टूटा पहिया
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1. कवि ने अभिमन्यु को दूस्साहसी क्यों बताया है?
उत्तर: कवि ने अभिमन्यु को दुस्साहसी इसलिए बताया है क्योंकि अकेले निहत्थे होते हुए भी अभिमन्यु ने वीरतापूर्वक एक टूटे हुए पहिए को अपना हथियार बनाकर कौरवों के अक्षौहिणी सेनाओं के साथ डटकर मुकाबला किया था।
2. 'दुरुह चक्रव्यूह' का महाभारत के संदर्भ में और आज के संदर्भ में क्या तात्पर्य है?
उत्तर: दुरुह चक्रव्यूह का महाभारत के संदर्भ में और आज के संदर्भ में यह तात्पर्य है कि महाभारत काल में अभिमन्यु का वध करने के लिए कौरवों ने कठिन चक्रव्यूह का निर्माण कर निहत्थे अभिमन्यु पर वार किया था। जो कि युद्ध के नियमों के खिलाफ था। उन अधर्मी, अन्याय महारथियों ने असत्य और अन्याय से अभिमन्यु की हत्या की थी। ठीक उसी प्रकार आज भी हमारे समाज में कौरवों के जैसे अन्याय, अधर्मी, भ्रष्टाचारी लोग मौजूद हैं जो सत्य और ईमानदारों के खिलाफ अत्याचार कर उनके आवाजों को दबाते आए हैं।
3. कवि ने किस तथ्य के आधार पर कहा है कि असत्य कभी सत्य को बर्दाश्त नहीं कर पाता?
उत्तर: कवि ने महाभारत के कुरुक्षेत्र के मैदान में हुए महायुद्ध के आधार पर कहा है कि असत्य कभी सत्य को बर्दाश्त नहीं कर पाता। क्योंकि अभिमन्यु ने सत्य और अपने धर्म के रास्ते चलते हुए कौरवों के साथ युद्ध किया। परंतु कौरवों ने अभिमन्यु को निहत्था देख धर्म के विरुद्ध जाकर उस पर प्रहार कर उसे मार डाला था। जिससे यह सिद्ध होता है कि असत्य को सत्य कभी बर्दाश्त नहीं होता।
4. 'लघु से लघु और तुच्छ से तुच्छ वस्तु' किन परिस्थितियों में अत्याधिक उपयोगी हो सकती है?
उत्तर: मुसीबत के समय या कठिन से कठिन परिस्थितियों में कोई विशेष वस्तु उपलब्ध न हो तो लघु से लघु और तुच्छ से तुच्छ वस्तु उस समय अत्याधिक उपयोगी सिद्ध होती है।
5. 'इतिहास की सामूहिक गति का सहसा झूठी पड़ जाने' का क्या आशय है?
उत्तर: इतिहास की सामूहिक गति का सहसा झूठी पर जाने का आशय है कि जब इतिहास की गति सत्य और धर्म के पथ का रास्ता छोड़कर आगे बढ़ने लगता है, तो उस समय टूटे पहिए जैसे हथियार यानी साधारण व्यक्ति अपने धर्म व सच्चाई के साथ इतिहास को नई गति दिलाते है।
6. कवि के अनुसार सच्चाई टूटे पहियों का आश्रय लेने का कब विवश हो सकती है?
उत्तर: जब समाज की गति सत्य और धर्म का रास्ता छोड़ हिंसा, अत्याचार, अन्याय जैसे रास्तों को अपनाकर बढ़ने लगता है, तब सच्चाई को उन बुराइयों के साथ लड़ना पड़ता है। लेकिन सच्चाई का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति उन अधर्मीयो के चल कपट में फंसता चला जाता है। तब सच्चाई को विवस होकर टूटे हुए पहिए अर्थात जीवन के मानवीय मूल्यों व लघु मानव का आश्रय लेना ही पड़ता है।
(आ) व्याकरण:
1. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग करो:
सामूहिक - ईक (समूह+इक)
आवश्यकता - ता (आवश्यक+ता)
सनसनाहट - आहट (सनसनाहट)
पाठक - अक (पठ+अक)
पूजनीय - ईय (पूजन+ईय)
परीक्षित - इत (परीक्षा+इत)
2. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग करो:
दुस्साहस - दुस (दुस+साहस)
अनुदार - अनु (अनु+दार)
बदसूरत - बद (बद+सूरत)
निश्चिंत - निश (निश+चित)
बेकारी - बे (बे+कारी)
अज्ञानी - अ (अ+ज्ञानी)
Additional Questions And Previous Paper Solve
B. संक्षिप्त प्रश्न (Short type questions):
1. इस कविता के माध्यम से कवि क्या बताना चाहते हैं?
