Chapter 17 

फाँद ली दीवार 


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1. अफ़साना के जीवन में किस तरह की 'दीवारें' थीं?

उत्तर: अफ़साना के जीवन में कई दीवारें थीं –

  • गरीबी की दीवार: वह अपने परिवार को चलाने के लिए बर्तन माँजती थी।

  • लिंग भेद की दीवार: उसकी माँ ने उसे खेलने से रोका क्योंकि वह लड़की है।

  • सामाजिक भेदभाव की दीवार: वह झुग्गी में रहती थी और समाज ने उसके और खेल के बीच एक अदृश्य दीवार खड़ी की थी।

2. अफ़साना ने इन दीवारों को कैसे पार किया?

उत्तर: अफ़साना ने मेहनत, साहस और लगन से इन दीवारों को फाँद लिया। उसने खेलना नहीं छोड़ा और बास्केटबॉल की प्रैक्टिस जारी रखी। धीरे-धीरे वह टीम की एक मजबूत खिलाड़ी बन गई और दूसरों के लिए प्रेरणा भी।

3. नागपाड़ा बास्केटबॉल एसोसिएशन की लड़कियों की टीम ने क्या उपलब्धि हासिल की?

उत्तर: इस टीम ने अपनी मेहनत और थोड़ी-सी मदद के सहारे जिला स्तर टूर्नामेंट के सेमीफाइनल तक पहुँचकर कई बड़ी टीमों को हैरान कर दिया।

4. अफ़साना जैसी लड़कियों की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर: हमें यह सीख मिलती है कि अगर हिम्मत और लगन हो तो कोई भी दीवार बड़ी नहीं होती। कठिन हालात के बावजूद सपनों को पूरा किया जा सकता है।

5. अफ़साना ने किन लड़कियों को प्रेरित किया?

उत्तर: अफ़साना ने अपने जैसी पाँच और लड़कियों को प्रेरित किया, जो अब उसके साथ बास्केटबॉल कोर्ट में नियमित रूप से अभ्यास करती हैं।

6. यदि तुम अफ़साना से मिलो तो क्या सवाल पूछना चाहोगे? (छात्र स्वतंत्र रूप से उत्तर दें)

उत्तर:

  • आपने पहली बार कब बास्केटबॉल खेलना शुरू किया?

  • आपने कठिनाइयों का सामना कैसे किया?

  • आगे क्या सपना है? 

7. क्या तुम्हारे घर के आस-पास भी कोई खेलने की जगह है?

उत्तर: हाँ, मेरे घर के पास एक छोटा मैदान (या पार्क) है जहाँ बच्चे खेलते हैं। (यदि नहीं है, तो उत्तर होगा: नहीं, मेरे घर के आस-पास कोई खेलने की जगह नहीं है।)

8. वहाँ कौन-कौन-से खेल खेले जाते हैं? कौन-कौन खेलता है?

उत्तर: वहाँ बच्चे क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन और कबड्डी जैसे खेल खेलते हैं। वहाँ छोटे बच्चे, किशोर और कभी-कभी बड़े भी खेलते हैं।

9. क्या वहाँ तुम्हारी उम्र के बच्चों को भी खेलने का मौका मिलता है?

उत्तर: हाँ, मेरी उम्र के बच्चों को खेलने का पूरा मौका मिलता है। हम सब मिलकर टीम बनाकर खेलते हैं।

10. वहाँ खेल के अलावा और क्या-क्या होता है?

उत्तर: वहाँ कभी-कभी योग क्लास, साँस्कृतिक कार्यक्रम या बैठकी भी होती है। कुछ लोग वहाँ मॉर्निंग वॉक के लिए भी आते हैं।

11. क्या लड़के और लड़कियाँ एक ही तरह के खेल खेलते हैं?

उत्तर: कभी-कभी हाँ, लेकिन ज़्यादातर लड़के क्रिकेट या फुटबॉल खेलते हैं और लड़कियाँ बैडमिंटन या रस्सी कूदना पसंद करती हैं।

12. क्या सभी को खेलने का बराबर मौका मिलना चाहिए?

उत्तर: हाँ, सभी बच्चों को खेलने का समान मौका मिलना चाहिए, चाहे वे लड़के हों या लड़कियाँ। खेल सबका अधिकार है और इससे आत्मविश्वास भी बढ़ता है। 

13. क्या तुम्हारे घर में किसी ने तुम्हें कुछ खेल खेलने से रोका है? कौन-कौन-से खेल?

