Lesson- 5

   सड़क की बात   


1. एक शब्द में उत्तर दो:
(क) गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर किस आख्या से विभूषित है?
उत्तर: विश्व-कवि।

(ख) रवींद्रनाथ ठाकुर जी के पिता का नाम क्या था?
उत्तर: देवेंद्रनाथ ठाकुर।

(ग) कौन सा काव्य-ग्रंथ रवींद्रनाथ ठाकुर जी की कीर्ति का आधार-स्तंभ है?
उत्तर: गीतांजलि।

(घ) सड़क किसकी आखिरी घड़ियों का इंतजार कर रही है?
उत्तर: शाप की।

(ङ) सड़क किसकी तरह सब कुछ महसूस कर सकती है?
उत्तर: अंधे की तरह।


2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(क) कवि-गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कहा हुआ था?
उत्तर: कवि-गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कोलकाता के जोरासाँको में एक संपन्न एवं प्रतिष्ठित बंग्ला परिवार में हुआ था।

(ख) गुरुदेव ने कब मोहनदास करमचंद गांँधी को 'महात्मा' के रूप में संबोधित किया था?
उत्तर: जब मोहनदास करमचंद गांँधी शांतिनिकेतन में आए, तब उन्हें कवि-गुरु द्वारा 'महात्मा' के रूप में संबोधित किया गया था।

(ग) सड़क के पास किस कार्य के लिए फुर्सत नहीं है?
उत्तर: सड़क के पास इतनी सी फुर्सत नहीं है कि वह अपने सिरहाने के पास एक छोटा-सा नीले रंग का वनफूल भी खिला सके।

(घ) सड़क ने अपनी निद्रावस्था की तुलना किससे की है?
उत्तर: सड़क ने अपनी निद्राअवस्था की तुलना अंधे व्यक्ति से की है।

(ङ) सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर क्या नहीं डाल सकती?
उत्तर: सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर एक भी मुलायम हरी घास या दूब नहीं डाल सकती।


3. अति संक्षिप्त उत्तर दो:

(क) रवींद्रनाथ ठाकुर जी की प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है?
उत्तर: रवींद्रनाथ ठाकुर जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई हजार कविताओं, गीतों, कहानियों, रूपोंको एवं निबंधों की रचना कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। काव्य-ग्रंथ में 'गीतांजलि' उनका आधार स्तंभ है। उपन्यास में 'गोरा' और 'घरेबाइरे' उल्लेखनीय है। कहानियों में से 'काबुलीवाला' एक कालजयी कहानी है। अतः साहित्य के सभी क्षेत्रों में उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए कई रचनाएंँ की है।

(ख) शांतिनिकेतन के महत्व पर प्रकाश डाले।
उत्तर: शांतिनिकेतन कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापना की गई एक शैक्षिक सांस्कृतिक केंद्र है, जो रविंद्र नाथ ठाकुर के सपनों का मूर्त रूप है। रविंद्र नाथ ठाकुर जी शिक्षा एवं संस्कृत से प्रेम करते थे। इसीलिए उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो आगे चलकर 'विश्व-भारती विश्वविद्यालय' के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इसी शांतिनिकेतन में उन्होंने मोहनदास करमचंद गांँधी को 'महात्मा' की उपाधि दी थी।

(ग) सड़क शाप-मुक्ति की कामना क्यों कर रही है?
उत्तर: सड़क शाप-मुक्ति की कामना कर रही है ताकि वह करवट ले सके, अपनी कड़ी और सुखी सेज पर मुलायम हरी घास बिछा सके और अपने सिरहाने के पास नीले रंग का वनफूल खिलाकर उसका सुख पा सके।


(घ) सुख की घर-गृहस्ती वाले व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क क्या समझ जाती है?
उत्तर: सड़क लोगों के चरणों के स्पर्श से ही उनके ह्रदय को पढ़ लेती है। सड़क को पता चल जाता है कि कौन सुखी घर से है और कौन दुखी घर से। सुखी की घर-गृहस्ती वाले व्यक्ति के पैर की आवाज सुनकर सड़क समझ जाती है कि वह सुख पूर्वक घर पहुंँचने को आतुर है। खुशियों से भरा उसका घर मानो उसे अपनी और प्यार और स्नेह से पुकार रहा है।

(ङ) गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनने पर सड़क को क्या बोध होता है?
उत्तर: गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुन सड़क जान लेती है कि वह निराश और हताश होकर बिना किसी लक्ष्य की ओर चले जा रहा है। उसके कदमों में न तो आशा होती है और न ही कोई अर्थ। सड़क को उसकी आहट से ऐसा प्रतीत होता है कि उसके कदमों से सड़क की सूखी हुई धूल मानो और सूख जाती है।

(च) सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चीह्न को क्यों ज्यादा देर तक नहीं देख सकती?
उत्तर: सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चीह्न को ज्यादा देर तक इसलिए नहीं देख सकती क्योंकि सड़क पर हर वक्त नए-नए पांँव आकर पुराने पांँव के चरणों को पोंछ जाती है। एक चरण चीह्न हजारों चरणों के तले लगातार कुचला जाकर कुछ ही देर में वह धूल में मिल जाता है।

(छ) बच्चों के कोमल पाँवों के स्पर्श से सड़क में कौन-से मनोभाव बनते हैं?
उत्तर: जब बच्चों के कोमल पाँव सड़क पर स्पर्श करती हैं तब सड़क  अपने आप को कठिन अनुभव करती है। क्योंकि सड़क को लगता है कि उनके कोमल पांँवों को कठोर सड़क पर चलने में चुभन महसूस होती होगी। इसीलिए सड़क की मनोभावना होती है कि काश बच्चों के पैर पड़ते ही कठोर सतह फूलों की तरह नरम और मुलायम हो जाए।

