Chapter 4

कृषि

 

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न 

(1) निम्नलिखित में से कौन-सा उस कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लंबे-चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है?

उत्तर; यह कृषि प्रणाली उस स्थिति को दर्शाती है जिसमें एक ही फसल बड़े क्षेत्र में उगाई जाती है। इसमें एक ही प्रकार की फसल लगातार एक ही भूमि पर उगाई जाती है, जिससे उत्पादन पर उच्च ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन यह भूमि की उर्वरता को प्रभावित कर सकता है।

 (क) स्थानांतरी कृषि 

उत्तर;स्थानांतरी कृषि एक ऐसी कृषि प्रणाली है जिसमें किसान एक निश्चित अवधि के लिए एक स्थान पर खेती करते हैं और फिर भूमि की उर्वरता घटने पर उसे छोड़कर दूसरी भूमि पर स्थानांतरित हो जाते हैं। इसे "झूम खेती" भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में जंगलों की कटाई कर जमीन को कुछ वर्षों तक खेती के लिए इस्तेमाल किया जाता है, फिर अन्य स्थान पर जाकर कृषि की जाती है। यह पद्धति अधिकतर आदिवासी क्षेत्रों में पाई जाती है।

(ग) बागवानी 

उत्तर;बागवानी एक कृषि प्रणाली है जिसमें फल, फूल, सब्जियां और अन्य औषधीय पौधे उगाए जाते हैं। इसमें भूमि की विशेष देखभाल, सिंचाई, उर्वरक का सही उपयोग और फसल की बेहतर गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है। बागवानी के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की पौधों की फसलों की खेती की जाती है, जैसे आम, संतरा, केले, अनार, फूल, सब्जियाँ आदि। यह कृषि क्षेत्र विशेष रूप से छोटे पैमाने पर उगाई जाती है और इस क्षेत्र में भी उच्च गुणवत्ता वाली फसलों का उत्पादन होता है।

(ख) रोपण कृषि

उत्तर;रोपण कृषि वह प्रणाली है जिसमें एक ही फसल को बड़े पैमाने पर एकल फसल के रूप में लंबे समय तक एक ही स्थान पर उगाया जाता है। इसमें मुख्य रूप से वाणिज्यिक फसलों जैसे चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, कपास, जूट, नारियल आदि की खेती की जाती है। रोपण कृषि के अंतर्गत इन फसलों के उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में पूंजी निवेश और श्रमिकों की आवश्यकता होती है। यह कृषि प्रणाली आमतौर पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है।

 (घ) गहन कृषि

उत्तर;गहन कृषि वह कृषि प्रणाली है जिसमें कम क्षेत्रफल में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उच्च स्तर की तकनीकी, श्रम और पूंजी का उपयोग किया जाता है। इस प्रणाली में फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अधिक उर्वरकों, कीटनाशकों, सिंचाई और आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग किया जाता है। गहन कृषि में विशेष रूप से खाद्य फसलों का उत्पादन अधिकतम किया जाता है, ताकि अधिक लाभ कमाया जा सके। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य सीमित भूमि पर अधिक से अधिक उत्पादन करना होता है।

 (11) इनमें से कौन-सी रबी फसल है?

उत्तर;रबी फसलें वे फसलें होती हैं, जो सर्दी के मौसम (नवम्बर से अप्रैल) में उगाई जाती हैं। कुछ प्रमुख रबी फसलों के उदाहरण हैं:

  1. गेहूँ

  2. जौ

  3. मसूर

  4. चना

  5. सरसों

तो, यदि प्रश्न में विकल्प दिए गए हों तो रबी फसल का चयन उस सूची में से करना होगा जो सर्दी के मौसम में उगाई जाती है।

(क) चावल

उत्तर;चावल (Rice) खरीफ फसल है, न कि रबी फसल। यह मानसून के मौसम (जुलाई से अक्टूबर) में उगाई जाती है और इसे गीली और नमी वाली जलवायु की आवश्यकता होती है।

इसलिए, चावल रबी फसल नहीं है।

 (ग) चना

उत्तर; हाँ, चना (Chickpea) रबी फसल है। यह फसल सामान्यत: सर्दियों में उगाई जाती है, यानी अक्टूबर से फरवरी तक। चना को ठंडी और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है, और यह भारत में रबी सीजन के दौरान प्रमुख रूप से उगाई जाती है।

