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लघुत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
1. उन दिनों शंकरदेव किस प्रयास में जुटे हुए थे?
उत्तर: शंकरदेव उन दिनों असमीया समाज को शक्ति की उपासना, तंत्र-मंत्र, बलि-विधान और अन्य कठोर धार्मिक बाह्याचारों से मुक्ति का नया मार्ग दिखाने और उसे आध्यात्मिक उन्नति के सरलतम मार्ग पर ले जाने के प्रयास में जुटे हुए थे।
2. शंकर-माधव के मिलन से किस कार्य में अद्भुत गति आ गई थी?
उत्तर: शंकर-माधव के मिलन से भागवती वैष्णव धर्म या एकशरण नाम-धर्म के प्रचार-प्रसार में अद्भुत गति आ गई थी।
3. माधवदेव ने क्या मनौती मानी और क्यों?
उत्तर: माधवदेव ने अपनी बीमार मां के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए देवी गोसानी से सफेद बकरों का एक जोड़ा भेंट करने की मनौती मानी थी।
4. बाजार से वापस आकर रामदास ने क्या कहा?
उत्तर: रामदास ने कहा कि बकरों को मालिक के पास रख छोड़ा है, लेकिन वह बलि चढ़ाने के खिलाफ हैं क्योंकि इससे कोई लाभ नहीं होता और इससे विनाशकारी परिणाम होते हैं।
5. बलि न चढ़ाने के समर्थन में रामदास ने माधवदेव से क्या कहा?
उत्तर: रामदास ने कहा कि बलि चढ़ाने से किसी का भला नहीं होता, बल्कि यह विनाशकारी कार्य है। उन्होंने यह भी बताया कि दूसरे जीव की हत्या करके कोई लाभ नहीं होता।
6. माधवदेव को क्या कहकर रामदास ने शंकरदेव के पास ले चला?
उत्तर: रामदास ने कहा कि वह शास्त्रार्थ के लिए योग्य नहीं हैं, इसलिए वे शंकरदेव के पास चलें, जिन्होंने यह ज्ञान दिया है।
7. माधवदेव को शिष्य के रूप में पाकर शंकरदेव ने क्या कहा?
उत्तर: शंकरदेव ने कहा, "तुम्हें पाकर आज मैं पूरा हुआ।"
8. ब्रह्मपुत्र नद किस प्रकार शंकरदेव-माधवदेव के महामिलन का साक्षी बना था?
उत्तर: ब्रह्मपुत्र नद इस महामिलन का साक्षी बना था, जब उसने मामा-भांजे को गुरु-शिष्य बनते देखा और इस मिलन की खुशी में अपनी जलधारा को बंगाल की खाड़ी से होते हुए हिंद महासागर तक ले जाने का आदेश दिया।
9. धुवाहाटा-बेलगुरि सत्र में रहते समय शंकरदेव किस महान प्रयास में जुटे हुए थे?
उत्तर: शंकरदेव वैष्णव धर्म या एकशरण नाम-धर्म के प्रचार-प्रसार के महान कार्य में जुटे हुए थे।
10. माधवदेव ने किसे और क्या मनौती मानी थी?
उत्तर: माधवदेव ने देवी गोसानी से अपनी मां के स्वास्थ्य के लिए सफेद बकरों का जोड़ा भेंट करने की मनौती मानी थी।
'11. इसके लिए आवश्यक धन देकर माधवदेव व्यापार के लिए निकल पड़े।' - प्रस्तुत पंक्ति का संदर्भ स्पष्ट करो।
उत्तर: यह पंक्ति उस समय की है जब माधवदेव ने अपनी मां के स्वस्थ होने के बाद देवी गोसानी को सफेद बकरों का जोड़ा भेंट करने के लिए बकरे खरीदने की जिम्मेदारी बहनोई रामदास को दी और उसके लिए आवश्यक धन देकर स्वयं व्यापार के लिए निकल पड़े।
12. माधवदेव आप से शास्त्रार्थ करने के लिए आया है। किसने, किससे और किस परिस्थिति में ऐसा कहा था?
उत्तर: रामदास ने यह बात शंकरदेव से कही थी, जब वे माधवदेव को लेकर उनके पास आए थे और माधवदेव शास्त्रार्थ के लिए तैयार थे।
13. मणि-कांचन संयोग किसे कहा गया है?
उत्तर: शंकरदेव और माधवदेव के महामिलन को 'मणि-कांचन संयोग' कहा गया है, क्योंकि इस मिलन ने असम के सांस्कृतिक इतिहास को नया दिशा दी थी।
14. शंकरदेव का साहित्यिक देन को उल्लेख करो।
उत्तर: शंकरदेव ने 'कीर्तन-घोषा', 'गुणमाला', 'भक्ति-प्रदीप', 'हरिश्चंद्र उपाख्यान', 'रुक्मिणी-हरण काव्य', 'बलिछलन', 'कुरुक्षेत्र' जैसे काव्य और 'पत्नीप्रसाद', 'कालियदमन', 'केलिगोपाल', 'रुक्मिणी-हरण', 'पारिजात-हरण', 'रामविजय' जैसे नाट्य रचनाएँ की हैं। इनके अलावा उन्होंने बरगीत भी रचे, जिनमें से लगभग पैंतीस बरगीत आज उपलब्ध हैं।
विवरणात्मक प्रश्न (Essay Type Questions):
1. शंकर-माधव के महामिलन के संदर्भ में 'मणि-कांचन संयोग' की सार्थकता स्पष्ट करो।
उत्तर: 'मणि-कांचन संयोग' की संज्ञा शंकरदेव और माधवदेव के मिलन को दी गई है, क्योंकि इनके मिलन से असम के सांस्कृतिक इतिहास में एक नया अध्याय प्रारंभ हुआ। शंकरदेव और माधवदेव का संयुक्त प्रयास असम की वैष्णव धर्म की नींव को मजबूत बनाने में निर्णायक रहा। शंकरदेव के उपदेश और माधवदेव के समर्पण से असमीया समाज को भक्ति की एक नई दिशा मिली।
2. बहनोई रामदास के घर पहुँचने पर माधवदेव ने क्या पाया और उन्होंने क्या किया?
उत्तर: माधवदेव ने पाया कि उनकी माँ देवी गोसानी की कृपा से स्वस्थ हो रही थीं। उन्होंने माँ के स्वस्थ होने पर देवी के प्रति आभार प्रकट किया और वचन दिया कि वे बकरों की बलि चढ़ाएंगे।
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