Chapter 10
1. यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा?
उत्तर:आइए इसे सावधानी से समझते हैं:
उत्तर:बहुत अच्छा सवाल है!
उत्तर:
4. पृथ्वी तथा चंद्रमा एक-दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं। क्या पृथ्वी जिस बल से चंद्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है? बताइए क्यों?
उत्तर:बहुत अच्छा प्रश्न है!
उत्तर यह है:
पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे को समान (बराबर) गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं।
कारण:
न्यूटन का तीसरा नियम कहता है —
"प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत दिशा में एक प्रतिक्रिया होती है।"
गुरुत्वाकर्षण बल भी इसी नियम का पालन करता है।
पृथ्वी जिस बल से चंद्रमा को खींचती है, वही बल (परिमाण में समान लेकिन दिशा में विपरीत) चंद्रमा भी पृथ्वी पर लगाता है।
यानी,
लेकिन फर्क कहाँ है?
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चूँकि पृथ्वी का द्रव्यमान चंद्रमा के द्रव्यमान से बहुत अधिक है,
-
इसलिए वही बल चंद्रमा को अधिक तेज़ी से गति देता है, जबकि पृथ्वी पर उसका प्रभाव बहुत बहुत छोटा होता है।
(जैसे कि छोटे कुत्ते और बड़े आदमी के बीच खींचातानी — खींचने का बल बराबर होता है लेकिन छोटा कुत्ता ज्यादा हिलता है!)
सारांश:
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बल बराबर होता है।
-
पर चंद्रमा अधिक प्रभाव महसूस करता है, क्योंकि उसका द्रव्यमान छोटा है।
चाहो तो मैं इसका एक छोटा सा उदाहरण भी दे सकती हूँ — जैसे रस्साकशी (Tug of War) में दो लोगों के बीच क्या होता है। बताऊँ?
5. यदि चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है, तो पृथ्वी चंद्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती?
उत्तर:बहुत सुंदर सवाल पूछा है!
उत्तर यह है:
पृथ्वी भी चंद्रमा की ओर गति करती है — लेकिन उसका प्रभाव बहुत छोटा है, इसलिए हमें दिखाई नहीं देता।
कैसे?
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चंद्रमा और पृथ्वी एक-दूसरे को समान बल से आकर्षित करते हैं (जैसा कि हमने पिछले उत्तर में देखा)।
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इस आकर्षण के कारण चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
-
लेकिन असल में चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक परिक्रमा नहीं कर रहा होता, बल्कि पृथ्वी और चंद्रमा दोनों मिलकर एक साझा केन्द्र (जिसे "कॉमन सेंटर ऑफ मास" या "सामूहिक द्रव्यमान केंद्र" कहते हैं) के चारों ओर घूमते हैं।
यह सामूहिक केंद्र पृथ्वी के अंदर ही थोड़ा सा ऊपर (लगभग 4700 किलोमीटर पृथ्वी की सतह के भीतर) स्थित होता है, क्योंकि पृथ्वी का द्रव्यमान बहुत अधिक है।
इसलिए —
-
चंद्रमा स्पष्ट रूप से घूमता दिखता है,
-
जबकि पृथ्वी बस हल्की सी झूलती है — इतना कम कि हमें सामान्यतः पता नहीं चलता।
सारांश:
-
पृथ्वी भी चंद्रमा की ओर थोड़ा गति करती है,
-
लेकिन उसका द्रव्यमान बहुत अधिक होने के कारण वह गति बहुत सूक्ष्म होती है।
6. दो वस्तुओं के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का क्या होगा, यदि
(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए?
(II) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए?
(iii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ?
उत्तर:(i) यदि एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए:
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गुरुत्वाकर्षण बल सीधे द्रव्यमान के समानुपाती होता है।
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यदि एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए तो गुरुत्वाकर्षण बल भी दोगुना हो जाएगा।
(ii) यदि वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी या तीन गुनी कर दी जाए:
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गुरुत्वाकर्षण बल दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है (यानि दूरी² बढ़ने पर बल घटता है)।
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यदि दूरी दोगुनी कर दी जाए, तो बल
यानी बल चौथाई रह जाएगा। -
यदि दूरी तीन गुनी कर दी जाए, तो बल
यानी बल नौवाँ भाग रह जाएगा।
(iii) यदि दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ:
-
यदि दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने हो जाएँ, तो गुरुत्वाकर्षण बल
यानि बल चार गुना हो जाएगा।
संक्षेप में उत्तर:
क्र.सं. | स्थिति | बल में परिवर्तन |
---|---|---|
(i) | एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना | बल दोगुना |
(ii) | दूरी दोगुनी | बल चौथाई |
(ii) | दूरी तीन गुनी | बल नौवाँ भाग |
(iii) | दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने | बल चार गुना |
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के महत्व:
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ब्रह्मांड में वस्तुओं की गति को समझाया:
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इस नियम ने यह स्पष्ट किया कि ग्रह, उपग्रह, तारे आदि एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं और अपनी-अपनी कक्षाओं में क्यों घूमते हैं।
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पृथ्वी पर वस्तुओं का गिरना समझाया:
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इस नियम ने बताया कि सभी वस्तुएँ पृथ्वी पर इसलिए गिरती हैं क्योंकि पृथ्वी उन्हें गुरुत्वीय बल से अपनी ओर आकर्षित करती है।
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ग्रहों की कक्षा की गणना संभव हुई:
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ग्रहों के सूर्य के चारों ओर घूमने और चंद्रमा के पृथ्वी के चारों ओर घूमने की गति और कक्षाओं की गणना इसी नियम की मदद से की जा सकती है।
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समुद्र में ज्वार-भाटा (Tides) का कारण समझाया:
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पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वीय बल के कारण समुद्रों में ज्वार-भाटा आते हैं। यह भी इसी नियम से समझा गया।
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भौतिकी के अन्य नियमों की नींव रखी:
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गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम ने भौतिकी में आगे चलकर और भी वैज्ञानिक खोजों, जैसे न्यूटन के गति नियमों और आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत, का रास्ता खोला।
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वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा मिला:
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इस नियम ने यह विचार स्थापित किया कि एक ही नियम पूरे ब्रह्मांड में लागू हो सकता है, जिससे वैज्ञानिकों का आत्मविश्वास बढ़ा।
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संक्षेप में:
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम ब्रह्मांड में होने वाली बहुत सी घटनाओं को समझने और गणना करने का आधार है।
8. मुक्त पतन का त्वरण क्या है?
