Lesson- 5

   सड़क की बात   


1. एक शब्द में उत्तर दो:
(क) गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर किस आख्या से विभूषित है?
उत्तर: विश्व-कवि।

(ख) रवींद्रनाथ ठाकुर जी के पिता का नाम क्या था?
उत्तर: देवेंद्रनाथ ठाकुर।

(ग) कौन सा काव्य-ग्रंथ रवींद्रनाथ ठाकुर जी की कीर्ति का आधार-स्तंभ है?
उत्तर: गीतांजलि।

(घ) सड़क किसकी आखिरी घड़ियों का इंतजार कर रही है?
उत्तर: शाप की।

(ङ) सड़क किसकी तरह सब कुछ महसूस कर सकती है?
उत्तर: अंधे की तरह।


2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(क) कवि-गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कहा हुआ था?
उत्तर: कवि-गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कोलकाता के जोरासाँको में एक संपन्न एवं प्रतिष्ठित बंग्ला परिवार में हुआ था।

(ख) गुरुदेव ने कब मोहनदास करमचंद गांँधी को 'महात्मा' के रूप में संबोधित किया था?
उत्तर: जब मोहनदास करमचंद गांँधी शांतिनिकेतन में आए, तब उन्हें कवि-गुरु द्वारा 'महात्मा' के रूप में संबोधित किया गया था।

(ग) सड़क के पास किस कार्य के लिए फुर्सत नहीं है?
उत्तर: सड़क के पास इतनी सी फुर्सत नहीं है कि वह अपने सिरहाने के पास एक छोटा-सा नीले रंग का वनफूल भी खिला सके।

(घ) सड़क ने अपनी निद्रावस्था की तुलना किससे की है?
उत्तर: सड़क ने अपनी निद्राअवस्था की तुलना अंधे व्यक्ति से की है।

(ङ) सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर क्या नहीं डाल सकती?
उत्तर: सड़क अपनी कड़ी और सुखी सेज पर एक भी मुलायम हरी घास या दूब नहीं डाल सकती।


3. अति संक्षिप्त उत्तर दो:

(क) रवींद्रनाथ ठाकुर जी की प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है?
उत्तर: रवींद्रनाथ ठाकुर जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई हजार कविताओं, गीतों, कहानियों, रूपोंको एवं निबंधों की रचना कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। काव्य-ग्रंथ में 'गीतांजलि' उनका आधार स्तंभ है। उपन्यास में 'गोरा' और 'घरेबाइरे' उल्लेखनीय है। कहानियों में से 'काबुलीवाला' एक कालजयी कहानी है। अतः साहित्य के सभी क्षेत्रों में उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए कई रचनाएंँ की है।

(ख) शांतिनिकेतन के महत्व पर प्रकाश डाले।
उत्तर: शांतिनिकेतन कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापना की गई एक शैक्षिक सांस्कृतिक केंद्र है, जो रविंद्र नाथ ठाकुर के सपनों का मूर्त रूप है। रविंद्र नाथ ठाकुर जी शिक्षा एवं संस्कृत से प्रेम करते थे। इसीलिए उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो आगे चलकर 'विश्व-भारती विश्वविद्यालय' के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इसी शांतिनिकेतन में उन्होंने मोहनदास करमचंद गांँधी को 'महात्मा' की उपाधि दी थी।

(ग) सड़क शाप-मुक्ति की कामना क्यों कर रही है?
उत्तर: सड़क शाप-मुक्ति की कामना कर रही है ताकि वह करवट ले सके, अपनी कड़ी और सुखी सेज पर मुलायम हरी घास बिछा सके और अपने सिरहाने के पास नीले रंग का वनफूल खिलाकर उसका सुख पा सके।


