Chapter 11


1. निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।

सूमा एक तालाब में तैर रही है।

एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।

एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।

एक हरे पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।

एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।

अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।

एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।

उत्तर:आइए, इन क्रियाकलापों को कार्य के सिद्धांत के आधार पर परखते हैं, जहां कार्य तब होता है जब बल किसी वस्तु को विस्थापित करता है। कार्य का परिभाषा है:

2. एक पिंड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिंड के पथ के प्रारंभिक तथा अंतिम बिंदु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित हैं। पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया?

उत्तर:इस सवाल को हल करने के लिए, हम कार्य-ऊर्जा सिद्धांत का उपयोग करेंगे।

जब कोई पिंड धरती से फेंका जाता है और वह वक्र पथ पर यात्रा करता है, तो उसके ऊपर गुरुत्व बल काम करता है।

गुरुत्व बल द्वारा कार्य का परिकलन:

गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य तब होता है जब पिंड का विस्थापन गुरुत्व बल की दिशा में होता है।

चूंकि पिंड को फेंकने के बाद उसका पथ वक्र (parabolic) होता है, इसका मतलब यह है कि पिंड कुछ ऊँचाई पर उठता है और फिर गिरता है। पिंड का प्रारंभिक और अंतिम बिंदु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित है, यानी वह उस प्रारंभिक ऊँचाई पर लौट आता है।

कुल कार्य:

  • पिंड द्वारा उठने और गिरने के दौरान गुरुत्व बल उसकी स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन करता है, लेकिन चूंकि प्रारंभ और अंतिम बिंदु समान ऊँचाई पर हैं, इसलिए ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता

  • इसका मतलब है कि गुरुत्व बल द्वारा कुल कार्य शून्य होगा, क्योंकि पिंड की कुल यांत्रिक ऊर्जा (स्थितिज + गतिज) प्रारंभिक और अंतिम बिंदु पर समान रहती है।

निष्कर्ष:
गुरुत्व बल द्वारा किया गया कुल कार्य शून्य होगा।

यह इसलिए है क्योंकि, स्थिति की कोई परिवर्तन नहीं है (प्रारंभ और अंत बिंदु एक ही ऊँचाई पर हैं), और ऊर्जा का कोई समग्र परिवर्तन नहीं हो रहा।

3. एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।

उत्तर:जब एक बैटरी बल्ब को जलाती है, तो इस प्रक्रम में ऊर्जा का रूपांतरण विभिन्न चरणों में होता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:

  1. बैटरी में रासायनिक ऊर्जा:
    बैटरी में रासायनिक ऊर्जा होती है, जो बैटरी के अंदर रासायनिक अभिक्रियाओं के कारण संग्रहीत होती है। जब बैटरी को सर्किट से जोड़ा जाता है, तो यह रासायनिक ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों के रूप में बाहर निकलती है।

  2. वैद्युत ऊर्जा:
    बैटरी से निकलने वाले इलेक्ट्रॉन एक सर्किट में प्रवाहित होते हैं, जिससे विद्युत धारा उत्पन्न होती है। इस समय रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

  3. बल्ब में विद्युत ऊर्जा:
    जब विद्युत धारा बल्ब के फिलामेंट से होकर गुजरती है, तो फिलामेंट के प्रतिरोध के कारण उसमें गर्मी उत्पन्न होती है। बल्ब का फिलामेंट बहुत छोटे आकार का होता है और जब इसमें से विद्युत धारा गुजरती है, तो यह प्रतिरोध उत्पन्न करता है और उसकी ऊर्जा गर्मी (ऊष्मीय ऊर्जा) में बदल जाती है।

  4. ऊष्मीय ऊर्जा:
    फिलामेंट की प्रतिरोध क्षमता के कारण उसे गर्मी प्राप्त होती है, जिससे वह प्रकाश उत्पन्न करता है। यह ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होती है।

  5. प्रकाश ऊर्जा:
    बल्ब का फिलामेंट जब बहुत गर्म हो जाता है, तो वह चमकने लगता है और प्रकाश उत्पन्न होता है। इस प्रकार, ऊष्मीय ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा में बदल जाती है।

सारांश:
बैटरी में संग्रहीत रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है, फिर विद्युत ऊर्जा बल्ब में ऊष्मीय ऊर्जा में बदलती है, और अंततः ऊष्मीय ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित होती है। इस प्रक्रम में ऊर्जा का रूपांतरण हुआ है:
रासायनिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा → ऊष्मीय ऊर्जा → प्रकाश ऊर्जा

