Chapter- 27                                       अभंग


प्रश्न 1: इस अभंग के रचयिता कौन हैं?

उत्तर: इस अभंग के रचयिता संत नामदेव हैं। वे महाराष्ट्र के महान संत कवि थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन को सरल भाषा और गहरे भावों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाया।


प्रश्न 2: अभंग की पहली पंक्ति में किन बातों का उल्लेख किया गया है?

उत्तर: पहली पंक्ति में वेदों के अध्ययन, शास्त्रों के ज्ञान और विभिन्न कलाओं की साधना का उल्लेख किया गया है, जो बाहरी ज्ञान और विद्वत्ता का प्रतीक है।


प्रश्न 3: संत नामदेव वेद और शास्त्र ज्ञान के बारे में क्या कहना चाहते हैं?

उत्तर: संत नामदेव यह कहना चाहते हैं कि केवल वेदों और शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त कर लेने से ही ईश्वर की कृपा नहीं मिलती, यदि हृदय में प्रेम और भक्ति न हो।


प्रश्न 4: ‘विविध नाना कळा’ का क्या अर्थ है?

उत्तर: ‘विविध नाना कळा’ का अर्थ है अनेक प्रकार की कलाएँ और कौशल, जैसे संगीत, शास्त्र, तर्क आदि, जिनमें मनुष्य निपुण हो सकता है।


प्रश्न 5: दूसरी पंक्ति में ‘प्रेमाचा जिव्हाळा’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: ‘प्रेमाचा जिव्हाळा’ से तात्पर्य है ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम, आत्मीयता और भावनात्मक लगाव, जो हृदय की गहराई से उत्पन्न होता है।


प्रश्न 6: संत नामदेव के अनुसार ईश्वर की कृपा कब मिलती है?

उत्तर: संत नामदेव के अनुसार ईश्वर की कृपा तभी मिलती है जब मनुष्य के अंतःकरण में सच्चा प्रेम, भक्ति और श्रद्धा हो।


प्रश्न 7: दूसरी पंक्ति में संत किस प्रश्न के माध्यम से बात कहते हैं?

उत्तर: संत प्रश्न के माध्यम से कहते हैं कि जब हृदय में प्रेम ही नहीं है, तो श्रीहरि कृपा कैसे करेंगे, अर्थात बिना भक्ति ईश्वरप्राप्ति असंभव है।


प्रश्न 8: इस अभंग में ज्ञान और भक्ति में से किसे अधिक महत्व दिया गया है?

उत्तर: इस अभंग में ज्ञान की अपेक्षा भक्ति को अधिक महत्व दिया गया है, क्योंकि भक्ति के बिना ज्ञान अधूरा माना गया है।


प्रश्न 9: ‘हित तें आचरा’ का क्या भावार्थ है?

उत्तर: ‘हित तें आचरा’ का भावार्थ है कि जो हमारे लिए और समाज के लिए कल्याणकारी है, उसे अपने आचरण में उतारना चाहिए।


प्रश्न 10: ‘हित तें विचारा’ से संत क्या संदेश देते हैं?

उत्तर: संत यह संदेश देते हैं कि मनुष्य को सदैव अच्छे और कल्याणकारी विचार करने चाहिए, क्योंकि विचार ही कर्म का आधार होते हैं।


प्रश्न 11: ‘नामी भाव धरा’ का क्या अर्थ है?

उत्तर: ‘नामी भाव धरा’ का अर्थ है ईश्वर के नाम का स्मरण करते समय उसमें सच्चा भाव, श्रद्धा और प्रेम बनाए रखना।


प्रश्न 12: ‘जाणतेनो’ शब्द का अभिप्राय क्या है?

उत्तर: ‘जाणतेनो’ शब्द का अर्थ है ज्ञानी लोग या समझदार व्यक्ति, जो जीवन के सत्य को पहचानते हैं।


प्रश्न 13: संत नामदेव के अनुसार सच्चा ज्ञानी कौन है?

उत्तर: संत नामदेव के अनुसार सच्चा ज्ञानी वही है जो सदाचार करता है, ईश्वर के नाम में भाव रखता है और अपने जीवन को पवित्र बनाता है।


प्रश्न 14: चौथी पंक्ति में संत किस अनुभव की बात करते हैं?

उत्तर: चौथी पंक्ति में संत अपने आध्यात्मिक अनुभव की बात करते हैं, जहाँ विठ्ठल स्वयं भक्त से मिलने आते हैं।


प्रश्न 15: ‘विठो येऊनि भेटे’ का क्या संकेत है?

उत्तर: इसका संकेत है कि सच्चे भक्त के प्रेम से प्रसन्न होकर ईश्वर स्वयं उसके पास आते हैं।


प्रश्न 16: ‘कायाच पालटे’ का अर्थ क्या है?

उत्तर: ‘कायाच पालटे’ का अर्थ है शरीर और अहंकार का परिवर्तन या नाश होना, अर्थात देहभाव समाप्त हो जाना।


प्रश्न 17: ‘कैवल्य’ शब्द का अर्थ क्या है?

उत्तर: ‘कैवल्य’ का अर्थ है मोक्ष, अंतिम मुक्ति या जन्म-मरण के बंधन से छुटकारा।


प्रश्न 18: संत नामदेव के अनुसार मोक्ष कैसे प्राप्त होता है?

उत्तर: संत नामदेव के अनुसार मोक्ष ईश्वर की कृपा से प्राप्त होता है, जो सच्ची भक्ति और प्रेम से संभव है।


प्रश्न 19: इस अभंग में ईश्वर का कौन-सा रूप प्रस्तुत हुआ है?

उत्तर: इस अभंग में ईश्वर का स्नेही, करुणामय और भक्तवत्सल रूप प्रस्तुत हुआ है।


प्रश्न 20: अभंग का मुख्य विषय क्या है?

उत्तर: अभंग का मुख्य विषय सच्ची भक्ति, प्रेम, सदाचार और नामस्मरण के माध्यम से ईश्वरप्राप्ति है।


प्रश्न 21: संत नामदेव बाहरी आडंबर के बारे में क्या संकेत देते हैं?

उत्तर: संत नामदेव संकेत देते हैं कि केवल बाहरी आडंबर, विद्वत्ता और ज्ञान से ईश्वर प्राप्त नहीं होते।


प्रश्न 22: इस अभंग में आत्मपरिवर्तन का विचार कैसे प्रकट हुआ है?

उत्तर: ईश्वरभेट झाल्यावर देहभाव नाहीसा होतो आणि जीवन पूर्णपणे बदलते, या विचारातून आत्मपरिवर्तन प्रकट होते।


प्रश्न 23: संत नामदेव भक्ति को ज्ञान से श्रेष्ठ क्यों मानते हैं?

उत्तर: क्योंकि भक्ति हृदय को शुद्ध करती है और ईश्वर से सीधा संबंध स्थापित करती है, जबकि ज्ञान केवल बौद्धिक होता है।


प्रश्न 24: इस अभंग का दार्शनिक संदेश क्या है?

उत्तर: इसका दार्शनिक संदेश है कि ईश्वरप्राप्ति के लिए अहंकार का त्याग और प्रेमयुक्त भक्ति आवश्यक है।


प्रश्न 25: इस अभंग में मानव जीवन का लक्ष्य क्या बताया गया है?

उत्तर: मानव जीवन का लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति और मोक्ष को बताया गया है।


प्रश्न 26: संत नामदेव का ईश्वर के प्रति भाव कैसा है?

उत्तर: संत नामदेव का ईश्वर के प्रति भाव अत्यंत प्रेमपूर्ण, आत्मीय और समर्पण से भरा हुआ है।


प्रश्न 27: यह अभंग सामान्य लोगों को क्या सीख देता है?

उत्तर: यह अभंग सिखाता है कि सरल जीवन, सदाचार और सच्ची भक्ति से ही जीवन सफल होता है।


प्रश्न 28: इस अभंग की भाषा की विशेषता क्या है?

उत्तर: इस अभंग की भाषा सरल, भावपूर्ण और जनसामान्य को समझ में आने वाली है।


प्रश्न 29: अभंग में ‘नाम’ को क्यों महत्वपूर्ण माना गया है?

उत्तर: क्योंकि नामस्मरण के माध्यम से भक्त ईश्वर से निरंतर जुड़ा रहता है और मन शुद्ध होता है।


प्रश्न 30: पूरे अभंग से क्या निष्कर्ष निकलता है?

उत्तर: पूरे अभंग से यह निष्कर्ष निकलता है कि ईश्वरप्राप्ति का सच्चा मार्ग विद्या या शास्त्रज्ञान नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति, सदाचार और नामस्मरण है।

Answer by Dimpee Bora