Chapter 6

खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

 

*. बहुवैकल्पिक प्रश्न

 (1) निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार को त्यागता हुआ चट्टानों के अपघटन से बनता है?

उत्तर; बॉक्साइट एक खनिज है जो अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार के रूप में चट्टानों के अपघटन से बनता है। यह मुख्य रूप से एल्यूमिनियम का मुख्य स्रोत होता है।

 (क) कोयला 

उत्तर; कोयला एक जीवाश्म ईंधन है, जो पुरानी वनस्पतियों के अपक्षय से बनता है। यह अपघटन और संकुचन की प्रक्रिया के तहत समय के साथ धीरे-धीरे उच्च दबाव और तापमान में विकसित होता है। यह जीवाश्म वनस्पति से उत्पन्न होने वाला खनिज है, लेकिन यह चट्टानों के अपघटन से नहीं बनता।

(ख) बॉक्साइट

उत्तर;  बॉक्साइट एक मुख्य रूप से एल्यूमिनियम धातु का स्रोत है। यह एक प्रमुख खनिज है, जो अपक्षयित पदार्थों और चट्टानों के अपघटन से बनता है। जब गहरे और अधिक जलवायु वाली जगहों पर विशेष प्रकार की चट्टानों का अपघटन होता है, तो बॉक्साइट बनता है। यह एक महत्वपूर्ण खनिज है जिसका प्रयोग एल्यूमिनियम के उत्पादन में होता है।

 (ग) सोना

उत्तर;  सोना एक मुख्य रूप से बहुत स्थिर धातु है जो किसी प्रकार के अपघटन या अपक्षय से नहीं बनता। सोने की चट्टानें और उसके अयस्कों का मुख्य रूप से घनीकरण द्वारा निर्माण होता है, जो पृथ्वी की आंतरिक प्रक्रियाओं से होता है। सोने के खनिजों का निर्माण भूगर्भीय प्रक्रियाओं में धातु के घनीकरण से होता है, ना कि चट्टानों के अपघटन से। इसलिए सोना अपक्षयित पदार्थ के अवशिष्ट भार से नहीं बनता।

 (घ) जस्ता

उत्तर;  जस्ता मुख्य रूप से अपक्षयित पदार्थों के अवशिष्ट भार से बनता है। यह चट्टानों के अपघटन से उत्पन्न होने वाले अवशिष्ट खनिजों से निकलता है। जस्ता खनिज आमतौर पर जिंक ब्लेंड (ZnS) और अन्य यौगिकों के रूप में पाया जाता है, जो भूगर्भीय प्रक्रियाओं के दौरान अपक्षय और घनीकरण से उत्पन्न होते हैं। इस कारण जस्ता चट्टानों के अपघटन से बनता है।

 (ii) झारखंड में स्थित कोडरमा निम्नलिखित से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?

उत्तर; झारखंड में स्थित कोडरमा मांगनिज (Manganese) का अग्रणी उत्पादक है। यह क्षेत्र भारत के प्रमुख मांगनिज उत्पादक क्षेत्रों में से एक है, जहां उच्च गुणवत्ता वाला मांगनिज खनिज पाया जाता है और इसका उपयोग धातुशोधन, विशेषकर स्टील उद्योग में किया जाता है।

 (क) बॉक्साइट

उत्तर;  झारखंड में कोडरमा बॉक्साइट का अग्रणी उत्पादक नहीं है। बॉक्साइट का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र ओडिशा, गुजरात और महाराष्ट्र हैं।

कोडरमा मुख्य रूप से मांगनिज (Manganese) का अग्रणी उत्पादक है।

 (ख) अभ्रक

उत्तर; झारखंड में कोडरमा अभ्रक (Mica) का अग्रणी उत्पादक है। कोडरमा भारत में अभ्रक का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है, और यह राज्य इस खनिज के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 (ग) लौह अयस्क 

उत्तर : झारखंड में कोडरमा अभ्रक (Mica) का अग्रणी उत्पादक है। कोडरमा भारत में अभ्रक का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है, और यह राज्य इस खनिज के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

(घ) ताँबा

उत्तर; झारखंड में कोडरमा ताँबा (Copper) का अग्रणी उत्पादक नहीं है। ताँबा के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र राजस्थान, मध्यप्रदेश और बिहार के कुछ हिस्से हैं। कोडरमा मुख्य रूप से अभ्रक के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

 (iii) निम्नलिखित चट्टानों में से किस चट्टान के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचयन होता है?

