Chapter 3

देव 

 1. कवि ने 'ओक्रबदूलह' किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?

उत्तर:कवि ने 'ब्रजदूलह' शब्द का प्रयोग श्रीकृष्ण के लिए किया है। ‘दूलह’ का अर्थ है दूल्हा या प्रियतम, और 'ब्रजदूलह' का अर्थ हुआ ब्रज (वृंदावन) की शोभा श्रीकृष्ण, जो वहां के प्रियतम हैं।

कवि ने उन्हें 'जग-मंदिर-दीपक सुंदर' अर्थात संसार रूपी मंदिर का दीपक कहा है क्योंकि जैसे दीपक मंदिर को प्रकाश से भर देता है, उसी प्रकार श्रीकृष्ण अपने सौंदर्य, प्रेम और दिव्यता से सम्पूर्ण संसार को आलोकित करते हैं। वे जीवन में आनंद, भक्ति और उजास का स्रोत हैं। उनके रूप और गुणों से यह जगत प्रकाशित होता है।

इस प्रकार, श्रीकृष्ण को ‘जग-मंदिर-दीपक’ कहना उनकी दिव्यता और लोककल्याणकारी स्वरूप को दर्शाता है।

क्या आप इसका सरल भाषा में संक्षिप्त उत्तर भी चाहते हैं?


2. पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनमें अनुक्रस और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है?

उत्तर:


3. निम्नलिखित पंक्तियों का काल्य सौदर्य स्पष्ट कीजिएपाँपनि नूपुर मंजू बजे, कटि किंकिनि के धुनि की मधुराई। साँवरे अंग लरी पट पीत, हिये हुलरी बनमाल सुहाई।

उत्तर:त्पहले सवैये की वे पंक्तियाँ जिनमें अनुप्रास (अनुक्रस) और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है, निम्नलिखित हैं:

"पाँयनि नूपुर मंजु बजें, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।"

अनुप्रास अलंकार: यहाँ ‘क’ और ‘न’ ध्वनि की आवृत्ति से अनुप्रास अलंकार है।

रूपक अलंकार: ध्वनि को ‘मधुराई’ (मिठास) कहा गया है, जिससे ध्वनि को स्वाद से जोड़ा गया है — यह रूपक अलंकार है।

"जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह 'देव' सहाई।।"

रूपक अलंकार: श्रीकृष्ण को सीधे ‘जग-मंदिर-दीपक’ कहा गया है, जिससे दीपक और श्रीकृष्ण में कोई भिन्नता नहीं रखी गई — यह रूपक अलंकार है।


4. दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज वसंत के बाल रूप का वर्णन परंपरागत बसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है।

उत्तर:दूसरे कवित्त में कवि देव ने ऋतुराज वसंत का वर्णन बाल रूप (बच्चे के रूप) में किया है, जो परंपरागत वसंत वर्णन से अलग और विशेष है।

भिन्नता इस प्रकार स्पष्ट होती है:परंपरागत बसंत वर्णन में वसंत को सामान्यतः एक युवराज, प्रिय ऋतु, या प्रेम के उद्दीपक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो फूलों की बहार, सुगंधित हवाओं, कोयल की कूक, प्रेम की उमंग आदि से जुड़ा होता है।

जबकि इस कवित्त में कवि ने वसंत को मदन महीप (कामदेव) का बालक कहा है — यानी वह नन्हा बालक है, जिसे सुबह गुलाब की पंखुड़ियाँ चटकार कर जगाती हैं।

यहाँ वसंत का वातावरण पालने, नवपल्लव, फूलों की झिंगुली, और कोयल की मीठी बोली से सजा हुआ है — मानो शिशु वसंत को लोरी दी जा रही हो और फूल-वनस्पतियाँ उसकी देखभाल कर रही हों।

यह वर्णन कोमलता, बाल्य सौंदर्य और वात्सल्य से भरपूर है, जबकि परंपरागत वसंत वर्णन में उत्सव, उल्लास और श्रृंगार की प्रधानता होती है।

निष्कर्ष:कवि देव ने वसंत को बालक रूप में प्रस्तुत कर उसे कोमलता और नव्यता का प्रतीक बना दिया है, जिससे यह चित्रण परंपरागत वसंत वर्णन से अलग, मौलिक और कल्पनाशील बन गया है।

क्या आप चाहें कि मैं इसे और अधिक संक्षेप में परीक्षा हेतु लिख दूँ?


5. प्रातहि जाणवत गुलाब चटकारी है' इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

6. चौदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?

उत्तर:"प्रातहि जाणवत गुलाब चटकारी है" पंक्ति का भाव यह है कि सुबह होते ही गुलाब की पंखुड़ियाँ धीरे-धीरे खुलने लगती हैं, मानो वह वसंत रूपी बालक को चटकार कर (हल्के स्पर्श से) जगाने का कार्य कर रही हों।

इसमें कवि ने कल्पना की है कि वसंत ऋतु एक नन्हा बालक है और गुलाब का फूल मानो उसकी माँ की तरह उसे सुबह प्यार से जगाता है। ‘चटकारी’ शब्द से एक कोमल, स्नेहपूर्ण स्पर्श का संकेत मिलता है।

भावार्थ:गुलाब की खिलती पंखुड़ियाँ प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक बनकर, वसंत के आगमन और उसकी कोमलता व नव्यता को प्रकट कर रही हैं। यह एक वात्सल्यपूर्ण और कल्पनाशील चित्रण है।

अगर आप चाहें तो मैं इसे दो-तीन पंक्तियों में संक्षेप करके भी दे सकता हूँ।


7. 'प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद' इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन-सा अलंकार है?

उत्तर:"प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद" — इस पंक्ति में कवि ने कहा है कि राधिका का प्रतिबिंब (प्रतिछवि) ऐसा सुंदर है कि वह चंद्रमा के समान प्रतीत होता है।

यहाँ राधिका के सौंदर्य की इतनी प्रशंसा की गई है कि उसका प्रतिबिंब भी चंद्रमा जैसा सुंदर और उज्ज्वललगता है। यह राधिका की अप्रतिम सुंदरता और कोमल आभा को दर्शाता है।

अलंकार:इस पंक्ति में उपमा अलंकार है, क्योंकि यहाँ राधिका के प्रतिबिंब की तुलना चंद्रमा (चंद) से की गई है।

उपमेय: राधिका का प्रतिबिंब

उपमान: चंद्रमावाचक शब्द: "सो" (अर्थात "की तरह")

भावार्थ:राधिका इतनी सुंदर हैं कि उनके प्रतिबिंब की चमक और कोमलता भी चंद्रमा जैसी लगती है — यह उनकी दिव्य और अनुपम सुंदरता का संकेत है।

क्या आप चाहें कि मैं अलंकार की परिभाषा भी जोड़ दूँ?


8. तीसरे कवित्त के आधार पर बताइए कि कवि ने चाँदनी रात को उन्बलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?

उत्तर:

9. पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएँ बताइए?

उत्तर: