Chapter- 3                   कबीर (पूरक पठन)


प्र.1. इस पाठ का मुख्य विषय क्या है?

उ: इस पाठ का मुख्य विषय कबीर का अखंड आत्मविश्वास और उनकी निर्भीक साधना है।


प्र.2. कबीर की मस्ती और फक्कड़पन का कारण क्या था?

उ: यह उनके अटूट आत्मविश्वास और दृढ़ साधना का परिणाम था।


प्र.3. कबीर ने अपने ज्ञान और गुरु को किस दृष्टि से देखा?

उ: उन्होंने कभी अपने ज्ञान, गुरु और साधना को संदेह की दृष्टि से नहीं देखा।


प्र.4. कबीर की गलती के प्रति क्या सोच थी?

उ: उनका मानना था कि गलती व्यक्ति में नहीं, बल्कि प्रक्रिया या साधन में होती है।


प्र.5. कबीर किस प्रकार के साधक थे?

उ: वे वीर साधक थे।


प्र.6. कबीर की साधना को किससे तुलना की गई है?

उ: एक विकट संग्राम स्थली से, जहाँ केवल वीर ही टिक सकता है।


प्र.7. कबीर के अनुसार साईं या भगवान किसे मिलते हैं?

उ: जो सिर देकर प्रेम और भक्ति का सौदा करता है।


प्र.8. “साईं सेंत न पाइए, बातों मिले न कोय।” — इस पंक्ति का भावार्थ बताइए।

उ: सच्चे भगवान को बिना त्याग और बलिदान के नहीं पाया जा सकता।


प्र.9. कबीर ने प्रेम की प्राप्ति के लिए क्या शर्त बताई है?

उ: सिर उतारकर धरती पर रखने की, अर्थात पूर्ण समर्पण की।


प्र.10. कबीर के अनुसार प्रेम कहाँ उपजता है?

उ: प्रेम न तो खेतों में उपजता है, न हाट में बिकता है।


प्र.11. कबीर का विश्वास किस प्रकार का था?

उ: ऐसा विश्वास जिसमें न संकोच था, न दुविधा, न बाधा।


प्र.12. “प्रेम न खेतों उपजे” दोहे से क्या सिख मिलती है?

उ: प्रेम आत्मा की अनुभूति है, जो त्याग और साहस से प्राप्त होता है।


प्र.13. कबीर ने अपने प्रेम को किससे तुलना की है?

उ: मदिरा से, जो ज्ञान के गुण से बनी है।


प्र.14. कबीर की भक्ति कैसी थी?

उ: अत्यधिक भक्ति होते हुए भी आत्मविश्वास से भरी हुई।


प्र.15. कबीर अपने पतन को क्यों स्वीकार नहीं करते थे?

उ: क्योंकि उनके भीतर आत्मविश्वास कभी कम नहीं हुआ।


प्र.16. कबीर किस युग की शक्ति लेकर आए थे?

उ: युगावतारी शक्ति और विश्वास लेकर।


प्र.17. कबीर को “युगप्रवर्तक” क्यों कहा गया?

उ: क्योंकि उन्होंने अपने दृढ़ विचारों से समाज में नया परिवर्तन लाया।


प्र.18. कबीर के व्यक्तित्व की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?

उ: मस्त, दृढ़, उग्र, कोमल और कठोर — सब गुणों का मिश्रण।


प्र.19. “कुसुमादपि कोमल, वज्रादपि कठोर” का अर्थ क्या है?

उ: फूल से भी कोमल और वज्र से भी कठोर।


प्र.20. कबीर का आत्मविश्वास किन गुणों से बना था?

उ: ज्ञान, साधना और प्रेम के समन्वय से।


प्र.21. कबीर की साधना किस पर आधारित थी?

उ: अखंड आत्मविश्वास और साहस पर।


प्र.22. कबीर के प्रेम में कौन-सी विशेषता थी?

उ: त्याग और साहस का अद्भुत संगम।


प्र.23. “दाल न गलना” मुहावरे का अर्थ क्या है?

उ: किसी कार्य का सफल न होना।


प्र.24. कबीर के विचारों से क्या शिक्षा मिलती है?

उ: विश्वास, त्याग और सत्य की साधना से ही सफलता मिलती है।


प्र.25. कबीर के अनुसार साहस का क्या महत्व है?

उ: बिना साहस के भगवान से मिलना असंभव है।


प्र.26. कबीर के भक्ति मार्ग में क्या आवश्यक है?

उ: सिर देकर, अहंकार छोड़कर प्रेम करना।


प्र.27. कबीर का जीवन संदेश क्या है?

उ: दृढ़ विश्वास और प्रेम से ही सच्चे ईश्वर की प्राप्ति होती है।


प्र.28. कबीर की मस्त-मौला प्रवृत्ति किस ओर संकेत करती है?

उ: उनके स्वतंत्र और निडर व्यक्तित्व की ओर।


प्र.29. कबीर किस प्रकार के समाज सुधारक थे?

उ: उन्होंने अंधविश्वास, आडंबर और जातिवाद के विरुद्ध आवाज उठाई।


प्र.30. इस पाठ का उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?

उ: “कबीर का अखंड आत्मविश्वास” या “विश्वास और प्रेम के साधक कबीर” |

Answer by Dimpee Bora