Chapter 5

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' 


1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम वा बरसने के स्थान पर 'गरजने' के लिए कहता है, क्यों?

उत्तर: कवि बादल से 'गरजने' के लिए कहता है क्योंकि वह नवजीवन की तलाश में है। यहाँ, कवि का आशय केवल बादल से वर्षा की अपेक्षा करना नहीं है, बल्कि वह उसके विद्रोहात्मक स्वरूप और प्रकृति में नए बदलाव की उम्मीद करता है।

'गरजना' प्रतीक है प्रकृति के शोर और शक्ति का, जो मानव जीवन में नई ऊर्जा, निर्माण और क्रांति का संचार कर सके। कवि चाहता है कि बादल सिर्फ बरसने के बजाय आक्रामक रूप से गरजें, ताकि वे विकल और उन्मन जीवन को एक नई दिशा और शक्ति प्रदान कर सकें। यह विद्रोह और आक्रोश का प्रतीक है, जिसमें कवि शोषित और पीड़ित जनों के लिए नई आशा और बदलाव की शुरुआत चाहता है।

इसलिए, 'गरजने' की आकांक्षा का अर्थ है कि कवि पुरानी पीड़ा और निराशा से मुक्ति चाहता है और उसके लिए उसे प्रकृति की शक्ति, विशेषकर बादल की गरज से प्रेरणा मिलती है।


2. कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?

उत्तर: कविता का शीर्षक "उत्साह" इस बात का प्रतीक है कि कवि अपने जीवन और समाज में नवजीवन और नई शक्ति की खोज कर रहा है। कविता में कवि ने बादल से गरजने की अपील की है, जो कि नई ऊर्जा, साहस और संघर्ष का प्रतीक है। "उत्साह" शब्द से कवि का उद्देश्य उन निराशा और संकोच के तत्वों को तोड़ने का है जो जीवन में रुकावट डालते हैं।

कविता में बादल के गरजने का अनुरोध एक उत्साही भावना को व्यक्त करता है, जिसमें कवि चाहता है कि वह न केवल प्राकृतिक परिवर्तन लाए, बल्कि समाज में भी नवीनता और क्रांति का संचार हो। यह शीर्षक उत्साह को उत्साहित करने का, नया जीवन देने का और विद्रोह की भावना को प्रेरित करने का संकेत है।

इस प्रकार, कविता का शीर्षक "उत्साह" जीवन के प्रति एक नई दृष्टि, उमंग और साहस को दर्शाता है, जिसमें बदलाव और नवीकरण की आवश्यकता की भावना व्यक्त की गई है।


3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की और संकेत करता है?

उत्तर: कविता में बादल कई अर्थों और संकेतों को व्यक्त करता है, जो कवि की भावनाओं और विचारों को विभिन्न दृष्टिकोणों से प्रस्तुत करते हैं। यहां बादल केवल प्राकृतिक तत्व नहीं है, बल्कि यह गहरे भावनात्मक, सामाजिक और दार्शनिक संकेतों का प्रतीक है। निम्नलिखित हैं बादल के अर्थ और संकेत:

नवजीवन और बदलाव का प्रतीक:कवि बादल से गरजने के लिए कहता है, जो नवजीवन और नई शक्ति के प्रतीक के रूप में सामने आता है। बादल का गरजना शक्ति, क्रांति, और उत्साह का संकेत है, जो जीवन में नवीनता और परिवर्तन की आवश्यकता को दर्शाता है।

संघर्ष और विद्रोह का प्रतीक:बादल का गरजना केवल प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि यह विद्रोह और संघर्ष का प्रतीक है। कवि चाहता है कि बादल न केवल वर्षा करें, बल्कि उसकी गरज से समाज में दबाव, उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ एक प्रतिक्रिया हो। यह समाज में शोषित वर्ग के प्रतिकार की भावना को जगाता है।