उत्तर: हाँ, कभी-कभी मेरे घर में मुझे बाहर जाकर क्रिकेट या गली में फुटबॉल खेलने से रोका गया है।

14. किसने रोका? क्यों? फिर तुमने क्या किया?

उत्तर: मेरे माता-पिता ने मुझे कभी-कभी खेलने से इसलिए रोका क्योंकि उन्हें डर था कि पढ़ाई में पीछे न रह जाऊँ या चोट न लग जाए।
मैंने उन्हें समझाया कि खेलने से शरीर तंदुरुस्त रहता है और खेलने का भी समय तय किया। धीरे-धीरे वे मान गए। 

15. स्कूल या इलाके की तरफ़ से तुमने किसी खेल या प्रतियोगिता में कभी हिस्सा लिया है? तब तुम्हें कैसा लगा?

उत्तर: हाँ, मैंने स्कूल की तरफ़ से कबड्डी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि वहाँ मैंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर खेला और टीम वर्क सीखा।

16. क्या तुम खेलने के लिए दूसरी जगह गए थे? कैसी थी वह जगह? तुम्हें दूसरी जगह जाना कैसा लगा?

उत्तर: हाँ, एक बार हम जिला स्तर की प्रतियोगिता के लिए दूसरे स्कूल में गए थे। वह जगह बहुत साफ़-सुथरी और बड़ी थी। वहाँ जाकर खेलने का अनुभव बहुत अच्छा और नया था। मुझे दूसरी जगह जाना रोमांचक लगा।

17. क्या तुमने भारत और दूसरे देशों के बीच कोई मैच देखे हैं? कौन-से?

उत्तर: हाँ, मैंने टीवी पर भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच देखा है। इसके अलावा भारत और इंग्लैंड के बीच हॉकी मैच भी देखा है। ऐसे मैच देखना बहुत रोमांचक और गर्व की बात लगती है। 

18. हम भारत के क्रिकेट खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं, उन्हें चाहते हैं। ऐसा क्यों होता है? क्या किसी और खेल के भारतीय खिलाड़ियों को भी ऐसे ही सब जानते और चाहते हैं? तुम्हें इसके बारे में क्या लगता है? जैसे भारत के फुटबॉल या कबड्डी टीम के खिलाड़ियों को तुम पहचानते हो?

उत्तर: भारत में क्रिकेट सबसे ज़्यादा देखा और पसंद किया जाने वाला खेल है। इसे टीवी, मोबाइल और अखबारों में खूब दिखाया जाता है, इसलिए लोग क्रिकेट खिलाड़ियों को अच्छे से पहचानते हैं और चाहते हैं।
लेकिन फुटबॉल, हॉकी, कबड्डी जैसे खेलों के खिलाड़ी भी बहुत मेहनत करते हैं, पर उन्हें उतनी पहचान नहीं मिलती।
मुझे लगता है कि हर खेल के खिलाड़ियों को एक जैसा सम्मान और पहचान मिलनी चाहिए
कबड्डी टीम के कुछ खिलाड़ी जैसे – अजय ठाकुर या पूजा गहलोत को मैं जानता हूँ, लेकिन ज़्यादातर लोग उन्हें नहीं पहचानते।

19. क्या कुछ और भी परेशानियाँ आईं?

उत्तर: हाँ, लड़कियों को खेलने के लिए बहुत परेशानियाँ झेलनी पड़ीं।

  • परिवार वालों को मनाना पड़ा,

  • खेल के बाद घर जल्दी पहुँचना पड़ता है,

  • घर के काम भी करने पड़ते हैं,

  • भाई को कुछ करना नहीं पड़ता, लेकिन बहनों से सब करवाया जाता है।
    इसके अलावा, समाज का नजरिया भी लड़कियों के खेल के प्रति ठीक नहीं है।

20. तुम्हें क्या लगता है, खेलना लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए ज़रूरी है?

उत्तर: हाँ, खेलना सभी बच्चों के लिए ज़रूरी है – चाहे लड़का हो या लड़की।
खेलने से शरीर मजबूत होता है, दिमाग़ तेज़ होता है और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
अगर लड़कियाँ अच्छा खेलेंगी तो दूसरे भी प्रेरित होंगे। 

21. लड़कियों को पढ़ाई, खेल या उनकी पसंद के कामों से रोका जाए तो क्या होगा?