(ज) किसलिए सड़क को न हंँसी है, न रोना?
उत्तर: रोजाना सड़क के ऊपर से लोग अपने लक्ष्य की ओर चला करते हैं। हर पल वे अपने पैरों के निशान छोड़ जाते हैं। चाहे वह जिसके भी पैरों के निशान क्यों न हो, सड़क अमीर और गरीब नहीं देखता। उसके एक सांँस लेने से धूल की तरह सब कुछ पल भर में उड़ जाता है। वह अपने ऊपर कुछ भी पड़ा रहने नहीं देती। इसीलिए सड़क को न हंँसी है, न रोना।

(झ) राहगीरों के पांँवों के शब्दों को याद रखने के संदर्भ में सड़क ने क्या कहा है?
उत्तर: सड़क को उसके ऊपर से हर पल अनगिनत राहगीरों के पांँवों के शब्द सुनाई देती रहती है। सड़क का कहना है कि उसके ऊपर से जाने कितने ही पांँवों के शब्द सदा के लिए शांत हो गए। उन सब शब्दों को याद रखना उसके लिए संभव नहीं है। उसे कभी-कभी याद आती तो है, सिर्फ उन पाँवों कि जो करुण नूपुर-घ्वनि दे जाती है। पर उसे रत्ती भर भी शोक या संताप मनाने का समय नहीं है। और वह मनाए भी तो क्यों ऐसे कितने उसके पास आते हैं और चले जाते हैं।


4. संक्षिप्त उत्तर दो:
(क) जड़ निद्रा में पड़ी सड़क लाखों चरणों के स्पर्श से उनके बारे में क्या-क्या समझ जाती है?
उत्तर: हर एक व्यक्ति सड़क पर से अपने-अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता जाता है। सड़क अंधे की तरह पैरों की आहट से ही सब कुछ महसूस कर उनके हृदय को पढ़ लेती है। वह समझ जाती है कि कौन घर जा रहा है, कौन परदेस, तो कौन काम से जा रहा है, तो कौन आराम करने जा रहा है। सड़क जान जाती है कि किसका ह्रदय खुशियों से भरा है। तथा कौन दुख के सागर में डूबा हुआ भटक रहा है।

(ख) सड़क संसार की कोई भी कहानी क्यों पूरी नहीं सुन पाती?
उत्तर: सड़क संसार की कोई भी कहानी इसीलिए नहीं सुन पाती क्योंकि अनगिनत पांँव अपनी एक अलग-अलग कहानी एवं सुख-दुख को लिए सड़क पर से गुजरते रहते हैं। सड़क सैकड़ों-हजारों वर्षों से लाखों-करोड़ों लोगों की कितनी हंँसी, कितने गीत, कितनी बातें सुनती आई है। पर जब भी वह कहानी सुनने की कोशिश करती है तो, दूसरे ही पल दूसरे पाँव आकर पहले पांँवों की कहानी को धूल में मिटा देती है। इसी तरह यह सिलसिला चलता रहता है और सड़क की कहानी सुनने की इच्छा अधूरी रह जाती है।

(ग) "मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं हूंँ। सबका उपाय मात्र हूंँ।" सड़क ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर: सड़क सिर्फ मंजिल तक पहुंँचने का माध्यम है। वह किसी का भी लक्ष्य नहीं है, पर सबको उसके लक्ष्य तक पहुंँचाने का जरिया है। सड़क किसी का भी घर नहीं है, पर वह सबको घर ले जाती है। अगर सड़क को अपना लक्ष्य मानते तो वें वही ठहर जाते। पर सड़क पर कोई खड़ा रहना पसंद नहीं करता। अपने लक्ष्य तक पहुंँचते ही वे अपना पैर सड़क पर से उठा लेते हैं। इसीलिए सड़क कहती है की वह किसी का लक्ष्य नहीं है, बस एक उपाय मात्र है लक्ष्य को पाने के लिए।

(घ) सड़क कब और कैसे घर का आनंद कभी-कभी महसूस करती है?
उत्तर: जब भी छोटे-छोटे बच्चे सड़क के पास आकर बड़े आनंद और शोरगुल मचाते हुए खेलने आते हैं, तब सड़क को आनंद महसूस होता है। क्योंकि बच्चे मस्ती में हल्ला-गुल्ला कर सड़क को ही अपना घर बना लेते है। बच्चों का स्पर्श पाकर सड़क की खुशियों का ठिकाना नहीं रहता। बच्चे अपने नन्हे-नन्हे कोमल हाथों से बालू के ढेर बनाते और हौले-हौले थपकियाँ देकर सड़क के धूल में वे अपना परम स्नेह और प्यार छोड़ जाते हैं। जिससे सड़क को अपनेपन का एहसास होने लगता है और सड़क को भी घर का आनंद प्राप्त हो जाता है।

(ङ) सड़क अपने ऊपर से नियमित रूप से चलने वालों की प्रतीक्षा क्यों करती है?
उत्तर: प्रतिदिन नियमित रूप से जो सड़क पर चलते हैं उसे सड़क अच्छी तरह पहचानती है। पर वह नहीं जानते कि उसके लिए सड़क कितनी प्रतीक्षा किया करती है। उसका बेसब्री से इंतजार कर सड़क कल्पना के सागर में डूब जाती है और कल्पना करने लगती है कि कब वह नूपुर रुनझुन ध्वनि चरण सड़क पर से गुजरेंगे। सड़क कि आत्मीयता उनके साथ गहरी होती जाती है, जो प्रतिदिन उसके ऊपर से गुजरते हैं।इसीलिए सड़क अपने ऊपर से नियमित रूप से चलने वालों की प्रतीक्षा करती है।

Additional question and previous paper solve: 

1. प्रश्नों के नीचे दिए गए उत्तरों में से एक-एक उत्तर सही हैं। सही उत्तरों का चयन करोः


(क) "मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं हूँ"- यह कथन है [HSLC'14]


(अ) लेखक का


(आ) सड़क का


(इ) पथिक का


(ई) कवि का


उत्तरः आ) सड़क का


(ख) “मैं बोल नहीं सकती, पर अन्धे की तरह सब कुछ | महसूस कर सकती हूँ।' - यहाँ 'में' किसके लिए प्रयुक्त | हैं? [HSLC'15]


