Lesson- 11
(कायर मत बन)
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1. 'सही' या 'गलत' रूप में उत्तर दो:
(क) कवि नरेंद्र शर्मा व्यक्तिवादी गीतिकवि के रूप में प्रसिद्ध है?
उत्तर: सही।
(ख) नरेंद्र शर्मा की कविताओं में भक्ति एवं वैराग्य के स्वर प्रमुख है?
उत्तर: गलत।
(ग) पंडित नरेंद्र शर्मा की गीत-प्रतिभा के दर्शन छोटी अवस्था में ही होने लगे थे?
उत्तर: सही।
(घ) 'कायर मत बन' शीर्षक कविता में कवि ने प्रतिहिंसा से दूर रहने का उपदेश दिया है?
उत्तर: गलत।
(ङ) कवि ने माना है कि प्रतिहिंसा व्यक्ति की कमजोरी को दर्शाती है?
उत्तर: सही।
2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:
(क) कवि नरेंद्र शर्मा का जन्म कहांँ हुआ था?
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा का जन्म सन 1913 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिलांतर्गत जहांँगीर नामक स्थान में हुआ था।
(ख) कवि नरेंद्र शर्मा आकाशवाणी के किस कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे?
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा आकाशवाणी के 'विविध भारती' कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे।
(ग) 'द्रौपदी' खंड काव्य के रचयिता कौन है?
उत्तर: 'द्रौपदी' खंड काव्य के रचयिता नरेंद्र शर्मा जी है।
(घ) कवि ने किसे ठोकर मारने की बात कही है?
उत्तर: अपने मंजिल के बीच बाधा उत्पन्न करने वाले पत्थरों अर्थात अपने कठिनाइयों को कवि ने ठोकर मारने की बात कही है।
(ङ) मानवता ने मनुष्य को किस प्रकार सींचा है?
उत्तर: मानवता ने मनुष्य को खून पसीने से सींचा है।
(च) व्यक्ति को किसके समक्ष आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए?
उत्तर: व्यक्ति को दुष्ट-प्रवृत्ति वाले लोगों के समक्ष आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए।
3. अति संक्षिप्त उत्तर दो:
(क) कवि नरेंद्र शर्मा के गीतों एवं कविताओं की विषयगत विविधता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा आधुनिक हिंदी काव्य धारा के अंतर्गत गीती-कविता के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध है। उन्होंने कई तरह के विषयों पर गीतों एवं कविताओं की रचना की है। जिनमें व्यक्तिगत प्रणयानुभूति, विरह-मिलन के चित्र, सुख-दुख के भाव, प्रकृति-सौंदर्य, आध्यात्मिकता, रहस्यानुभूति, राष्ट्रीय भावना और सामाजिक विषमता के चित्रण के साथ-साथ सामाजिक यथार्थ और प्रगतिशीलता के भी दर्शन देखने को मिलते हैं।
(ख) नरेंद्र शर्मा जी की काव्य-भाषा पर टिप्पणी प्रस्तुत करो।
उत्तर: नरेंद्र शर्मा जी की काव्य-भाषा सरल, प्रांजल एवं सांगीतिक लय-युक्त खड़ी बोली है। उन्होंने अपने सरल प्रवाहमयी भाषा के जरिए कोमल और कठोर दोनों ही प्रकार के भावों को काव्य में स्थान दिया है। कहीं-कहीं माधुर्य एवं प्रसाद गुणों की बहुलता के साथ उनके रचनाओं में ओज गुण का भी संचार हुआ है। आत्मीयता, चित्रात्मकता और सहज आलंकारिकता उनकी काव्य भाषा के तीन विशेष गुण है।
(ग) कवि ने कैसे जीवन को जीवन नहीं माना है?
उत्तर: जो लोग अपने जीवन राह पर आने वाले कठिनाइयों तथा मुश्किल परिस्थितियों का आसाम न करके उससे घबराकर मुंँह मोड़कर पीठ दिखाकर भागने लगता है, तथा अपने जीवन के साथ समझौता कर जीने लगता है, ऐसे कायर लोगों के जीवन को कवि ने जीवन नहीं माना है।
(घ) कवि ने कायरता को प्रतिहिंसा से अधिक अपवित्र क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने कायरता को प्रतिहिंसा से अधिक अपवित्र कहा है क्योंकि अगर हिंसा करने वाला व्यक्ति प्यार से न समझे, तो हिंसा के बदले हिंसा करना भी कभी कभार जरूरी हो जाता है। लेकिन हिंसा को सहन कर या परिस्थितियों से घबराकर हार मान लेना कायरता कहलाता है। जो की प्रतिहिंसा से भी अधिक अपवित्र है।
(ङ) कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सही माप क्या है?
उत्तर: कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सही माप मानवता की रक्षा करना है। जो व्यक्ति अपनी चिंता न करके समाज के हित के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर अच्छा कार्य करता है, वही मानवता की रक्षा करता है।
4. संक्षेप में उत्तर दो:
(क) 'कायर मत बन' शीर्षक कविता का संदेश क्या है?
उत्तर: 'कायर मत बन' शीर्षक कविता का संदेश है कि मनुष्य जो भी बने बस कायर न बने। क्योंकि कायरता कमजोर लोगों की निशानी है। अपनी मंजिल की राह खुद चुने और कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना करें। दुष्टों के समक्ष न तो कोई समझौता करें और न ही आत्मसमर्पण। उन्हें पहले प्यार से समझाएंँ, अगर प्यार से न माने तो हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से दे। कविता का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह रहा है कि मानवता एवं समाज के हित के लिए अपना योगदान दें। यहांँ तक कि मानवता की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दे। क्योंकि मानव ही है जो समाज को सही दिशा दिलाती है।
(ख) 'कुछ न करेगा? क्या करेगा-रे-मनुष्य-बस कातर क्रंदन'- का आशय स्पष्ट करो।
उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि जीवन के कठिनाइयों के साथ समझौता करके गम के आंसू रोने से क्या फायदा। कब तक कायर बने रहेंगे। मानवता के खातिर सदियों से कईयों ने अपना खून पसीना बहाया है और उसी मानवता के खातिर क्या अब हमें कुछ नहीं करना है। कब तक उन मुश्किलों का रोना रोते रहेंगे, आंँसू पीकर कब तक जिएंगे। तथा कवि का आह्वान है कि हमें कायरता को त्यागकर अपने मार्ग में आने वाली बाधाओं का सामना व दृढ़ता के साथ मुकाबला करना चाहिए।
(ग) 'या तो जीत प्रीति के बल पर, या तेरा पथ चूमे तस्कर' का तात्पर्य बताओ।
उत्तर: कायरता को त्याग कर कुछ कर गुजरने का उपदेश देते हुए कवि कहते हैं कि अगर कोई दुष्ट हमें युद्ध करने के लिए आमंत्रित करें तो उनके साथ समझौता कर या दया दिखाने से कोई फायदा नहीं है। ऐसा करने से वह हमें डरपोक समझेगा। जहांँ पर हिंसा जरूरी है वहांँ पर हिंसा ही करनी चाहिए। तभी दुष्टों को हमारे बल का ज्ञान होगा। तथा हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से देना आवश्यक हो जाता है।
(घ) कवि ने प्रतिहिंसा को व्यक्ति की दुर्बलता क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने प्रतिहिंसा को मनुष्य का कमजोर पक्ष माना है। क्योंकि प्रतिहिंसा मनुष्य की मानसिक दुर्बलता को दर्शाता है। जब मनुष्य मुस्लिमों का सामना नहीं कर पाता तो अपना आपा खोकर हिंसा का पथ अपनाता है। कवि के अनुसार विवेकशील एवं ज्ञानी व्यक्ति हिंसा से भरे मनुष्य का दिल भी प्यार भरे वाणियों से जीत लेता है। तथा उन्हें भी अहिंसा के पथ पे ले आते हैं। अगर हम हिंसा का जवाब अहिंसा से न देकर हिंसा पर उतर आते हैं तो हम कायर ही कहलाएंगे। इसलिए कवि ने प्रतिहिंसा को व्यक्ति की दुर्बलता कहा है।
5. सम्यक उत्तर दो:
(क) सज्जन और दुर्जन के प्रति मनुष्य के व्यवहार कैसे होने चाहिए? पठित 'कायर मत बनो' कविता के आधार पर उत्तर दो।
उत्तर: सज्जन व्यक्ति समाज की नींव होती है। सज्जन यानी अच्छे प्रवृत्ति के लोग, जो हमेशा समाज के भले के लिए कार्य करते हैं। यू कहे तो सज्जन व्यक्ति ही मानवता की रक्षा करते आए हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा खुद की चिंता न करके दूसरों की चिंता करते हैं। तथा हमें ऐसे लोगों को हमेशा आदर और सम्मान देना चाहिए। दूसरी और दुर्जन व्यक्ति जो खुद की सोचता है और समाज को हानि पहुंँचाता है। हिंसा फैलाकर दूसरों पर जीत हासिल करना पसंद करता है। ऐसे दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों के साथ पहले तो प्यार से पेश आना चाहिए। अगर प्यार से न माने तो उनका मुकाबला प्रतिहिंसा से देना चाहिए। जब तक वह सही रास्ते पर न आए उनका मुकाबला करते रहना चाहिए। अगर उनका मुकाबला न करके उनके साथ समझौता करेंगे तो वह हमें कमजोर समझेंगे। जो कि एक कायरता की निशानी है। इसलिए उनके लिए हमें जो भी बनना पड़े बनना है, पर कायर नहीं बनना है।
(ख) 'कायर मत बन' कविता का सारांश लिखो।
उत्तर: 'कायर मत बन' कविता में कवि नरेंद्र शर्मा जी ने मानवता को जगाते हुए पुरुषार्थ, साहस एवं अडिग-अविचल भाग का संदेश दिया है। कवि का आह्वान है कि मनुष्य जो भी बने पर कायर मत बने। क्योंकि कायरता कमजोर लोगों की निशानी है। अपने जीवन मार्ग पर कितने भी मुश्किल परिस्थितियाँ क्यों न आए उन से लड़े, उनका सामना करें, लेकिन उनके साथ समझौता न करें। क्योंकि समझौता करके हमें कुछ नहीं मिलेगा शिवाय गम के आंँसू के। इसीलिए गम के आंँसू रोने से अच्छा है कुछ करें उनका मुकाबला करें, तभी मानवता की रक्षा होगी। यदि दुष्ट लोग युद्ध के लिए हमें ललकारे तो उनसे घबराकर या पीठ दिखाकर भागने की बजाय प्यार के बल पर उसे जीतने की कोशिश करें। अगर न माने तो उनकी हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से दे। प्रतिहिंसा भी किंतु मनुष्य की कमजोरी को दर्शाता है। परंतु कायरता उससे भी अधिक अपावन होती है।
कवि का कहना है कि जो मनुष्य समाज के बारे में न सोचकर अपनी सोचता है, उसका इस दुनिया में कोई मोल नहीं है। पर मानवता के लिए कार्य करना अमोल है। इसलिए अपना समस्त बलिदान करके मानवता के हित के लिए कार्य करना चाहिए। दुष्ट व्यक्ति के समक्ष आत्मसमर्पण न करके उनके साथ मुकाबला करना चाहिए। अर्थात समस्त कविता के जरिए कवि हमें निडर बनकर कायरता से मुक्त होने का संदेश दे रहे हैं।
6. प्रसंग सहित व्याख्या करो:
(क)"ले-देख कर जीना....... युद्ध तक खून-पसीना।"
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के अंतर्गत नरेंद्र शर्मा जी द्वारा रचित 'कायर मत बन' कविता से लिया गया है।
प्रसंग: इन पंक्तियों के जरिए कवि का आह्वान है की मुश्किल परिस्थितियों के आगे समझौता न करके उनसे मुकाबला करें।
व्याख्या: जो व्यक्ति जीवन के मुश्किल घड़ी में हार मानकर हालात के आगे समझौता कर लेता है वह हमेशा गम के आंसू पीता रहता है। ऐसे लोगों का समाज में कोई योगदान नहीं रहता। तथा वे खुद ऐसे समाज में जी रहे हैं, जहांँ मानवता के खातिर कईयों ने अपना खून पसीना बहाया है। इसलिए कवि का कहना है कि कुछ न कुछ करो ऐसे बाधाओं पर आंँसू बहाने से क्या फायदा। उनका सामना करो। यूंँ ही बैठे कायर मत बनो।
(ख)"युद्ध देहि' कहे जब...... तेरा पथ चूमे तस्कर।"
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के अंतर्गत नरेंद्र शर्मा जी द्वारा रचित 'कायर मत बन' कविता से लिया गया है।
प्रसंग: इस पंक्ति के जरिए कवि शत्रु द्वारा दिया गया हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से देने की बात कही है।