उत्तर: अगर लड़कियों को पढ़ाई या खेल से रोका जाएगा, तो उनका आत्मविश्वास घटेगा और उनकी प्रतिभा दब जाएगी।
समाज को बहुत-सी योग्य और सक्षम महिलाएँ नहीं मिल पाएँगी।
लड़कियाँ भी देश और समाज के विकास में बराबरी से योगदान दे सकती हैं।

22. अगर तुम्हें किसी खेल या ड्रामे में शामिल होने से रोका जाए तो तुम्हें कैसा लगेगा?

उत्तर: मुझे बहुत दुख होगा। मुझे ऐसा लगेगा कि मेरी मेहनत और इच्छा को कोई अहमियत नहीं दी जा रही है।
मैं अपने मन की बात खुलकर कहना चाहूँगा/चाहूँगी और कोशिश करूँगा/करूँगी कि मुझे मौका मिले।

23. खेल के क्षेत्र में तुमने किन-किन महिला खिलाड़ियों के बारे में सुना है? कौन-कौन और किस खेल में हैं?

उत्तर:

  • मिताली राज – क्रिकेट

  • साइना नेहवाल – बैडमिंटन

  • पी.वी. सिंधु – बैडमिंटन

  • मेरी कॉम – बॉक्सिंग

  • साक्षी मलिक – कुश्ती

  • गीता फोगाट – कुश्ती

  • मीराबाई चानू – भारोत्तोलन (Weightlifting)

24. खेल के अलावा और किस क्षेत्र में पहचान बनाने वाली महिलाओं के बारे में सुना है?

उत्तर:

  • कल्पना चावला – अंतरिक्ष यात्री

  • सुष्मिता सेन – मिस यूनिवर्स

  • लता मंगेशकर – गायिका

  • इंदिरा गांधी – प्रधानमंत्री

  • करुणा नंदी – वकील और सामाजिक कार्यकर्ता

  • किरण बेदी – पुलिस अधिकारी

25. तुम्हें क्या लगता है कि पहचान बनाने वाली महिलाओं के नाम पुरुषों या लड़कों की अपेक्षा कम जाने जाते हैं? ऐसा क्यों?

उत्तर: हाँ, महिलाओं के नाम कम जाने जाते हैं क्योंकि समाज में लम्बे समय तक लड़कियों को आगे आने का मौका नहीं मिला।
अब धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है, लेकिन अभी भी पुरुषों को ज़्यादा प्रचार और पहचान मिलती है।
हमें लड़कियों को भी बराबर की सराहना और पहचान देनी चाहिए।

26. अगर सभी लड़कियों को खेल या ड्रामे का मौका न दिया जाए तो ऐसी दुनिया तुम्हें कैसी लगेगी? ऐसा ही सभी लड़कों के साथ हो तो तुम्हें कैसा लगेगा?

उत्तर: ऐसी दुनिया बहुत अन्यायपूर्ण और बेरंग लगेगी।
हर किसी को अपनी रुचि के अनुसार कुछ करने की आज़ादी मिलनी चाहिए – चाहे लड़का हो या लड़की।
अगर लड़कों को भी रोका जाए, तो उन्हें भी दुख होगा और उनका विकास रुक जाएगा।
समानता और स्वतंत्रता सभी के लिए ज़रूरी है।

27. क्या तुम किसी लड़की या महिला को जानते हो, जिसके जैसा तुम बनना चाहते हो?

उत्तर: हाँ, मैं पी.वी. सिंधु जैसी बनना चाहती हूँ क्योंकि उन्होंने मेहनत और लगन से देश का नाम रोशन किया है।
या
हाँ, मैं अपनी माँ जैसी बनना चाहता हूँ क्योंकि वह बहुत मेहनती हैं और सभी का ख्याल रखती हैं। 

प्रश्न 28: जब लड़कियों को बताया गया कि उनके बारे में किताब में छपेगा, तो उनका क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर: लड़कियाँ बहुत खुश हुईं। आफरीन ने कहा कि यह जानकर अजीब सी खुशी हो रही है और इससे उन्हें और अच्छा खेलने की प्रेरणा मिलती है। सभी लड़कियों ने कहा कि उनकी भी यही इच्छा है कि वे अच्छा खेलें और अपने इलाके तथा देश का नाम रोशन करें।

प्रश्न 29: नूर खान कौन हैं और उन्होंने क्या बताया?

