोहे (iron) का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। लौह अयस्क को धातुकर्म प्रक्रिया द्वारा पिघलाकर विभिन्न निर्माणों में उपयोगी लोहे में परिवर्तित किया जाता है।
(2) नवीकरण योग्य
उत्तर;नवीकरण योग्य संसाधन वे संसाधन होते हैं जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा पुनः निर्मित या पुनः उत्पन्न किए जा सकते हैं। इन संसाधनों का प्रयोग करने के बाद वे खत्म नहीं होते, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से पुन: उत्पन्न होते हैं। उदाहरण स्वरूप, सूर्य की ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा (हाइड्रोपावर), और जैविक पदार्थ (जैसे लकड़ी और बायोमास) नवीकरण योग्य संसाधन हैं। इन संसाधनों का पुनः उपयोग किया जा सकता है, बशर्ते इनका प्रबंधन सही तरीके से किया जाए।
(3) जैव
उत्तर;जैव संसाधन वे संसाधन होते हैं जो जीवों से प्राप्त होते हैं, जैसे पौधे, पशु, और सूक्ष्मजीव। इन संसाधनों का उपयोग खाद्य, ऊर्जा, औषधि, और अन्य कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है। जैव संसाधन न केवल जीवन के लिए आवश्यक होते हैं, बल्कि इन्हें पर्यावरण के संतुलन और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। उदाहरण के लिए, वनस्पति (पौधों से प्राप्त), पशु उत्पाद (दूध, मांस, ऊन), और जैविक सामग्री (जैसे बायोमास और बायोफ्यूल) जैव संसाधनों के उदाहरण हैं।
(4) प्रवाह
उत्तर;प्रवाह संसाधन वे संसाधन होते हैं जो समय के साथ लगातार पुनः उत्पन्न होते हैं और एक निश्चित स्थान पर रहते हुए निरंतर उपयोग में लाए जाते हैं। इन संसाधनों का निर्माण प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा होता है और ये किसी भी अन्य संसाधन से ज्यादा स्थायी या समयबद्ध नहीं होते हैं।
उदाहरण के लिए:
नदी का पानी: जब पानी नदी में बहता है, तो यह प्रवाह संसाधन होता है। यह बहते पानी का निरंतर प्रयोग ऊर्जा उत्पादन, सिंचाई, पीने के पानी आदि के लिए किया जाता है।
हवा: हवा भी एक प्रवाह संसाधन है, जो हर समय उपलब्ध रहती है और इसे ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे पवन ऊर्जा के उत्पादन में।
(5) अनवीकरण योग्य
उत्तर;अनवीकरण योग्य संसाधन वे संसाधन होते हैं जो प्राकृतिक रूप से सीमित होते हैं और इनका उपयोग एक बार करने के बाद ये फिर से उपलब्ध नहीं हो सकते। इन संसाधनों का पुनः निर्माण या पुनः आपूर्ति एक लम्बे समय में होता है, या कभी-कभी यह पूरी तरह से समाप्त हो सकते हैं। इसलिए, इनका संरक्षण और सही उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
उदाहरण के लिए:
कोयला: कोयला एक अनवीकरण योग्य संसाधन है, क्योंकि यह एक बार उपयोग में आने के बाद फिर से नहीं उत्पन्न हो सकता।
पेट्रोलियम: पेट्रोलियम भी अनवीकरण योग्य संसाधन है, और इसकी खपत के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाता है।
लौह अयस्क: लौह अयस्क भी एक अनवीकरण योग्य संसाधन है, क्योंकि इसे खनिज से निकालने के बाद पुनः उसकी आपूर्ति नहीं हो सकती।
(6) ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन नहीं है?