उत्तर: कवि इस कविता के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि जीवन में तुच्छ समझी जाने वाली वस्तुएँ या व्यक्ति भी असत्य और अन्याय के खिलाफ लड़ाई में अत्यधिक शक्तिशाली हो सकते हैं। वे यह दर्शाते हैं कि किसी भी स्थिति में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।
2. रथ का टूटा हुआ पहिया का प्रयोग कवि ने किसके उपमा के रूप में किया है?
उत्तर: कवि ने रथ का टूटा हुआ पहिया अभिमन्यु की स्थिति के उपमा के रूप में प्रयोग किया है, जो अकेले और निहत्थे होते हुए भी असत्य के खिलाफ खड़ा होता है।
3. टूटे हुए पहिये को कवि फेंकने से मना क्यों कर रहे हैं?
उत्तर: कवि टूटे हुए पहिये को फेंकने से मना कर रहे हैं क्योंकि वे मानते हैं कि यह पहिया किसी समय महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जब सचाई की आवश्यकता होगी।
4. कवि ने अभिमन्यु को दुस्साहसी क्यों बताया है?
उत्तर: कवि ने अभिमन्यु को दुस्साहसी इसलिए बताया है क्योंकि उसने अकेले चक्रव्यूह में प्रवेश किया और असत्य पक्ष के खिलाफ लड़ा, भले ही वह अकेला और निहत्था था।
5. लघु से लघु और तुच्छ से तुच्छ वस्तु किन परिस्थितियों में अत्यधिक उपयोगी हो सकती है?
उत्तर: लघु से लघु और तुच्छ से तुच्छ वस्तु तब अत्यधिक उपयोगी हो सकती है जब वह किसी बड़े अन्याय या असत्य के खिलाफ खड़ी होती है। ऐसे समय में छोटी वस्तुएँ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
6. कवि के अनुसार सच्चाई टूटे पहियों का आश्रय लेने को कब विवश हो सकती है?
उत्तर: कवि के अनुसार सच्चाई टूटे पहियों का आश्रय लेने को तब विवश हो सकती है जब इतिहास की सामूहिक गति झूठी पड़ जाती है और सच्चाई को स्वीकारने का कोई और मार्ग नहीं बचता।
विवरणात्मक प्रश्न (Essay type questions):
1. इस कविता का सारांश लिखो।
उत्तर: कविता "टूटा पहिया" में कवि धर्मवीर भारती ने रथ के टूटे हुए पहिए के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जीवन में तुच्छ समझी जाने वाली वस्तुएँ भी असत्य और अन्याय के खिलाफ महत्वपूर्ण हो सकती हैं। उन्होंने महाभारत के चक्रव्यूह प्रसंग का उल्लेख करते हुए अभिमन्यु के साहस को रेखांकित किया है। अभिमन्यु, जो अकेले और निहत्था था, ने अपने टूटे हुए पहिए से असत्य पक्ष के खिलाफ लड़ा। कवि यह कहते हैं कि हमें कभी भी कमजोर वस्तुओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि वे किसी भी अन्याय के खिलाफ महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।
2. महाभारत के चक्रव्यूह के प्रसंग को आधार बनाकर कवि ने किस तथ्य की ओर कैसे निरूपित किया है?
