Lesson  3
 विप्लव गायन 
 (बालकृष्ण शर्मा'नवीन') 


प्रश्न
1. कवि नवीनजी कैसी तान सुनना चाहते हैं?
उत्तर: कवि नवीनजी ऐसी तान सुनना चाहते हैं जिससे पूरे संसार में उथल-पुथल मच जाए।


2. नवीन जी कवियों से क्या आह्वान कर रहे हैं?
उत्तर: नवीन जी कवियों से आह्वान करते हैं कि तुम इस प्रकार की तान सुनाओ, विप्लव के ऐसे गीत गाओ, जिससे संसार के चारों और उठल पुथल मच जाए। जैसे तूफान आने पर सागर में लहर पर लहर आती है, उसी प्रकार तुम्हारे विप्लव गीत से संसार में क्रांति का बिगुल बज उठे। जिससे अशूभ शक्तियों का नाश होकर शूभ तत्वों की प्रतिष्ठा हो सके।


3. सामाजिक परिवर्तन लाने में कवियों की कैसी भूमिका रहती है?
उत्तर:  कवि नवीन जी के अनुसार समाज परिवर्तन में कवियों का महत्वपूर्ण योगदान हैं। क्योंकि कवि अपने वाणीयों के माध्यम से कांति की शुरू कर सकते हैं। जिससे अत्याचार और शोषण का विरोध करने में साधारण लोगों को साहस प्रदान करते है। इससे शोषित और दलित लोग अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा सकते हैं। सच्चे अर्थ में कवि सामाजिक क्रांति के अग्रदूत है।


4.कवि जग को चकनाचूर करने के लिए क्यों कह रहे हैं?
उत्तर: कवि जग को चकनाचूर करने के लिए इसलिए कहता है क्योंकि इस महाविनाश से ही अन्याय एवं शोषण का विनाश होगा। कवि के अनुसार  अन्याय और शोषण का नाश होने के लिए सब कुछ चकनाचूर होना आवश्यक है। क्योंकि विनाश में ही सृष्टि का बीज छिपा होता है। नयी शांति तथा नयी समाज सृष्टि होने के लिए महाविनाश होना आवश्यक है।



5. व्याख्या कीजिए.........

"दिल को मसल - मसल मेंहदी रचवा आया हूँ मैं यह देखो-
एक एक - परिचालन में  नाशक तांडव को पेखो।"

उत्तर:
 संदर्भ: प्रस्तुत काव्यांश हमारे पाठ्यपुस्तक"हिंदी साहित्य संकलन"के अंतर्गत बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'जी द्वारा रचित 'विप्लव गायन' शीर्षक कविता से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग:कवि संसार में होने वाले महाविनाश के लिए खुद को तैयार कर लिया है। यहाँ पर कवि कहते हैं कि मैं ने अपने हृदय के कोमल भावों को मसल कर अपने दोनों हाथ रंगा कर आया हूँ।

व्याख्या: कवि नवीन जी ने कवियों से जिस क्रांति का आह्वान किया है उसके लिए वह तैयार होकर आया है। अपने मन की कोमल तथा मधुर भाव का हत्या करके उसके खून से दोनों हाथ रंगा कर आए हैं। क्योंकि अब उसी हाथों के एक-एक उंगली के इशारे पर तांडव शुरू होगी। कवि  का मानना है कि महाविनाश में दया तथा कोमल
भाव का कोई स्थान नहीं। इसलिए कवि ने अपने आप को महाविनाश के लिए तैयार करके आया है।

विशेष: इसमें अन्याय तथा अत्याचार के विरुद्ध कवि के विद्रोही मनोभाव स्पष्ट हुआ है।



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