व्याख्या: अगर दुष्ट व्यक्ति हमें युद्ध के लिए ललकारे तो उनके हिंसा और अत्याचार को अगर घबराकर सहन कर लेंगे तो वह हमें कमजोर समझेगा। जो कि एक कायरता की निशानी है। इसलिए कवि का आह्वान है कि हमें यूंँ ही न बैठकर उसका उत्तर प्यार के बल से देना चाहिए। अगर वह हिंसा का जवाब हिंसा से चाहता है तो उसका उत्तर प्रतिहिंसा से ही देना चाहिए। हिंसा मानसिक कमजोरी होती है। लेकिन कायरता हिंसा से भी अधिक अपवित्र होती है। इसलिए कभी-कभी हिंसा के बदले हिंसा जरूरी हो जाता है।
Additional question and previous paper solve:
A. अति संक्षिप्त प्रश्न :
1. 'कायर मत बन' कविता में कवि ने मनुष्य को क्या अर्पण | करने का आह्वान किया है? [HSLC '14]
उत्तरः कवि ने मनुष्य को मानवता के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने का आह्वान किया है।
2. कवि ने सर्वस्व अर्पण किसे करने को कहा हैं? [HSLC'15]
उत्तरः कवि ने सर्वस्व मानवता को अर्पण करने को कहा है।
3. 'कायर मत बन' शीर्षक कविता के रचयिता कौन हैं ? [HSLC'16]
उत्तरः 'कायर मत बन' शीर्षक कविता के रचयिता पंडित नरेंद्र शर्मा हैं।
4. कवि ने किसे ठोकर मारने की बात कही है? [HSLC'16]
उत्तरः कवि ने मनुष्य को उन रुकावटों या बाधाओं को ठोकर मारने की बात कही है जो उसकी राह में आती हैं।
5. 'कायर मत बन' कविता में प्रतिहिंसा को क्या नाम दिया गया है ? [HSLC'17]
उत्तरः कवि ने प्रतिहिंसा को "दुर्बलता" का नाम दिया है।
6. कवि ने किसे ठोकर मारने की बात की है ? [HSLC'18]
उत्तरः कवि ने उन बाधाओं को ठोकर मारने की बात की है जो मनुष्य के आगे बढ़ने में रुकावट डालती हैं।
7. 'युद्धं देहि' कहे जब पामर,
दे न दुहाई पीठ फेर कर! यहाँ प्रयुत्क 'पीठ फेरना'
मुहावरे का क्या अर्थ है ? [HSLC'19]
उत्तरः 'पीठ फेरना' मुहावरे का अर्थ है किसी समस्या या चुनौती का सामना न करना, अर्थात् भाग जाना या डरना। कवि यह कह रहे हैं कि जब कोई दुष्ट या नीच व्यक्ति चुनौती दे, तो मनुष्य को पीठ नहीं फेरनी चाहिए, बल्कि साहस के साथ सामना करना चाहिए।
8. 'अर्पण कर सवस्व मनुज को' यहाँ कवि का कौन- सा स्वर मिलता है ? [HSLC'20]
उत्तरः यहाँ कवि का बलिदान और मानवता के प्रति निष्ठा का स्वर मिलता है। वे मानवता को सर्वोपरि मानते हैं और यह सन्देश देते हैं कि मनुष्य को अपने व्यक्तिगत सुख-दुख से ऊपर उठकर मानवता के लिए समर्पित रहना चाहिए।
B. संक्षिप्त प्रश्न :
1. 'कुछ भी बन' – के माध्यम से कवि मनुष्य को क्या बनतं हुए देखना पसंद करते हैं ? [HSLC'14]
उत्तरः कवि मनुष्य को साहसी, दृढ़, और सक्रिय बनते हुए देखना पसंद करते हैं, जो कायरता का प्रदर्शन न करे और कठिनाइयों का सामना करे।
2. 'कायर मत बन' शीर्षक कविता में ले-देकर जीने को क्यों जीना नहीं कहा हैं ? [HSLC'15]
उत्तरः क्योंकि कवि मानते हैं कि केवल ले-देकर जीना एक निस्संग और असंगठित जीवन है, जबकि वास्तविक जीवन में साहस और संघर्ष की आवश्यकता है। मनुष्य को अपने आदर्शों के लिए लड़ना चाहिए।
3. 'कायर मत बन' शीर्षक कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है? [HSLC'16]
उत्तरः हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी कायर नहीं बनना चाहिए। हमें अपने सिद्धांतों के लिए लड़ना चाहिए और चुनौतियों का सामना साहस और दृढ़ता से करना चाहिए।
4. 'ठोकर मार, पटक मत माथा,तेरी राह रोकते पाहन !' यहाँ कवि क्या कहना चाहते हैं? [HSLC'17]
उत्तरः यहाँ कवि यह कहना चाहते हैं कि मनुष्य को उन रुकावटों या बाधाओं को ठोकर मारकर दूर करना चाहिए जो उसके मार्ग में आड़े आती हैं, और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए।
5.. "युद्धं देहि कहे जब पामर,
दे न दुहाई पठ फेर कर!"
