Chapter 5.1                                    मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा


1. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :


प्रश्न अ.

(a) अंतर स्पष्ट कीजिए –

माया रस – रामरस

……………………… – ………………………

उत्तर :

माया रस – राम रस

पत्थर जैसा हृदय – मक्खन जैसा हृदय


प्रश्न 2.

लिखिए –


‘मैं ही मुझको मारता’ से तात्पर्य ………………………

उत्तर :

मनुष्य स्वयं ही स्वयं का शत्रु है। अगर वह इस मैं (अहंकार) रूपी शत्रु को मार देता है तो वह इस संसार में विजेता हो जाता है।


प्रश्न आ.

सहसंबंध जोड़कर अर्थपूर्ण वाक्य बनाइए –

(1) पाती प्रेम की (2) साईं

(1) काहै को दुख दीजिए (2) बिरला

उत्तर :

(1) प्रेम की पाती कोई बिरला ही पढ़ पाता है।

(2) मूर्ख ! तू क्यों किसी को दुःख देता है, प्रभु तो सभी प्राणियों में निवास करता है।


.प्रश्न 4. अ.

“जिनकी रख्या तूं करै ते उबरे करतार”, इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :

हे परमात्मा जिस पर आपकी कृपा होती है वही इस भवसागर से पार हो पाता है। अन्य तो इस संसार के मायाजाल में फँसकर रह जाते हैं। अर्थात् मनुष्य जन्म दुर्लभ है और परमात्मा प्राप्ति मंजिल। सदैव मनुष्य को इस सत्य का ध्यान रखना चाहिए।


प्रश्न आ.

‘संत दादू के मतानुसार ईश्वर सबमें है’, इस आशय को व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ ढूँढ़कर उनका भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : “काहै कौं दुख दीजिए, साईं है सब माहिं।

दादू एकै आत्मा, दूजा कोई नाहिं।।”

किसी भी प्राणी को किसी भी तरह का कष्ट, दुख, पीड़ा नहीं पहुँचानी चाहिए क्योंकि सभी प्राणी में वही परमात्मा निवास करता है जो हमारे मनुष्य जीवन का लक्ष्य है। हे जीव ! उस परमात्मा के अलावा वहाँ दूसरा कोई नहीं है। सबकी आत्मा एक है। कबीर दास जी भी यही कहते हैं –

“घट – घट में वही साईं रमता

कटुक वचन मत बोल रे”


 प्रश्न 5. अ. ‘अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु हैं, इस उक्ति पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर : अहंकार मनुष्य के लिए एक छिपा हुआ लेकिन घातक शत्रु है। यह व्यक्ति की सोच, व्यवहार और संबंधों को धीमे-धीमे नष्ट कर देता है। अहंकारी व्यक्ति स्वयं को सबसे श्रेष्ठ मानता है और दूसरों को तुच्छ समझता है। परिणामस्वरूप लोग उससे दूरी बना लेते हैं, और वह भीड़ में होते हुए भी अकेला रह जाता है।

अहंकार मनुष्य की बुद्धि को ढक देता है और सही निर्णय लेने की क्षमता को कमज़ोर कर देता है। यह जीवन के लक्ष्यों से भटकाता है और सफलता के मार्ग में बाधा बनता है। इतिहास साक्षी है कि अहंकार ने महान साम्राज्यों और शक्तिशाली व्यक्तियों का पतन किया है। इसलिए मनुष्य को विनम्रता अपनाकर अहंकार से सदैव सावधान रहना चाहिए।


प्रश्न आ. ‘प्रेम और स्नेह मनुष्य जीवन का आधार हैं’, इस संदर्भ में अपना मत लिखिए। 

उत्तर : प्रेम और स्नेह मानव जीवन की आवश्यक भावनाएँ हैं। ये ऐसी शक्तियाँ हैं जो मनुष्य को परिवार, समाज और मानवता से जोड़ती हैं। इनके बिना जीवन निरर्थक, नीरस और एकाकी हो जाता है।

आध्यात्मिक और भौतिक—दोनों ही क्षेत्रों में प्रेम और स्नेह का महत्वपूर्ण योगदान है। यह संबंधों को मजबूत बनाते हैं, दुखों को कम करते हैं और जीवन को मधुरता प्रदान करते हैं। इतिहास, पुराण और संस्कृति में प्रेम को अमृत तुल्य कहा गया है। जिसने सच्चा प्रेम और स्नेह प्राप्त कर लिया, उसने जीवन के आनंद और संतोष का अनुभव कर लिया।

इस प्रकार प्रेम और स्नेह जीवन को सार्थक, सुंदर और सुरक्षित बनाने वाले आधार स्तंभ हैं।


6. जानकारी दीजिए :


प्रश्न अ.

निर्गुण शाखा के संत कवि –

उत्तर : संत कबीर, कमाल, रैदास, धर्मदास, गुरुनानक, दादू दयाल, सुंदरदास, रज्जब, मलूकदास।


प्रश्न आ.

संत दादू के साहित्यिक जीवन का मुख्य लक्ष्य

उत्तर : संत परंपरा के अनुसार दादू दयाल की रचनाओं में जात-पाँत का निराकरण, छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब, हिंदु-मुसलमानों की एकता आदि विषयों पर विचार मिलते हैं। संत दादू के साहित्यिक पद तर्क-प्रेरित न होकर हृदय-प्रेरित हैं।


7. निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए –


प्रश्न 1.

बाबु साहब ईश्वर के लिए मुझ पे दया कीजिए।

उत्तर :

बाबू साहब ईश्वर के लिए मुझपर दया कीजिए।


प्रश्न 2.

उसे तो मछुवे पर दया करना चाहिए था।

उत्तर :

उसे तो मछुवे पर दया करनी चाहिए थी।


प्रश्न 3.

उसे तुम्हारे शक्ती पर विश्वास हो गया।

उत्तर :

उसे तुम्हारी शक्ति पर विश्वास हो गया।


प्रश्न 4.

वह निर्भीक व्यक्ती देश में सुधार करता घूमता था।

उत्तर :

वह निर्भीक व्यक्ति देश में सुधार करते घूमता था।


प्रश्न 5.

मल्लिका ने देखी तो आँखें फटी रह गया।

उत्तर :

मल्लिका ने देखा तो आँखें फटी रह गई।


प्रश्न 6.

यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते मार्च पर भारा अप्रैल लग जायेगी।

उत्तर :

यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते मार्च तो क्या बारह अप्रैल लग जाएगा।


प्रश्न 7.

हमारा तो सबसे प्रीती है।

उत्तर :

हमारी तो सबसे प्रीति है।


प्रश्न 8.

तुम जूठे साबित होगा।

उत्तर :

तुम झूठे साबित होंगे।


प्रश्न 9.

तूम ने दीपक जेब में क्यों रख लिया?

उत्तर :

तुमने दीपक जेब में क्यों रख लिए?


प्रश्न 10.

इसकी काम आएगा।

उत्तर :

इसके काम आएगा।


प्रश्न 11.

कारण लिखिए :


(i) अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है –

उत्तर : अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है क्योंकि हृदय रूपी सँकरे (narrow) महल में प्रभु और अहंकार का एक साथ वास नहीं हो सकता।


(ii) प्रभु स्मरण के सिवा अन्य मार्ग दुगर्म हैं –

उत्तर : प्रभु स्मरण के सिवा अन्य मार्ग दुर्गम हैं क्योंकि भक्ति का संबल (support) लेकर ही भवसागर आसानी से पार किया जा सकता है और अन्य मार्ग डूबो देते हैं।

Answer by Dimpee Bora