Lesson 1
उसने कहा था
1.'उसने कहा था' के कहानीकार कौन है?
उत्तर: 'उसने कहा था' नामक कहानी के कहानीकार हिंदी के प्रसिद्ध कहानीकार चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' है।
2. 'तेरी कुड़माई हो गई ?'-यह वाक्य किसने किससे पूछा था?
उत्तर: 'तेरी कुड़माई हो गई ?' यह वाक्य बचपन में लहना सिंह ने सूबेदारनी से पूछा था।
3. 'बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही'- कथन की पुष्टि कीजिए?
उत्तर: घोड़ा का काम होता है कि वह दौड़े और सिपाही का काम होता है कि वह युद्ध लड़े । अगर घोड़ा बिना दौड़े या चले एक जगह स्थिर हो जाएगा तो उसकी विशेषताएं अपने आप समाप्त हो जाएगी या वो बिगड़ जाएगा, ठीक उसी प्रकार अगर सिपाही बिना युद्ध लड़े आम जिंदगी बिताने लगे तो उनकी युद्ध कला व कौशल अपने आप बिगड़ जाएगा। दौड़ना या तेज चलना ही घोड़ा की विशेषताएं होती है ,वैसे ही देश की रक्षा एवं सुरक्षा के लिए युद्ध लड़ना सिपाही का धर्म होता है। इसलिए कहा गया है कि बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही।
4. 'यह मेरी भिक्षा है, तुम्हारे आगे मैं आंचल पसारती आरती हूं'- यह किसका कथन है?
उत्तर: 'यह मेरी भिक्षा है, तुम्हारे आगे मैं आंचल पसारती आरती हूं'- यह सूबेदारनी का कथन है।
5. बजीरा सिंह कौन है?
उत्तर: बजीरा सिंह पलटन का विदूषक है।
6. लपटन साहब की वर्दी पहन कर लहना सिंह के पास कौन आया था?
उत्तर: लपटन साहब की वर्दी पहनकर लहना सिंह के पास कोई जर्मन जासूस आया था।
7. "और जब घर जाओ तो कह देना कि मुझसे जो उसने कहा था, वह मैंने कर दिया।"- सूबेदारनी ने लहना सिंह से क्या कहा था?
उत्तर: सूबेदारनी ने लहना से कहा था कि उनका एक बेटा है जो फौज में भर्ती हुए एक ही बरस हुआ है ,उसके पीछे चार और बेटे हुए पर एक भी नहीं जिया। जिस प्रकार लहना सिंह ने सूबेदारनी को एक दिन टांगे वाले का घोड़ा दही वाले की दुकान के पास से प्राण बचाए थे, उसी प्रकार सूबेदार और उनके बेटे को भी वह बचा लें। इस प्रकार सूबेदारनी ने लहना से अपने पति एवं पुत्र का प्राण भिक्षा मांगी थी।
8. प्रस्तुत कहानी का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: प्रस्तुत कहानी का उद्देश्य निस्वार्थ प्रेम की अभिव्यंजना तथा त्याग एवं समर्पण की भावना को प्रकट करना है।वर्तमान समय की वस्तुवादी एवं भोगवादी विचारधारा से ऊपर उठकर निस्वार्थ निश्चल प्रेम की अभिव्यंजना करना तथा प्रेम में त्याग को दर्शाना साथ ही एक प्रेमी होने का उत्तरदायित्व का पालन करना आदि परिघटनाओं को दर्शाना इस कहानी का मुख्य उद्देश्य है।
9. प्रस्तुत कहानी की विशेषताओं को रेखांकित कीजिए?
उत्तर: चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' जी द्वारा लिखित उसने कहा था नामक कहानी की मूल विशेषताएं हैं ,प्रेम और त्याग की भावना प्रकट करना। प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखित उक्त कहानी अमर प्रेम की कहानी है ,जिसमें त्याग एवं बलिदान की भावना निहित है । उक्त कहानी के नायक लहना सिंह त्याग एवं आत्म बलिदान की मूर्ति है । प्रस्तुत कहानी में बाल मनोविज्ञान ,सैनिक जीवन की स्थिति ,प्रेम और त्याग , एवं आत्म बलिदान आदि विशेषताएं निहित है।
10. युद्ध भूमि में लहना सिंह क्यों झूठ बोलता है?