का आशय व्या है ? [HSLC'18]
उत्तरः इसका आशय है कि जब कोई साधारण व्यक्ति (पामर) किसी को लड़ाई के लिए चुनौती दे, तो उसे डर कर पीठ नहीं फेरनी चाहिए। बल्कि, उसे साहस से उस चुनौती का सामना करना चाहिए।
6. 'ले-दे कर जीना, क्या जीना'? कवि ने यहाँ क्या सन्देश दिया है ? [HSLC'20]
उत्तरः कवि ने यहाँ यह सन्देश दिया है कि केवल ले-देकर जीना असली जीवन नहीं है। जीवन का असली मतलब संघर्ष, साहस, और अपनी मानवीयता के लिए लड़ाई करना है।
C. विवरणात्मक प्रश्न :
1. हिंसा-अहिंसा के सम्बन्ध में कायर मत बन कविता के कवि के कथ्य को स्पष्ट करो। [HSLC'15]
उत्तरः कवि नरेंद्र शर्मा हिंसा और अहिंसा के बीच संतुलन स्थापित करते हैं। वे मानते हैं कि हिंसा के बदले हिंसा केवल मनुष्य की कमजोरी को दर्शाती है, जबकि कायरता इससे भी अधिक अपवित्र है। कवि का यह मानना है कि मनुष्य को किसी भी चुनौती का सामना साहस और दृढ़ता से करना चाहिए। यदि कोई नीच व्यक्ति सामने आए, तो मनुष्य को उसे प्रेम से जीतने का प्रयास करना चाहिए, और यदि वह संभव न हो, तो प्रतिहिंसा का सहारा लेना चाहिए। कवि यह संदेश देते हैं कि अहिंसा का आदर्श महत्वपूर्ण है, लेकिन आत्मरक्षा के लिए प्रतिहिंसा भी एक विकल्प हो सकता है।
2. कवि के अनुसारसत्य का सही तोल क्या है ? [HSLC'15]
उत्तरः कवि के अनुसार, सत्य का सही तोल यह है कि व्यक्ति की सुरक्षा की तुलना में मानवता की रक्षा अधिक महत्वपूर्ण है। मानवता की अमूल्यता के सामने व्यक्तिगत सुख और सुरक्षा का कोई मूल्य नहीं है। सत्य यह है कि व्यक्ति का आत्म-बलिदान मानवता को अमर बनाता है, और यही सत्य का वास्तविक मापदंड है।
3. 'कायर मत बन कविता के भावार्थ को स्पष्ट करो। [HSLC'17]
उत्तर: 'कायर मत बन' कविता में कवि ने यह सन्देश दिया है कि मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में कायर नहीं बनना चाहिए। उसे साहस के साथ अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं का सामना करना चाहिए। कवि मानते हैं कि केवल शोक और दुख के आँसू पीना जीवन नहीं है। जीवन का अर्थ संघर्ष और चुनौतियों का सामना करना है। मनुष्य को कभी भी आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए और अपने मानवता के प्रति कर्तव्यों को निभाने का प्रयास करना चाहिए।
4. 'कायर मत बन' शीर्षक के संदेश को स्पष्ट करो। [HSLC'18]
उत्तरः 'कायर मत बन' शीर्षक का संदेश यह है कि मनुष्य को हर स्थिति में साहस और दृढ़ता से कार्य करना चाहिए। कवि ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कायरता से बचना चाहिए और अपने सिद्धांतों और आदर्शों के लिए संघर्ष करना चाहिए। यह शीर्षक प्रेरणा देता है कि किसी भी परिस्थिति में हमें डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए।
5.. "अर्पण कर सर्वस्व मनुज को" मनुष्य को सर्वस्व अर्पण करने का आह्वान कवि ने क्यों किया है ? स्पष्ट करो। [HSLC'19]
उत्तरः कवि ने मानवता के प्रति समर्पण का आह्वान किया है, क्योंकि वे मानते हैं कि व्यक्ति का जीवन केवल उसके व्यक्तिगत सुखों के लिए नहीं, बल्कि मानवता की सेवा के लिए होना चाहिए। मानवता को सर्वोच्च मानते हुए, कवि का उद्देश्य यह है कि व्यक्ति को अपनी सम्पूर्णता को मानवता की भलाई के लिए अर्पित करना चाहिए, ताकि मानवता की रक्षा और उन्नति हो सके।
6. "प्रतिहिंसा भी दुर्बलता है, पर कायरता अधिक उपावन।" प्रतिहिंसा और । कायरता, इन दोनों के बीच कौन-सा पथ अपनाने का आह्वान कवि ने किया [HSLC'20]
उत्तरः कवि ने प्रतिहिंसा और कायरता के बीच साहस और आत्म-रक्षा के पथ को अपनाने का आह्वान किया है। वे यह समझाते हैं कि प्रतिहिंसा भी एक प्रकार की कमजोरी है, लेकिन कायरता इससे भी अधिक घृणित है। इसलिए, कवि ने मनुष्य को यह सिखाया है कि उसे साहस के साथ अपनी स्थिति का सामना करना चाहिए, न कि भागना या कायर बनना चाहिए।
अतिरिक्त आवश्यकीय प्रश्न
A. अति संक्षिप्त प्रश्न :
1. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :
(i) नरेन्द्र शर्मा किस समय के कवि है ?