उत्तर:
मुक्त पतन का त्वरण:
जब कोई वस्तु केवल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव में नीचे गिरती है और उस पर वायु का प्रतिरोध नगण्य होता है, तो उस स्थिति को मुक्त पतन (Free Fall) कहते हैं।
इस अवस्था में वस्तु का जो त्वरण (acceleration) होता है, उसे ही मुक्त पतन का त्वरण कहते हैं।
इसे गुरुत्वीय त्वरण (Acceleration due to Gravity) भी कहते हैं।
गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी पर औसतन लगभग 9.8 m/s² होता है।
संक्षेप में:
"मुक्त पतन का त्वरण वह त्वरण है जो किसी वस्तु को केवल गुरुत्वीय बल के कारण प्राप्त होता है और इसका मान पृथ्वी पर लगभग 9.8 मीटर प्रति सेकंड वर्ग (m/s²) होता है।"
9. पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल को हम क्या कहेंगे?
उत्तर:पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वीय बल को हम वस्तु का भार (Weight) कहते हैं।
स्पष्टीकरण:
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जब पृथ्वी किसी वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है, तो इस आकर्षण बल को उस वस्तु का भार कहा जाता है।
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भार का मान गुरुत्वीय त्वरण (g) और वस्तु के द्रव्यमान (m) के गुणनफल के बराबर होता है।
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अर्थात,
10. एक व्यक्ति A अपने एक मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है। वह इस सोने को विषुवत वृत्त पर अपने मित्र को देता है। क्या उसका मित्र खरीदे हुए सोने के भार से संतुष्ट होगा? यदि नहीं, तो क्यों? (संकेतः ध्रुवों पर 9 का मान विषुवत वृत्त की अपेक्षा अधिक है।)
उत्तर:नहीं, उसका मित्र खरीदे हुए सोने के भार से संतुष्ट नहीं होगा।
कारण:
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सोने की खरीद द्रव्यमान के आधार पर होती है, भार के आधार पर नहीं।
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ध्रुवों पर गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान विषुवत वृत्त की तुलना में अधिक होता है।
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चूँकि भार = द्रव्यमान × गुरुत्वीय त्वरण (W = m × g) होता है,
इसलिए ध्रुवों पर वस्तु का भार विषुवत वृत्त की तुलना में अधिक होगा जबकि द्रव्यमान समान रहेगा। -
जब वही सोना विषुवत वृत्त पर लाया जाएगा, वहाँ g का मान कम होने के कारण भार थोड़ा कम हो जाएगा।
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इस वजह से मित्र को सोने का भार अपेक्षाकृत कम लगेगा और वह संतुष्ट नहीं होगा, हालाँकि द्रव्यमान वही रहेगा।
संक्षेप में:
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द्रव्यमान नहीं बदलता, परंतु भार g के बदलने से बदलता है।
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ध्रुवों पर g अधिक ⇒ भार अधिक।
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विषुवत वृत्त पर g कम ⇒ भार कम।
11. एक कागज की शीट, उसी प्रकार की शीट को मरोड़ कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती है?
उत्तर:एक सपाट कागज की शीट, मरोड़ कर बनाई गई गेंद की तुलना में धीमी इसलिए गिरती है क्योंकि:
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सपाट शीट का वायुरोध (air resistance) अधिक होता है।
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जब कागज को मरोड़ कर गेंद बना दिया जाता है, उसकी सतह का क्षेत्रफल कम हो जाता है, जिससे उस पर वायुरोध भी कम हो जाता है।
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अधिक वायुरोध, गुरुत्वीय बल का विरोध करता है, जिससे वस्तु धीरे गिरती है।
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जबकि गेंद के आकार वाली शीट पर वायुरोध कम होने के कारण वह तेजी से नीचे गिरती है।
संक्षेप में:
➡ सपाट कागज पर अधिक वायुरोध = धीमी गति से गिरना।
➡ गेंद जैसी आकृति पर कम वायुरोध = तेज गति से गिरना।
12. चंद्रमा की सतह पर गुरुत्वीय बल, पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वीय बल की अपेक्षा 1/6 गुणा है। एक 10 kg की वस्तु का चंद्रमा पर तथा पृथ्वी पर न्यूटन में भार क्या होगा?
उत्तर:
हम जानते हैं कि गुरुत्वीय बल (भार) का सूत्र:
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पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण () का मान लगभग 9.8 होता है।
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चंद्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण () का मान पृथ्वी के मुकाबले 1/6 होता है, यानी ।
अब, यदि वस्तु का द्रव्यमान 10 kg है, तो:
पृथ्वी पर भार:
चंद्रमा पर भार:
उत्तर:
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पृथ्वी पर 10 kg की वस्तु का भार = 98 N
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चंद्रमा पर 10 kg की वस्तु का भार = 16.3 N