उत्तर: लड़ाई के बाद युद्ध भूमि में घायल सैनिकों को बचाने के लिए डॉक्टर का टीम आ पहुंचा था। बुखार से बोधा सिंह पीड़ित था तथा सुबेदार भी घायल थे ।दोनों की जिंदगी को बचाने के लिए साथ ही बचपन की प्रेमिका को दिया हुआ वचन का पालन करने के लिए लहना सिंह ने युद्ध भूमि में झूठ बोलता है।
11. लहना ने अपने पारिवारिक जीवन के संबंध में क्या संकेत दिया है?
उत्तर: प्रस्तुत कहानी में लहना सिंह ने अपने पारिवारिक जीवन के संबंध में यही संकेत दिया है कि कीरत सिंह उनका भाई है तथा उनका एक बेटा भी है।
12. व्याख्या कीजिए-
"मृत्यु के कुछ समय पहले स्मृति बहुत साफ हो जाती है। जन्म भर की घटनाएं एक-एक करके सामने आती हैं। सारे दृश्यों के रंग साफ होते हैं, समय की ढूंढ बिल्कुल उन पर से हट जाती है।"
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत गद्यांश चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' जी द्वारा लिखित 'उसने कहा था' नामक कहानी से लिया गया है। उक्त पंक्तियों के माध्यम से कहानीकार ने जीवन की अनुभूति एवं यथार्थता को दर्शाने का प्रयास किया है।
प्रसंग: जीवन की अनुभूति अनमोल होती है। इसका अनुभव तभी संभव होता है जब मृत्यु समीप होता है। मृत्यु के कुछ क्षण पहले जीवन भर की घटना एवं परिघटनाओं का आकलन किया जाता है ,जो स्मृति पट पर साफ हो जाता है। उक्त पंक्तियां कहानीकार इसी प्रसंग को दर्शाने के लिए प्रस्तुत किया है।
व्याख्या: 'उसने कहा था' नामक कहानी चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' जी द्वारा लिखित प्रेम और त्याग की अमर प्रेम गाथा है। इस कहानी में कहानीकार ने वर्तमान मशीनीकरण की युग में भोगवादी एवं वस्तुवादी विचारधारा से ऊपर उठकर निस्वार्थ प्रेम और आत्म बलिदान को दर्शाया है। कहानी के नायक लहना सिंह के बचपन का प्रेम और प्रेमिका को दिया हुआ वचन को पालन करने के लिए आत्म बलिदान दे दिया। युद्ध भूमि में जीवन के अंतिम क्षण में वे अपने जीवन को पुनर्वलोकन करते हैं । मनुष्य अपने कर्म व्यस्तता के कारण अपने जीवन अवलोकन करने का समय नहीं मिलता है ,परंतु मृत्यु के कुछ क्षण पहले वे यह अनुभव करते हैं कि वह अपने जीवन में क्या पाया और क्या खोया? मनुष्य के अपने जीवन भर की घटनाएं स्मृति पटल पर निष्क्रिय रहता है और मृत्यु के कुछ क्षण पहले यह स्मृति सक्रिय हो जाता है ।कहानीकार ने उक्त पंक्तियों के माध्यम से मनुष्य जीवन की अनुभूति एवं यथार्थ बोध को दर्शाने का प्रयास किया है।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष के रूप में हम यह कह सकते हैं कि मनुष्य जीवन के लिए मृत्यु ही ऐसा सत्य हैं, जो समय आने पर ही जीवन की दशा और कर्म का अनुमान लगाया जा सकता है। जीवन भर में क्या हुआ घटना एवं परिघटनाओं का आकलन तथा स्मृतियां का साफ होना मृत्यु के समीप होने का परिणाम है।
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P. Nath
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