Lesson 16

 अमृत वाणी 


1. सही कथन के आगे [✓] और गलत कथन के आगे [×] निशान लगाओ:

(क) मधुर वचन औषधि के समान आरामदायक होता है [✓]

(ख) निंदा करने वाले व्यक्ति से हमें दूर रहना चाहिए। [×]

(ग) ज्ञानी व्यक्ति अपने लिए धन का संचय करते हैं[×]

(घ) हमें अपना दुख अपने मन में ही छुपाकर रखना चाहिए। [✓]

(ङ) सुई का काम तलवार कर सकती है। [×]

(च) गरीबों की मदद करने वाले ही सच्चे अर्थ में बड़े व्यक्ति होते हैं। [✓]

2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(क) संत कबीरदास के आराध्य कौन थे?

उत्तर: संत कबीरदास के आराध्य निर्गुण निराकार राम थे।

(ख) 'कबीर' शब्द का अर्थ क्या है?

उत्तर: 'कबीर' शब्द का अर्थ है बड़ा, श्रेष्ठ, महान।

(ग) कवि के अनुसार क्या करने पर हमारे जीवन में दुख कभी नहीं आएगा?

उत्तर: अगर हम सुख की स्थिति में भी अपने आराध्य का स्मरण करेंगे तो, हमारे जीवन में दुख कभी नहीं आएगा।

(घ) कवि रहीम का पूरा नाम क्या था?

उत्तर: कवि रहीम का पूरा नाम अब्दुलर्रहीम खानखाना था।

(ङ) किनके साथ कवि रहीम की गहरी मित्रता थी?

उत्तर: कवि गोस्वामी तुलसीदास के साथ कवि रहीम की गहरी मित्रता थी।

(च) श्री कृष्णा ने किसके साथ बचपन की मित्रता निभाई थी?

उत्तर: श्री कृष्णा ने गरीब ब्राह्मण सुदामा के साथ बचपन की मित्रता निभाई थी।

3. संक्षेप में उत्तर दो:

(क) बुरे व्यक्ति की खोज में निकलने पर कवि को क्या अनुभव हुआ?

उत्तर: जब बुरे व्यक्ति की खोज में कवि निकले, तो उन्हें कहीं भी बुरा व्यक्ति नजर नहीं आया। लेकिन जब उन्होंने अपने आप में अर्थात अपने दिल में खोजा तो पाया कि उन जैसा बुरा और कोई नहीं है। 

(ख) अपने शिष्य को बनाने में गुरु  किस प्रकार कुम्हार की भूमिका निभाते हैं?

उत्तर: जिस प्रकार कुम्हार अपने घड़े को बनाते समय अपने कोमल हाथों को घड़े के भीतर सहारा देकर बाहर धीरे-धीरे प्रहार करके एक सुंदर घड़े का निर्माण करता है। ठीक उसी प्रकार गुरु भी अपने शिष्य को बड़े प्यार और कोमलता से ज्ञान देते हैं तो कभी-कभी अपने कठोर वाणी से डांँट फटकार भी देते हैं। ताकि उनके अंदर जो कमियांँ है वह दूर हो सके। इस तरह शिष्य को बनाने में गुरु कुम्हार की भूमिका निभाते हैं।

(ग) साधु की जाति के बारे में पूछने के संदर्भ में कवि ने क्या कहा है?

उत्तर: साधु की जाति के बारे में पूछने के संदर्भ में कवि ने कहा है कि कभी भी साधु की जाति के बारे में नहीं पूछना चाहिए। बल्कि उसके ज्ञान के बारे में पूछना चाहिए। तलवार को रखे जाने वाले म्यान को नहीं, अपितु तलवार को महत्व दिया जाना चाहिए। अर्थात साधु कौन सा भी जाति का हो, अगर उसमें ज्ञान का भंडार है तो उस ज्ञान को बटोर लेना चाहिए।

(घ) कवि रहीम ने ऐसा क्यों कहा है कि थोड़े दिनों के लिए आने वाली विपत्ति अच्छी होती है?