दुःख और पीड़ा का प्रतीक:बादल का आना और उसकी वर्षा के साथ आक्रामक गरज एक प्रकार से दुःख और पीड़ा को बाहर निकालने का प्रतीक हो सकता है। जैसे बादल अपने अंदर जमा पानी को गिराकर शांत हो जाते हैं, वैसे ही कवि चाहता है कि जीवन में जमा हुआ दुःख और तनाव एक प्रकार से मुक्त हो।

प्राकृतिक शक्ति और रचनात्मकता:बादल के माध्यम से कवि प्राकृतिक शक्ति का चित्रण करता है, जो जीवन को ऊर्जा और रचनात्मकता प्रदान करता है। यह संकेत करता है कि प्राकृतिक घटनाएँ जीवन में नए अवसर और नई दिशाएँ लाने की क्षमता रखती हैं।

आत्मिक अशांति और मानसिक स्थिति:बादल की गरज और बादल का भारी होना कवि की आत्मिक अशांति और मन की बेचैनी का प्रतीक भी हो सकता है। वह अपने भीतर की उथल-पुथल और मानसिक संघर्ष को बाहर निकालने के लिए बादल से गरजने की प्रार्थना करता है।

निष्कर्षतः, कविता में बादल प्रकृति, संघर्ष, बदलाव, मानसिक अशांति, और नए जीवन की आवश्यकता का प्रतीक बनकर उभरता है। यह केवल एक प्राकृतिक तत्व नहीं, बल्कि कवि की गहरी भावनाओं और जीवन के दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है।


4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, साँटकर लिखे।

उत्तर: कविता "उत्साह" में नाद-सौंदर्य (ध्वन्यात्मक प्रभाव) उत्पन्न करने वाले शब्दों का प्रयोग कवि ने भावनाओं और दृश्य की गहराई को और प्रभावी बनाने के लिए किया है। ऐसे कुछ शब्द जो नाद-सौंदर्य को व्यक्त करते हैं, वे हैं:"गरजो"यह शब्द शोर और गूंज का संकेत देता है, जो बादल के गरजने के प्रभाव को व्यक्त करता है। इसमें एक तीव्रता और ऊर्जा का अहसास होता है, जो उत्साह और क्रांति के भाव को दर्शाता है।

"धाराधर"यह शब्द बादल के भारीपन और उसका प्रभावी अस्तित्व दर्शाता है, जिससे नाद-सौंदर्य उत्पन्न होता है। "धाराधर" शब्द की ध्वनि में शक्ति और वजन का अहसास होता है।

"ललित ललित"इस शब्द में ललित की पुनरावृत्ति के कारण ध्वन्यात्मक रूप से एक सुंदरता और कोमलता का आभास होता है, जो कवि के भावों को संवेदनशीलता से प्रस्तुत करता है।

"वज"यह शब्द शब्दात्मक रूप से ध्वन्यात्मक सौंदर्य उत्पन्न करता है, क्योंकि यह ध्वनि और गूंज को व्यक्त करता है, जो उस समय का दृश्य और प्रभाव को दर्शाता है।

"विकल विकले यहाँ "विकल विकले" की ध्वनि में एक विकृति और बेचैनी का अहसास होता है, जो कवि के भीतर की मानसिक स्थिति और भावनाओं को व्यक्त करता है। यह शब्द दर्शाता है कि कवि का मन अशांत है और उसे बाहर से भी विकृति का सामना करना पड़ रहा है।

इन शब्दों के माध्यम से कवि ने नाद-सौंदर्य उत्पन्न किया है, जो कविता में विशेष रूप से दृश्य और भावनाओं के प्रभाव को बढ़ाता है।


रचना और अभिव्यक्ति


5 जैसे बादल उमड़-घुमड़‌कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी घावों के बादल उमद-घुमड़‌कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।

उत्तर: प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति उमड़ते भावों का कविता में रूपांतरण:

चाँदनी रात में चाँद की नर्म किरणें,

दूर गगन में बिखरे नीले आकाश के सितारे,

मन के सागर में उठते भावों की लहरें,

जैसे रात की सिहरन में सर्द हवाओं का रुख।

धीरे-धीरे सरसराती ठंडी हवाएँ,

पत्तों से टकराकर गुनगुनाती हैं बयारें,

हर कतरे में मिलते हैं यादों के रंग,

जैसे हर पेड़ के तनों में सोई हो कोई किवदंती पुरानी।

कभी वह हलकी सी मुस्कान 

जो बस एक लम्हे के लिए हो जाती है स्थिर,

अब जैसे हवा में बसी हो हर घूंट से,

कभी वह ग़म, जो चुपके से लौट आता है रात के सन्नाटे में।

इन हवाओं में भी,

मुझसे बेजुबां कोई गीत गूंजता है,

मौन रात के इस गहरे अंधकार में,

हर रौशनी की खोज—

हर अनकहे दर्द की आवाज़ है यहाँ,

जो शब्दों से साकार होती जाती है।

निष्कर्ष:प्राकृतिक सौंदर्य, जैसे चाँदनी रात, हवाएँ, और सितारे, कवि के अंदर छिपे भावों को अभिव्यक्त करने का एक जरिया बन जाते हैं। इन प्राकृतिक तत्वों से उत्पन्न होने वाले भावों का रूपांतरण कविता में होता है, जिसमें कवि अपने अंतर्मन की हलचल और गहरे संवेदनाओं को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करता है।


पाठेतर सक्रियता


1. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पड़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।

उत्तर: छायावाद की विशेषता है अंतर्मन के गहरे भावों का प्रकृति के रूप में बाहर की दुनिया से सामंजस्य स्थापित करना। इस विचार को पुष्ट करने के लिए हम कवि सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" की कविता "वह तूफान में उड़ते पतंगे" की पंक्तियाँ ले सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:


"चाह नहीं, अब कोई चाह नहीं।

बस यही रह जाए, बस यही बहे,

आगे-आगे बहते जाएं।"

यह पंक्तियाँ अंतर्मन के भावनात्मक संघर्ष और शांति की भावना को प्रकृति से जोड़ती हैं। कवि का मन आंतरिक शांति की तलाश में है और इस शांतिपूर्ण संसार को बाहरी दुनिया से जोड़कर अपना स्थान पाना चाहता है।

इसके अलावा, "काली घटाएँ" और "निराला" की अन्य कविताओं में भी हम देखते हैं कि कवि अपनी आंतरिक दुनिया और बाहरी प्राकृतिक घटनाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करता है, जिससे छायावाद की यह विशेषता और भी स्पष्ट होती है।


2. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?

उत्तर: कवि की आँख फागुन की सुंदरता से नहीं हट रही है क्योंकि फागुन का मौसम कवि के लिए एक अत्यंत आकर्षक और सजीव अनुभव है। यह समय प्रेम, रंगों, और उमंगों का प्रतीक है, जिसमें वातावरण रंग-बिरंगे फूलों, खुशबू और हल्की ठंडी हवाओं से सराबोर होता है। फागुन की प्रकृति अपने समग्र रूप में कवि के दिल और मस्तिष्क को मोहित करती है, और उसकी आँखों से इसकी सुंदरता हटने का नाम नहीं लेती।

कवि के लिए फागुन केवल एक मौसम नहीं, बल्कि एक भावनात्मक स्थिति भी है, जो उसकी आत्मा और मन में गहरे प्रभाव छोड़ता है। यह समय हर तरफ खुशहाली और नयापन लेकर आता है, जिससे कवि का मन प्रसन्न और संवेदनशील हो उठता है। इसीलिए उसकी आँखें इस मौसम की सुंदरता से हट नहीं पा रही हैं, क्योंकि वह इसे पूरी तरह से महसूस कर रहा है और इस सुखद अनुभव में खो गया है।

कवि की आँखों का फागुन की सुंदरता से न हटना यह दर्शाता है कि वह प्रकृति की इस समय की अद्भुत छवि में पूरी तरह समाहित है और यह चित्रण उसकी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है।

3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?