उत्तरः
यहाँ 'मैं' सड़क के लिए प्रयुक्त है। सड़क अपनी मौन स्थिति में भी पैरों की ध्वनि और लोगों के भावनाओं को महसूस करती है।

1. संसार की कोई भी कहानी में पूरी नहीं सुन पाती-इसके । पोछे निहित कारण को स्पष्ट करो। [HSLC14)


उत्तरः सड़क पर चलते हुए लोग अपनी बातों को अधूरा छोड़ देते हैं, और जब सड़क उन बातों को सुनने की कोशिश करती है, तब वे लोग चले जाते हैं। इस प्रकार, सड़क हमेशा अधूरी कहानियाँ सुनती रहती है, जो कभी पूरी नहीं होतीं। इसका संकेत है कि जीवन में अनेक बातें अधूरी रह जाती हैं, जो केवल क्षणिक होती हैं।


2. एक वाक्य में उत्तर दो:


(i) सड़क की बात निबंध के निबंधकार कौन है?


उत्तरः रवींद्रनाथ ठाकुर।


(ii) बांलादेश का राष्ट्रीय संगीत कौन-सा है?


उत्तरः "आमार सोणार बांग्ला।"


(iii) बांलादेश के राष्ट्रीय संगीत की रचना किसने की थी ?


उत्तरः रवींद्रनाथ ठाकुर ने।


(iv) 'कविगुरु' की उपाधि रवीन्द्रनाथ ठाकुर को किसने दो।


उत्तरः यह उपाधि उन्हें साहित्य के प्रति उनके योगदान के कारण दी गई, विशेष रूप से उनके काव्य और गीतों के लिए।


(v) रवीन्द्र नाथ ठाकुर के सपनों का मूर्त रूप किसे बताया। जाता है?


उत्तरः शांति निकेतन को।


(vi) सड़क किस तरह सब कुछ महसूस कर सकती है?


उत्तरः सड़क दिन-रात पैरों की ध्वनि सुनकर और लोगों के कदमों के स्पर्श से उनके मनोदशाओं को महसूस कर सकती है।


( vii) सड़क को दिन भर मरण सुना करती है ?


उत्तरः सड़क को संताप सताता है कि कोई उस पर प्रेम से कदम नहीं रखता और लोग उसे केवल उपयोग की वस्तु मानते हैं।


(viii) सड़‌क को दिन-रात कौन सी संताप सताता रहता है ? (ix) सड़क के धूल में कौन स्नेह छोड़ जाते हैं?


उत्तरः छोटे बच्चे।


(x) सड़‌क किनको प्रतीक्षा क्या करती है?


उत्तरः सड़क उन लोगों की प्रतीक्षा करती है जो उसे चलते हैं, लेकिन वे उसके प्रति कोई आभार नहीं व्यक्त करते।


(x) रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गीतों से कौन सी संगीत की धारा


प्रचलित है ?


उत्तरः रवींद्र संगीत।


(xii) रवीन्द्रनाथ ठाकुर जौको नोबेल पुरस्कार कब प्राप्त हुआ । था?


उत्तरः सन् 1913 में।


(xii) रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी के सपनों का मूर्त रूप कौन-सा ग्रन्थ है?


उत्तरः 'गीतांजलि'।


(xiv) कैसे लोग हमेशा आशा के चीज चीता है?


उत्तरः वे लोग जिनके पास सुखी गृहस्थी और स्नेह का आश्रय होता है।


(xv) सड़क को क्या दिखाई नहीं देता ?


उत्तरः सड़क को स्थायीता और समाप्ति का कोई संकेत दिखाई नहीं देता।


(xvi) कौन-सा काव्य-ग्रन्थ रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी कीर्ति का | आधार-स्तंभ है?


उत्तरः 'गीतांजलि'।

(xvii) सड़क किसको तरह सब कुछ महसुस कर सकती है?।


उत्तरः सड़क विभिन्न लोगों के पैरों के स्पर्श से और उनकी आहटों के माध्यम से सब कुछ महसूस कर सकती है।


xviii) सड़क के पास किस कार्य के लिए फुरसत नहीं है?।


उत्तरः सड़क के पास अपनी धूल में लोटने या किसी पर ध्यान देने का फुरसत नहीं है।


3. बच्चों के कोमल पाँवों के स्पर्श से सड़क में कौन-से भाव । बनते हैं? [HSLC 16] |


उत्तरः बच्चों के कोमल पाँवों से सड़क में स्नेह और आनंद का भाव बनता है।


4. सड़क कब और कैसे पर आनंद कभी-कभी महासुस करती [HSLC-17]


उत्तरः सड़क कभी-कभी आनंद महसूस करती है जब छोटे बच्चे खेलते हैं और हंसते हैं, और अपने स्नेह से उसे भर देते हैं।


5 "इसलिए सड़क के न हँसी है, न रोना।" इसके पीछे क्या क्या कारण हो सकते हैं? [HSLC 19] |


उत्तरः सड़क के पास कोई स्थायी भावना नहीं होती; वह केवल एक माध्यम है। लोग खुशी और दुख में उससे गुजरते हैं, लेकिन वह केवल अपनी स्थिति में स्थिर रहती है और उनकी भावनाओं को आत्मसात नहीं कर सकती।


6. 'मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं हूँ। सबका उपाय मात्र। हूँ।', इस कथन का आशय क्या है? [HSLC'20]


उत्तरः इस कथन का आशय यह है कि सड़क किसी का गंतव्य नहीं है, बल्कि वह एक माध्यम है जो लोगों को उनके घर या मंजिल तक पहुँचाती है। सड़क की पहचान इस तरह होती है कि वह स्वयं कोई स्थायी अस्तित्व नहीं रखती, बल्कि वह लोगों के लिए एक रास्ता बनकर उनकी यात्रा का हिस्सा होती है। लोग उसे केवल चलने के लिए उपयोग करते हैं, लेकिन उसकी अपनी कोई महत्वता नहीं होती।

