अपराजिता

(अ) सही विकल्प का चयन करो:

1. हम अपनी विपत्ति के लिए हमेशा दोषी ठहराते हैं-
उत्तर: विधाता को

2. लेखिका से मुलाकात के समय डॉ. चन्द्रा किस संस्थान के साथ जुड़ी हुई थी।
उत्तर: आई.आई.टी., मद्रास

3. अपनी शानदार कोठी में उसे पहली बार कार से उतरते देखा, तो आश्चर्य से देखती ही रह गई'- लेखिका कार से उतरती डॉ. चन्द्रा को आश्चर्य से देखती ही रह गई क्योंकि-
उत्तर:शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद डॉ. बिना किसी के सहारे कार से उतरकर व्हील चेयर में बैठी और कोठी के अंदर चली गई।

4.'मैंने इसी से एक ऐसी कार का नक्शा बना कर दिया है, जिससे मैं अपने पैरों के निर्जीव अस्तित्व को भी सजीव बना दूंँगी'-डॉ. चन्द्रा ने नई कार की नक्शा बनवाई थी क्योंकि-
उत्तर: डॉ. चन्द्रा चाहती थी कि कोई उसे सामान्य सा सहारा भी न दे और इसलिए वे ऐसी कार बनाना चाहती थी जिससे वे स्वयं चला सकती।

5. डॉ चन्द्रा के एल्बम के अंतिम पृष्ठ पर एक चित्र था जिसमें-
उत्तर: उनकी मांँ जे.सी. बंगलौर प्रदत्त  'वीर जननी' पुस्तकार ग्रहण कर रही थी।

(आ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

1. हमें कब अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है?
उत्तर: जब कभी अचानक ही विधाता हमें एक ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व से मिला देता है,जिसकी कठिनाइयों के आगे हमारी कठिनाईयांँ फीकी पड़ जाती है। ऐसे ही विलक्षण व्यक्ति को  देख अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है।

2. डॉ. चन्द्रा के अध्ययन का विषय क्या था?
उत्तर: डॉ. चन्द्रा के अध्ययन का विषय माइक्रोबायोलॉजी था।

3. लेखिका से डॉ. चन्द्रा ने हवाई के ईस्ट-वेस्ट सेंटर में क्या पूछने का अनुरोध किया था?
उत्तर: लेखिका से डॉक्टर चंद्रा ने हवाई के ईस्ट-वेस्ट सेंटर में अपना बायोडाटा भेजकर यह पूछने को कहा कि क्या उन्हें वहांँ की कोई फैलोशिप मिल सकती है या नहीं।

4. डॉ. चन्द्रा की स्कूली शिक्षा कहांँ तक हुई थी?
उत्तर: डॉ चन्द्रा की स्कूली शिक्षा बी.एस.सी तक हुई थी।

5. डॉ. चन्द्रा ने किस संस्थान से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी?
उत्तर: डॉ. चन्द्रा ने इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी।

(इ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो:

1.लेखिका ने जब डॉ चन्द्रा को पहली बार कार से उतरते देखा तो उसके मन में कैसा भाव उत्पन्न हुआ था? अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर: लेखिका ने जब डॉ. चंद्रा को पहली बार कार से उतरते देखा तो वे आश्चर्यचकित हो गई। क्योंकि वे महिला शारीरिक रूप से अक्षम थी। फिर भी वह महिला बैसाखियों से ही व्हील चेयर तक पहुंचती है और खुद ही बड़ी तटस्थता से चलाती कोठी के भीतर चली जाती है। मानो मशीन के बटन को दबाने पर खटखट करके चलने लगी हो। यह दृश्य देख लेखिका को लगा कि उस महिला की धैर्य और इच्छाशक्ति ने ही उसे इस शिखर तक पहुंँचाया है। लेखिका को लगा कि डॉ. चन्द्रा केबल शारीरिक अक्षम लोगों के लिए ही प्रेरणा स्रोत नहीं है, बल्कि उन लोगों के लिए भी है जो साधारण कठिनाइयों से ही अपना हार मान लेते हैं।

