Lesson- 4

चिड़िया की बच्ची  


1. सही विकल्प का चयन करो:
(क) सेठ माधवदास ने संगमरमर की क्या बनवाई है?
उत्तर: कोठी।

(ख) किस की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी?
उत्तर: गुलाब।

(ग) चिड़िया के पंख ऊपर से चमकदार और............. थे।
उत्तर: स्याह।

(घ) चिड़िया से बात करते-करते सेठ ने एकाएक दबा दिया-
उत्तर: बटन।

2. संक्षेप में उत्तर दो:

(क) सेठ माधवदास की अभिरुचियों के बारे में बताओ।
उत्तर: सेठ माधव दास के पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी। इसीलिए वह जो चाहते थे वही करते थे। उन्होंने अपने अनुसार संगमरमर की नई कोठी बनवाई, रंग बिरंगे फूल पौधों से भरी बगीचे बनवाएं। उन्हें कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर रंगीन आसमान और प्रकृति की छटा को निहारना अच्छा लगता था और हुक्के को अपने मुंह में लिए अपने ही ख्यालों में सपनों की भांति संध्या का समय गुजार देना उनकी अभिरुचि रही है। 

(ख) शाम के समय सेठ माधवदास क्या-क्या करते हैं?
उत्तर: शाम के समय सेठ माधवदास कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठ रंग-बिरंगे आसमान की ओर देखना साथ ही प्रकृति की छटा को भी निहारते हैं और फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही ख्याल में संध्या को सपनों की भांति गुजार देते हैं।

(ग) चिड़िया के रंग-रूप के बारे में क्या जानते हो?
उत्तर: चिड़िया देखने में बहुत छोटी और सुंदर थी। उसकी गर्दन लाल थी और गुलाबी होते-होते किनारों पर ज़रा-ज़रा नीली पड़ गई थी। पंख ऊपर से चमकदार स्याह थे। शरीर पर चित्र-विचित्र चित्रकारी थी।

(घ) चिड़िया किस बात से डरी रही थी?
उत्तर: नन्ही चिड़िया जब अनजाने में सेठ माधव दास के बगीचे में जा पहुंची तब माधवदास ने चिड़िया को कैद करने के लिए नौकर द्वारा उसे पकड़ वाना चाहा। पर वह नौकर के हाथ से बच निकली। इसी बात से चिड़िया दरी रही थी।

(ङ) 'तू सोना नहीं जानती, सोना? उसी की जगत को तृष्णा है।' आशय स्पष्ट करो।
उत्तर: इसका आशय यह है कि कई कोशिश करने के बावजूद जब चिड़िया माधवदास की बातों में नहीं आती है, तब माधवदास उसे सोने का प्रलोभन देता है और उसे समझाने की कोशिश करता है कि इस सोने को पाने के लिए हर कोई तरसता है। पर कोमल प्राण चिड़िया को सेठ की कोई भी बात समझ नहीं आती। वह तो केवल अपनी मांँ को जानती है। उसे केवल मांँ का प्यार चाहिए। धन दौलत से उसे कोई लगाव नहीं है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो:

(क) किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?
उत्तर: इस मनोविश्लेषणात्मक कहानी के आधार पर यह स्पष्ट हुआ है कि सेठ माथुरदास एक धनवान व्यक्ति है। जिसके पास ऐसो आराम की सभी सुविधाएं मौजूद थी। उसने अपने अनुसार संगमरमर की कोठी बनवाई थी जिससे यह साबित होता है कि माधव दास का जीवन संपन्नता से भरा था।
     पर अनेक धन संपत्ति होने के बावजूद उसका महल सुना था। जिसके कारण वह नन्हीं चिड़िया को अपने पास रखना चाहता था। ताकि उसके चहल-पहल से महल का सूनापन दूर हो सके। लेकिन सोने का प्रलोभन देकर भी वह उसे पकड़ नहीं सका और वह दुखी रह गया। जिससे यह साबित होता है कि माधवदास सुखी नहीं था।

(ख) सेठ माधवदास चिड़िया को क्या-क्या प्रलोभन दे रहा था?
उत्तर: सेठ माधव दास चिड़िया को तरह-तरह के प्रलोभन देकर अपने पास रखने का प्रयास करता है। माधवदास चिड़िया से कहता है कि वह उसके लिए सोने का पिंजरा बनवा देगा, फूलों से सजी बगीचा भी देगा जिसमें रंग बिरंगे फूल उसके लिए हमेशा खिले रहेंगे। उसने यहांँ तक कहा कि वह उसके लिए पानी पीने की कटोरी भी सोने का बनवा देगा।

(ग) माधवदास क्यों बार-बार चिड़ियों से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास नि:स्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था?
उत्तर: माधवदास को वह नन्ही  चिड़िया इतनी प्यारी लगी कि वह चाहता था कि वह चिड़िया हमेशा उसके बगीचे मे थिरकती फिरे और उसे देख उसका मन प्रफुल्लित होता रहे। उसके दिल में उसे हमेशा देखने की ख्वाहिश होने लगी। इसीलिए माधवदास बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है।
     माधवदास का ऐसा कहना की 'वह बगीचा तुम्हारा ही है' इसमें माधवदास का स्वार्थ दिखता है। क्योंकि वह अपने महल को संगमरमर बनाने की लिए चिड़िया को विभिन्न प्रकार से प्रलोभन देकर कैद करना चाहता था। उसे परवाह नहीं थी कि उस चिड़िया की मांँ उसका इंतजार कर रही है।

