साबरमती के संत
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(अ) सही विकल्प का चयन करो:
1. 'गांधी तेरी मशाल' का किस अर्थ में प्रयोग हुआ है?
उत्तर: गांधीजी का आदर्श।
2. स्वाधीनता से पहले भारत पर किसका शासन था?
उत्तर: अंग्रेजों का।
3. गांधी जी को प्यार से लोग क्या कहकर पुकारते थे?
उत्तर: बापू।
4. गांधी जी के ऊंँचा मस्तक के सामने किसकी चोटी भी झुकती थी?
उत्तर: हिमालय की।
(आ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:
1. 'साबरमती के संत' किसे कहा गया है?
उत्तर: साबरमती के संत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कहा गया है।
2. गांधी जी ने क्या कमाल कर दिखाया?
उत्तर: गांधी जी ने देश को अंग्रेजों से आजाद कर दिखाया।
3. महात्मा गांधी का वास्तविक हथियार क्या था?
उत्तर: महात्मा गांधी का वास्तविक हथियार सत्य और अहिंसा था।
4. गांधी जी ने लोगों को किस मार्ग पर चलना सिखाया?
उत्तर: गांधी जी ने लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया।
(इ) संक्षिप्त उत्तर लिखो:
1. गांधीजी की संगठन शक्ति के बारे में तुम क्या जानते हो?
उत्तर: गांधीजी ने भारत को आजादी दिलाई थी। गांधीजी समस्त भारतवर्ष में इतने प्रसिद्ध थे कि जहांँ-जहांँ वे चल पड़ते उसके पीछे-पीछे सैकड़ों लोगों का संगठन उमर जाता। तथा उनमें गजब की संगठन सकती थी। वे जिधर से गुजरते लाखों मजदूर किसान, हिंदू, मुस्लिम, सिख, पठान सभी उनके पीछे चल पड़ते थे। संगठन की खास विशेषता यह थी कि उन्होंने अहिंसा को अपना हथियार बनाया और सत्य का मार्ग अपनाया। जिसके चलते गांधीजी के नेतृत्व में बिना गोला-बारूद का प्रयोग कर अंग्रेजों से देश को आजादी दिलाई।
2. गांधीजी ने किस प्रकार अंग्रेजों से टक्कर लिया था?
उत्तर: गांधीजी ने अंग्रेजो पर न तो हथियार और गोला-बारूद चलाया और न ही राजाओं की तरह दुश्मनों के किलो पर चढ़ाई कर विजय पताका लहराया। उन्होंने सिर्फ शरीर में मात्र धोती लपेट हाथ में लाठी लिए सत्य और अहिंसा को अपना एकमात्र अस्त बनाकर हिंदू, मुस्लिम, सिख, पठान आदि सभी को एकजुट कर अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन किया। जिसके चलते देश आजाद हुआ। इस प्रकार गांधीजी ने अंग्रेजो से टक्कर लिया था।
3. प्रस्तुत गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर: 'साबरमती के संत' कवि एवं गीतकार प्रदीप का बहुचर्चित गीत है। इस गीत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवनदर्शों पर प्रकाश डाला गया है।
गांधीजी ने अंग्रेजो के खिलाफ बिना हथियार बिना ढाल का प्रयोग कर लड़ाई की थी। यह संग्राम साबरमती के संत का चमत्कार था। गीतिका यहांँ कह रहे हैं कि जिस प्रकार संकट के समय में गांधी जी ने अपना आदर्श कायम किया था उनके वे आदर्श हमेशा कायम रहे।उन्होंने दुश्मनों पर कभी गोला-बारूद से संग्राम नहीं किया। उन्होंने अहिंसा को अपना हथियार बनाया। दुश्मन भी उनकी शक्ति से परिचित थे। दुश्मनों ने भी हौसला तोड़ने की कोशिश की पर बापू के हौसले को वे तोड़ न सके। उनमें गजब की संगठन सकती थी।जब जब उन्होंने बिगुल बजाया सैकड़ों हिंदू मुस्लिम सिख पठान दौड़े चले आए यहां तक कि जवाहरलाल भी उनके कदम से कदम मिलाकर चलते।मन में अहिंसा, हाथ में लाठी लिए इस प्रकार चलते मानो हाथी की चाल चल रहे हो। उसे देख मानो हिमालय भी अपना सर झुका देती है।
अंत में गीतकार कहते हैं कि देश को आजादी दिलाकर उन्होंने खुद कोई पद या तख्त का ताज नहीं पहना। उन्होंने दूसरों को अमृत पिलाकर खुद जहर पिया। तथा जिस दिन उनकी चिता जली उस दिन समस्त जग रोया था।
4. 'साबरमती के संत' गीत के आधार पर गांधीजी के व्यक्तित्व पर एक संक्षिप्त लेख लिखो।
उत्तर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत के वे अमर महात्मा थे जिन्होंने अपने आदर्श और सत्य एवं अहिंसा से देश को आजादी दिलाई। उनका जीवन बिल्कुल साधारण फकीर की तरह था। साधारण सी धोती और हाथ में लाठी लिए अपने आदर्शों के बल पर देश को आजादी दिलाना कोई साधारण व्यक्ति का काम नहीं था। इसलिए उन्हें महात्मा कहा जाता है।वे हिंसा के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने बिना हथियार और बिना गोला-बारूद का प्रयोग कर दुश्मनों का सामना किया था। सदा सत्य और अहिंसा के मार्ग में ही चलते थे।
