" नर हो, न निराश करो मन को "


(अ) सही विकल्प का चयन करो:

1. कवि ने हमें प्रेरणा दी है-
उत्तर: कर्म की

2. कवि के अनुसार मनुष्य को अमरत्व प्राप्त हो सकता है-
उत्तर: अपने व्यक्तित्व से

3. कवि के अनुसार 'न निराश करो मन को' का आशय है-
उत्तर: मनुष्य अपने प्रयत्न से सफलता को भी सफलता में बदल सकता है।

(आ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो

1. तन को उपयुक्त बनाए रखने के क्या उपाय हैं?
उत्तर: तन को उपयुक्त बनाए रखने के लिए कवि ने कहा है कि मनुष्य को हमेशा कुछ न कुछ काम करते रहना चाहिए। अपने जीवन में कोई लक्ष्य निर्धारित कर उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु काम करते रहना चाहिए। जीवन में आए अवसर को यूंही नहीं हाथ से जाने देना चाहिए। अगर हम यूं ही घर बैठे रहेंगे तो हमें क्या मिलेगा। अपने तन और मन को यूं ही व्यर्थ न करके उसका सदुपयोग करना चाहिए। अर्थात कवि ने कर्म के माध्यम से शरीर का उपयोग करने की सलाह दी है।

2. कवि के अनुसार जग को निरा सपना क्यों नहीं समझना चाहिए?
उत्तर: कवि के अनुसार जग को निरा सपना इसलिए नहीं समझना चाहिए क्योंकि मनुष्य का जीवन केवल सपनों पर निर्भर नहीं करता। मनुष्य का जीवन कर्म पर निर्भर है। कवि कहते हैं कि जीवन में आए सुनहरे मौके को हाथ से नहीं चले जाने देना चाहिए। अपने काबिलियत एवं हुनर से खुद का लक्ष्य तथा रास्ता तय करना चाहिए। जो व्यक्ति अपना कार्य खुद करता है उसके पास परमात्मा हमेशा रहता है।

3. अमरतत्व-विधान से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: अमरतत्व-विधान से कवि का तात्पर्य यह है कि मनुष्य अपने कर्म और अपने अंदर छिपे गुणों को समझ ले तो वह व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है। लक्ष्य को पाने के लिए हमारे पास सभी तत्व मौजूद हैं। सिर्फ हमें उठकर उस मौके को  पकड़ना है। निराश न होकर अपना कर्म करते रहना है। अर्थात व्यक्ति अपने महत्व को पहचान कर अमरत्व प्राप्त कर सकता है।

4. अपने गौरव का किस प्रकार घ्यान रखना चाहिए?
उत्तर: अपने गौरव का हमे हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि यह गौरव इतना भी न बढ़ जाए कि खुद का मान सम्मान खराब हो। जीवन में कोई भी काम करे उस काम के महत्व को समझ कार्य करना चाहिए। हमें ऐसा काम करना चाहिए जिससे मरने के बाद भी लोग हमें याद करें, उनके दिलों में हमारी इज्जत हमेशा बनी रहे। अर्थात ज्यादा गौरव भी न करें और अपने ऊपर विश्वास भी रखे की हम भी कुछ हैं।

5. कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर: नर हो ना निराश हो कविता का प्रतिपाद्य कुछ इस प्रकार है कवि मैथिली शरण गुप्त जी इन कविता के माध्यम से यह समझाते हैं कि हमें अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए कुछ न कुछ कार्य करते रहना चाहिए। 'निराशा' जो हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है, उसे दूर कर जीवन में अपना एक लक्ष्य बनाना चाहिए। जीवन में आए हर अवसर को अपने हाथों से यूं ही नहीं जाने देना चाहिए। लक्ष्य को पाने के लिए हमें जो भी गुण तथा तत्व चाहिए वह सब हमारे पास है, सिर्फ हमें उठकर उस मौके को पकड़ कार्य करते जाना है। परंतु हमें यह भी ध्यान देना है कि अधिक गौरव करके अपना मान सम्मान नहीं खोना है। अर्थात हमें ऐसा काम करना चाहिए जिससे हमारे कर्म को लेकर मरने के बाद भी सभी हमें याद रखें।

(इ) सप्रसंग व्याख्या करो:

1. संँभलो कि सु-योग न जाए चला, कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला?
उत्तर:

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग -1 के अंतर्गत राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा रचित कविता "नर हो, न निराश करो मन को' से लिया गया है।

प्रसंग: यहांँ कवि ने अच्छे अवसर को न छोड़ने की बात की है।

व्याख्या: कवि यह कहना चाहते हैं कि मनुष्य को अपना जीवन सफल बनाने के लिए कुछ न कुछ कार्य करते रहना चाहिए। इसलिए समय रहते संभल कर उस सुनहरे मौके को अपनाना चाहिए। यह न हो कि वह अवसर तुम्हारे हाथों से यूं ही चला जाए। कवि यह भी कहते हैं कि सदुपाय तथा अच्छा उपाय कभी व्यर्थ नहीं जाता, उसका परिणाम हमेशा फलदायक ही होता है। सिर्फ हमें उस अच्छे अवसर को अपनाना है और अपने महत्व तथा काबिलियत से समय रहते उसका सदुपयोग करना है।

2. जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहांँ, फिर जा सकता वह सत्य कहाँ?
उत्तर:

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग -1 के अंतर्गत राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा रचित कविता "नर हो, न निराश करो मन को' से लिया गया है।

प्रसंग: कवि हमारे अंदर छिपे गुण तथा महत्व को याद दिला रहे हैं।

व्याख्या: इन पंक्तियों के जरिए कवि गुप्त जी का कहना है कि मनुष्य अपने लक्ष्य एवं कर्म के जरिए ही इस संसार में अपना नाम कमाता है। उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जो भी गुण तथा तत्व चाहिए वह सब हमारे पास मौजूद है। सिर्फ हमें उस गुण तथा तत्व को पहचान कर कर्म करना है। अगर हम अपने महत्व और व्यक्तित्व को पहचान कर कार्य करेंगे तो जीवन का वह सार तथा उस सच को ढूंढ पाएंगे जिस सच को हम कर्म के माध्यम से दूर रहे हैं। अर्थात सच्चे मन से कर्म करोगे तो वह सार कहांँ जा सकता है। कर्म के माध्यम से उस साल को तुम हासिल कर ही लोगे।



-------------------------------
বেলেগ ধৰণৰ উত্তৰ পাবলৈ এই লিংক টোত ক্লিক কৰক 👇 
👉Click Here Might Learn 
-------------------------------


Answer by Reetesh Kumar Das
Edit by Jyotish Kakati (24/04/2022)




Post ID: DABP001360