(घ) सुख की घर-गृहस्ती वाले व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क क्या समझ जाती है?
उत्तर: सड़क लोगों के चरणों के स्पर्श से ही उनके ह्रदय को पढ़ लेती है। सड़क को पता चल जाता है कि कौन सुखी घर से है और कौन दुखी घर से। सुखी की घर-गृहस्ती वाले व्यक्ति के पैर की आवाज सुनकर सड़क समझ जाती है कि वह सुख पूर्वक घर पहुंँचने को आतुर है। खुशियों से भरा उसका घर मानो उसे अपनी और प्यार और स्नेह से पुकार रहा है।

(ङ) गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनने पर सड़क को क्या बोध होता है?
उत्तर: गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुन सड़क जान लेती है कि वह निराश और हताश होकर बिना किसी लक्ष्य की ओर चले जा रहा है। उसके कदमों में न तो आशा होती है और न ही कोई अर्थ। सड़क को उसकी आहट से ऐसा प्रतीत होता है कि उसके कदमों से सड़क की सूखी हुई धूल मानो और सूख जाती है।

(च) सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चीह्न को क्यों ज्यादा देर तक नहीं देख सकती?
उत्तर: सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चीह्न को ज्यादा देर तक इसलिए नहीं देख सकती क्योंकि सड़क पर हर वक्त नए-नए पांँव आकर पुराने पांँव के चरणों को पोंछ जाती है। एक चरण चीह्न हजारों चरणों के तले लगातार कुचला जाकर कुछ ही देर में वह धूल में मिल जाता है।

(छ) बच्चों के कोमल पाँवों के स्पर्श से सड़क में कौन-से मनोभाव बनते हैं?
उत्तर: जब बच्चों के कोमल पाँव सड़क पर स्पर्श करती हैं तब सड़क  अपने आप को कठिन अनुभव करती है। क्योंकि सड़क को लगता है कि उनके कोमल पांँवों को कठोर सड़क पर चलने में चुभन महसूस होती होगी। इसीलिए सड़क की मनोभावना होती है कि काश बच्चों के पैर पड़ते ही कठोर सतह फूलों की तरह नरम और मुलायम हो जाए।

(ज) किसलिए सड़क को न हंँसी है, न रोना?
उत्तर: रोजाना सड़क के ऊपर से लोग अपने लक्ष्य की ओर चला करते हैं। हर पल वे अपने पैरों के निशान छोड़ जाते हैं। चाहे वह जिसके भी पैरों के निशान क्यों न हो, सड़क अमीर और गरीब नहीं देखता। उसके एक सांँस लेने से धूल की तरह सब कुछ पल भर में उड़ जाता है। वह अपने ऊपर कुछ भी पड़ा रहने नहीं देती। इसीलिए सड़क को न हंँसी है, न रोना।

(झ) राहगीरों के पांँवों के शब्दों को याद रखने के संदर्भ में सड़क ने क्या कहा है?
उत्तर: सड़क को उसके ऊपर से हर पल अनगिनत राहगीरों के पांँवों के शब्द सुनाई देती रहती है। सड़क का कहना है कि उसके ऊपर से जाने कितने ही पांँवों के शब्द सदा के लिए शांत हो गए। उन सब शब्दों को याद रखना उसके लिए संभव नहीं है। उसे कभी-कभी याद आती तो है, सिर्फ उन पाँवों कि जो करुण नूपुर-घ्वनि दे जाती है। पर उसे रत्ती भर भी शोक या संताप मनाने का समय नहीं है। और वह मनाए भी तो क्यों ऐसे कितने उसके पास आते हैं और चले जाते हैं।


4. संक्षिप्त उत्तर दो:
(क) जड़ निद्रा में पड़ी सड़क लाखों चरणों के स्पर्श से उनके बारे में क्या-क्या समझ जाती है?
उत्तर: हर एक व्यक्ति सड़क पर से अपने-अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता जाता है। सड़क अंधे की तरह पैरों की आहट से ही सब कुछ महसूस कर उनके हृदय को पढ़ लेती है। वह समझ जाती है कि कौन घर जा रहा है, कौन परदेस, तो कौन काम से जा रहा है, तो कौन आराम करने जा रहा है। सड़क जान जाती है कि किसका ह्रदय खुशियों से भरा है। तथा कौन दुख के सागर में डूबा हुआ भटक रहा है।