 (ख) मोटे अनाज

उत्तर; मोटे अनाज (Millets) मुख्य रूप से खरीफ फसलें होती हैं, लेकिन कुछ मोटे अनाज रबी में भी उगाए जा सकते हैं, जैसे बाजरा। हालांकि, सामान्यत: इन्हें खरीफ मौसम (जुलाई से अक्टूबर) में उगाया जाता है।

मोटे अनाज में बाजरा, रागी, ज्वार, और मक्का जैसे अनाज शामिल होते हैं। इन फसलों को गर्मी और पानी की कम उपलब्धता में भी उगाया जा सकता है।

 (घ) कपास 

उत्तर; कपास एक खरीफ फसल है, जो आमतौर पर गर्मी के मौसम में उगाई जाती है। इसे जुलाई से सितंबर तक बोया जाता है, और यह सिंचाई की आवश्यकता होती है। कपास की फसल को उगाने के लिए उच्च तापमान और पर्याप्त वर्षा की जरूरत होती है। यह फसल भारत के कई राज्यों में प्रमुख रूप से उगाई जाती है, जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश।

(iii) इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है? 

उत्तर; चना एक फलीदार फसल है। यह दलहनी फसलों में आती है और भूमि की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती है क्योंकि यह हवा से नाइट्रोजन को ग्रहण करती है। चना को रबी में उगाया जाता है और यह भारत में महत्वपूर्ण दलहनी फसल है।

(क) दालें

उत्तर; दालें भी फलीदार फसल हैं। इसमें अरहर, उड़द, मूँग, मसूर, मटर, और चना शामिल हैं। ये फसलें दलहनी होती हैं, जो नाइट्रोजन को हवा से लेकर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती हैं।

 (ग) ज्वार तिल 

उत्तर; ज्वार और तिल दोनों ही मोटे अनाज की श्रेणी में आते हैं, लेकिन ये फलीदार फसलें नहीं हैं। फलीदार फसलें दालों की तरह होती हैं, जबकि ज्वार और तिल के बीज होते हैं जो फली में नहीं उगते।

(ख) मोटे अनाज 

उत्तर; मोटे अनाज (जैसे ज्वार, बाजरा, तिल, आदि) फलीदार फसलें नहीं होतीं। यह बीज के रूप में उगने वाली फसलें होती हैं, जबकि फलीदार फसलें जैसे दालें, फली के अंदर बीज पैदा करती हैं।

(घ) तिल 

उत्तर; तिल एक तिलहन फसल है, जो फलीदार फसल नहीं है। तिल फली के अंदर नहीं उगता, बल्कि बीज के रूप में सीधे उगता है। इसलिए यह फलीदार फसल नहीं मानी जाती।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए। 

(1) एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।

उत्तर; पेय फसल: चाय

उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियाँ:

जलवायु: चाय उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में उगाई जाती है। इसके लिए 21°C से 27°C तक का तापमान आदर्श होता है। यह ठंडी और नम जलवायु में बेहतर वृद्धि करती है।

वर्षा: चाय के लिए वर्ष भर समान रूप से वर्षा होनी चाहिए, और वर्षा की मात्रा 1500 मिमी से 2500 मिमी तक होनी चाहिए।

मिट्टी: चाय के पौधे के लिए गहरी, उर्वर और जलनिकासी वाली मिट्टी आदर्श होती है। इसे ह्यूमस और जीवांश युक्त मिट्टी में सबसे अच्छा उगाया जाता है।

स्थान: चाय को ढलवाँ क्षेत्रों में उगाना सबसे अच्छा होता है, जहाँ जल निकासी की समस्या न हो।

भारत में चाय के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल हैं।

 (ii) भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें। 

उत्तर; खाद्य फसल: चावल

चावल की उत्पादकता के प्रमुख क्षेत्र:

पश्चिम बंगाल: यह राज्य चावल का प्रमुख उत्पादक राज्य है, खासकर उसकी दक्षिणी और तटीय क्षेत्रों में। यहाँ की जलवायु और समृद्ध नदी प्रणाली चावल की खेती के लिए अनुकूल हैं।

उत्तर प्रदेश: इस राज्य में गंगा नदी के किनारे की भूमि चावल की खेती के लिए उपयुक्त है। यहाँ रबी और खरीफ दोनों सत्रों में चावल की खेती होती है।