उत्तर; (विरल चट्टानें) के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचयन होता है।विरल चट्टानें (Sedimentary Rocks) ऐसे खनिजों की जमा हुई परतों से बनती हैं, जहां खनिजों और अन्य पदार्थों का निक्षेपण और संचयन लाखों वर्षों में होता है। उदाहरण स्वरूप, लवण, बॉक्साइट, और कोयला के निक्षेपण का प्रमुख कारण विरल चट्टानें हैं।

 (क) तलछटी चट्टानें 

उत्तर; तलछटी चट्टानें वे चट्टानें होती हैं जो खनिजों और अन्य तत्वों के निक्षेपण से बनती हैं, जो नदी, हवा, बर्फ और समुद्र के पानी के द्वारा लाए जाते हैं। इन चट्टानों में खनिजों का संचयन और निक्षेपण होता है, जैसे कि कोयला, बॉक्साइट, लवण आदि।

(ग) आग्नेय चट्टानें

उत्तर; आग्नेय चट्टानें वे चट्टानें हैं जो पृथ्वी के अंदर मोल्टन पदार्थ के ठंडा होकर ठोस रूप में जमने से बनती हैं। इन चट्टानों में खनिजों का संचयन और निक्षेपण नहीं होता, क्योंकि ये सीधे गर्म मोल्टन पदार्थ से उत्पन्न होती हैं।

 (ख) कायांतरित चट्टानें 

उत्तर; कायांतरित चट्टानें वे चट्टानें होती हैं जो उच्च दबाव और तापमान के कारण मौजूदा चट्टानों में परिवर्तन (कायांतरण) के परिणामस्वरूप बनती हैं। इन चट्टानों में भी खनिजों का निक्षेपण और संचयन होता है, लेकिन यह प्रक्रिया तलछटी चट्टानों की तुलना में कम होती है। कायांतरित चट्टानों में नए खनिजों का निर्माण हो सकता है, जो पहले से मौजूद खनिजों के क्रिस्टलाइजेशन के दौरान उत्पन्न होते हैं।

(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर; यह विकल्प सही है, क्योंकि खनिजों का निक्षेपण और संचयन मुख्य रूप से तलछटी चट्टानों (Sedimentary Rocks) में होता है, जबकि कायांतरित और आग्नेय चट्टानों में यह प्रक्रिया कम होती है।

 (iv) मोनाबाइट रेत में निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज पाया जाता है?

उत्तर;  थोरियम

 (क) खनिज तेल 

उत्तर;  पेट्रोलियम

 (ख) यूरेनियम

उत्तर; थोरियम


 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

 (1) निम्नलिखित में अंतर 30 शब्दों से अधिक न दें।

उत्तर;  जी, कृपया आप कौन से प्रश्न पूछना चाहते हैं, उन सवालों को साझा करें ताकि मैं आपके लिए 30 शब्दों में उत्तर प्रदान कर सकूँ।

 (क) लौह और अलौह खनिज 

उत्तर; लौह खनिज वह होते हैं जिनमें मुख्य रूप से लौह (iron) होता है, जैसे हेमेटाइट और मैग्नेटाइट। अलौह खनिज वे होते हैं जिनमें लौह के अलावा अन्य धातुएं होती हैं, जैसे बॉक्साइट (एल्यूमीनियम का खनिज) और खनिज तेल।

(ख) परंपरागत तथा गैर परंपरागत ऊर्जा साधन खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

उत्तर; परंपरागत ऊर्जा साधन वे होते हैं जो लंबे समय से उपयोग में लाए जाते हैं, जैसे कोयला, पेट्रोलियम, और प्राकृतिक गैस। गैर-परंपरागत ऊर्जा साधन नवीन और नवीकरणीय संसाधन होते हैं, जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और जैविक ऊर्जा।खनिज संसाधन वे प्राकृतिक पदार्थ होते हैं जिनका खनन किया जाता है, जैसे कोयला, लौह अयस्क, और बॉक्साइट। ऊर्जा संसाधन वे स्रोत होते हैं जिनसे ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, जैसे जल, कोयला, और सौर ऊर्जा।

ii) खनिज क्या हैं?

