चिकित्सा का चक्कर

1. सही विकल्प का चयन करो:
(क) लेखक बीमार पड़ने पर कौन-सा बिस्कुट खाना चाहता है?
उत्तर: हंटले।

(ख) कहानी में औषधियों का राजा और रोगों का रामबाण किसे बनाया गया है?
उत्तर: अमृत धारा।

(ग) वैद्य जी लेखक को दिखाने किस सवारी से आए थे?
उत्तर: पालकी में।

(घ) गीली मिट्टी पेट पर लेट कर धूप में बैठने की सलाह लेखक को किसने दी?
उत्तर: प्रकृति चिकित्सक ने।

2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(क) लेखक की आयु कितनी है?
उत्तर: लेखक की आयु (35) पैंतीस है।

(ख) बाग बाजार का रसगुल्ला किसके यहांँ से आया था?
उत्तर: बाग बाजार का रसगुल्ला प्रसाद जी के यहांँ से आया था।

(ग) सरकारी डॉक्टर ने लेखक को किस फार्मेसी से दवा मंगवाने की सलाह दी?
उत्तर: सरकारी डॉक्टर ने लेखक को चंद्रकला फार्मासी से दवा मंगवाने की सलाह दी।

(घ) डॉक्टर चूहानाथ कातरजी की फीस कितनी थी?
उत्तर: डॉक्टर चूहानाथ कातरजी की फीस आठ रुपए थी।

(ङ) लेखक को ओझा से दिखाने की सलाह किसने दी ?
उत्तर: लेखक को ओझा से दिखाने की सलाह लेखक के नानी की मौसी ने दी।

3. संक्षेप में उत्तर दो:

(क) लेखक बीमार कैसे पड़ा?
उत्तर: एक दिन उन्होंने हॉकी खेलते वक्त रिफ्रेशमेण्ट ज्यादा खा लिया था। ऊपर से घर जाकर बारह पूरियांँ खाई और साथ ही साथ प्रसाद जी के यहांँ से आए छह बाग बाजार का रसगुल्ला भी खाया। जिसके कारण लेखक बीमार पड़ गए।

(ख) पेट में दर्द होने पर लेखक ने कैसी दवा ली?
उत्तर: पेट दर्द हो या पेट खराब होने जैसे स्थिति के लिए लेखक के पास हमेशा से औषधियों का राजा, रोगों का रामबाण, अमृतधारा की एक शीशी सदा उनके पास रहा करती थी। जैसे ही उनका पेट दर्द हुआ उन्होंने तुरंत उस शीशी में से दवा की कुछ बूंदें पी ली।

(ग) अपने देश में चिकित्सा की कौन-कौन सी पद्धतियांँ प्रचलित है?
उत्तर: अपने देश में चिकित्सा की अनेक पद्धतियांँ प्रचलित है जैसे- एलोपैथिक चिकित्सा, होम्योपैथी, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, आध्यात्मिक चिकित्सा, घरेलू चिकित्सा आदि। परंतु हमारे देश में एलोपैथिक चिकित्सा को ही प्रधानता दी जाती है।

(घ) डॉ. चूहानाथ कातर जी ने लेखक का इलाज कैसे किया?
उत्तर: डॉक्टर चूहानाथ कातर जी ने लेखक के इलाज के लिए थोड़ा पानी गरम करवाया और दो रुपए की दवा मंगवाई। उस दवा को डॉक्टर बाबू ने एक छोटी सी पिचकारी में भरा जिसके आगे एक लंबी सुई लगी थी। उसके बाद उन्होंने उस सुई को लेखक के पेट में कोंचकर दबा डाला और लेखक को सांत्वना देकर वहांँ से चले गए।

(ङ) वैद्य जी ने लेखक को दर्द का क्या कारण बताया?
उत्तर: वैद्य जी ने लेखक के हाथों की नाड़ी देख दर्द का कारण बताते हुए कहा कि "वायु का प्रकोप है, यकृत से वायु घूमकर पित्ताशय में प्रवेश कर आंत में जा पहुंची है। इससे मंदाग्रि का प्रादुर्भाव होता है और इसी कारण जब भोज्य पदार्थ प्रतिहत होता है, तब शुल का कारण होता है।"

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो:

(क) लेखक ने वैद्यजी और हकीम साहब की पोशाकों के बारे में कैसा व्यंग क्या है?
उत्तर: लेखक ने वैद्यजी की पहनावे पर व्यंग करते हुए कहा है कि वैद्यजी छोटी पहने, कंधे पर एक सफेद दुपट्टा डाले आए थे। ऊपर से शरीर पर सूट के नाम पर जनेऊ था, जिसको देख लेखक को लगता था मानो कविराज जी कुश्ती लड़ने आए हैं।
            दूसरी और हकीम के बारे में लेखक ने कहा है कि हकीम साहब चिकन का बंददार कुरता पहने सिर पर बनारसी लोटे की तरह टोपी पहने हुए थे। पांँव में पाजामा ऐसा मालूम होता था कि चूड़ीदार पाजामा बनाने वाला था।