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा आधुनिक हिंदी काव्यधारा के अंतर्गत छायावाद एवं छायावादोत्तर युगों के कवि हैं।
(ii) नरेन्द्र शर्मा कैसे भावधारा के व्यक्ति रहे थे ?
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा भावुक और कल्पनाशील कवि रहे हैं, जो व्यक्तिगत प्रणय, विरह-मिलन, और सामाजिक यथार्थ के चित्रण में प्रगतिशीलता के दर्शन कराते हैं।
(iii) नरेन्द्र शर्मा जी ने किस विश्वविद्यालय से एम.ए पास किया था ?
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. पास किया था।
(iv) नरेन्द्र शर्मा को क्यों नजरबंद भी होना पड़ा था ?
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण नजरबंद होना पड़ा था।
(v) नरेन्द्र शर्मा जी आकाशवाणी में किस कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे ?
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी आकाशवाणी में 'विविध भारती' कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे।
(vi) नरेन्द्र शर्मा जी के कहानी संग्रह का नाम क्या है ?
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी का कहानी संग्रह 'कड़वी-मीठी बातें' है।
(vii) नरेन्द्र शर्मा जी की भाषा क्या है?
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी की भाषा सरल, प्रांजल एवं सांगीतिक लय-युक्त खड़ी बोली है।
(viii) नरेन्द्र शर्मा जी के काव्य के तीन गुण क्या-क्या हैं?
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी के काव्य के तीन गुण हैं: आत्मीयता, चित्रात्मकता, और सहज आलंकारिकता।
(ix) कवि ने हमे क्या बनने को मना किया है ?
उत्तरः कवि ने हमें कायर बनने को मना किया है।
(x) 'युद्धं देहि' का अर्थ क्या होता है ?
उत्तरः 'युद्धं देहि' का अर्थ होता है 'लड़ाई करो'।
(xi) कवि ने किसे अधिक अपवित्र कहा है ?
उत्तरः कवि ने कायरता को अधिक अपवित्र कहा है।
(xii) कवि ने सत्य का सही तील किसे कहा है ?
उत्तरः कवि ने व्यक्ति की सुरक्षा की तुलना में मानवता की रक्षा को सत्य का सही तोल कहा है।
(xiii) कवि ने अपना सर्वस्व किसे अर्पण करने को कहा है?
उत्तरः कवि ने अपना सर्वस्व मानवता को अर्पण करने को कहा है।
(xiv) नरेन्द्र शर्मा जी की मृत्यु कब हुई थी ?
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी की मृत्यु सन् 1989 में हुई थी।
(xv) नरेन्द्र शर्मा जी के तीन खंडकाव्यों के नाम लिखो।
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी के तीन खंडकाव्यों के नाम हैं: 'द्रौपदी', 'उत्तर जय', और 'सुवर्ण'।
2. सही या गलत रूप में उत्तर दो :
(i) कवि ने माथा पटकने को कहा है।
उत्तरः गलत ।
(ii) हिंसा के बल पर जीतना सही है।
उत्तरः गलत।
(iii) कायरता को अधिक अपावन बताया गया है।
उत्तरः सही।
(iv) मनुष्य को अपना सर्वस्व समर्पण करना उचित है।
उत्तरः सही।
(v) 'मिट्टी के फूल' नरेन्द्र शर्मा जी के एक काव् संग्रह है।
उत्तरः सही।
B. संक्षिप्त प्रश्न :
अंक : 2/3
1. नरेन्द्र शर्मा जी की काव्य भाषा कैसी थी ?
अथवा
नरेन्द्र शर्मा की काव्य भाषा पर एक टिप्पनी लिखो।
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी की काव्य भाषा सरल, प्रांजल और सांगीतिक लय-युक्त थी। उन्होंने कोमल और कठोर भावों को सहज प्रवाहमयी भाषा में व्यक्त किया।
2. कवि ने क्यों कायर बनने को मना किया है ?
उत्तरः कवि ने कायर बनने को मना किया है क्योंकि कायरता व्यक्ति की कमजोरी है और मानवता के प्रति आत्म-बलिदान आवश्यक है।
3.'तेरी राह तोक ने पाहन।' पंक्ति का भाव स्पष्ट करो।
उत्तरः इस पंक्ति का अर्थ है कि जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए हमें साहस और दृढ़ता के साथ सामना करना चाहिए।
4.नरेन्द्र शर्मा की रचनाओं से कैसा संदेश मिलता है ?
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा की रचनाओं से साहस, मानवता और कायरता के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण का संदेश मिलता है।
5.'युद्धं देहि' भावना से किसी के आगे बढ़ने पर मनुष्य को क्या करना चाहिए ?