4.सम्यक उत्तर दो:

(क) सेठ माधवदास और चिड़िया के मनोभावों में क्या अंतर है? कहानी के आधार पर स्पष्ट करो।
उत्तर: इस कहानी में एक धनवान व्यक्ति के विचार तथा एक छोटी चिड़िया की भावनाओं को बड़े मार्मिक रूप से वर्णन किया गया है। माधवदास के पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी और वह बहुत अभिरुचि व्यक्ति था। उसने अपने अनुसार महल बनवाया और जो चाहा वही करना उसका शौक था। इसीलिए नन्ही चिड़िया को पाने के लिए वह हर पल चिड़िया को यह जताता कि उसके पास ढेरों संपत्ति है और बात-बात पर तरह-तरह के प्रलोभन देकर चिड़िया को अपनाना चाहता था। लेकिन नादान छोटी सी चिड़िया को सेठ की कोई भी बात समझ नहीं आती थी। चिड़िया को ना तो सोने चांदी की परवाह है और न ही अनगिनत फूलों से सजी बगीचों से लगाव है। उसे तो सिर्फ परवाह है उसकी मांँ का, जो उससे प्यार करती है। माधवदास अपनी बातों से लाख कोशिश कर ले वह उन बातों को समझना नहीं चाहती। उसका संबंध केवल उसकी मांँ से है धन दौलत से नहीं।

(ख) कहानी के अंत में नन्हीं चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? अपने विचार लिखो।
उत्तर: अपने विचार के अनुसार नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर मुझे अच्छा लगा। क्योंकि सेठ अपने धन दौलत को लेकर इतना गर्व करने लगा कि वह सब कुछ अपने अनुसार बनाने और हर चीज को अपना करना चाहता था। चिड़िया को पाने के लिए खुले आसमान में उड़ती चिड़िया को अपनी बातों से कैद करके रखना चाहता था। पर चिड़िया को सेठ की बातों से कोई संबंध नहीं था। वह सिर्फ अपनी मांँ को जानती थी और तुरंत उसके पास जाना चाहती थी। इसलिए सेठ ने नौकर द्वारा उसे पकड़ना चाहा। पर चौकन्नी चिड़िया नौकर के पंजे में आकर भी न आ सकी और उड़ती एक सांँस में अपनी मांँ के पास जा पहुंची।

(ग) 'मांँ मेरी बाट देखती होगी'- नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। अपने अनुभव के आधार पर बताओ कि हमारी जिंदगी में मांँ का क्या महत्व है?
उत्तर: इस कहानी में चिड़िया द्वारा बार-बार यह कहना कि 'मांँ मेरी बाट देखती होगी' इस बात से यह साबित होता है कि चिड़िया को अपनी मांँ बहुत प्यारी है ।उसकी मांँ हमेशा की तरह उसकी राह देख रही है। बच्चों को अपने छाती से लगाना, मांँ द्वारा किए गए लाड प्यार को चिड़िया कैसे भूल सकती है इसलिए चिड़िया सेठ की बातों पर न आकर बार-बार यह कहती रही कि मांँ मेरी बाट देखती होगी।
       जिस प्रकार चिड़िया के जीवन में मांँ ही सब कुछ है, उसी प्रकार हमारे जिंदगी में भी मांँ का महत्व है। मांँ का प्यार कोई भी भुला नहीं सकता। मांँ के बिना  हमारा जीवन अधूरा है। मांँ के द्वारा दिखाए गए राह पर चलना हमारा कर्तव्य है। संकट के समय पर मांँ अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है। वह ढाल बनकर दूसरों के सामने खड़ी हो जाती है। इसीलिए जिंदगी में मांँ का महत्व सबसे ज्यादा है।

(घ) क्या माधवदास के बनाए सोने के पिंजरे में चिड़िया सुख से रह सकती थी?- एक पक्षी के लिए पिंजरा का क्या महत्व है?
उत्तर: माधव दास के बनाए सोने के पिंजरे में चिड़िया कभी खुशी से नहीं रह सकती थी। चिड़िया का स्वभाव ही है मुक्त आकाश में उड़ना। अगर उससे उसकी उड़ने की आजादी ही छीन ली जाए, तो भला चिड़िया कैसे खुश रह सकता है। भले ही उसके लिए सोने का पिंजरा बनवाया गया हो। माधवदास अपने स्वार्थ के लिए चिड़िया को उसकी मांँ से भी अलग करवाना चाहता था। लेकिन चिड़िया को माधवदास द्वारा दिए गए प्रलोभन से कोई मतलब नहीं था। इसलिए वह अपनी मांँ के पास चली गई।
           एक पक्षी के लिए पिंजरा जेल बराबर है। पक्षी कभी नहीं चाहेगा कि वह पिंजरे में कैद रहे। चिड़िया को अगर पिंजरे में कैद करके रखा जाए तो वह हमेशा दुखी ही रहेगा। उससे एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर थिरकना,  अपना पंख फैलाकर मुक्त आसमान में उड़ना, अपने साथी के साथ किसी पेड़ पर घोंसला बनाना यह सब आजादी उससे छीन ली जाएगी तो वह प्रकृति के विरुद्ध कार्य होगा। अतः किसी को भी चिड़ियों को कैद करना नहीं चाहिए।





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Answer By: Reetesh Kumar Das (M.A In Hindi)
Edit by- Jyotish Kakati (24-4-2022)


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