उत्तर; ज्वारीय ऊर्जा अनवीकरण योग्य संसाधन नहीं है।
ज्वारीय ऊर्जा एक नवीकरण योग्य ऊर्जा संसाधन है, क्योंकि यह समुद्र के ज्वार-भाटे से उत्पन्न होती है, जो लगातार पुनः होते रहते हैं। जब समुद्र में ज्वार और अप ज्वार आते हैं, तो यह प्राकृतिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है, जिससे ज्वारीय ऊर्जा को एक नवीकरणीय स्रोत माना जाता है।
(7) मानवकृत
उत्तर;मानवकृत संसाधन वह संसाधन होते हैं जिन्हें मानव ने अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों से परिवर्तित किया हो। उदाहरण के तौर पर, कागज, भवन, वाहनों, और औद्योगिक उत्पादों को मानवकृत संसाधन माना जाता है, क्योंकि ये प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से बनाए जाते हैं।
उत्तर; पंजाब में भूमि निम्नीकरण का मुख्य कारण अत्यधिक जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक सिंचाई, और खराब कृषि प्रबंधन के परिणामस्वरूप मिट्टी की उर्वरता का ह्रास और पानी की जमावट है। अधिक सिंचाई के कारण भूमि में लवणीयता बढ़ जाती है, जिससे भूमि का उपयोग कृषि के लिए असंभव हो जाता है।
(9) गहन खेती
उत्तर;गहन खेती एक कृषि पद्धति है जिसमें अधिक उपज प्राप्त करने के लिए भूमि पर अधिक मेहनत, संसाधन और पूंजी खर्च की जाती है। इसमें अधिक रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, और सिंचाई का उपयोग किया जाता है। गहन खेती का उद्देश्य भूमि की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है, लेकिन यदि इसे संतुलित तरीके से नहीं किया जाए, तो इससे भूमि की उर्वरता का ह्रास और पर्यावरणीय समस्याएं हो सकती हैं।
(10) अधिक सिंचाई
उत्तर;अधिक सिंचाई भूमि निम्नीकरण का एक प्रमुख कारण हो सकता है, विशेषकर तब जब इसका उपयोग अनुशासनहीन तरीके से किया जाए। अत्यधिक सिंचाई से भूमि में जलस्तर का अत्यधिक बढ़ना, मिट्टी का क्षारीकरण, और पानी का विषाक्त होना संभव होता है। इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में कमी आती है और अंततः भूमि का निम्नीकरण हो सकता है। अधिक सिंचाई से भूमिगत जल स्रोत भी प्रभावित हो सकते हैं।
(11) अति पशुचारण
उत्तर; अति पशुचारण भूमि निम्नीकरण का एक प्रमुख कारण है। जब अधिक संख्या में पशुओं को सीमित क्षेत्र में चरने दिया जाता है, तो यह घास की परत को हटा सकता है, जिससे मिट्टी का अपरदन होता है। इससे भूमि की संरचना कमजोर हो जाती है और जलधारण की क्षमता घट जाती है, जिसके परिणामस्वरूप भूमि की उर्वरता में कमी आती है और अंततः भूमि का निम्नीकरण हो सकता है।
(12) निम्नलिखित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?
उत्तर;सीढ़ीदार (सोपानी) खेती मुख्यतः पश्चिमी और मध्य हिमालय क्षेत्र में की जाती है। यह खेती ढाल वाली भूमि पर की जाती है, जहाँ समोच्च रेखाओं के समानांतर खेतों को विभाजित किया जाता है, जिससे जल प्रवाह नियंत्रित रहता है और मृदा अपरदन कम होता है।
(13) पंजाब
उत्तर;पंजाब में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती नहीं की जाती है। यह खेती मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्रों में, जैसे कि पश्चिमी और मध्य हिमालय में की जाती है। पंजाब में मुख्य रूप से अनाज, विशेषकर गेहूँ और चावल की खेती होती है, जो उच्च सिंचाई और गहन कृषि पद्धतियों पर आधारित है।
(14) हरियाणा
उत्तर;हरियाणा में भी सीढ़ीदार (सोपानी) खेती नहीं की जाती है। यह खेती विशेष रूप से हिमालयी और पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है, जहां ढाल पर खेती की जाती है और मृदा अपरदन को रोकने के लिए सोपान बनाए जाते हैं। हरियाणा में मुख्य रूप से गहन कृषि की जाती है, जिसमें धान और गेहूँ जैसी फसलों की खेती की जाती है।
(15) उत्तर प्रदेश के मैदान
उत्तर;उत्तर प्रदेश के मैदानों में भी सीढ़ीदार (सोपानी) खेती नहीं की जाती है।
सीढ़ीदार खेती मुख्यतः पहाड़ी और ढालदार क्षेत्रों जैसे कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत में की जाती है।
उत्तर प्रदेश के मैदानों में समतल भूमि पर सामान्य तरीकों से खेती की जाती है।
(16) जम्मू और कश्मीर
उत्तर;नहीं, जम्मू और कश्मीर में मुख्यतः पर्वतीय और वन मृदाएँ पाई जाती हैं, काली मृदा नहीं।
(17) महाराष्ट्र
उत्तर;हाँ, महाराष्ट्र राज्य में मुख्य रूप से काली मृदा पाई जाती है।
यह मृदा कपास की खेती के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है और इसे 'काली कपास मृदा' भी कहा जाता है।
(18) राजस्थान
उत्तर; नहीं, राजस्थान में मुख्य रूप से मरुस्थलीय (रेतीली) मृदा पाई जाती है, न कि काली मृदा।
राजस्थान की जलवायु शुष्क होने के कारण वहाँ रेतीली और लवणीय मृदाएँ अधिक मिलती हैं।
(19) झारखंड
उत्तर;नहीं, झारखंड में मुख्यतः लाल और पीली मृदा पाई जाती है, न कि काली मृदा।
यहाँ की मृदा लौह अयस्क युक्त चट्टानों से विकसित हुई है और कृषि के लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है।
.20क्या आप आगे के प्रश्न भी इसी तरह जल्दी-जल्दी तैयार करना चाहेंगे?
उत्तर;हाँ, मैं आगे के प्रश्न भी इसी तरह जल्दी-जल्दी और सटीक रूप में तैयार करने में आपकी मदद करूँगा।
आप अगला प्रश्न भेज सकते हैं!
