कविता
( कृष्ण-महिमा)

1. सही विकल्प का चयन करो:

(क) रसखान कैसे कवि थे?
उत्तर: कृष्णभक्त

(ख) कवि रसखान की प्रामाणिक रचनाओं की संख्या है-
उत्तर: चार

(ग) पत्थर बनकर कवि रसखान कहांँ रहना चाहते हैं?
उत्तर: गोवर्धन पर्वत पर

(घ) बालक कृष्ण के हाथ से कौआ क्या लेकर भागा?
उत्तर: माखन-रोटी

2. एक शब्द में उत्तर दो:

(क) रसखान ने किससे भक्ति की दीक्षा ग्रहण की थी?
उत्तर: विट्ठलनाथ जी से।

(ख) 'प्रेमवाटिका' के रचयिता कौन है?
उत्तर: रसखान।

(ग) रसखान की काव्य-भाषा क्या है?
उत्तर: ब्रज।

(घ) आराध्य कृष्ण का वेष धारण करते हुए कवि अधरों पर क्या धारण करना नहीं चाहते?
उत्तर: मुरली।

(ङ) किनकी गाय चराकर कवि रसखान सब प्रकार के सुख भुलाना चाहते हैं?
उत्तर: नंद की गाय।

3. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(क) कवि रसखान कैसे इंसान थे?
उत्तर: कवि रसखान कोमल हृदयवाले भावुक प्रकृति के इंसान थे।

(ख) कवि रसखान किस स्थिति में गोपियों के कृष्ण प्रेम से अभिभूत हुए थे?
उत्तर: जब श्री कृष्ण अपना पीला वस्त्र धारण कर हाथों में लाठी लेकर गोपियों के संग वन में गाय चराने जाते हैं। उसे देख रसखान गोपियों के कृष्ण प्रेम से अभिभूत हुए थे।

(ग) कवि रसखान ने अपनी रचनाओं में किन छंदों का अधिक प्रयोग किया है?
उत्तर: कवि रसखान ने अपनी रचनाओं में दोहा, कवित्त और सवैया छंदों का अधिकतर प्रयोग किया है।

(घ) मनुष्य के रूप में कवि रसखान कहांँ बसना चाहते हैं?
उत्तर: मनुष्य के रूप में कवि रसखान गोकुल के गांँव में बसना चाहते हैं।

(ङ) किन वस्तुओं पर कवि रसखान तीनों लोकों का राज न्योछावर करने को प्रस्तुत है?
उत्तर: श्री कृष्ण के लाठी और कंबल पर कवि रसखान तीनों लोकों का राज न्योछावर करने को प्रस्तुत है।

4. अति संक्षिप्त उत्तर दो:

(क) कवि का नाम 'रसखान' किस प्रकार पूर्णतः सार्थक बन पड़ा है?
उत्तर: रसखान ने अपनी रचनाओं में भक्ति रस, प्रेम रस और काव्य रस यह तीनों रस का प्रयोग बड़े अच्छे ढंग से किया है। अतः इसी कारण कवि का नाम रसखान सार्थक बन पड़ा है।

(ख) 'जो खग हौं तो बसेरो करौं, मिलि कालिंदी-कूल-कदंब की डारन'- का आशय क्या है?
उत्तर: जो खग हौं तो बसेरो करौं, मिलि कालिंदी-कूल-कदंब की डारन' इसका आशय यह है कि कवि अगर पक्षी का जन्म पाते हैं तो वह कालिंदी  यानी यमुना नदी के किनारे कदम के पेड़ की डाल पर बैठना पसंद करेंगे। क्योंकि उसी पेड़ की डाल पर श्री कृष्ण बैठकर बांसुरी बजाया करते थे।