(ई) भावार्थ लिखो:
(क) मन थी अहिंसा की बदन पे थी लंगोटी लाखों में लिए घूमता था सत्य की चोटी।
उत्तर: इस पंक्तियों का अर्थ यह है कि गांधीजी का व्यक्तित्व इतना साधारण था कि वे अपने मन में अहिंसा का भाव लिए, शरीर में मात्र धोती लपेटकर और हाथ में लाठी लेकर जिधर से गुजरते लाखों मजदूर, किसान, हिंदू, मुस्लिम, सिख, पठान सभी उनके पीछे पीछे चलने लगते थे। गांधीजी हमेशा सत्य के मार्ग पर चले और दूसरों को भी सत्य के मार्ग पर चलना सिखाया।
(ख) मांँगा न तूने कोई तख्त बेताज ही रहा अमृत दिया सभी को खुद जहर पिया।
उत्तर: इस पंक्ति का भावार्थ यह है कि गांधीजी ने देश को अंग्रेजों से मुक्त कर देश को आजादी दिलाई। इस हिसाब से वह चाहते तो आजादी के बाद उच्च पद या देश के नेता बन सकते थे परंतु उन्होंने ऐसा कुछ नहीं मांँगा। उन्होंने हमेशा दूसरों की भलाई के बारे में सोचा। उन्होंने खुद कष्ट उठाकर दूसरों का उपकार किया। तथा इसलिए कहा गया है कि उन्होंने दूसरों को अमृत दिया और खुद जहर पिया है।
Additional Questions And Previous Paper Solve
संक्षिप्त प्रश्न (Short type questions):
1. प्रदीप के गीतों की मूल विशेषता क्या है?
उत्तर: प्रदीप के गीतों की मुख्य विशेषता यह है कि उनमें ओजस्विता, देशभक्ति और प्रेरणा का भाव होता है। उनकी भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली है, जो सीधे लोगों के दिलों तक पहुँचती है।
2. कविता के अनुसार गांधीजी ने हमें स्वाधीनता कैसे दी थी?
उत्तर: कविता के अनुसार, गांधीजी ने हमें बिना हथियार, खड्ग या ढाल के केवल सत्य और अहिंसा के बल पर स्वाधीनता दिलाई थी। उनके नेतृत्व ने विदेशी शासन को बिना हिंसा किए देश से बाहर कर दिया।
3. महात्मा गांधी को बेमिशाल इंसान क्यों बताया गया था?
उत्तर: महात्मा गांधी को बेमिशाल इंसान इसलिए बताया गया था क्योंकि उन्होंने अहिंसा और सत्य के बल पर शक्तिशाली अंग्रेजों को देश से निकालने का अद्वितीय कार्य किया। उनकी सादगी और महानता ने हिमालय की चोटी को भी झुका दिया था।
4. गांधीजी के आह्वान पर कौन-कौन लड़ने चले थे?
उत्तर: गांधीजी के आह्वान पर जवान, मजदूर, किसान, हिंदू, मुसलमान, सिख, पठान सभी उनके पीछे चल पड़े थे। जवाहरलाल नेहरू भी उनके आह्वान पर आगे बढ़े।
5. गांधीजी की संगठन शक्ति के बारे में तुम क्या जानते हो?
उत्तर: गांधीजी की संगठन शक्ति अद्भुत थी। उन्होंने विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ जोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल किया। उनका नेतृत्व इतने प्रभावी ढंग से काम करता था कि उनके पीछे लाखों लोग एकजुट होकर चल पड़ते थे।
6. प्रस्तुत गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर: इस गीत में महात्मा गांधी की महत्ता का वर्णन है। गांधीजी ने बिना हथियार उठाए सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेजों को भारत से निकालने का अद्भुत कार्य किया। उनके नेतृत्व में लाखों लोग शामिल हुए और अंततः उन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाई। गांधीजी का जीवन सादगी और महानता का प्रतीक था, और उन्होंने अपने संघर्षों के माध्यम से दुनिया को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया।
7. 'साबरमती के संत' गीत के आधार पर गांधीजी के व्यक्तित्व पर एक संक्षिप्त लेख लिखो।
उत्तर: महात्मा गांधी को 'साबरमती के संत' के रूप में जाना जाता है। उनका व्यक्तित्व अहिंसा, सत्य और साधारणता का प्रतीक था। उन्होंने बिना हथियार के, केवल सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए, अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की। उनके नेतृत्व में लाखों लोग शामिल हुए और वे किसी भी कठिनाई से नहीं घबराए। गांधीजी की संगठन शक्ति इतनी प्रभावी थी कि उन्होंने विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एकजुट किया और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में आगे बढ़ाया। उनके जीवन का उद्देश्य हमेशा लोगों की भलाई और देश की स्वतंत्रता रहा।
8. गांधीजी ने किस प्रकार अंग्रेजों से टक्कर लिया था?