उत्तर: कवि की आँख फागुन की सुंदरता से नहीं हट रही है क्योंकि फागुन का मौसम कवि के लिए एक अत्यंत आकर्षक और सजीव अनुभव है। यह समय प्रेम, रंगों, और उमंगों का प्रतीक है, जिसमें वातावरण रंग-बिरंगे फूलों, खुशबू और हल्की ठंडी हवाओं से सराबोर होता है। फागुन की प्रकृति अपने समग्र रूप में कवि के दिल और मस्तिष्क को मोहित करती है, और उसकी आँखों से इसकी सुंदरता हटने का नाम नहीं लेती।

कवि के लिए फागुन केवल एक मौसम नहीं, बल्कि एक भावनात्मक स्थिति भी है, जो उसकी आत्मा और मन में गहरे प्रभाव छोड़ता है। यह समय हर तरफ खुशहाली और नयापन लेकर आता है, जिससे कवि का मन प्रसन्न और संवेदनशील हो उठता है। इसीलिए उसकी आँखें इस मौसम की सुंदरता से हट नहीं पा रही हैं, क्योंकि वह इसे पूरी तरह से महसूस कर रहा है और इस सुखद अनुभव में खो गया है।

कवि की आँखों का फागुन की सुंदरता से न हटना यह दर्शाता है कि वह प्रकृति की इस समय की अद्भुत छवि में पूरी तरह समाहित है और यह चित्रण उसकी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है।

4 फागुन में ऐसा क्या होता है जी चाको ऋतुओं से भिन्न होता है?

उत्तर: फागुन (हिंदी पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह) में जो विशेषताएँ होती हैं, वह उसे अन्य ऋतुओं से अलग करती हैं। फागुन का मौसम वसंत ऋतु का हिस्सा होता है, लेकिन इसमें कुछ ऐसे विशेषताएँ होती हैं जो इसे अन्य ऋतुओं से भिन्न बनाती हैं।

प्रेम और उल्लास का मौसम: फागुन में प्रेम और उल्लास की भावना अधिक प्रबल होती है। यह मौसम प्रेमी जोड़ों, रंगों, उमंग और नृत्य का मौसम होता है, और खासकर होली का त्यौहार इस माह में मनाया जाता है, जो प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है।

रंगों का पर्व: फागुन में प्रकृति अपने सबसे सुंदर रूप में होती है। पेड़-पौधे नए फूलों से ढक जाते हैं, और हर ओर रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। यह रंगों का मौसम होता है, जो न केवल प्राकृतिक सौंदर्य को प्रकट करता है, बल्कि लोगों में भी खुशी और आनंद का संचार करता है।

ठंडी हवा और सुहावना मौसम: फागुन का मौसम ठंडी और हल्की ठंडी हवा के साथ होता है, जो वातावरण को बहुत सुखद बनाती है। यह मौसम न तो बहुत गर्म होता है, न ही सर्द, बल्कि एक आदर्श संतुलन बनाए रखता है।

मनोभावनाओं का उत्कर्ष: फागुन में लोग अपनी भावनाओं और संवेदनाओं को बहुत गहरे तरीके से महसूस करते हैं। यह समय न केवल प्रकृति की सुंदरता से, बल्कि मानव हृदय की गहरी भावनाओं से भी जुड़ा होता है। कवि, लेखक और कलाकार इस मौसम की अद्भुत सुंदरता को अपनी रचनाओं में ढालते हैं।

इन कारणों से फागुन ऋतुओं से भिन्न होता है और इसे एक विशेष स्थान मिलता है, क्योंकि यह प्रकृति, प्रेम, उमंग, और रंगों का प्रतीक होता है।

5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।

रचना और अभिव्यक्ति

उत्तर: निराला की कविताओं के आधार पर उनके काव्य-शिल्प की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ उभरकर सामने आती हैं:

1. भावों की गहराई और आत्म-अनुभूति:

निराला की रचनाएँ उनके अंतरमन की भावनाओं की सजीव अभिव्यक्ति हैं। वे अपने अनुभवों, संवेदनाओं और आत्मिक पीड़ा को बहुत गहराई से व्यक्त करते हैं।

उदाहरण: फागुन की सुंदरता से आँखों का न हटना उनकी संवेदनशीलता और प्रकृति से जुड़ाव को दर्शाता है।

