Chapter 3 पंद्रह अगस्त
प्रश्न 1. अ.
संकल्पना स्पष्ट कीजिए –
(a) नये स्वर्ग का प्रथम चरण
उत्तर : स्वतंत्रता प्राप्त करना हमारे लिए स्वर्ग पाने जैसा महान लक्ष्य था। लेकिन कवि का आशय यह है कि आज़ादी मिल जाना काम का अंत नहीं, बल्कि शुरुआत है। अब हमें देश को सचमुच स्वर्ग बनाना है। इस दृष्टि से स्वतंत्रता केवल “नए स्वर्ग” की ओर बढ़ने का पहला चरण है।
(b) विषम शृंखलाएँ
उत्तर : हमारे देश ने लंबे संघर्ष के बाद गुलामी की जंजीरें तोड़ी हैं। विदेशी शासन से मुक्ति पाई है और हमारी सीमाएँ आज़ाद हो चुकी हैं। ये विषम शृंखलाएँ वे कठिन और दमनकारी बंधन थीं जिन्हें हमने बड़े संघर्ष से तोड़ा।
(c) युग बंदिनी हवाएँ
उत्तर : कवि देशवासियों को सचेत करते हैं कि दुनिया में ऐसी हवाएँ चल रही हैं जो तूफान की तरह देशों को फिर गुलाम बना सकती हैं। अनेक राष्ट्रों की ओर से आक्रमण का संकट मंडरा सकता है। इसलिए इस खतरे को रोकना और देश की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। यही युग-बंदिनी हवाएँ का आशय है।
2. आशय लिखिए :
प्रश्न अ.
“ऊँची हुई मशाल हमारी ………………………………………………… हमारा घर है।”
उत्तर : स्वतंत्रता मिलने के साथ ही हमारी जिम्मेदारी और सतर्कता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। भले ही शत्रु देश से जा चुका है, परंतु वह अपनी हार से विचलित और बेचैन है तथा हमारे विरुद्ध कोई गुप्त योजना बना सकता है। इतने वर्षों की गुलामी ने हमारे समाज को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर कर दिया है। इसलिए हमें अपनी सतर्कता की मशाल और ऊँची उठाए रखनी चाहिए ताकि देश और अपने घर (राष्ट्र) की रक्षा कर सकें।
प्रश्न आ.
“युग बंदिनी हवाएँ ………………………………………………… टूट रहीं प्रतिमाएँ।”
उत्तर : हमारा देश स्वतंत्र तो हो गया है, लेकिन अनेक नई चुनौतियाँ सामने हैं। ब्रिटिश शासन भले ही समाप्त हो गया हो, परंतु उनकी हार से उपजे आक्रोश और कूटनीति की संभावनाएँ अब भी बनी हुई हैं। देश में जाति, धर्म, भाषा और प्रांत के नाम पर विभाजन फैलाने की चालें चल सकती हैं। पुरानी व्यवस्थाओं और विचारधाराओं की प्रतिमाएँ टूट रही हैं और एक नए युग की परिस्थितियाँ हमारे सामने चुनौती बनकर खड़ी हैं।
3. प्रश्न अ. ‘देश की रक्षा-मेरा कर्तव्य’, इसपर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : “जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं, वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं.” (गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’) देश की रक्षा किसी व्यक्ति का केवल कर्तव्य ही नहीं बल्कि उसका धर्म भी होता है। व्यक्ति द्वारा कोई भी ऐसा कार्य नहीं होना चाहिए जिससे देश धर्म में बाधा पहुँचे। हमारा देश सबसे सर्वोपरि (above all) है। कोई भी लाभ और हानि हमारे देश को सीमित नहीं कर सकती। देश के प्रति पूरी निष्ठा होनी चाहिए। देश केवल भूभाग नहीं है। देश का आर्थिक विकास व वृद्धि, साफ-सफाई, सुशासन, भेदभाव न करना, कानून का पालन करना आदि जिम्मेदारियाँ निभाना हमारा कर्तव्य है। एक जिम्मेदार नागरिक बनकर हमें ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे देश की आन, बान और शान में वृद्धि हो। हमारी राष्ट्रीय धरोहर (heritage) और सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान और रक्षा करना भी हमारा कर्तव्य है। देश के कानून का पालन और सम्मान करना चाहिए। हमें अपने करों का समय पर सही तरीके से भुगतान करना चाहिए। देश को प्रदूषण मुक्त करने में सहयोग देना, पर्यावरण संतुलन हेतु वृक्षारोपण (plantation) करना जैसे कार्यों में रुचि दिखाना भी देश की रक्षा करना ही है; इस तथ्य को स्वयं समझना और औरों को समझाना भी हमारा कर्तव्य है।