उत्तरः मनुष्य को या तो प्यार के बल पर जीतना चाहिए या प्रतिहिंसा का सहारा लेकर अपनी रक्षा करनी चाहिए, लेकिन कायरता से भागना नहीं चाहिए।
6.कायरता को सबसे अधिक अपवित्र क्यों कहा गया है ?
उत्तरः कायरता को अधिक अपवित्र इसलिए कहा गया है क्योंकि यह मनुष्य की कमजोरी को दर्शाती है और मानवता के लिए आत्म-बलिदान आवश्यक है।
7.कवि ने किसे अमूल्य कहा हैं और क्यों ?
उत्तरः कवि ने मानवता को अमूल्य कहा है क्योंकि उसकी रक्षा के लिए व्यक्ति का बलिदान आवश्यक है।
8. 'कायर मत बन' कविता का उद्देश्य क्या है ?
उत्तरः 'कायर मत बन' कविता का उद्देश्य मनुष्य को साहसी और दृढ़ रहने के लिए प्रेरित करना है, ताकि वह अपने धर्म और मानवता के प्रति समर्पित रहे।
9. 'कायर मत बन' कविता के संदेश को स्पष्ट करो।
उत्तरः कविता का संदेश है कि किसी भी स्थिति में कायरता को अपनाने के बजाय साहस और आत्म-विश्वास के साथ संघर्ष करना चाहिए।
10. कवि के अनुसार मानवता कैसे अमर बनती है ?
उत्तरः कवि के अनुसार मानवता व्यक्ति के आत्म-बलिदान से अमर बनती है, क्योंकि व्यक्ति का बलिदान मानवता के लिए महत्वपूर्ण होता है।
11. कवि ने अपना सबै कुछ किस पर न्योछावर करने का उपदेश दिया है और क्यों ?
उत्तरः कवि ने अपना सब कुछ मानवता पर न्योछावर करने का उपदेश दिया है क्योंकि मानवता की रक्षा सर्वोपरि है।
12. नरेन्द्र शर्मा जी के कर्म जीवन का परिचय दो।
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी ने काशी विद्यापीठ में शिक्षक के रूप में कार्य किया, स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया, फिल्म जगत में गीत लिखे और आकाशवाणी में विविध भारती कार्यक्रम का संचालन किया।
13. नरेन्द्र शर्मा जी की रचनाओं की विशेषताए क्या-क्या हैं।
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी की रचनाओं की विशेषताएं हैं: सरल और प्रवाहमयी भाषा, चित्रात्मकता, भावुकता, मानवतावाद, और सामाजिक यथार्थ का चित्रण।
आशय स्पष्ट करो :
1.तेरी राह रोकते पाहन
कुछ भी बन, बस कायर मत बन।
उत्तरः इस पंक्ति का आशय है कि जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ (पाहन) आपके लक्ष्य को रोकने का प्रयास करती हैं। लेकिन आपको इन बाधाओं से हार नहीं माननी चाहिए। आपको साहस और दृढ़ता के साथ इनका सामना करना चाहिए और कायरता को अपनाने से बचना चाहिए।
2.प्रतिहिंसा भी दुर्बलता है,
पर कायरता अधिक अपावन ।
उत्तरः इस पंक्ति का अर्थ है कि प्रतिहिंसा (हिंसा का जवाब हिंसा से देना) भी एक प्रकार की कमजोरी है। लेकिन कायरता उससे भी अधिक अपमानजनक है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मनुष्य को हमेशा साहसिक और दृढ़ रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।
3. यह मितता है, वह बनता है।
यही सत्य का सही तोल है।
उत्तरः इस पंक्ति में कवि यह कह रहे हैं कि जीवन में कुछ चीजें समाप्त होती हैं, जबकि दूसरी चीजें जन्म लेती हैं। यह जीवन का स्वाभाविक चक्र है। यह समझना सही है कि कुछ चीजें खोने पर नई चीजें आ सकती हैं, और यही जीवन का सत्य है।
4. कर न दुष्ट का आत्म-समर्पण
कुछ भी बन, बस क्यर मत बन।
उत्तरः इस पंक्ति का अर्थ है कि आपको दुष्ट (खराब या बुरे लोगों) के सामने आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए। आपको हमेशा साहसी रहना चाहिए और किसी भी स्थिति में कायरता से बचना चाहिए। यह व्यक्ति के आत्म-सम्मान और मानवता की रक्षा के लिए आवश्यक है।
C. विवरणात्मक प्रश्न :
1.कवि नरेन्द्र शर्मा जी के बहुमुखी प्रतिभा के बारे में लिखो।
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि थे, जिन्होंने न केवल गीति कविता में उत्कृष्टता हासिल की, बल्कि वे समाजिक मुद्दों और राष्ट्रीय भावना को भी अपनी रचनाओं में शामिल किया। उनका काव्य रचनाओं में विविधता देखने को मिलती है, जिसमें प्रेम, विरह, प्रकृति, आध्यात्मिकता और सामाजिक विषमता का चित्रण होता है। उन्होंने सरल और मधुर काव्य भाषा में भावनाओं को अभिव्यक्त किया, जो पाठकों को गहराई से प्रभावित करती है। उनकी रचनाएं न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे प्रेरणादायक भी हैं।