2.लेखिका यह क्यों चाहती है कि 'लखनऊ का वह मेधावी युवक' डॉ. चन्द्रा के संबंध में लिखी उनकी पंक्तियों को पढ़े?
उत्तर: लेखिका चाहती है कि चंद्रा की जीवनगाथा लखनऊ का वह मेधावी युवक बड़े ध्यान से पढ़ें। क्योंकि चंद्रा भी शारीरिक रूप से अक्षम थी। उस युवक ने तो सिर्फ अपना एक हाथ खोकर ही हथियार डाल दिया था। पर बचपन से ही चंद्रा का निचला किस्सा निर्जीव था। शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद भी चंद्रा अपना कामकाज निरंतर करती, सदा उत्फुल्लित रहती, आंखों में अदम्य उत्साह लिए अपने सपनों के साथ जीती थी। चंद्रा ने धैर्य, लगन, निष्ठा, इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास को अपना मूल हथियार बनाया और जीवन के हर परिस्थितियों का डटकर सामना कर उस पर विजय हासिल किया। इसलिए लेखिका चाहती है कि वह इस जीवनगाथा से कुछ सीख ले सके और अपने जीवन को सार्थक बनाएंँ।

3. 'अभिशप्त काया' कहकर लेखिका डॉ. चंद्रा की कौन-सी विशेषता स्पष्ट करना चाहती है?
उत्तर: 'अभिशप्त काया' का अर्थ होता है अभिशाप से ग्रस्त शरीर। अक्सर लोग अपनी विपत्ति के कठिन क्षणों में विधाता को ही दोषी ठहराते हैं। अगर कोई व्यक्ति सामान्य रूप से जन्म न लेकर विकलांग रूप में जन्म लेता है तो लोगों के साथ-साथ वह अपंग व्यक्ति भी मान लेता है कि विधाता ने ही उसे दंडित किया है। ऐसे लोग हमेशा विधाता को ही कोसते रहते हैं। लेखिका ने इस कहानी में एक ऐसी विलक्षण महिला का जिक्र किया है। जिसमें अदम्य उत्साह, लगन सहनशील, निष्ठा, जिजीविषा और साहस कूट-कूट के भरा है।जिसने अपने साहस और परिश्रम के बल पर अपनी अपंगता को ठोकर मारकर हर एक क्षेत्र में सफलता पाई है। चंद्रा ने यह साबित किया है कि वह भी साधारण व्यक्ति की तरह कुछ कर और बन सकती है। अतः लेखिका ने चंद्रा की इन्हीं विशेषताओं को स्पष्ट करना चाहती है।

4. डॉ. चंद्रा की कविताएंँ पढ़कर लेखिका की आंँखें क्यों भर आई?
उत्तर: डॉ. चंद्रा की कविताएंँ पढ़कर लेखिका की आंँखें इसलिए भर आई क्योंकि लेखक ने कभी चंद्रा के चेहरे पर उदासी और निराशा से भरे आंखों को नहीं देखा था। जब लेखिका ने उसके द्वारा रचित कविताओं को पढ़ा, तो पाया कि उन कविताओं में कहीं-न-कहीं उदासी से भरे भाव छिपे हैं। हमेशा मुस्कुराते हुए चेहरे के पीछे छिपे उदासी को जान लेखिका की आंखें भर आई।

5. शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. चंद्रा की उपलब्धियों का उल्लेख करो।
उत्तर: शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. चंद्रा ने बहुत सी उपलब्धियां हासिल की थी। शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद भी उसने प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर कई पुरस्कार भी जीती। उसने प्राणिशास्त्र में बी.एस.सी की, एम.एस.सी में प्रथम स्थान प्राप्त किया और बेंगलौर के प्रख्यात इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में अपने लिए स्पेशल सीट अर्जित भी की थी। पाँच वर्ष तक प्रोफेसर सेठना के निर्देशन में शोध कार्य भी किया और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की।

6. विज्ञान के अतिरिक्त और किन-किन विषयों में डॉ. चंद्रा की रुचि थी?
उत्तर: विज्ञान के अतिरिक्त डॉक्टर चंद्रा को कविता लिखने में, भारतीय एवं पाश्चात्य संगीत में, तो कढ़ाई बुनाई में, साथ ही साथ गर्ल गाइड में भी रूचि थी। गर्ल गाइड में राष्ट्रपति का स्वर्ण कार्ड पाने वाली वह प्रथम अपंग महिला थी।