प्रश्न आ. ‘देश के विकास में युवकों का योगदान’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर : किसी भी देश की तीन प्रकार की संपत्ति से देश की उन्नति का आकलन लगाया जाता है। वह संपत्ति है – धन संपत्ति, युवा संपत्ति और संस्कृति संपत्ति। जिस देश के पास ये तीनों संपत्तियाँ विद्यमान हैं उस देश को तीनों लोकों का सुख प्राप्त है। युवा देश की ऐसी संपत्ति है, जो देश को उन्नति के उच्चतम शिखर तक पहुँचा सकती है। इतिहास और शास्त्र दोनों ही इस बात के गवाह हैं, चाहे वे सतयुग, त्रेता, द्वापर के युवा हो चाहे वर्तमान काल के युवा। जो भी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सकारात्मक परिवर्तन होता है उसमें युवाओं का हिस्सा अधिकाधिक होता है। युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है। वे देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। उनमें गहन (intensive) ऊर्जा और महत्त्वाकांक्षाएँ (ambitions) होती हैं। उनकी आँखों में इंद्रधनुषी स्वप्न होते हैं। उनके योगदान से देश उन्नति के पथ पर अग्रसर (proceed) होगा। क्योंकि युवा ही वर्तमान का निर्माता और भविष्य का नियामक (regulator) होता है। अत: समस्त भारतीय युवाओं को यह संकल्प लेना चाहिए कि राष्ट्र के सम्मुख जितनी भी चुनौतियाँ हैं हम उनका डटकर सामना करेंगे।
4. स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ समझते हुए प्रस्तुत गीत का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : पंद्रह अगस्त
(ii) रचनाकार : गिरीजाकुमार माथुर ‘पंद्रह अगस्त’ कविता कवि गिरिजाकुमार माथुर द्वारा लिखा एक गीत है।
(iii) केंद्रीय कल्पना : स्वतंत्रता के पश्चात देश में चारों ओर उल्लास छाया है और साथ ही इस स्वतंत्रता को बरकरार रखने हेतु सावधान एवं सतर्क रहना जरूरी है यह आह्वान भी है।
(iv) रस-अलंकार : कविता में वीर रस की निष्पत्ति के साथ साथ लयात्मकता का सुंदर प्रयोग हर अंतरे में स्पष्ट झलकता है। जैसे – छोर, हिलोर (wave), डोर (string), कोर (edge) जैसे शब्दों का प्रयोग हो या दिशाएँ, हवाएँ, सीमाएँ, प्रतिमाएँ या फिर डगर, डर, घर, अमर जैसे शब्दों के प्रयोग से गेयता (singable) साध्य हुई है। ‘पहरुए सावधान रहना’ मुखड़ा हर अंतरे के बाद आया है।
(v) प्रतीक विधान : देशवासियों को देश के पहरेदार बनकर सावधान रहने की बात कवि कह रहे हैं।
(vi) कल्पना : कवि ने स्वतंत्रता को स्वर्ग का प्रथम चरण माना है और अनेकों लक्ष्य पाने की कल्पना की है।
(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : ‘किंतु आ रही नई जिंदगी
यह विश्वास अमर है,
जनगंगा में ज्वार
लहर तुम प्रवाहमान रहना’
इन पंक्तियों में स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ समझाने का प्रयास कवि ने किया है। देश में चारों ओर उल्लास है, जनगंगा में ज्वार है। परंतु जब शोषित पीड़ित और मृतप्राय समाज का पुनरुत्थान होगा तभी सही मायने में देश आजाद होगा। किंतु हमारा यह विश्वास कि हमारे जीवन में एक नई शुरुआत हो गई है हमारा मनोबल बढ़ाता है और इस बल को कभी टूटने नहीं देना है। जनशक्ति की लहर बनकर प्रगति की ओर आगे बढ़ना है।
(viii) कविता पसंद आने के कारण : कविता के ये भाव मन में उल्लास भर देते हैं और कविता की गेयता कविता गुनगुनाने पर बाध्य करती हुई आनंद की प्राप्ति कराने में सक्षम है।
प्रश्न 5. अ.