सड़क अपनी कहानी सुनाती है, परंतु उसे कोई सुनने वाला नहीं होता। उसके ऊपर चलने वाले लोग उसके साथ कोई भावनात्मक संबंध नहीं बनाते। इसलिए सड़क अपनी स्थितियों और अनुभवों के बावजूद अपनी पहचान खो देती है। इस दृष्टिकोण से, सड़क जीवन के उन पहलुओं का प्रतीक है जहाँ व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यात्रा करता है, लेकिन उस यात्रा के दौरान जो माध्यम है, उसका कोई महत्व नहीं होता।


अतिरिक्त आवश्यकीय प्रश्नः


अति संक्षिप्त प्रश्न :


8. सही विकल्प का चयन करो:


(i) 'विश्व कवि' के नाम से हम किसे जानते हैं?


(a) होमर


(b) मीराबाई


(c) रवीन्द्रनाथ ठाकुर


(d) सेक्सपीयर


उत्तरः (c) रवीन्द्रनाथ ठाकुर


(ii) रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कितने साल से कविता लिखना प्रारंभ किया था।


(a) सात साल से


(b) सत्रह साल से


(c) नौ साल से


(d) पन्द्रह साल से


उत्तरः (b) सत्रह साल से


(iii) ठाकुर जी की एक कालजयी कहानी है-


(a) आकाश दीप


(b) काबुली वाला


(c) पुस को रात


(d) गूदड़ साई


उत्तरः (b) काबुली वाला


(iv) भारतवर्ष के जातीय संगीत 'जन गण मन' का रचक है।


(a) देवेन्द्र नाथ ठाकुर


(b) बंकिमचन्द्र च‌ट्टोपाध्याय |


(c) रवीन्द्र नाथ ठाकुर


(d) महामानव महात्मा गांधी ।


उत्तरः (c) रवीन्द्र नाथ ठाकुर


(v) 'सड़क की बात' निबंध की विधा है-


(a) ललित निबंध


(b) व्यंगात्मक निबंध


(c) आत्मकथात्मक निबंध


(d) वर्णनात्मक निबंध


उत्तरः
(c) आत्मकथात्मक निबंध

(vi) निम्नलिखित किस ग्रंथ के लिए रवीन्द्र नाथ ठाकुर जी को नोबेल पुरस्कार मिला था -


(a) मानसी


(b) संध्या-संगीत


(c) क्षणिका


(d) गीतांजलि


उत्तरः (d) गीतांजलि


अंक: 2/3


(i) रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी को प्रातः स्मरणीय मनीसी क्यों। कहा जाता है?


उत्तरः क्योंकि उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से मानवता, संस्कृति और सभ्यता का गहरा आदान-प्रदान किया और विश्व मानवता की दृष्टि को अपनाया।


(ii) रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अपनी रचनाओं के माध्यम से क्या | आह्वान किया था ?


उत्तरः उन्होंने विश्व मानवता और सहिष्णुता के मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया था।


(iii) रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी कैसे संपूर्ण विश्व के चहेते बने ?


उत्तरः उनकी मानवतावादी दृष्टि और सांस्कृतिक रचनाएँ, जैसे 'गीतांजलि', ने उन्हें विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई।


(iv) राष्ट्रभाषा के सम्बन्ध में रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी का मन क्या था?


उत्तरः उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करने का समर्थन किया।


(v) सड़क कैसे राह पर चलनेवालों के हृदयों को पड़ लेती है?


उत्तरः सड़क पैरों की ध्वनि और आहटों के माध्यम से लोगों की भावनाओं और परिस्थितियों को समझती है।


(vi) किनको कदम से सड़क के सूखे हुए धूल और सूख । जाते है?


उत्तरः उन लोगों को, जिनके पास आश्रय या घर नहीं होता, उनके कदमों से सड़क की धूल सूख जाती है।


(vii) सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर क्या नहीं डाल सकती ?


उत्तरः सड़क एक भी मुलायम हरी घास या दूब नहीं डाल सकती।


(viii) सड़क ने अपनी निद्रावस्था की तुलना किससे की है?


उत्तरः सड़क ने अपनी निद्रावस्था की तुलना चिरनिद्रा में पड़े अजगर से की है।


(ix) निम्नलिखित कहानियों में कौन-सी कहानी रवीन्द्र नाथ।


उत्तरः काबुली वाला


2. एक वाक्य में उत्तर दो:


(i) सड़क की बात निबंध के निबंधकार कौन है?


उत्तरः रवीन्द्रनाथ ठाकुर


(ii) बांलादेश का राष्ट्रीय संगीत कौन-सा है?


उत्तरः आमार सोणार बांग्ला


(iii) बांलादेश के राष्ट्रीय संगीत की रचना किसने की थी ?


उत्तरः रवीन्द्रनाथ ठाकुर


(iv) 'कविगुरु' की उपाधि रवीन्द्रनाथ ठाकुर को किसने दी?


