Lesson 1

                (भारत-महिमा)


1. 'प्रथम किरणों के उपहार' से कवि क्या समझा रहे हैं?

उत्तर: प्रथम किरणों के उपहार से कवि यह समझाना चाहते हैं कि सूर्य की प्रथम किरण हिमालय के आंगन अर्थात हमारे भारत देश में ही पड़ती है। कवि का कहना है कि भारत देश में ही सबसे पहले ज्ञान का उदय हुआ और भारत द्वारा ही संपूर्ण विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाया गया।


2. दधीचि मुनि ने कौन-सा त्याग किया था?

उत्तर: दधीचि मुनि एक त्यागी ऋषि थे। उन्होंने मानव कल्याण हेतु वृत्रासुर जैसे राक्षसों का नाश करने के लिए अपने अस्थियों का दान दिया था। इन्हीं अस्तियों से देवराज इंद्र ने ब्रज नामक हथियार का निर्माण किया और इसी हथियार से राक्षसों का नाश किया गया। इसी प्रकार दधीचि ऋषि का त्याग मानव कल्याण के लिए सर्वोपरि रहा है।


3. प्रलय के बाद आदि मानव मनु ने कहाँ सृष्टि की रचना की थी?

उत्तर: प्रलय के समय मनु और श्रद्धा ही ऐसे दो व्यक्ति थे जिन्होंने विनाश काल का सामना कर विशाल हिमालय की तराई में जाकर अपना बसेरा स्थापित किया। तथा मनु ने यहीं से सृष्टि की रचना की थी।


4. विश्व मानव के लिए भारत का संदेश क्या है?

उत्तर: अहिंसा परम धर्म ही विश्व मानव के लिए भारत का संदेश है। भारत सबका शुभचिंतक है। हमारे देशवासियों का चरित्र हमेशा से पावन रहा है। भारत वासियों ने विनम्रता, प्रेम और बंधुत्व से सबका दिल जीता है।


5. भारत से किसने कौन सी-शिक्षा ली है?

उत्तर: भारत में ही सर्वप्रथम ज्ञान का उदय हुआ। तथा भारत से ही ज्ञान का  प्रचार-प्रसार की शुरुआत हुई। यहीं से संपूर्ण विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाया गया। भारत ने ही यूनानियों को दया का पाठ पढ़ाया। चीन जैसे देश वासियों को धर्म की शिक्षा दी गई। सुमात्रा ने बौद्ध धर्म का त्रिरत्न बुद्ध, धम्म और संघ प्राप्त किया। तो श्रीलंका ने बौद्ध धर्म की शिक्षा और संदेश प्राप्त किया।


6. भारतीय सभ्यता-संस्कृति शस्त्र बल पर अधिक जोर देती है या शास्त्र बल पर।

उत्तर: भारतीय सभ्यता संस्कृति शास्त्र बल पर अधिक जोर देती है। शस्त्र बल से किसी भी व्यक्ति समुदाय या देश को अपने अधीन किया जा सकता है। परंतु उसकी आत्मा को परास्त नहीं किया जा सकता। जब कि शास्त्र के ज्ञान से किसी को भी बदला जा सकता है। उदाहरण के तौर पर चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने शस्त्र त्याग कर, जन कल्याण के लिए अपना राजपाट त्याग कर दिया और एक भिक्षु के रूप में घर-घर जाकर लोगों को शांति और दया का संदेश दिया।


7. प्रस्तुत कविता में भारतीयता की कौन-कौन सी विशेषताएंँ सामने आई है?

उत्तर: कवि जयशंकर प्रसाद जी ने अपनी कविता 'भारत महिमा' में भारत देश की महिमा का बखान किया है। और समस्त कविता में भारतीयता की कई विशेषताएंँ सामने आई है। उन विशेषताओं को क्रम अनुसार नीचे दर्शाया गया है:


i. सर्वप्रथम भारत भूमि पर ही सूर्य की प्रथम किरण पड़ती है।


ii.सबसे पहले ज्ञान का उदय भारत देश में ही हुआ और भारत से ही विश्व में ज्ञान के प्रकाश को फैलाया गया।


iii. विद्या की देवी मांँ सरस्वती की कृपा सबसे पहले भारत देश पर ही पड़ी।


iv.भारत ने चीन, सुमात्रा, श्रीलंका आदि देशों को वास्तविक धर्म की दीक्षा देकर उनका मार्ग प्रशस्त किया।


v. हमारे देशवासियों का चरित्र हमेशा से पावन रहा है। हमारे भुजाओं में शक्ति का संचार होता है और यहांँ हर भारतवासियों में विनम्रता निवास करती है।


vi. भारत वासियों ने अपनी मातृभूमि के प्रति सदैव समर्पित रहे हैं तथा भारतवासी दूसरों को कभी दुखित अवस्था में नहीं देख सकते। 


vii. हम भारतवासियों ने कभी किसी का कुछ नहीं छीना। प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया है तथा भारतभूमि पर प्रकृति की कृपा सदेव बनी रही है।


8. अतिरिक्त प्रश्न उत्तर:

(क) 'विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम' का आशय स्पष्ट करो।

उत्तर: हमारे भारतीय में पराक्रमी सूर्य एवं वीरों की कमी नहीं है। पराक्रमी होने के साथ-साथ उन वीरों ने संसार को धर्म और सत्कर्म का पाठ भी पढ़ाया है। इसलिए भारत देश में लोहे अर्थात शक्ति से अधिक धर्म और शांति का बोलबाला रहा है। जिस तरह चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने जन मानव के कल्याण के लिए अपना राजपाट त्याग कर एक भिक्षुक के रूप में जीवन बिताया और घर-घर जाकर लोगों को शांति और दया का संदेश भी दिया था। अर्थात हमारे देश में मात्र वीरता और अस्त्र शस्त्रों की पूजा नहीं होती, बल्कि हमने विश्व के सभी क्षेत्रों में धर्म का प्रचार-प्रसार किया और शांति का पाठ भी पढ़ाया।


(ख) वाख्या करो:

      "हमारे संजय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव। वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव।"

उत्तर:

संदर्भ:-प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक 'हिंदी साहित्य संकलन' के अंतर्गत कवि जयशंकर प्रसाद जी द्वारा रचित भारत महिमा नामक कविता से लिया गया है।

वाख्या:-कवि इन पंक्तियों के जरिए यह कहना चाहते हैं कि संचय करना भारतवासियों की एक बड़ी खूबी रही है और यह संचय भी जरूरतमंदों को दान में देने के लिए क्या करते थे। हमारे यहांँ अतिथि सत्कार का बहुत ही महत्व है। घर में आए अतिथि को देवता के समान मानते है और उसी तरह उसका आदर सम्मान भी या करते हैं। कवि का कहना है कि हम आरंभिक काल से ही सत्यनिष्ठ एवं सत्यवादी रहे हैं। हमारे हृदय में पहले से ही तीज हुआ करता था अर्थात वह आत्मा से शुद्ध थे और उनकी जो प्रतिज्ञा है उन पर भी अटल रहते थे। अर्थात वे अपने पतिज्ञा को निभाया करते थे।


Reetesh Das 

M.A in Hindi