(ग) 'वा छबि को रसखानि बिलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी'- का तात्पर्य बताओ।
उत्तर: छबि को रसखानि बिलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी' का तात्पर्य है कि श्री कृष्ण का सुंदर छवि देख रसखान कहते हैं कि सिर पर सुंदर चोटी और हाथ में माखन रोटी लेकर आंगन में घूमते दृश्य को देखकर करोड़ों कामदेव और चंद्रमा उनके ऊपर न्योछावर है।

(घ) "भावतो वोहि मेरे 'रसखानि', सो तेरे कहे सब स्वांग भरौंगी"-  का भाव स्पष्ट करो।
उत्तर: कवि रसखान को भी गोपियों की तरह श्री कृष्ण के प्रेम में पीले वस्त्र धारण कर, हाथ में लाठी लेकर ग्वालिनों के संग वन में गाय चराने का मन है। वे कृष्ण के जैसे सभी वस्त्र धारण करेंगे सिर्फ मुरली अपने होठों पर नहीं रखना चाहते। क्योंकि अपने होठों से मुरली लगाकर श्री कृष्ण सबको भूल जाते हैं।

5. संक्षेप में उत्तर दो:

(क) कवि रसखान अपने आराध्य का सान्निघ्य  किन रूपों में प्राप्त करना चाहते हैं?
उत्तर: कवि रसखान अपने आराध्य का सानिध्य भिन्न-भिन्न रूपों में प्राप्त करना चाहते हैं ।कवि की इच्छा हैं कि अगर अगले जन्म में उनका जन्म मनुष्य के रूप में होता है तो उनका जन्म गोकुल गांँव के ग्वाले के रूप में हो। अगर वे पशु के रूप में जन्म पाते हैं तो गोकुल के नंद के घर में उनका जन्म हो। यहांँ तक की पत्थर बनकर गोवर्धन पर्वत पर रहना चाहते हैं। तथा पक्षी बनकर कदम की डाल पर बैठना चाहते हैं। जिस डाली पर बैठ श्री कृष्ण बांसुरी बजाया करते थे। तथा कवि को जो भी जन्म मिले वह सिर्फ  श्री कृष्णा से जुड़ी वस्तुएंँ होनी चाहिए।

(ख) अपने उपाष्य से जुड़े किन उपकरणों पर क्या-क्या न्योछावर करने की बात कवि ने की है?
उत्तर: कवि अपने उपाष्य से जुड़े विभिन्न उपकरणों पर कई सारी वस्तुएंँ न्योछावर करने की बात की है। जैसे- कवि श्री कृष्ण की लाठी और कंबल के लिए तीनों लोगों का राज पारठ त्यागने को तैयार है। यदि उन्हें नंद की गायों को चराने का अवसर मिले तो वह आठों सिद्धियों और नवों निधियों का सुख भी भुला देंगे। यहांँ तक कि वे  ब्रज के वन बागो, तालाबों तथा कटीली झाड़ियों के लिए करोड़ों सोने चांदी के नगर को भी न्योछावर करने को तैयार है।

(ग) कवि ने श्री कृष्ण के बाल-रूप की माधुरी का वर्णन किस रूप में किया है?
उत्तर: कवि ने श्री कृष्ण के बाल रूप यानी बचपन की माधुरी का वर्णन इस प्रकार किया है की बचपन में श्री कृष्ण आंगन में खेलते खेलते उनका शरीर धूल से लथपथ हो गया था। बालक श्री कृष्णा ने उस समय पीले रंग का वस्त्र पहना था। सर पर चोटी बंधी थी। तथा हाथ में माखन रोटी लिए इधर-उधर घूम रहे थे। ऐसी मनमोहक सुंदर छवि को देख कवि रसखान कामदेव और चंद्रमा की सुंदरता को भी न्योछावर कर देना चाहते हैं।