4. 20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला कोई बल इसके वेग को 5 ms¹ से 2ms¹. में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।

उत्तर:बल द्वारा किए गए कार्य को हम कार्य = परिवर्तन (कुल ऊर्जा) = काइनेटिक ऊर्जा का परिवर्तन के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। इस उदाहरण में, हम काइनेटिक ऊर्जा के परिवर्तन का उपयोग करेंगे, क्योंकि वेग में बदलाव हो रहा है।

काइनेटिक ऊर्जा (KE) का सूत्र है:

KE=12mv2KE = \frac{1}{2} m v^2

जहाँ,

  • mm = द्रव्यमान (kg)

  • vv = वेग (m/s)

अब, हम पहले प्रारंभिक और अंतिम काइनेटिक ऊर्जा की गणना करेंगे और फिर उनका अंतर (काइनेटिक ऊर्जा में बदलाव) प्राप्त करेंगे, जो कि बल द्वारा किए गए कार्य के बराबर होगा।

प्रारंभिक काइनेटिक ऊर्जा:

KEinitial=12×m×vinitial2=12×20×(5)2KE_{\text{initial}} = \frac{1}{2} \times m \times v_{\text{initial}}^2 = \frac{1}{2} \times 20 \times (5)^2 KEinitial=12×20×25=250JKE_{\text{initial}} = \frac{1}{2} \times 20 \times 25 = 250 \, \text{J}

अंतिम काइनेटिक ऊर्जा:

KEfinal=12×m×vfinal2=12×20×(2)2KE_{\text{final}} = \frac{1}{2} \times m \times v_{\text{final}}^2 = \frac{1}{2} \times 20 \times (2)^2 KEfinal=12×20×4=40JKE_{\text{final}} = \frac{1}{2} \times 20 \times 4 = 40 \, \text{J}

कार्य (काइनेटिक ऊर्जा का परिवर्तन):

कार्य=KEfinalKEinitial=40J250J=210J\text{कार्य} = KE_{\text{final}} - KE_{\text{initial}} = 40 \, \text{J} - 250 \, \text{J} = -210 \, \text{J}

उत्तर: बल द्वारा किया गया कार्य 210J-210 \, \text{J} है।

यह नकारात्मक कार्य है, जो दर्शाता है कि बल ने वस्तु की गति को घटाया (वेग कम किया)।

5. 10 kg द्रव्यमान का एक पिंड मेज पर बिंदु पर रखा है। इसे B बिंदु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।

उत्तर:जब कोई पिंड किसी क्षैतिज रेखा पर एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक चलता है, तो पिंड की ऊँचाई में कोई परिवर्तन नहीं होता है। गुरुत्वाकर्षण बल केवल ऊर्ध्वाधर दिशा में कार्य करता है, और यदि पिंड की ऊँचाई में कोई परिवर्तन नहीं होता है, तो गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।

व्याख्या:

गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य (W) निम्नलिखित सूत्र से दिया जाता है:

W=F×d×cos(θ)W = F \times d \times \cos(\theta)

जहाँ:

  • FF = गुरुत्वाकर्षण बल (जो F=mgF = mg है)

  • dd = पिंड के द्वारा तय की गई दूरी

  • θ\theta = बल और विस्थापन के बीच कोण

यहाँ, पिंड क्षैतिज दिशा में चलता है, इसलिए θ=90\theta = 90^\circ होगा।

गुरुत्वाकर्षण बल की दिशा ऊर्ध्वाधर होती है, और विस्थापन की दिशा क्षैतिज है, इसलिए cos(90)=0\cos(90^\circ) = 0। इस प्रकार,

W=mg×d×cos(90)=0W = mg \times d \times \cos(90^\circ) = 0

उत्तर:

गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य 0J0 \, \text{J} होगा।

क्योंकि पिंड की ऊँचाई में कोई परिवर्तन नहीं होता है, इस लिए गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य शून्य है।

6. मुक्त रूप से गिरते एक पिंड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है। कारण बताइए।

उत्तर:नहीं, मुक्त रूप से गिरते पिंड की स्थितिज ऊर्जा का लगातार कम होना ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं करता।

कारण:

ऊर्जा संरक्षण का नियम कहता है कि कुल ऊर्जा (जो एक पिंड में स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा आदि का योग है) हमेशा बनी रहती है। यानी ऊर्जा न तो उत्पन्न हो सकती है और न ही नष्ट हो सकती है; यह केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती है।

जब एक पिंड मुक्त रूप से गिरता है:

  1. प्रारंभ में, जब पिंड ऊँचाई पर होता है, तो उसकी स्थितिज ऊर्जा (potential energy) अधिक होती है।

  2. जैसे-जैसे पिंड गिरता है, उसकी स्थितिज ऊर्जा घटने लगती है, लेकिन यह ऊर्जा गतिज ऊर्जा (kinetic energy) में परिवर्तित हो जाती है।

  3. धरती के पास, पिंड की स्थितिज ऊर्जा पूरी तरह से गतिज ऊर्जा में बदल जाती है, और इस समय उसकी गति अधिकतम होती है।

इस प्रक्रिया में कुल यांत्रिक ऊर्जा (situational + kinetic) निरंतर अपरिवर्तित रहती है।

निष्कर्ष:

इसलिए, पिंड की स्थितिज ऊर्जा का घटना कुल ऊर्जा के नियम का उल्लंघन नहीं है, क्योंकि वह ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल रही है। कुल ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है, जो ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुसार है।..


7. जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपांतरण होते हैं?

उत्तर:जब हम साइकिल चलाते हैं, तो कई प्रकार के ऊर्जा रूपांतरण होते हैं:

  1. रासायनिक ऊर्जा → यांत्रिक ऊर्जा
    हमारे शरीर में भोजन से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा का उपयोग मांसपेशियों द्वारा बल लगाने के लिए होता है।

  2. यांत्रिक ऊर्जा → गतिज ऊर्जा
    जब हम पैडल चलाते हैं, तो साइकिल में यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो उसे गति देती है और साइकिल गतिज ऊर्जा प्राप्त करती है।

  3. यांत्रिक ऊर्जा → घर्षण और वायु के प्रतिरोध के कारण ऊष्मा ऊर्जा
    साइकिल के टायर और सड़क के बीच घर्षण होता है तथा हवा का प्रतिरोध भी होता है, जिससे कुछ ऊर्जा ऊष्मा में बदल जाती है।

संक्षेप में:

रासायनिक ऊर्जा → यांत्रिक ऊर्जा → गतिज ऊर्जा + ऊष्मा ऊर्जा

क्या आप चाहेंगे कि मैं इस ऊर्जा रूपांतरण को एक सरल चित्र या चार्ट के रूप में भी प्रस्तुत करूँ?

pinki

उत्तर:जब आप पूरी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलते हैं लेकिन उसे हिला नहीं पाते, तब भी आपके शरीर से ऊर्जा व्यय होती है। हालाँकि चट्टान पर कार्य (work) नहीं होता, क्योंकि कार्य होने के लिए वस्तु का विस्थापन आवश्यक होता है (यहाँ विस्थापन शून्य है)।

फिर भी, आपके शरीर द्वारा उत्पादित ऊर्जा का स्थानांतरण इस तरह होता है:

  • आपकी मांसपेशियाँ सिकुड़ती और काम करती हैं, जिससे रासायनिक ऊर्जा का रूपांतरण ऊष्मा ऊर्जा और आंतरिक ऊर्जा में होता है।

  • आपकी मांसपेशियाँ गर्म हो जाती हैं और शरीर से पसीना निकल सकता है।

  • थोड़ी ऊर्जा कंपन (vibrations) या हल्की ध्वनि के रूप में भी निकल सकती है।

निष्कर्ष:

आपकी व्यय की गई ऊर्जा मुख्यतः ऊष्मा (गर्मी) और जैविक प्रक्रियाओं में बदल जाती है।

9. किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 'यूनिटें' व्यय हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी?

उत्तर:चलिए इसे हल करते हैं:

1 'यूनिट' = 1 किलोवाट-घंटा (kWh)
और
1 किलोवाट-घंटा = 3.6×1063.6 \times 10^6 जूल

तो, 250 यूनिट ऊर्जा =
250×3.6×106250 \times 3.6 \times 10^6 जूल
= 900×106900 \times 10^6 जूल
= 9×1089 \times 10^8 जूल

उत्तर:

250 यूनिट ऊर्जा = 9×1089 \times 10^8 जूल होती है।

चाहिए तो मैं इसका एक छोटा सारांश भी तैयार कर दूँ?