तमिलनाडु: यह राज्य दक्षिण भारत में चावल का महत्वपूर्ण उत्पादक है। यहाँ मुख्य रूप से कावेरी नदी के क्षेत्र में चावल उगाया जाता है।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: इन राज्यों में भी चावल की खेती प्रमुख है, खासकर कृष्णा और गोदावरी नदियों के किनारे।

पंजाब और हरियाणा: इन राज्यों में भी चावल की खेती बड़े पैमाने पर होती है, खासकर रबी मौसम में। यहाँ की नहर सिंचाई प्रणाली चावल की खेती के लिए सहायक है।

ओडिशा और बिहार: इन राज्यों में भी चावल प्रमुख खाद्य फसल है, विशेषकर गंगा और ब्राह्मणी नदी के किनारे।

चावल की खेती इन क्षेत्रों में उच्च तापमान, पर्याप्त जलवायु, और सिंचाई के उपयुक्त साधनों के कारण होती है।

(111) सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ।

उत्तर;  गया।

इन सुधार कार्यक्रमों का उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और कृषि क्षेत्र में स्थिरता और वृद्धि सुनिश्चित करना है।

 (iv) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते हैं?

उत्तर;

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए। 

उत्तर;

(1) कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए।

उत्तर;

 (ii) भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें। 

उत्तर;

(iii) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें। परियोजना कार्य

उत्तर;सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए कुछ प्रमुख संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची निम्नलिखित है:

भूमि सुधार (Land Reforms):

जमींदारी उन्मूलन: जमींदारी प्रथा समाप्त की गई, ताकि भूमिहीन किसानों को भूमि मिल सके।

जमीन का वितरण: भूमिहीन और निर्धन किसानों को भूमि का वितरण करने के लिए भूमि सुधार कानून बनाए गए।

जमीन की चकबंदी: छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटी जमीनों को एकत्र कर किसानों को अधिक उपयुक्त भूमि देने के लिए चकबंदी की गई।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना (Kisan Credit Card Scheme):

किसानों को ऋण सुविधा प्रदान करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की योजना लागू की गई, ताकि वे अपने कृषि कार्यों के लिए आवश्यक पूंजी आसानी से प्राप्त कर सकें।

कृषि बीमा योजना (Crop Insurance Scheme):

किसानों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा, बाढ़, तूफान, आदि से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए फसल बीमा योजना लागू की गई।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को बीमा कवर प्रदान किया जाता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP - Minimum Support Price):

सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा की जाती है, ताकि किसान अपनी फसलों को उचित मूल्य पर बेच सकें और बिचौलियों से शोषण से बच सकें।

सहकारी समितियाँ (Cooperative Societies):

कृषि सुधार और किसानों की सहायता के लिए सहकारी समितियाँ बनाई गईं, जो उन्हें ऋण, बीज, उर्वरक, और अन्य कृषि उपकरण उपलब्ध कराती हैं।

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD):

NABARD का उद्देश्य किसानों को कृषि ऋण और वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि वे अपनी कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकें।

सिंचाई योजना (Irrigation Schemes):

किसानों को सिंचाई की सुविधा प्रदान करने के लिए बड़े और छोटे सिंचाई परियोजनाएं बनाई गईं, जैसे नहर प्रणाली और कुओं का निर्माण।

कृषि विश्वविद्यालय और अनुसंधान संस्थान (Agricultural Universities and Research Institutes):

कृषि अनुसंधान और तकनीकी विकास के लिए कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों की स्थापना की गई, ताकि किसानों को नई कृषि तकनीकों, उन्नत बीज, और उर्वरक के बारे में जानकारी दी जा सके।

ग्रामीण बैंकों और सहकारी समितियों का गठन:

किसानों को सस्ते ब्याज दरों पर ऋण देने के लिए ग्रामीण बैंक और सहकारी समितियाँ बनाई गईं, ताकि वे अपनी खेती के लिए आवश्यक पूंजी जुटा सकें।

विकसित कृषि विपणन नेटवर्क (Developed Agricultural Marketing Network):

कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए सरकार ने विपणन नेटवर्क को विकसित किया है, जैसे कृषि उत्पादों के लिए मंडी प्रणाली, ताकि किसान अपनी फसल को उचित मूल्य पर बेच सकें।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY):