(घ) कवि ने अपने आराध्य की तरह वेश धारण करने की इच्छा व्यक्त करते हुए क्या कहा है?
उत्तर: कवि ने अपने आराध्य की तरह वेश धारण करने की इच्छा व्यक्त करते हुए गोपी भाव से यह कहा है कि गोपियों को श्री कृष्ण का रूप बहुत ही पसंद है। वे भी कृष्णा की तरह अपना रूप धारण करना चाहती है। गोपियांँ कहती है कि वे मोर पंख को अपने सिर पर लगाएगी। गले में गूंज की माला पहनेगी और पीले रंग का वस्त्र धारण कर हाथ में लाठी लेकर गायों को चराने के लिए ग्वालिनो के साथ वन में घूमेगी। लेकिन केवल श्री कृष्ण द्वारा अपने होठों से लगी बांसुरी को अपने होठों पर न रखेगी। क्योंकि बांसुरी धारण करते ही श्री कृष्ण सभी गोपियों को भूल जाते हैं।

6. सप्रसंग व्याख्या करो:

(क) 'भविष्य हौं तो वही......... तिन नंद की धेनु मँझारन।'
उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-1 के अंतर्गत रसखान जी द्वारा रचित 'कृष्ण-महिमा' नामक कविता से लिया गया है। व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि श्री कृष्ण के प्रति उनका लगाव इतना बढ़ गया है कि अगर उनका पुनर जन्म मनुष्य के रूप में होता है तो उनकी इच्छा है कि वह गोकुल के गांव में बसना चाहेंगे, जहांँ श्री कृष्णा गाय चराया करते थे। यदि कवि का जन्म पशु के रूप में होता है तो वह नंद की गायों के बीच रहकर चरना पसंद करेंगे। अतः कृष्ण से संबंधित सभी वस्तुओं को वे महसूस करना चाहते हैं।

(ख) 'रसखान कबौं इन आंँखिन.......... करील के कुंजन ऊपर वारौं।'
उत्तर:  संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-1 के अंतर्गत रसखान जी द्वारा रचित 'कृष्ण-महिमा' नामक कविता से लिया गया है। व्याख्या: इस पंक्तियों के जरिए कवि  कहना चाहते है कि उनकी आंखें ब्रज के बगीचे और तालाबों को देखने के लिए तरस रही है। ब्रज के सभी बस्तुओ से उनका इतना लगाव हो चुका है कि वह ब्रज के कटीली झाड़ियों के लिए सोने चांदी के नगर तथा करोड़ों की धन संपत्ति न्योछावर करने को तैयार है।

(ग) 'धूरि भरे अति सोभित.......... पैंजनी बाजतीं पीरीं कछोटी।'
उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-1 के अंतर्गत रसखान जी द्वारा रचित 'कृष्ण-महिमा' नामक कविता से लिया गया है। व्याख्या: इस पंक्ति में कहा गया है कि जब श्री कृष्ण आंगन में खेलते खेलते धूल से लथपथ हो गए थे उस स्थिति को देख कवि मोहित हो जाते हैं। उस समय बालक कृष्ण ने सर पर चोटी बांध रखी थी और हाथ में माखन रोटी लेकर इधर-उधर घूम रहे थे। घूमते वक्त उनके पैरों में बंधे घुंघरू की आवाज छन-छन कर सुनाई देती। कृष्ण का यह अपूर्व रूप देख कवि रसखान मोहित हो जाते हैं।

(घ) 'मोरा-पखा सिर ऊपर राखिहौं............. गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी।'
उत्तर: 
सुंदर: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-1 के अंतर्गत रसखान जी द्वारा रचित 'कृष्णा-महिमा' नामक कविता से लिया गया है। 
व्याख्या: इस पंक्तियों के जरिए कवि गोपियों के भाव से यह कहना चाहते हैं कि गोपियों की इच्छा है कि वह श्री कृष्ण की तरह रूप धारण कर कृष्ण की तरह मोर पंख को अपने सिर पर पहनेंगी और गले में गूंज की माला पहनेंगी। तथा पीला वस्त्र धारण कर कृष्ण की तरह हाथ में लाठी लेकर ग्वाला बन गाय को चराने जाएगी।




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