10. 40 kg द्रव्यमान का एक पिंड धरती से 51 की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है? यदि पिंड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिंड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g = 10 ms²)

उत्तर:आइए इस प्रश्न को चरणों में हल करें:

प्रथम भाग: स्थितिज ऊर्जा का परिकलन

दिया गया है:
द्रव्यमान m=40kgm = 40 \, \text{kg}
ऊँचाई h=5mh = 5 \, \text{m}
गुरुत्वीय त्वरण g=10m/s2g = 10 \, \text{m/s}^2

स्थितिज ऊर्जा (Ep) का सूत्र:

Ep=mghE_p = mgh

मान रखकर:

Ep=40×10×5=2000JE_p = 40 \times 10 \times 5 = 2000 \, \text{J}

 पिंड की स्थितिज ऊर्जा = 2000 जूल द्वितीय भाग: जब पिंड आधे रास्ते पर है तब गतिज ऊर्जा का परिकलन

आधे रास्ते पर ऊँचाई = 52=2.5m\frac{5}{2} = 2.5 \, \text{m}

ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार:

कुल ऊर्जा=स्थितिज ऊर्जा+गतिज ऊर्जा\text{कुल ऊर्जा} = \text{स्थितिज ऊर्जा} + \text{गतिज ऊर्जा}

कुल ऊर्जा (ऊपर से गिरने की स्थिति में) = 2000 J (कुल यांत्रिक ऊर्जा अचर रहती है)

आधे रास्ते पर स्थितिज ऊर्जा:

Ep=mgh=40×10×2.5=1000JE_p' = mgh' = 40 \times 10 \times 2.5 = 1000 \, \text{J}

तो, उस समय की गतिज ऊर्जा (Ek) होगी:

Ek=कुल ऊर्जास्थितिज ऊर्जाE_k = \text{कुल ऊर्जा} - \text{स्थितिज ऊर्जा} Ek=20001000=1000JE_k = 2000 - 1000 = 1000 \, \text{J}

 आधे रास्ते पर पिंड की गतिज ऊर्जा = 1000  अंतिम उत्तर:

  • स्थितिज ऊर्जा = 2000 J

  • आधे रास्ते पर गतिज ऊर्जा = 1000 J

11. पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।

उत्तर:जब कोई उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर घूम रहा होता है, तो उस पर पृथ्वी का गुरुत्व बल कार्य कर रहा होता है। यह बल उपग्रह की कक्षा के केंद्र (अर्थात पृथ्वी) की ओर लगा होता है।

लेकिन उपग्रह की गति उसकी कक्षा के स्पर्शरेखीय दिशा में होती है, यानी उसकी दिशा बल के लक्षण के लंबवत होती है।

अब, भौतिकी के अनुसार:

  • कार्य (Work) = बल × विस्थापन × cosθ\cos \theta
    जहाँ θ\theta बल और विस्थापन के बीच कोण है।

यहाँ, θ=90\theta = 90^\circ है (बल और गति के बीच 90° का कोण है)।
और, cos90=0\cos 90^\circ = 0 होता है।

इसलिए, कार्य = 0

निष्कर्ष:

पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य शून्य (0) होता है।

 तर्क:

क्योंकि उपग्रह के विस्थापन की दिशा और उस पर लगने वाले गुरुत्व बल की दिशा परस्पर लंबवत होती हैं, और cos90=0\cos 90^\circ = 0 होने के कारण बल द्वारा कोई कार्य नहीं किया जाता।

12. क्या किसी पिंड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में, इसका विस्थापन हो सकता है? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।

उत्तर:यदि किसी पिंड पर कोई भी बल नहीं लग रहा है, तो फिर क्या वह विस्थापित हो सकता है?