गिरिजाकुमार माथुर जी के काव्यसंग्रह –
उत्तर :
धूप के धान
मैं वक्त के हूँ सामने
प्रश्न आ.
‘तार सप्तक’ के दो कवियों के नाम –
उत्तर :
प्रभाकर माचवे
भारतभूषण अग्रवाल
प्रश्न 6.
विधान सत्य है या असत्य लिखिए :
उत्तर :
(i) इस जनमंथन से उठ आई है पहली रतन हिलोर। – सत्य
(ii) नए स्वर्ग का अंतिम चरण। – असत्य
प्रश्न 7.
पद्यांश का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश ‘तारसप्तक’ (सात कवियों का एक मंडल) के प्रमुख कवि गिरिजा कुमार माथुर जी की कविता ‘पंद्रह अगस्त’ से लिया गया है। कवि आज़ादी के बाद देशवासियों को संबोधित करते हुए कहते हैं – हे देशवासियो !….. हमारा देश अभीअभी आज़ाद हुआ है। अब इसकी सुरक्षा की सभी तरह की जिम्मेदारी हमारी है। इसलिए हमें और अधिक सावधान रहना पड़ेगा। स्वतंत्रता हमारे जीवन का पहला लक्ष्य था, जो अभी पूरा हुआ है। शेष उद्देश्य तो अभी भी बाकी है। कवि कहते हैं कि हमें समुद्र की तरह मन में गहराई एवं हृदय में विशालता रखनी होगी।
प्रश्न 8.
निम्न शब्दों के लिए पद्यांश में आए शब्द लिखिए :
उत्तर : (i) आँधी – प्रभंजन
(ii) मूर्ति – प्रतिमा
(iii) चंद्र – इंदु
(iv) पहेरदार – पहरुए
प्रश्न 9.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर : प्रस्तुत पद्यांश कवि गिरिजाकुमार माथुर की कविता ‘पंद्रह अगस्त’ से लिया गया है। कवि बताते हैं कि हमारा देश अब परतंत्र नहीं रहा। गुलामी की बेड़ियाँ टूट चुकी हैं और स्वतंत्रता की ताज़ी हवाएँ बहने लगी हैं। लेकिन सदियों की गुलामी ने लोगों को इतना दबा दिया था कि आज़ादी मिलते ही वे दिशाहीन और लक्ष्यविहीन से हो गए।
विभाजन की त्रासदी ने उन्हें सीमाओं में बाँध दिया है, जिससे लोग आंतरिक रूप से कमजोर और अस्थिर हो गए हैं। ऐसे समय में देश को अधिक सजगता और एकता की आवश्यकता है। कवि चेतावनी देते हैं कि कहीं आपसी कलह और संघर्ष से हम स्वयं ही एक-दूसरे का नुकसान न कर बैठें। वह यह भी कहते हैं कि हमें चंद्रमा की शीतल, शांत रोशनी की तरह देश को मार्ग दिखाना चाहिए और समझदारी से आगे बढ़ना चाहिए।
प्रश्न 10.
पद्यांश के आधार पर दो ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हो :
(i) ज्वार : ………………………………….
(ii) लहर : ………………………………….
उत्तर :
(i) जनगंगा में क्या है?
(ii) किसे प्रवाहमान रहना है?
प्रश्न 11.
पद्यांश द्वारा मिलने वाला संदेश लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश गिरिजाकुमार माथुर जी की कविता ‘पंद्रह अगस्त’ से लिया गया है। प्रस्तुत पद्यांश में तत्काल मिली हुई स्वतंत्रता की कवि चिंता करता है इसलिए देशवासियों को सतर्क रहने का आह्वान किया है। देश में एकता, अखंडता और भाई-चारे को बनाए रखने के लिए सजग किया है।
कवि देशवासियों को सावधान रहने के लिए कहते हैं। उनका कहना हैं कि शत्रु भले ही हमारे देश को छोड़कर चला गया है, पर पलटकर वार करें तो उसके प्रत्युत्तर के लिए सतर्क रहना चाहिए। धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर हमें आपसी विवाद से बचना चाहिए।
Answer by Dimpee Bora