2. प्रकृति चित्रण की कुशलता:निराला की कविताओं में प्रकृति का बहुत सुंदर, जीवंत और प्रतीकात्मक चित्रण मिलता है। वे वसंत, फागुन, फूल, पवन आदि के माध्यम से न केवल सौंदर्य रचते हैं, बल्कि भावनाओं को भी उजागर करते हैं।

3. छायावादी प्रभाव:उनके काव्य में छायावाद की स्पष्ट छाप मिलती है—जैसे कि आत्मा की पुकार, रहस्यात्मकता, कल्पना, सौंदर्य और प्रेम। वे बाहरी दुनिया के माध्यम से अंतरात्मा के भावों को प्रकट करते हैं।

4. भाषा की संप्रेषणीयता और सौंदर्य:निराला की भाषा सरल, प्रवाहमयी और काव्यात्मक होती है। उसमें संगीतात्मकता, लय और छंद का संतुलन होता है, जो पाठक को गहराई से प्रभावित करता है।

5. नवीनता और विद्रोही तेवर:निराला रूढ़ियों से हटकर नवाचार के पक्षधर थे। उन्होंने परंपरागत काव्य शिल्प को तोड़ा और छंदमुक्त कविता को अपनाया, जिससे उनकी रचनाओं में एक ताजगी और नवीनता आई।

6. मानवीय करुणा और सामाजिक चेतना:उनकी कई रचनाओं में मानवीय पीड़ा, गरीबी, स्त्री-शक्ति और सामाजिक विषमता जैसे विषयों का गहरा चित्रण मिलता है, जो उन्हें एक संवेदनशील और जागरूक कवि बनाता है।

निष्कर्षतः, निराला का काव्य-शिल्प भावनाओं की गहराई, प्रकृति के सौंदर्य, छायावादी कल्पना, भाषा की मधुरता, और सामाजिक सरोकारों का सुंदर संगम है। उनकी रचनाएँ कला और संवेदना का सशक्त उदाहरण हैं।

6. होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।

उत्तर: होली के आसपास प्रकृति में अनेक सुंदर और मनोहारी परिवर्तन दिखाई देते हैं, जो वातावरण को उल्लास और उत्सवमय बना देते हैं। ये परिवर्तन इस प्रकार हैं:

1. फूलों का खिलना:वसंत ऋतु के आगमन के साथ पेड़-पौधों पर नई कोपलें फूटती हैं और रंग-बिरंगे फूल जैसे पलाश, टेसू, अमलतास आदि खिल उठते हैं। पूरा वातावरण रंगों से भर जाता है।

2. मौसम का सुहावना होना:सर्दी धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है और हल्की गर्मी के साथ मधुर हवाएँ चलने लगती हैं। मौसम न तो अधिक ठंडा होता है, न बहुत गर्म—बल्कि बहुत ही मनभावन होता है।

3. खेतों में हरियाली और फसलें तैयार:रबी की फसलें जैसे गेहूं, जौ आदि पककर तैयार हो जाती हैं। खेतों में सुनहरी बालियाँ लहलहाती हैं, जिससे किसान भी आनंदित होते हैं।

4. पक्षियों की चहचहाहट:पक्षी मधुर स्वर में चहचहाने लगते हैं, जिससे सुबह-सुबह प्रकृति और अधिक सुंदर और जीवंत लगती है।

5. आम्र वृक्षों पर बौर आना:आम के पेड़ों पर बौर (मंजरियाँ) आ जाती हैं, जो बसंती हवा में हिलती हुई एक मधुर सुगंध फैलाती हैं।

6. रंगों का वातावरण:होली के पर्व के कारण लोग रंग, गुलाल और फूलों से खेलते हैं, जिससे वातावरण में उल्लास, रंग और सौहार्द का वातावरण बनता है।

निष्कर्ष:होली के समय प्रकृति भी जैसे एक नई ज़िंदगी से भर जाती है—चारों ओर रंग, खुशबू, हरियाली और उल्लास का वातावरण होता है, जो इसे अन्य ऋतुओं से अलग और विशेष बनाता है।