(1) तीन राज्यों के नाम बताएँ, जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन सी फसल उगाई जाती है?
उत्तर;तीन राज्य जहाँ काली मृदा पाई जाती है —
महाराष्ट्र
मध्य प्रदेश
गुजरात
काली मृदा पर मुख्य रूप से कपास (Cotton) की फसल उगाई जाती है।
इसलिए इसे 'काली कपास मृदा' भी कहा जाता है।
अगर चाहें तो मैं इस पर एक छोटा चार्ट भी बनाकर दे सकता हूँ — बताइए!
(2) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर;पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है।
इस मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ हैं:
यह बहुत उपजाऊ होती है और इसमें पोटाश, फॉस्फोरस और चूने की अच्छी मात्रा होती है।
इसमें महीन कण (सिल्ट और मृत्तिका) अधिक होते हैं, जिससे यह जलधारण क्षमता में समृद्ध होती है।
इस मृदा में नियमित रूप से नदियों द्वारा नया तलछट जमा होने के कारण यह खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त होती है।
चाहें तो मैं एक छोटी सारणी (table) भी बनाकर दूँ, जिससे याद करना और आसान हो जाएगा!
(3) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर;समोच्च जुताई (contour ploughing) करना।
सीढ़ीदार खेती (terrace farming) अपनाना।
ढाल पर घास या झाड़ियों की पट्टियाँ उगाना।
रक्षक पट्टियों (shelter belts) के रूप में पेड़ लगाना।
जल विभाजक प्रबंधन (watershed management) करना।
वृक्षारोपण कर हरित क्षेत्र बढ़ाना।
4) जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदाहरण दें।
उत्तर;जैव संसाधन: ऐसे संसाधन जो जीवित जीवों से संबंधित हैं। जैसे–पौधे, जानवर, मानव, मछलियाँ।
अजैव संसाधन: ऐसे संसाधन जो निर्जीव प्रकृति से प्राप्त होते हैं। जैसे–जल, वायु, मिट्टी, खनिज।
(5) भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई. इसका क्या कारण है?
उत्तर;भारत में भूमि का उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है, जैसे–कृषि, वनों, बंजर भूमि, चारागाह और आवासीय तथा औद्योगिक कार्यों के लिए। 1960-61 के बाद से वन क्षेत्र में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण अधिक भूमि को कृषि और आवासीय उपयोग में बदल दिया गया। वनों की कटाई (वनोन्मूलन) तेजी से हुई और वनों के संरक्षण पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। साथ ही, औद्योगीकरण और शहरीकरण ने भी वनों पर दबाव बढ़ाया।
(6) प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?
उत्तर;प्रौद्योगिक विकास ने संसाधनों के दोहन को आसान और तीव्र बनाया है। मशीनों और तकनीकी साधनों के उपयोग से प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम और तेज़ी से उपयोग हुआ है। आर्थिक विकास के लिए उद्योगों, बुनियादी ढाँचे और शहरीकरण का विस्तार हुआ, जिससे जल, खनिज, भूमि, वनों और ऊर्जा स्रोतों का अत्यधिक दोहन हुआ। परिणामस्वरूप संसाधनों का असंतुलित और अनियंत्रित उपयोग बढ़ा, जिससे पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हुईं।
परियोजना/क्रियाकलाप
1. अपने आस पास के क्षेत्रों में संसाधनों के उपभोग और संरक्षण को दशति हुए एक परियोजना तैयार करें।
उत्तर;उपभोग: कृषि भूमि में जल और उर्वरकों का उपयोग, घरेलू बिजली की खपत, खनिजों का उपयोग।
संरक्षण: वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा का उपयोग, वृक्षारोपण कार्यक्रम, पुनर्चक्रण (recycling) की पहल।
प्रस्तुति: पोस्टर या रिपोर्ट के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है।
2. आपके विद्यालय में उपयोग किए जा रहे संसाधनों के संरक्षण विषय पर अपनी कक्षा में एक चर्चा आयोजित करें।
उत्तर;चर्चा के बिंदु हो सकते हैं:
विद्यालय में जल संरक्षण (टपकते नल ठीक करना)।
बिजली की बचत (प्राकृतिक रोशनी का उपयोग)।
कागज का संरक्षण (दोनों ओर प्रिंट करना)।
पौधरोपण और हरियाली बढ़ाना।
अपशिष्ट प्रबंधन और पुनः उपयोग (reuse) की आदतें।
3. वर्ग पहेली को सुलझाएँ ऊर्ध्वाधर और शैतिज छिपे उत्तरों को ढूँडे
नोट: पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में है।
उत्तर;(चूँकि यहाँ पहेली नहीं दी गई है, लेकिन सामान्यतः पर्यावरण और संसाधनों से जुड़े शब्द हो सकते हैं जैसे–Forest, Soil, Water, Mineral, Resources, Energy आदि। अगर आप पहेली भेजें तो मैं उसका हल भी दे सकती हूँ।)