कृषि उत्पादों की परिवहन क्षमता को बेहतर बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क को मजबूत किया

 1. किसानों की साक्षरता विषय पर एक सामूहिक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करें। 

उत्तर;किसानों की साक्षरता पर सामूहिक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन

विषय: किसानों की साक्षरता – कृषि क्षेत्र में सुधार का एक महत्वपूर्ण कदम

उद्देश्य:इस वाद-विवाद प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य किसानों की साक्षरता के महत्त्व को समझना है। इसमें यह चर्चा की जाएगी कि किसानों को शिक्षा और जानकारी से कैसे सशक्त किया जा सकता है ताकि वे बेहतर कृषि पद्धतियों का पालन करें, कृषि संबंधी निर्णयों को समझें और अपनी जीवनशैली में सुधार लाएं।

प्रतियोगिता की संरचना:

प्रस्तावना:

प्रतियोगिता की शुरुआत में, विषय की घोषणा की जाएगी और यह समझाया जाएगा कि किसानों की साक्षरता कैसे उनकी आर्थिक स्थिति, कृषि उत्पादन और जीवन गुणवत्ता को प्रभावित करती है।

किसानों की साक्षरता के पक्ष में तर्क (प्रस्तावक टीम):

शिक्षा से तकनीकी ज्ञान में वृद्धि: किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों, जलवायु परिवर्तन, बीज, उर्वरक, और कीटनाशकों के बारे में जानकारी मिलती है, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो सकती है।

आधुनिक कृषि उपकरणों का प्रयोग: शिक्षित किसान आधुनिक कृषि उपकरणों का सही तरीके से उपयोग करने में सक्षम होते हैं, जिससे उनकी मेहनत कम होती है और उत्पादन में वृद्धि होती है।

बाजार की समझ: साक्षर किसान कृषि उत्पादों के मूल्य, बाजार की माँग, और समर्थन मूल्य को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं, जिससे वे बिचौलियों से बच सकते हैं और अधिक लाभ कमा सकते हैं।

स्वास्थ्य और जीवनशैली में सुधार: शिक्षा से किसानों को अपने स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जानकारी मिलती है, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार होता है।

किसानों की साक्षरता के विरोध में तर्क (विरोधी टीम):

शैक्षिक संसाधनों की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त शैक्षिक संस्थान और संसाधनों का अभाव है, जिससे किसानों को शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होती है।

कृषि परंपराएँ और आदतें: कई किसान अपनी पारंपरिक कृषि पद्धतियों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं होते, चाहे उन्हें नई तकनीकों के लाभ के बारे में बताया जाए।शिक्षा का प्रभाव: कई बार, किसानों को शिक्षा देने से ज्यादा महत्वपूर्ण उनके लिए सही नीतियाँ, बेहतर बाजार सुविधाएँ और सरकारी सहायता है।

आर्थिक दबाव: शिक्षा में निवेश के लिए किसानों के पास समय और पैसे की कमी हो सकती है, और वे कृषि कार्य में व्यस्त रहते हुए शिक्षा की ओर ध्यान नहीं दे पाते।

निष्कर्ष:प्रत्येक टीम को अपने तर्कों के साथ निष्कर्ष प्रस्तुत करने का समय दिया जाएगा।

अंत में, आयोजनकर्ता या निर्णायक द्वारा इस चर्चा का सारांश दिया जाएगा और यह बताया जाएगा कि किसानों की साक्षरता के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

सुझाव:

शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसान शिक्षा कार्यक्रमों के लिए अधिक से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँचें।

ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों में शिक्षा: डिजिटल प्लेटफॉर्म और रेडियो जैसी सामुदायिक आवाज़ों के माध्यम से किसानों को सिखाने के उपायों पर जोर दिया जा सकता है।

सहकारिता और कृषक संगठनों का सहयोग: किसानों को एकत्रित कर उनका सामूहिक शिक्षण किया जा सकता है, ताकि वे एक-दूसरे से सिख सकें।

यह वाद-विवाद प्रतियोगिता किसानों की साक्षरता के महत्त्व पर ध्यान आकर्षित करने का एक बेहतरीन तरीका हो सकता है, जो उनके जीवन को सुधारने के लिए ज़रूरी कदम हो।