उत्तर; खनिज वे प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले अकार्बनिक पदार्थ होते हैं जो पृथ्वी की पपड़ी में पाए जाते हैं। ये एक विशिष्ट रासायनिक संरचना और क्रिस्टल संरचना वाले होते हैं। खनिजों का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे धातु शोधन, निर्माण, और अन्य औद्योगिक प्रक्रियाओं में। उदाहरण के तौर पर, लौह अयस्क, बॉक्साइट, और कोयला खनिज हैं।

 (iii) आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है?

उत्तर; आग्नेय चट्टानों में खनिजों का निर्माण तब होता है जब गहरे तापमान और दबाव के कारण मैग्मा ठंडा होकर ठोस रूप में बदलता है। इस प्रक्रिया में खनिज तत्व क्रिस्टलीकरण के दौरान एकत्र होते हैं। उदाहरण स्वरूप, ग्रेनाइट और बासाल्ट आग्नेय चट्टानें हैं।कायांतरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण उच्च तापमान और दबाव के कारण होता है, जो पहले से मौजूद चट्टानों (जैसे आग्नेय या तलछटी चट्टानें) के परिवर्तन से होता है। इस प्रक्रिया में खनिज संरचना बदलती है और नए खनिज उत्पन्न होते हैं, जैसे शिस्ट, ग्नाइस, और क्वार्टजाइट।

 (iv) हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है? 

उत्तर; खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता इसलिये है क्योंकि खनिज संसाधन सीमित हैं और उनका अत्यधिक दोहन पर्यावरणीय संकट और आर्थिक असंतुलन का कारण बन सकता है। खनिजों का संरक्षण हमारे प्राकृतिक संसाधनों को बचाने, आने वाली पीढ़ियों के लिए इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने, और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है। साथ ही, खनिजों के विवेकपूर्ण उपयोग से उनके व्यर्थ नुकसान को रोका जा सकता है और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

उत्तर; ज़रूर, कृपया उन प्रश्नों को साझा करें जिनके उत्तर आपको चाहिए।

 (i) भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए।

उत्तर; भारत में कोयला प्रमुख ऊर्जा संसाधन है और देश के विभिन्न हिस्सों में वितरित है। भारतीय कोयला मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है: गोंडवाना और टरशियरी। गोंडवाना कोयला सबसे पुराना और धातुशोधन के लिए उपयुक्त होता है, जबकि टरशियरी कोयला अपेक्षाकृत नया होता है।

मुख्य कोयला क्षेत्रों में:

झारखंड: झरिया, रानीगंज, और बोकारो जैसे क्षेत्र गोंडवाना कोयले के प्रमुख उत्पादक हैं।

पश्चिम बंगाल: रानीगंज क्षेत्र प्रमुख है।

छत्तीसगढ़: राजनांदगांव और कोरबा क्षेत्र महत्त्वपूर्ण हैं।

उत्तरी तेलंगाना: यहां भी गोंडवाना कोयला पाया जाता है।

मध्यप्रदेश: मण्डला और बिलासपुर क्षेत्र में भी कोयला पाया जाता है।

इन क्षेत्रों में कोयले की खानें व्यापक हैं, जो भारत के ऊर्जा उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा प्रदान करती हैं। कोयला, विशेषकर ताप विद्युत के लिए मुख्य ईंधन के रूप में प्रयोग होता है।

 (11) भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है। क्यों?

उत्तर; भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है क्योंकि देश में सूरज की प्रचुरता और उपयुक्त जलवायु स्थितियाँ हैं, जो सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए आदर्श हैं। भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है, जहां साल भर धूप होती है, जिससे सौर ऊर्जा का निरंतर उत्पादन संभव है।

इसके अलावा, भारत सरकार ने सौर ऊर्जा के विकास के लिए कई पहल की हैं, जैसे सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्तीय प्रोत्साहन, नीतियाँ और सब्सिडी प्रदान करना।

भारत में सौर ऊर्जा के उपयोग से न केवल ऊर्जा संकट को हल किया जा सकता है, बल्कि यह पर्यावरणीय लाभ भी देता है, जैसे ग्रीनहाउस गैसों का कम उत्सर्जन और प्रदूषण में कमी।

भारत के कई राज्यों में बड़े सौर ऊर्जा पार्क स्थापित किए जा रहे हैं, जैसे राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में, जो इस ऊर्जा स्रोत के भविष्य को मजबूत बना रहे हैं।

इस प्रकार, भारत के लिए सौर ऊर्जा एक स्थायी और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के रूप में उज्जवल भविष्य प्रदान करता है।