(ख) चिकित्सकों के अलावा लेखक ने और किन लोगों पर कटाक्ष किया है?
उत्तर: लेखक ने चिकित्सकों के अलावा उन लोगों पर कटाक्ष किया है जो लेखक का हाल पूछने के बहाने दिनभर इधर-उधर की बातों को लेकर बैठक किया करते और चिकित्सा हेतु तरह-तरह के नए-नए नुस्खे लेखक को अपनाने को कहते। लेखक को उनकी बातें आराम देती थी कम, दिमाग चाटती थी अधिक।

(ग) 'दो खुराक पीते-पीते दर्द वैसे ही गायब हो जाएगा, जैसे हिंदुस्तान से सोना गायब हो रहा है।'- भाव स्पष्ट करो।
उत्तर: यह बात डॉक्टर साहब ने लेखक को साहित्यिक भाव से कही थी कि उनके द्वारा दी गई दवा को पीते ही उनका दर्द समाप्त हो जाएगा। उन्होंने पेट दर्द की तुलना सोने के साथ की है।
             डॉक्टर द्वारा कहे गए बातों के पीछे यह भाव था कि वर्तमान समय में सोना रूपी मूल्यवान चीजें समाप्त होता जा रहा है, जो कभी हिंदुस्तान में इसका भंडार था। जिस भारत को हम सोने की चिड़िया कहते थे आज वह धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। अर्थात इसी प्रसंग को लेकर डॉक्टर कहते हैं कि जिस तरह सदियों से हिंदुस्तान से सोना गायब हो रहा है, उसी तरह लेखक का दर्द भी गायब हो जाएगा।

(घ) रसगुल्ले छायावादी कविताओं की भांँति सूक्ष्म नहीं थे, स्कूल थे।'- यह हास्य-व्यंग्य के प्रसंग प्रसाद जी के यहांँ से आए बागबाजार के रसगुल्ले के संबंध में है,जिनमें से छह बड़े-बड़े रसगुल्ले लेखक ने खाना खा चुकने के बाद खाए थे। इसी तरह पाठ से पांँच हास्य-व्यंग्य के प्रसंग छाँटकर लिखो।
उत्तर: चिकित्सा का चक्कर पाठ के आधार पर पाँच हास्य-व्यंग के प्रसंग कुछ इस प्रकार हैं-
1."प्रेमियों को जो मजा प्रेमिकाओं की आंँख देखने में आता है, शायद वैसा ही डॉक्टरों को मरीजों की जीभ देखने में आता है।
2."जरा एक बात का ख्याल रखिएगा  कि आजकल दवाइयांँ लोग बहुत पुरानी रखते हैं। मेरे यहांँ ताजी दवाइयांँ मिलती है।"
3. "देखो न इसकी बोरौनी कैसी खड़ी है। कोई चुड़ैल लगी है। किसी को दिखा देना चाहिए।"
4. जरा मुंँह तो देखूँ।" मैंने कहा, "मुंँह जीभ जो चाहे देखिए।"
5."तुम्हारी बुद्धि कहीं घास चरने गई है? आज कोई कहता है दांँत उखड़वा डालो, कल कोई कहेगा सारे बाल उखड़वा डालो, परसों कोई डॉक्टर कहेगा नाक में नुचवा डालो, आंँखें निकलवा डाल दो। यह सब फिजूल है। खाना ठिकाने से खाओ पंद्रह दिन में ठीक हो जाओगे।"

5.किसने, किससे और कब कहा?

(क) अभी अस्पताल खुला न होगा, नहीं तो आपको दवा मंगवानी न पड़ती।
उत्तर: प्रातः काल जब डॉक्टर साहब लेखक को देखने आए थे, तब यह वाक्य डॉक्टर साहब ने लेखक से कहा था। 

(ख) यार! आप तो ऐसी बात कहते हैं, गोया जिंदगी से बेजार हो गए हैं।
उत्तर: यह वाक्य हकीम साहब ने लेखक से कहीं थी। जब लेखक ने हकीम से कहा था कि 'अब यह जिंदगी आपके ही हाथों में है।'

(ग) मैं तो पहले ही सोच रही थी कि यह कुछ ऊपरी खेल है।
उत्तर: जब लेखक की नानी की मौसी उन्हें देखने आई, तब नानी ने यह बात लेखक से कही थी।

(घ) तुम्हारी बुद्धि कहीं घास चरने गई है?
उत्तर: दांत तुड़वाने के लिए अपनी पत्नी से रुपए मांगने पर पत्नी ने लेखक से यह बात कही थी।

Reetesh Das
MA in Hindi (G.U.)

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