न्यूटन का प्रथम नियम (जड़त्व का नियम) कहता है:

"यदि किसी पिंड पर कोई बाहरी बल कार्य नहीं कर रहा है, तो वह या तो स्थिर रहेगा या समान गति से सरल रेखीय गति करता रहेगा।"

इसका मतलब:

  • यदि पिंड पहले से स्थिर है, तो वह स्थिर ही रहेगा (कोई विस्थापन नहीं होगा)।

  • यदि पिंड पहले से गति कर रहा है, तो वह बिना रुके समान गति से और उसी दिशा में चलता रहेगा (अर्थात विस्थापन होगा)।

निष्कर्ष:

हाँ, यदि कोई पिंड पहले से गतिमान है, तो उस पर किसी बल के अभाव में भी वह विस्थापित होता रहेगा।
लेकिन अगर पिंड पहले से स्थिर है, तो बिना बल के वह नहीं चलेगा।

13. कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।

उत्तर:कार्य (Work) की परिभाषा के अनुसार:

जब कोई बल किसी वस्तु पर लगाया जाए और वह वस्तु बल की दिशा में विस्थापित हो, तभी कार्य होता है।

यहाँ स्थिति क्या है?

  • मनुष्य ने भूसे के गट्ठर को अपने सिर पर स्थिर रखा है।

  • गट्ठर ने कोई विस्थापन नहीं किया।

तो भले ही व्यक्ति थक गया हो,
भौतिकी के अनुसार कार्य नहीं हुआ, क्योंकि विस्थापन शून्य है।
(कार्य = बल × विस्थापन × cosθ, और विस्थापन = 0 ⇒ कार्य = 0) 

 निष्कर्ष:

नहीं, भौतिकी की दृष्टि से उसने कोई कार्य नहीं किया।
उसकी थकान शरीर में आंतरिक ऊर्जा (जैसे पेशियों में रसायनिक ऊर्जा के क्षय) के कारण है, न कि किसी भौतिक कार्य के कारण।

14. एक विद्युत्-हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500 W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा?

उत्तर:दी गई जानकारी:

  • विद्युत्-हीटर की शक्ति (Power), P=1500W=1.5kWP = 1500 \, \text{W} = 1.5 \, \text{kW}

  • उपयोग का समय (Time), t=10hourst = 10 \, \text{hours}

ऊर्जा (Energy) = शक्ति × समय
यानि,

Energy=P×t\text{Energy} = P \times t =1.5kW×10h=15kWh= 1.5 \, \text{kW} \times 10 \, \text{h} = 15 \, \text{kWh}

अब, जूल में ऊर्जा निकालते हैं:
हमें पता है:

1kWh=3.6×106J1 \, \text{kWh} = 3.6 \times 10^6 \, \text{J}

तो,

15kWh=15×3.6×106J=54×106J=5.4×107J15 \, \text{kWh} = 15 \times 3.6 \times 10^6 \, \text{J} = 54 \times 10^6 \, \text{J} = 5.4 \times 10^7 \, \text{J}
 अंतिम उत्तर:
  • ऊर्जा = 15 kWh या 5.4×1075.4 \times 10^7 जूल (J)

15. जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात् विराम

उत्तर:

सरल लोलक में ऊर्जा परिवर्तन और ऊर्जा संरक्षण:

जब हम किसी सरल लोलक (pendulum) के गोलक को एक ओर खींचते हैं और छोड़ते हैं, तब:

  • गोलक अपने सर्वाधिक विचलन (सबसे ऊँचे बिंदु) पर होता है।

  • इस स्थिति पर उसकी गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) शून्य होती है और पूरी ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy) के रूप में होती है।

  • जब गोलक नीचे की ओर आने लगता है, तो उसकी स्थितिज ऊर्जा धीरे-धीरे घटती है और वह ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदलती है।

  • सबसे निचले बिंदु (संतुलन स्थिति) पर पहुँचते समय, उसकी गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है और स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम।

  • फिर, गोलक दूसरी ओर ऊपर चढ़ता है तो उसकी गतिज ऊर्जा वापस स्थितिज ऊर्जा में बदलती है।

यानी:
ऊर्जा का रूप बदलता है — स्थितिज से गतिज और फिर गतिज से स्थितिज, लेकिन कुल ऊर्जा स्थिर रहती है।

इसी से ऊर्जा संरक्षण का नियम सिद्ध होता है:

"ऊर्जा न तो उत्पन्न होती है और न ही नष्ट होती है, बल्कि केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती है।"

लेकिन गोलक कुछ समय बाद क्यों रुक जाता है?

  • जब गोलक दोलन करता है तो वायुगति (air resistance) और घर्षण (friction at the pivot) के कारण उसकी कुछ ऊर्जा ऊष्मा (heat) में बदल जाती है।

  • इस वजह से यांत्रिक ऊर्जा (गतिज + स्थितिज) में धीरे-धीरे कमी आती है और गोलक रुक जाता है।