उत्तर: कवि ने महाभारत के चक्रव्यूह के प्रसंग को आधार बनाकर यह तथ्य निरूपित किया है कि कभी-कभी कमजोर और छोटे व्यक्ति या वस्तुएँ भी असत्य और अन्याय के खिलाफ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। अभिमन्यु, जो अकेला और निहत्था था, ने अपने रथ के टूटे पहिए से असत्य पक्ष के भयंकर अस्त्रों का सामना किया। यह दिखाता है कि साहस और संघर्ष का बल किसी भी स्थिति में काम कर सकता है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।
3. सप्रसंग व्याख्या करो:
(क) अपने पक्ष को असत्य जानते हुए भी बड़े-बड़े महारथी अकेली-निहत्थी आवाज को अपने ब्रह्मास्त्रों से कुचल देना चाहें।
उत्तर: इस पंक्ति में कवि यह बताना चाहते हैं कि असत्य के पक्ष में खड़े महारथी, जो अपने शक्तिशाली अस्त्रों का उपयोग करते हैं, वे अकेली और निहत्थी आवाजों को भी कुचलने की कोशिश करते हैं। यह दिखाता है कि असत्य हमेशा सच्चाई के खिलाफ अपनी शक्ति का प्रयोग करता है, भले ही उसे अपनी स्थिति का पता हो।
(ख) लेकिन मुझे फेंको मत इतिहासों की सामूहिक गति सहसा झूठी पड़ जाने पर क्या जाने- सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले।
उत्तर: यह पंक्ति यह दर्शाती है कि इतिहास की सामूहिक गति कभी-कभी असत्य के पक्ष में बदल सकती है। ऐसे समय में, जो वस्तुएँ या व्यक्ति तुच्छ समझे जाते हैं, वे सच्चाई का सहारा बन सकते हैं। कवि यह संकेत करते हैं कि हमें कभी भी किसी चीज़ को नकारना नहीं चाहिए, क्योंकि समय के साथ उसकी मूल्यवानता बढ़ सकती है।
(ग) तब मैं रथ का टूटा हुआ पहिया उसके हाथों में ब्रह्मास्त्रों से लोहा ले सकता हूँ, मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ!
उत्तर: इस पंक्ति में कवि अपने टूटे पहिए को गर्व के साथ प्रस्तुत करते हैं। वे कहते हैं कि यह टूटा हुआ पहिया भी असत्य के खिलाफ खड़ा हो सकता है और संघर्ष कर सकता है। यह दर्शाता है कि स्थिति चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, साहस और संघर्ष से हम किसी भी शक्ति का सामना कर सकते हैं।
4. दुरूह चक्रव्यूह का महाभारत के संदर्भ में और आज के संदर्भ में क्या तात्पर्य है?
उत्तर: महाभारत के संदर्भ में, दुरूह चक्रव्यूह एक ऐसी कठिन परिस्थिति का प्रतीक है जिसमें व्यक्ति अकेला और निहत्था होता है, फिर भी उसे अपने कर्तव्यों का पालन करना होता है। आज के संदर्भ में, यह तात्पर्य देता है कि जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ और संघर्ष भी हमें अपने सिद्धांतों के प्रति दृढ़ रहना सिखाते हैं। दुरूह परिस्थितियों में भी सही रास्ता अपनाने की प्रेरणा मिलती है, और व्यक्ति को अपने साहस पर विश्वास रखना चाहिए।
5. कवि ने किस तथ्य के आधार पर कहा कि असत्य कभी सत्य को बर्दाश्त नहीं कर पाता?
उत्तर: कवि ने यह तथ्य स्थापित किया है कि असत्य के पक्ष में खड़े लोग अक्सर अपनी शक्ति का प्रयोग करके सत्य को कुचलने की कोशिश करते हैं। वे बड़े-बड़े अस्त्रों का सहारा लेते हैं, लेकिन सत्य, भले ही कमजोर प्रतीत हो, अंततः असत्य की शक्ति को चुनौती देने में सक्षम होता है।
6. इतिहास की सामूहिक गति का सहसा झूठी पड़ जाने का क्या आशय है?
उत्तर: इसका आशय यह है कि कभी-कभी इतिहास में सामूहिक विचार या धारणा असत्य हो सकती है। जब यह होता है, तो सच्चाई को मान्यता मिलने का कोई और मार्ग नहीं होता है, और तब सत्य को अपनाने के लिए टूटे हुए पहिए जैसी वस्तुओं या व्यक्तियों का सहारा लेना पड़ सकता है। यह संकेत करता है कि इतिहास का सही मूल्यांकन समय के साथ बदल सकता है, और हमें हमेशा सत्य की ओर अग्रसर रहना चाहिए।
MA in Hindi (G.U.)
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