उत्तरः यह उपाधि उन्हें भारतीय साहित्य और कला में उनके योगदान के लिए दी गई थी।


3. बच्चों के कोमल पाँवों के स्पर्श से सड़क में कौन-से भाव । बनते हैं? [HSLC 16] |


'सड़क को बात' शीर्षक लेख के आधार पर सड़क के किन्हीं तीन दुःख के कारणों को रेखांकित करो।


उत्तरः 'सड़क को बात' शीर्षक लेख के आधार पर सड़क के किन्हीं तीन दुःख के कारण हैं-

1.सड़क पर कोई स्थायी रूप से खड़ा नहीं होता, लोग केवल चलते हैं।

2.लोग सड़क पर चलते समय उसे कोसते हैं और उसकी महत्ता नहीं समझते।

3.सड़क का धूल में मिलकर चली जाती है, जिससे उसका अस्तित्व क्षीण हो जाता है।


4. रवीन्द्र नाथ ठाकुर के सपनों का मूर्त रूप किसे बताया। जाता है? [HSLC-17]


उत्तरः इसे 'शांति निकेतन' को बताया जाता है।


5. सड़क किस तरह सब कुछ महसूस कर सकती है? [HSLC-17]


उत्तरः सड़क पैरों की ध्वनि और आहटों के माध्यम से लोगों की भावनाएँ और उनकी यात्राओं के उद्देश्य को समझ सकती है।


6. सड़क कब और कैसे पर आनंद कभी-कभी महासुस करती।

[HSLC 18]


उत्तरः सड़क छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेलते समय आनंदित होती है जब वे हँसते-खिलखिलाते उसके पास आते हैं।


7. "इसलिए सड़क के न हँसी है, न रोना।" इसके पीछे क्या क्या कारण हो सकते हैं?

[HSLC 19] |


उत्तरः सड़क हमेशा राहगीरों के कदमों का भार सहन करती है, लेकिन किसी की खुशी या दुःख का हिस्सा नहीं बनती; इसलिए वह निरर्थक रूप से भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ नहीं दिखाती।


8. 'मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं हूँ। सबका उपाय मात्र। [HSLC'20] | हूँ।', इस कथन का आशय क्या है?


उत्तरः इसका आशय है कि सड़क किसी व्यक्ति की मंजिल नहीं है, बल्कि वह केवल लोगों को उनकी मंजिल तक पहुँचाने का माध्यम है।


अतिरिक्त आवश्यकीय प्रश्न


अति संक्षिप्त प्रश्न :


A. सही विकल्प का चयन करो:


(1) 'विश्व कवि' के नाम से हम किसे जानते हैं?


(a) होमर


(b) मीराबाई


(c) रवीन्द्रनाथ ठाकुर


(d) सेक्सपीयर


उत्तरः (c) रवीन्द्रनाथ ठाकुर


(ii) रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कितने साल से कविता लिखना।


प्रारंभ किया था।


(a) सात साल से


(b) सत्रह साल से


(c) नौ साल से


(d) पन्द्रह साल से


उत्तरः (b) सत्रह साल से


(iii)ठाकुर जी की एक कालजयी कहानी है-


(a) आकाश दीप


(b) काबुली वाला


(c) पुस को रात


(d) गूदड़ साई


उत्तरः (b) काबुली वाला


(iv) भारतवर्ष के जातीय संगीत 'जन गण मन' का रचक है।


(a) देवेन्द्र नाथ ठाकुर


(b) बंकिमचन्द्र च‌ट्टोपाध्याय |


(c) रवीन्द्र नाथ ठाकुर


(d) महामानव महात्मा गांधी ।


उत्तरः (c) रवीन्द्र नाथ ठाकुर


(v) 'सड़क की बात' निबंध की विधा है-


(a) ललित निबंध


(b) व्यंगात्मक निबंध


(c) आत्मकथात्मक निबंध


(d) वर्णनात्मक निबंध


उत्तरः (c) आत्मकथात्मक निबंध


(vi) निम्नलिखित किस ग्रंथ के लिए रवीन्द्र नाथ ठाकुर जी को नोबेल पुरस्कार मिला था -


(a) मानसी


(b) संध्या-संगीत


(c) क्षणिका


(d) गीतांजलि


उत्तरः (d) गीतांजलि


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो।


(i) रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी को प्रातः स्मरणीय मनीसी क्यों। कहा जाता है?


उत्तरः उन्होंने सभ्यता और संस्कृति को अपने रचनाओं में अभिव्यक्त किया है और मानवतावादी दृष्टि से आह्वान किया है।


(ii) रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अपनी रचनाओं के माध्यम से क्या | आह्वान किया था ?


उत्तरः उन्होंने विश्व मानवता के तत्वों को अपनाने का आह्वान किया।


(iii) रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी कैसे संपूर्ण विश्व के चहेते बने ?


उत्तरः उनकी ज्यारवादी मानवतावादी दृष्टि और रचनाओं के माध्यम से।


(iv) राष्ट्रभाषा के सम्बन्ध में रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी का मन क्या था?


उत्तरः उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया।


(v) सड़क कैसे राह पर चलनेवालों के हृदयों को पड़ लेती है?


उत्तरः पैरों की ध्वनि से, उनकी आहट को सुनकर।


(vi) किनको कदम से सड़क के सूखे हुए धूल और सूख । जाते है?


उत्तरः गृहहीन और दुखी लोग।


(vii) सड़क क्यों चलनेवालों की थोड़ी सी बात हो सुन पाती है?


उत्तरः क्योंकि वे हमेशा चलते रहते हैं, और कोई स्थिर नहीं होता।


(viii) सड़क क्यों चलनेवालों की थोड़ी सी बात हो सुन पाती है?


उत्तरः जब छोटे बच्चे वहाँ खेलते हैं और अपनी खुशियों को साझा करते हैं।


(ix) राहगीरों की गाना सड़क क्यों पूरी नहीं सुन पातीं?


उत्तरः परिवार ने उनके रचनात्मक जीवन को संजीवनी प्रदान की।


(x) राहगीरों की किस बात पर सड़क को बहुत खेद है?


उत्तरः उन्होंने कविता, संगीत, निबंध, और उपन्यास लेखन में अद्वितीय कार्य किए।


(xi) छोटे बच्चे को सड़क क्यों ज्यादा पसन्द करती है?


उत्तरः सड़क को बच्चे इसलिए ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि वे खेल-कूद और मस्ती में लगे रहते हैं, जो सड़क पर खुली जगह मिलती है।


(xii) बच्चे किस प्रकार सड़क पर ही अपने आनन्द का घर बना लेता है ?


उत्तरः बच्चे सड़क पर खेलकर अपने आनंद का घर बना लेते हैं, क्योंकि वे अपने परिवार के प्यार और स्नेह को साथ लाते हैं, जो सड़क पर खेलते समय साझा करते हैं।


(xiii) सड़क मन ही मन क्या कल्पना कर लेती है?


उत्तरः सड़क मन ही मन यह कल्पना कर लेती है कि उसके ऊपर चलने वाले लोग उसके लिए कितना महत्वपूर्ण होते हैं और वे कितने अलग-अलग अनुभव लेकर आते हैं।


(xiv) सड़क को कब कुसुम कली की तरह कोमल होने की। इच्छा होती है ?


उत्तरः सड़क को कुसुम कली की तरह कोमल होने की इच्छा तब होती है जब छोटे-छोटे बच्चे उसके ऊपर चलते हैं और उसकी धूल में अपने कोमल पाँवों के निशान छोड़ते हैं।


(xv) सड़क को किन करुण पाँवों की ध्वनि याद आती रहती है?

उत्तरः सड़क को उन करुण पाँवों की ध्वनि याद आती रहती है, जो अक्सर उसके ऊपर से गुजरते हैं, खासकर उन लोगों के जो दुखी और बेघर हैं।


(xvi) सड़क दुखो जनों के दुःख को समझाकर भी क्यों दुःख नहीं करता ?


उत्तरः सड़क दुखों का अनुभव कराकर भी दुख नहीं करती, क्योंकि उसकी प्रकृति है कि वह हर अनुभव को सहन करती है और केवल सुनती रहती है।


(xvii) गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनने पर सड़क को क्या बोध होता है ?


उत्तरः गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क को यह बोध होता है कि वे असहाय हैं और उनके कदमों में कोई अर्थ नहीं है।


(xviii) किसलिए सड़क को न हँसी, न रोना ?


उत्तरः सड़क को न हँसी न रोना इसलिए है क्योंकि वह हमेशा अविचल है, सिर्फ दूसरों की यात्राओं का गवाह बनकर रहती है।


(xix) सुख की घर-गृहस्थों वाले व्यक्ति के पैरों की आहट | सुनकर सड़क क्या समझ जाती है ?

उत्तरः
सुखी गृहस्थों के पैरों की आहट सुनकर सड़क समझ जाती है कि वे घर लौट रहे हैं, जहाँ उनका सुख और स्नेह उन्हें इंतज़ार कर रहा है।

(xx) लाखों चरणों के स्पर्श पाकर सड़क को क्या-क्या अनुभव होती है ?


उत्तरः लाखों चरणों के स्पर्श पाकर सड़क को विभिन्न मानवीय भावनाएँ और अनुभव होते हैं, जैसे खुशी, दुख, उत्साह, और उदासी।


(xxi) 'सड़क की बात' पाठ का मूल उद्देश्य क्या है?


उत्तरः 'सड़क की बात' पाठ का मूल उद्देश्य यह दिखाना है कि सड़क एक स्थायी गवाह है जो मानव जीवन के विविध अनुभवों को अपने भीतर समेटे हुए है।


(xxii) सड़क के मानवीकरण द्वारा रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी ने क्या कहा है?


उत्तरः सड़क के मानवीकरण द्वारा रवींद्रनाथ ठाकुर ने यह कहा है कि सड़क केवल एक रास्ता नहीं है, बल्कि यह जीवन की अनेक कहानियों और भावनाओं का प्रतीक है।


(xxiii) सड़क क्यों अपने आपको बहुत व्यस्त बताती है ?


उत्तरः सड़क अपने आपको बहुत व्यस्त बताती है क्योंकि वह लगातार लोगों के कदमों के निशान और उनके अनुभवों को सहन करती है।


(xxiv) सड़क युगों युगों तक की घटना की साक्षी गवाह बनी हुई है। स्पष्ट करो।


उत्तरः सड़क युगों युगों तक की घटनाओं की साक्षी गवाह बनी हुई है क्योंकि वह हमेशा लोगों के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को देखती है।


(xxvi) सड़क ने ऐसा क्यों कहा है कि सायद समाप्ति और स्थायित्व कहीं होगा, पर उसे कभी दिखाई नहीं देती।


उत्तरः सड़क ने ऐसा कहा है कि शायद समाप्ति और स्थायित्व कहीं होगा, पर उसे कभी दिखाई नहीं देती क्योंकि उसका अस्तित्व केवल यात्रा में है।


(xxvii) सड़क को किस आनन्द का कभी अनुभव नहीं होता। और क्यों ?


उत्तरः सड़क को उस आनन्द का कभी अनुभव नहीं होता क्योंकि वह हमेशा दूसरों की यात्राओं का गवाह बनकर रह जाती है, लेकिन खुद कभी उस आनंद का हिस्सा नहीं बनती।


(xxviii) सड़क के धूल पर छोटे बच्चे कैसे खेलते है?


उत्तरः सड़क के धूल पर छोटे बच्चे खेलते हैं, उनके हँसने-खिलखिलाने से सड़क की धूल में स्नेह और प्यार की छाप छोड़ जाते हैं।


(xxix) सड़क क्यों अपने आपको सबका लक्ष्य और सबका उपाय बताता है?


उत्तरः सड़क अपने आपको सबका लक्ष्य और सबका उपाय बताती है क्योंकि वह हर किसी को उनके घर तक पहुँचाने में मदद करती है, चाहे वे अमीर हों या गरीब।


C. विवरणात्मक प्रश्न :


i)अलग अलग राहगीरों के कदम के स्पर्श से सड़क को अलग-अलग अनुभव होती है? वे उन अनुभवों का वर्णन करो।


उत्तरः सड़क पर चलने वाले प्रत्येक व्यक्ति की आहट से उसे उनके मन की स्थिति का ज्ञान होता है। सुखी गृहस्थ के कदमों में खुशी और आशा होती है, जबकि गृहहीन व्यक्ति के कदमों में उदासी और निराशा होती है।


(ii) सड़क को किन करुण पाँवों की ध्वनि याद आती रहती है?