उत्तर: कवि रहीम ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि विपत्ति के समय में हमारे हित और अहित चाहने वालों की पहचान होती है। अर्थात कम दिनों के लिए आने वाली विपत्ति में कौन हमारे साथ रहकर हमारा भला चाहता है और कौन हमारा बुरा चाहता है इसकी पहचान हो जाती है।

(ङ) कवि के अनुसार हमें मन की व्यथा किसलिए मन में ही छिपाकर रखनी चाहिए?

उत्तर: कवि के अनुसार हमें अपने मन की व्यथा मन में ही  छिपाकर रखनी चाहिए। ऐसा इसलिए कि दूसरे व्यक्ति सुनकर नखरे ही करते हैं, कोई उसे बाँट नहीं लेता।

4. लघु उत्तर दो:

(क) संत कबीरदास का परिचय दो।

उत्तर: कबीर दास एक संत कवि थे। उन्होंने जनता के बीच रहकर जनता की भाषा में जनता के लिए कविता की रचना की। वह निर्गुण निराकार राम को अपना आराध्य मानते थे। उनका जन्म काशी में 1398 ई. को हुआ था। उनके द्वारा रचित कविताओं में अमृतवाणी थी जिसे पढ़कर हमें अच्छी सीख मिलती है।

(ख) कवि रहीम का परिचय प्रस्तुत करो।

उत्तर: कवि रहीम का पूरा नाम था अब्दुर्रहीम खानखाना। उनका जन्म वन 1556 ई. में हुआ था। वह मुगल सम्राट अकबर के मंत्री बैरम खांँ के पुत्र थे। वे एक तरफ राज्य-कार्य में निपुण थे, तो दूसरी तरफ अच्छी कविता भी करते थे। उनकी मित्रता कवि गोस्वामी तुलसीदास से थी।

(ग) निम्नलिखित साखी का सरल अर्थ लिखो:

मधुर बचन है औषधि, कटुक बचन है तीर। स्रवन द्वार है संचरै, सालै सकल शरीर।।

उत्तर: इस साखी का अर्थ है कि मीठे बोली हमेशा औषधि का काम करती है। लेकिन कड़वा वचन एकदम नुकीले वाण की तरह होता है। अगर हम कड़वाहट भरे वचन को अपने कानों से सुनेंगे तो उसका असर हमारे समस्त शरीर में होगा। अर्थात हमारे शरीर को दुख देगा।

(घ) निम्नलिखित दोहे को गद्य-रूप दो:

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि। जहांँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारी।।

उत्तर: तलवार और सुई में आकार और वजन में काफी अंतर होता है। दोनों की अपनी-अपनी विशेषताएंँ होती है। जीवन में बड़े से लेकर छोटे तक सभी चीजों का महत्व एवं गुण होता है। अगर हम यह सोचे कि हर क्षेत्र में बड़ा ही काम आएगा तो यह हमारी भूल होगी। इसीलिए जहांँ सुई काम आती है वहांँ तलवार की आवश्यकता नहीं पड़ती।इसीलिए रहीम जी ने भी अपने दोहे में कहा है कि बड़े को देखकर छोटे को छोड़ नहीं देना चाहिए।

5. निम्नलिखित दोहों के भावार्थ लिखो:

(क) निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना, निरमल करै सुभाय।।

उत्तर: इस दोहे का भावार्थ कुछ इस प्रकार है-

निंदा करने वाले व्यक्ति को अपने आंगन में कुटिया बनाकर पास ही रखना चाहिए। ताकि वह व्यक्ति बिना पानी और साबुन के हमारे स्वभाव को निर्मल बनाता रहे।

(ख) रहिमन निज संपति बिना, कोउ बिपति सहाय। बिनु पानी ज्यों को, रवि नहिं सकै बचाय।।

उत्तर: इस दोहे का भावार्थ कुछ इस प्रकार है:-

विपत्ति के समय अपना साधन ही काम आता है। उस समय कोई दूसरा हमारा सहायक नहीं बनता। हमें अपने विपत्ति का सामना खुद ही करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर अगर कमल के आस पास जल नहीं होगा, तो सूरज भी उसकी रक्षा नहीं कर सकता। उसे अपनी रक्षा खुद से ही करनी पड़ती है। इसलिए अगर हमारे जीवन में विपत्ति आती है, तो उसका सामना खुद से करना चाहिए।


Answer by Reetesh Kumar Das (MA in Hindi)

Edit by Dipawali Bora (27.04.2022)


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