उत्तर: गांधीजी ने अंग्रेजों से बिना हिंसा के टक्कर ली। उन्होंने सत्य और अहिंसा का हथियार अपनाया और अपने अनुयायियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन चलाए। उनकी संगठन शक्ति और अहिंसा की नीति ने अंततः अंग्रेजों को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
9. 'साबरमती के संत' कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर: 'साबरमती के संत' कविता के कवि रामचंद्र द्विवेदी उर्फ प्रदीप हैं।
विवरणात्मक प्रश्न (Essay type questions):
1. प्रस्तुत कविता के आधार पर स्वाधीनता आन्दोलन में गांधीजी की भूमिका पर एक लेख लिखो।
उत्तर: महात्मा गांधी ने स्वाधीनता संग्राम में एक प्रमुख भूमिका निभाई। उनका मुख्य हथियार अहिंसा और सत्य था, जिसके माध्यम से उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया। उन्होंने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे आंदोलनों के माध्यम से लाखों भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया। उनके आह्वान पर किसान, मजदूर, युवक, महिलाएँ, और विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग संगठित होकर अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े हो गए। गांधीजी के नेतृत्व और संगठन शक्ति ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
2. 'गांधीजी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे।' इस कविता के आधार पर स्पष्ट करो।
उत्तर: गांधीजी को सत्य और अहिंसा का पुजारी इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। वे कभी हिंसा में विश्वास नहीं रखते थे और उन्होंने अपने अनुयायियों को भी अहिंसा का पालन करने का संदेश दिया। गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया, जो उनकी महानता का प्रतीक है।
3. 'साबरमती के संत' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर: इस गीत में महात्मा गांधी की महानता और उनके द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन है। गांधीजी ने बिना किसी हिंसा के केवल सत्य और अहिंसा के माध्यम से देश को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराया। उनके नेतृत्व में विभिन्न धर्मों और वर्गों के लोग संगठित हुए और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। गांधीजी का जीवन सादगीपूर्ण था, पर उनकी विचारधारा और कार्यों की ऊँचाई हिमालय जैसी थी। उनका योगदान न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा है।
4. सावरमती के संत ने कैसे अंग्रेजों को देश से निकाल कर देश को आजाद किया?
उत्तर: सावरमती के संत यानी महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को देश से निकालने के लिए सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया। उन्होंने बड़े-बड़े आंदोलन जैसे असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से अंग्रेजों को चुनौती दी। गांधीजी के नेतृत्व में देशभर में लोग एकजुट होकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खड़े हो गए। उनके संगठन की ताकत और नीतियों ने अंग्रेजों को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
5. 'साबरमती के संत' नामक कविता का सारांश लिखो।
उत्तर: 'साबरमती के संत' कविता में महात्मा गांधी के द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने की कहानी का वर्णन है। गांधीजी ने बिना किसी हथियार या हिंसा का सहारा लिए अंग्रेजों को देश से बाहर निकाल दिया। उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए लाखों लोगों को संगठित किया। उनके पीछे किसान, मजदूर, हिंदू, मुसलमान, सिख, सभी खड़े हुए और अंततः भारत को आजादी मिली। गांधीजी का जीवन सादगी और महानता का प्रतीक था, और उन्होंने अपने सिद्धांतों से दुनिया को प्रेरित किया।
6. आशय स्पष्ट करो:
(क) वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी, सर देख के झुकती थी हिमालय की भी चोटी।
उत्तर: गांधीजी का व्यक्तित्व देखने में साधारण और सादा था, वे धोती और लाठी लेकर चलते थे। लेकिन उनके विचार और कर्म इतने महान थे कि उनकी महानता के सामने हिमालय जैसी ऊँचाई भी छोटी लगने लगी थी। उनका आत्मबल और सत्य के प्रति समर्पण उन्हें महान बनाता था।
(ख) दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।
उत्तर: यह पंक्ति गांधीजी की महानता को दर्शाती है कि उन्होंने बिना किसी हथियार, युद्ध या हिंसा के, केवल सत्य और अहिंसा के बल पर हमें आजादी दिलाई। यह एक असाधारण और चमत्कारी कार्य था, जिसे गांधीजी ने सहजता से कर दिखाया।
Reetesh Das And Suman Saikia
MA in Hindi
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