7. डॉ. चंद्रा की माता कहांँ तक 'वीर जननी पुरस्कार' की हकदार है? अपना विचार स्पष्ट करो।
उत्तर: डॉ. चंद्रा की माता पूर्ण रूप से  'वीर जननी पुरस्कार' पाने की हकदार है। क्योंकि चंद्र की माता ही है जिसने चंद्रा की हर कठिनाइयों में उसका साथ दिया है। माता ने ही चंद्रा को वह विश्वास दिलाया कि वह चाहे तो कुछ भी कर सकती है। मांँ ने अपना समस्त जीवन चंद्रा पर न्योछावर कर दिया था। वह हर पल उसके साथ छाया की तरह रहती थी। स्कूली शिक्षा से लेकर  डॉक्टरेट तक मांँ व्हील चेयर के पीछे ही खड़ी रहती। उसे जहांँ जहांँ जाना होता था मांँ उसे ले जाती थी। अतः चंद्रा की सफलताओं के पीछे उस मांँ का बलिदान ही है। अगर मांँ न होती तो, शायद चंद्रा उस कामयाबी के शिखर तक नहीं पहुंँच पाती। अतः हम कह सकते हैं कि चंद्रा की माता 'वीर जननी पुरस्कार' पाने के योग्य है।

8. 'चिकित्सा ने जो खोया है वह विज्ञान ने पाया'- यह किसने और क्यों कहा था?
उत्तर: यो वाक्य  डॉ. चंद्रा के प्रोफेसर सेठना ने कहा था। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि डॉक्टर चंद्रा को डॉक्टर बनने की बड़ी इच्छा थी। किंतु शारीरिक रूप से अपंग होने के कारण परीक्षा में सर्वोच्च स्थान पाने के बावजूद भी उसे मेडिकल पढ़ने  का अवसर नहीं मिला। प्रवेश न मिलने पर उसने विज्ञान की ओर रुचि दिखाई और अंत में एक सफल वैज्ञानिक बनी। प्रोफेसर जान चुके थे कि उसमें इतनी प्रतिभा है कि अगर उसे मेडिकल में प्रवेश मिल जाता तो, वह एक सफल चिकित्सक होती।इस कारण प्रोफेसर ने कहा है कि चिकित्सा ने चंद्रा की प्रतिभा को खोया और विज्ञान ने उसे प्राप्त क्या।

(ई) आशय स्पष्ट करो

1.नियति के प्रति कठोर आघात को अति अमानवीय धैर्य एवं साहस से झेलती वह बित्ते-भर की लड़की मुझे किसी देवांगना से कम न लगी।
उत्तर: प्रस्तुत वाक्य लेखिका द्वारा चंद्रा के प्रसंग पर कहा गया है।लेखिका ने जब चंद्रा को पहली बार देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गई। क्योंकि शारीरिक रूप से अपंग होते हुए भी हंसी खुशी वह अपना जीवन बिता रही थी। उसने नियति के कठोर आघात को अति अमानवीय धैर्य एवं साहस के साथ झेल लिया था। उसने कभी विधाता को कोसा नहीं, बल्कि दिल में उमंग लिए, आंखों में अदम्य उत्साह लिए हंसते खेलते जीवन बिताया। उसने धैर्य, साहस और इच्छाशक्ति को अपना मूल हथियार बनाया। उसने हर क्षेत्र में अपने आप को साबित किया कि वह भी साधारण लोगों की तरह कुछ कर और बन सकती है।चंद्रा के ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व को देखकर ही लेखिका को लगा कि यह लड़की किसी देवांगना से कम नहीं है। क्योंकि अपंग होते हुए भी जो उपलब्धियांँ हासिल की थी वह साधारण व्यक्तियों से भी नहीं हो पाता है।

2. ईश्वर सब द्वार एक साथ बंद नहीं करता। यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है?
उत्तर: यह वाक्य चंद्रा की माता का था। जो लेखिका के कान में बार-बार गूंज रहे थे। लेखिका बताती है कि चंद्रा शारीरिक रूप से अपंग होने के कारण उसे चिकित्सा के क्षेत्र में प्रवेश नहीं मिला। हालांकि उसने उस परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था। परीक्षकों ने चंद्रा को अपंग होने का कारण दर्शाया और उसे प्रवेश न मिलने पर वह निराश हो गई। परंतु उसने हार नहीं मानी और विज्ञान की ओर रुचि दिखाई। उसने अपनी प्रतिभा का भरपूर इस्तेमाल किया। अतः अपनी निष्ठा और लगन के कारण वह एक सफल वैज्ञानिक बन पाई। अगर वह चिकित्सक न बन पाने के कारण वहीं रुक जाती तो वह कुछ भी नहीं हासिल कर पाती। चंद्रा के इस उपलब्धियों को देखकर लेखिका की कानों में माता के द्वारा कहे गए शब्द गूंजने लगते हैं कि 'ईश्वर सब द्वार एक साथ बंद नहीं करता। यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है।'


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