(ख) सड़क संसार की कोई भी कहानी क्यों पूरी नहीं सुन पाती?
उत्तर: सड़क संसार की कोई भी कहानी इसीलिए नहीं सुन पाती क्योंकि अनगिनत पांँव अपनी एक अलग-अलग कहानी एवं सुख-दुख को लिए सड़क पर से गुजरते रहते हैं। सड़क सैकड़ों-हजारों वर्षों से लाखों-करोड़ों लोगों की कितनी हंँसी, कितने गीत, कितनी बातें सुनती आई है। पर जब भी वह कहानी सुनने की कोशिश करती है तो, दूसरे ही पल दूसरे पाँव आकर पहले पांँवों की कहानी को धूल में मिटा देती है। इसी तरह यह सिलसिला चलता रहता है और सड़क की कहानी सुनने की इच्छा अधूरी रह जाती है।

(ग) "मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं हूंँ। सबका उपाय मात्र हूंँ।" सड़क ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर: सड़क सिर्फ मंजिल तक पहुंँचने का माध्यम है। वह किसी का भी लक्ष्य नहीं है, पर सबको उसके लक्ष्य तक पहुंँचाने का जरिया है। सड़क किसी का भी घर नहीं है, पर वह सबको घर ले जाती है। अगर सड़क को अपना लक्ष्य मानते तो वें वही ठहर जाते। पर सड़क पर कोई खड़ा रहना पसंद नहीं करता। अपने लक्ष्य तक पहुंँचते ही वे अपना पैर सड़क पर से उठा लेते हैं। इसीलिए सड़क कहती है की वह किसी का लक्ष्य नहीं है, बस एक उपाय मात्र है लक्ष्य को पाने के लिए।

(घ) सड़क कब और कैसे घर का आनंद कभी-कभी महसूस करती है?
उत्तर: जब भी छोटे-छोटे बच्चे सड़क के पास आकर बड़े आनंद और शोरगुल मचाते हुए खेलने आते हैं, तब सड़क को आनंद महसूस होता है। क्योंकि बच्चे मस्ती में हल्ला-गुल्ला कर सड़क को ही अपना घर बना लेते है। बच्चों का स्पर्श पाकर सड़क की खुशियों का ठिकाना नहीं रहता। बच्चे अपने नन्हे-नन्हे कोमल हाथों से बालू के ढेर बनाते और हौले-हौले थपकियाँ देकर सड़क के धूल में वे अपना परम स्नेह और प्यार छोड़ जाते हैं। जिससे सड़क को अपनेपन का एहसास होने लगता है और सड़क को भी घर का आनंद प्राप्त हो जाता है।

(ङ) सड़क अपने ऊपर से नियमित रूप से चलने वालों की प्रतीक्षा क्यों करती है?
उत्तर: प्रतिदिन नियमित रूप से जो सड़क पर चलते हैं उसे सड़क अच्छी तरह पहचानती है। पर वह नहीं जानते कि उसके लिए सड़क कितनी प्रतीक्षा किया करती है। उसका बेसब्री से इंतजार कर सड़क कल्पना के सागर में डूब जाती है और कल्पना करने लगती है कि कब वह नूपुर रुनझुन ध्वनि चरण सड़क पर से गुजरेंगे। सड़क कि आत्मीयता उनके साथ गहरी होती जाती है, जो प्रतिदिन उसके ऊपर से गुजरते हैं।इसीलिए सड़क अपने ऊपर से नियमित रूप से चलने वालों की प्रतीक्षा करती है।




Answer by Reetesh Das (MA in Hindi)

Edit By Dipawali Bora (23.04.2022)





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