उत्तर: नूर खान इस टीम के कोच हैं। उन्होंने इस बास्केटबॉल टीम की शुरुआत की और लड़कियों को खेल सिखाया। उन्होंने बताया कि बच्चूखान प्ले ग्राउंड एक छोटा-सा मैदान है जहाँ उन्होंने पहले खुद भी खेला था और अब बच्चों को सिखाते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम में अब कई अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं और कुछ को अर्जुन पुरस्कार भी मिला है।

प्रश्न 30: बच्चूखान कौन थे और उनका क्या योगदान रहा?

उत्तर: बच्चूखान एक ऐसे व्यक्ति थे जिनसे बड़े डरते थे, लेकिन बच्चे उन्हें बहुत पसंद करते थे। उन्होंने मैदान में बच्चों को खेल सिखाया और उनके समर्पण के कारण आज उस क्षेत्र से कई खिलाड़ी निकले हैं जो विदेशों तक खेले हैं।

प्रश्न 31: नूर खान ने लड़कियों की टीम के बारे में क्या कहा?

उत्तर: नूर खान ने बताया कि पिछले कुछ सालों में उन्होंने यहाँ की लड़कियों की टीम भी तैयार की है। ये लड़कियाँ महाराष्ट्र राज्य के लिए भी खेलती हैं और बहुत मेहनत करती हैं। वे अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आती हैं, फिर भी मिलकर एक टीम बनाती हैं।

प्रश्न 32: इस अध्याय का नाम “फाँद ली दीवार” क्यों रखा गया है?

उत्तर: इस अध्याय का नाम "फाँद ली दीवार" इसलिए रखा गया है क्योंकि इसमें दिखाया गया है कि लड़कियों ने समाज, गरीबी, लिंग भेद जैसी कई दीवारों को पार किया और बास्केटबॉल जैसे खेल में अपनी जगह बनाई। वे सिर्फ़ मैदान की नहीं, रुढ़ियों और असमानता की दीवार भी फाँद चुकी हैं।

प्रश्न 33: अखबार की रिपोर्ट में लिखा था, "अफ़साना दीवार फाँद चुकी है। लिंग भेद की दीवार भी जो इसकी माँ ने खड़ी की है।" सोचकर अपने शब्दों में लिखो कि वह कौन-सी दीवार थी? लिंग भेद का क्या मतलब होगा?

उत्तर: अफ़साना के सामने जो दीवार थी वह समाज की सोच की दीवार थी। उसकी माँ को लगता था कि लड़कियाँ बास्केटबॉल नहीं खेलतीं, उन्हें सिर्फ पढ़ाई और घर के काम करने चाहिए।
लिंग भेद का मतलब है — लड़के और लड़कियों में भेदभाव करना। जैसे यह सोचना कि कुछ काम सिर्फ लड़के कर सकते हैं और लड़कियाँ नहीं।

प्रश्न 35: तुम क्या सोचते हो, लड़के-लड़कियों के खेलों में अंतर करना चाहिए कि नहीं? लिखो।

उत्तर: नहीं, खेलों में लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नहीं होना चाहिए। सबको बराबरी से खेलने का मौका मिलना चाहिए। अगर लड़कियाँ मेहनत करें तो वे भी उतना ही अच्छा खेल सकती हैं जितना लड़के।

प्रश्न 36: अगर तुम अपनी टीम के लीडर बनोगे तो अपनी टीम को तुम कैसे तैयार करोगे?

उत्तर: अगर मैं टीम का लीडर बनूँगा तो —

  • मैं सभी को साथ लेकर चलूँगा।

  • सबको एक-दूसरे का सम्मान करना सिखाऊँगा।

  • हर खिलाड़ी को मेहनत करने के लिए प्रेरित करूँगा।

  • समय पर अभ्यास कराऊँगा और एक टीम की तरह खेलने की आदत डालूँगा।

  • जो खिलाड़ी थोड़ा कमजोर होगा, उसकी मदद करूँगा।   

Priyanka Das