2. कवि नरेन्द्र शर्मा जी के कर्मजीवन का वर्णन कीजिए।
उत्तरः नरेन्द्र शर्मा जी का जन्म 1913 में हुआ। उन्होंने अपनी शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की और काशी विद्यापीठ में शिक्षक के रूप में कार्य किया। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेते समय उन्हें नजरबंद किया गया। बाद में, वे फिल्म जगत में गीत लिखने के लिए मुंबई चले गए और फिर आकाशवाणी में विविध भारती कार्यक्रम के संचालक बने। इस पद पर रहते हुए उन्होंने हिंदी गीतों को प्रसारित कर इस कार्यक्रम को अत्यंत लोकप्रिय बनाया। उन्होंने जीवन भर लेखन जारी रखा और 1989 में उनका निधन हुआ।
3. 'कायर मन बन' कविता से हमें क्या अनुप्रेरणा देने की कोशिश की गई हैं।
उत्तरः 'कायर मत बन' कविता हमें साहस और दृढ़ता के साथ जीवन के संघर्षों का सामना करने की प्रेरणा देती है। यह कविता कायरता को नकारते हुए व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का सामना करने और मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रेरित करती है। कवि का उद्देश्य यह है कि हर व्यक्ति को कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें चुनौती के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
4. कविता में हमें क्या करने का और क्या न करने का उपदेश दिया गया है ? सोदाहरण स्पष्ट करो।
उत्तरः कविता में कवि ने हमें यह उपदेश दिया है कि हमें हमेशा साहसी रहना चाहिए और कायरता से दूर रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, "कुछ भी बन, बस कायर मत बन" पंक्ति हमें यह बताती है कि हमें किसी भी स्थिति में कायर नहीं बनना चाहिए। दूसरी ओर, "कर न दुष्ट का आत्म-समर्पण" पंक्ति यह दर्शाती है कि हमें बुरे लोगों के सामने आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए, बल्कि साहस के साथ उनका सामना करना चाहिए। इस प्रकार, कविता हमें साहस, दृढ़ता और आत्म-समर्पण के विपरीत विचारों की ओर प्रेरित करती है।
सप्रसंग व्याख्या करो :
1. तेरी रक्षा का न मोल है
सत्य का सही तोल है।
उत्तरः प्रसंग- यह पंक्ति हमारे पाठ्य में स्थित नरेंन्द्र शर्मा द्वारा रचित कायर मत बन नामक कविता से लिया गया हैं।
व्याख्या- इस पंक्ति का अर्थ है कि व्यक्तिगत सुरक्षा या आत्म-रक्षा की कोई विशेष महत्ता नहीं है, जब हम मानवता की रक्षा की बात करते हैं। यहाँ कवि यह बताना चाहते हैं कि व्यक्ति की सुरक्षा की तुलना में मानवता का मूल्य कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। सत्य का सही तोल यही है कि व्यक्ति को अपने स्वार्थ को छोड़कर मानवता के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए। यह संदेश हमें यह समझाता है कि व्यक्ति का बलिदान भी तब सार्थक होता है जब वह मानवता के उद्धार के लिए होता है।
2.अर्पण कर सर्वस्व मनुज को,
कर न दुष्ट का आत्म-समर्पण
कुछ भी बन, बस कायर मन बन।
उत्तरः प्रसंग- यह पंक्ति हमारे पाठ्य में स्थित नरेंन्द्र शर्मा द्वारा रचित कायर मत बन नामक कविता से लिया गया हैं।
व्याख्या- इस पंक्ति में कवि यह कह रहे हैं कि व्यक्ति को अपने सभी संसाधन और बलिदान मानवता के लिए समर्पित करना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि हमें अपने स्वार्थ और डर को छोड़कर मानवता की सेवा में लगना चाहिए। 'दुष्ट का आत्म-समर्पण' करने का मतलब है कि हमें बुराई के आगे झुकना नहीं चाहिए। हमें हमेशा साहसी रहना चाहिए और कायरता को त्यागना चाहिए। यह पंक्ति हमें प्रेरित करती है कि किसी भी परिस्थिति में हमें अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए और हमेशा साहस के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
Answer by Reetesh Das (MA in Hindi) and Dikha Bora
Edit By Dipawali Bora (23.04.2022)
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