उत्तरः सड़क को उन कदमों की आवाज़ याद रहती है, जो निराशा और दुःख का अनुभव करते हैं। वे लोग जिनके पास कोई आश्रय नहीं है, उनके कदमों की ध्वनि उसकी यादों में गूंजती रहती है।


(iii) सड़क दुखो जनों के दुःख को समझाकर भी क्यों दुःख नहीं करता ?


उत्तरः सड़क दुखों को समझती है, लेकिन वह कभी भी उन दुखों में डूब नहीं जाती। उसकी अपनी पहचान और अस्तित्व है, जो उसे व्यथित नहीं होने देती।


(iv) गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनने पर सड़क को क्या बोध होता है ?


उत्तरः जब सड़क गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनती है, तो उसे उनके भीतर की व्यथा का बोध होता है। ये कदम निरर्थकता और दुःख का प्रतीक होते हैं।


(v) किसलिए सड़क को न हँसी, न रोना ?


उत्तरः सड़क के पास न तो खुशी है और न ही दुःख। वह बस अपने अस्तित्व में स्थिर है और सभी भावनाओं को समेटे हुए है।


(vi) सुख की घर-गृहस्थों वाले व्यक्ति के पैरों की आहट | सुनकर सड़क क्या समझ जाती है ?


उत्तरः सुखी गृहस्थ के कदम सुनकर सड़क समझ जाती है कि वे अपने घर में खुशी और प्रेम के साथ लौट रहे हैं।


(vii) लाखों चरणों के स्पर्श पाकर सड़क को क्या-क्या अनुभव होती है ?


उत्तरः सड़क लाखों लोगों के अनुभवों को सुनती है, उनकी हंसी, गीत और बातें सुनकर वह समय के कितने बदलावों का साक्षी बनती है।


(viii) 'सड़क की बात' पाठ का मूल उद्देश्य क्या है?


उत्तरः 'सड़क की बात' का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन की विविधता और उसकी स्थितियों को उजागर करना है, जैसे सुख-दुख, आशा-निराशा।


(ix) सड़क के मानवीकरण द्वारा रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी ने क्या कहा है?


उत्तरः रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी ने सड़क के माध्यम से यह बताया है कि हर जगह मानवता की कहानियाँ छिपी होती हैं। सड़क सभी के अनुभवों की साक्षी है।


(x) सड़क क्यों अपने आपको बहुत व्यस्त बताती है ?


उत्तरः सड़क अपने ऊपर लगातार पड़ने वाले कदमों और उसकी गतिविधियों को देखकर खुद को व्यस्त महसूस करती है।


(xi) सड़क युगों युगों तक की घटना की साक्षी गवाह बनी हुई है। स्पष्ट करो।


उत्तरः सड़क ने युगों-युगों तक की घटनाओं को देखा है, इसलिए वह इतिहास की एक जीवंत गवाह बन जाती है।


(xii) सड़क ने ऐसा क्यों कहा है कि सायद समाप्ति और स्थायित्व कहीं होगा, पर उसे कभी दिखाई नहीं देती।


उत्तरः
सड़क को समाप्ति और स्थायित्व का ज्ञान नहीं है, क्योंकि वह निरंतर बदलते कदमों के बीच खुद को खो चुकी है।

(xiii) सड़क को किस आनन्द का कभी अनुभव नहीं होता। और क्यों ?


उत्तरः सड़क कभी भी अपने लिए आनंद का अनुभव नहीं करती, क्योंकि वह हमेशा राहगीरों की थकान का साक्षी होती है।


(xiv) सड़क के धूल पर छोटे बच्चे कैसे खेलते है?


उत्तरः सड़क के धूल में छोटे बच्चे खुशी से खेलते हैं, जिससे उसे जीवन का एक नया रूप मिलता है।


(xv) सड़क क्यों अपने आपको सबका लक्ष्य और सबका उपाय बताता है?


उत्तरः सड़क सबका साथी है, लेकिन कोई भी उसके ऊपर ठहर नहींता। वह लोगों को घर पहुँचाने का माध्यम है, लेकिन कभी भी खुद को लक्ष्य नहीं मानती।


C. विवरणात्मक प्रश्न :


1.अलग अलग राहगीरों के कदम के स्पर्श से सड़क को अलग-अलग अनुभव होती है? वे उन अनुभवों का वर्णन करो।


उत्तरः सड़क के अनुभव विभिन्न लोगों के कदमों से बदलते हैं। सुखी व्यक्ति के कदम उसे ऊर्जा देते हैं, जबकि दुखी व्यक्ति के कदम उसकी धूल में निराशा बिखेरते हैं।


2 सड़क को अमीर-गरीब, सुखी-दुखी हर जनों के मन की स्थिति का अनुभव है। पाठ के आधार पर सम्यक उत्तर दी।


उत्तरः सड़क को अमीर-गरीब, सुखी-दुखी सभी की मानसिक स्थिति का अनुभव है। वह उन सभी के जीवन के उतार-चढ़ाव की साक्षी है।


3. सड़क सबका साथी है, पर उसका साथ कोई नहीं देता।। पाठ के आधार पर उत्तर लिखो।


उत्तरः सड़क सबका साथ देती है, लेकिन खुद अकेली होती है। लोग उसका उपयोग करते हैं, लेकिन उसे कभी धन्यवाद नहीं देते।


4. सड़क कभी किसी की चरण स्पर्श को याद क्यों नहीं रख। सकती ?


उत्तरः सड़क किसी भी कदम को लंबे समय तक याद नहीं रख सकती, क्योंकि उसके ऊपर लगातार नए कदमों का आना होता है।


5. सड़क पर सुख और आनन्द का वातावरण कैसे आ जाती । है?


उत्तरः सड़क पर सुख का माहौल तब बनता है, जब बच्चे खेलते हैं और परिवार एक साथ होते हैं। उनका प्यार और खुशी सड़क की धूल में समाहित हो जाती है।


6. रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी के जीवन में परिवार की भूमिका पर । एक टिप्पणी लिखो।


उत्तरः रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी के जीवन में परिवार का महत्वपूर्ण स्थान था। उनका परिवार उनके व्यक्तित्व और रचनात्मकता को आकार देने में सहायक रहा।


7. रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी बहुमुखी प्रतिभा के अधिकारी व्यक्ति थे। स्पष्ट करो।


उत्तरः रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे कवि, लेखक, संगीतकार, चित्रकार और समाज सुधारक थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से मानवता की सेवा की।


आशय स्पष्ट करो:


1. समाप्ति और स्थायित्व शायद कही होगा, पर मुझे तो नहीं। दिखाई देता।


उत्तरः सड़क ने अपनी स्थायी स्थिति को बताया है, जबकि जीवन की अनिश्चितता को स्वीकार किया है।


2.जी चला जाता है वह तो पीछे कुछ छोड़ ही नहीं जाता।


उत्तरः यह दिखाता है कि जीवन के अनुभव अक्सर अस्थायी होते हैं।


3. घर के उस आनंद का एक कण भी, एक बूँद भी मैं नहीं पाऊँगी।


उत्तरः सड़क अपनी स्थिति में दूसरों के सुख को देखने की दुर्बलता का अनुभव करती है।


4. संसार की कोई भी कहानी में पूरी नहीं सुन पाती।


उत्तरः
यह सड़क की अपूर्णता और निरंतरता को दर्शाता है।

5. जड़ निद्रा में पड़ी पड़ी मैं अपार धीरज के साथ अपनी धूल में ।


उत्तरः यह सड़क की स्थिरता और धैर्य को दर्शाता है।


सप्रसंग व्याख्या करो :


1. इस तरह न जाने कितने युगों की कितनी टूटी-फूटी बातें और बिखरे हुए गीत मेरी धूल के साथ धूल बन गए है और । धूल बनकर अब भी उड़ते रहते हैं।


उत्तरः प्रसंग- यह वाक्य हमारे पाठ में स्थित रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखे गए सड़क की बात नामक पाठ से लिया गया हैं।


व्याख्या- यह वाक्य सड़क के अनुभव को दर्शाता है कि वह कितने समय से मानवता की कहानियाँ सुनती आ रही है। सड़क ने युगों से लोगों के जीवन की हंसी, गीत, और अनुभवों को देखा और सुना है, लेकिन ये सब बातें समय के साथ धूल में मिलकर खो गई हैं। यहां सड़क की दृष्टि से यह महसूस होता है कि मानव जीवन की बहुत सी बातें समय की धारा में बिखर जाती हैं, और केवल यादों के रूप में रह जाती हैं। यह बताता है कि जीवन की अस्थिरता और समय की गति के कारण कितनी मूल्यवान बातें अदृश्य हो जाती हैं।


2. अब की बार जब फिर उससे भेंट होगी, वह जब मुँह । उठाकर इसके मुँह की तरह ताकेगा, तब 'कहते-कहते' फिर 'कह नही' पाई तो।


उत्तरः प्रसंग- यह वाक्य हमारे पाठ में स्थित रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखे गए सड़क की बात नामक पाठ से लिया गया हैं।


व्याख्या- यहाँ सड़क यह सोच रही है कि जब वह किसी व्यक्ति से फिर से मिलेगी, तो क्या वह अपने अनकहे शब्दों को दोहराने का मौका पाएगी। यह वाक्य अनकही भावनाओं और संवाद की कमी को दर्शाता है। यह जीवन की उन क्षणों का संकेत है, जब हम अपने मन की बात कह नहीं पाते हैं। सड़क की यह इच्छा उसकी गहरी संवेदनाओं और उन जीवित क्षणों को पकड़ने की कोशिश है, जो उसके लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन कहीं खो गए हैं।


3. समाप्ति और स्थायित्व शायद कही होगा, पर मुझे तो नहीं दिखाई देता।


उत्तरः प्रसंग- यह वाक्य हमारे पाठ में स्थित रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखे गए सड़क की बात नामक पाठ से लिया गया हैं।


व्याख्या- यह वाक्य सड़क की निराशा को व्यक्त करता है। सड़क महसूस करती है कि हर चीज़ का अंत और स्थायित्व होता है, लेकिन वह खुद को एक निरंतरता में देखती है। उसे अपनी स्थिति में कोई स्थायित्व नहीं दिखाई देता; वह हमेशा बदलती रहती है, लेकिन खुद को स्थिर समझती है। यह जीवन की अस्थिरता और निरंतर परिवर्तन की भावना को दर्शाता है, जहाँ सड़क एक दृष्टिकोन बन जाती है जो सब कुछ देखती है लेकिन खुद को एक स्थान पर नहीं पा रही है।



4.अमीर और गरीब, जन्म और मृत्यु सब कुछ मेरे ऊपर एक ही साँस में धूल के स्त्रीत की तरह उड़ता चला जा रहा है।


उत्तरः प्रसंग- यह वाक्य हमारे पाठ में स्थित रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखे गए सड़क की बात नामक पाठ से लिया गया हैं।

व्याख्या- यह वाक्य सड़क के अनुभव को बहुत गहराई से व्यक्त करता है। सड़क हर प्रकार के लोगों—अमीर और गरीब, जीवन और मृत्यु—के चरणों को सहन करती है। यह दिखाता है कि जीवन का हर पहलू सड़क पर गुजरता है और सभी का अंत एक समान धूल में मिल जाता है। सड़क का यह दृष्टिकोण जीवन की समानता और अस्थिरता को उजागर करता है, जहां सभी की यात्रा एक ही धूल में समाहित हो जाती है, चाहे वे कितने भी अमीर या गरीब क्यों न हों। यह वाक्य मानवता की जटिलताओं को सरलता से दर्शाता है।

Answer by Reetesh Das (MA in Hindi) and Dikha Bora

Edit By Dipawali Bora (23.04.2022)





Post Id: DABP001092