Lesson- 2

                   (उसकी मांँ) 

1. पुलिस सुपरिटेंडेंट ने लाल के चाचा को लाल से सावधान होने को क्यों कहा था?

उत्तर: पुलिस सुपरिटेंडेंट ने लाल के चाचा को लाल से सावधान होने को इसलिए कहा था क्योंकि पुलिस की नजरों में लाल एक देशद्रोही क्रांतिकारी था। और वह अपने विद्रोही दोस्तों के साथ मिलकर अंग्रेजों को देश से खदेड़ने की योजना बना रहा था।


2. लाल की मांँ का नाम क्या था?

उत्तर: लाल की मांँ का नाम जानकी था।


3. प्रस्तुत कहानी में मांँ की तुलना भारत माता से किस रूप में की गई है?

उत्तर: प्रस्तुत कहानी में लाल का एक साथी मांँ की तुलना भारत माता से करते हुए कहता है कि वह भी भारत माता की तरह बूढ़ी हो गई है। उसके  केश उजला हिमालय की तरह और सिर हिमालय जैसे प्रतीत हो रहे हैं। उसके माथे कि दोनों गहरी बड़ी रेखाएंँ मानो गंगा और यमुना के समान दिखाई दे रहे हैं, तो नाक विंघ्याचल की तरह, तो ठोढ़ी कन्याकुमारी की तरह और जो छोटी बड़ी झुर्रियाँ रेखाएंँ है वह मानो पहाड़ और नदियाँ के समान है।


4. लाल और उसके ग्रुप के अन्य युवकों को फांँसी की सजा क्यों सुनवायी गई?

उत्तर: लाल और उसके साथियों के घरों में से कई पिस्तौल, बहुत-से कारतूस और पत्र बरामद किए गए थे। ऊपर से उन पर आरोप था कि उन लोगों ने सरकारी अधिकारियों के यहांँ से छापा मारकर शस्त्र एकत्र किए थे। और उन्होंने कई पुलिस दरोगा तथा सुपरीटेंडेंट को मारा था। इस कारण लाल और उसके ग्रुप के अन्य युवकों को फांँसी की सजा सुनाई गई।


5. लड़कों ने मांँ से अपनी फांँसी की सजा की बात क्यों छुपाई?

उत्तर: लड़कों ने माँ से अपनी फांँसी की सजा की बात इसलिए छुपाए क्योंकि उन्हें यह मालूम था कि अगर मांँ को फांँसी के बारे में पता चलेगा तो वह यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। जिस माँ ने अपना सब कुछ बेचकर बच्चों के लिए भोजन का इंतजाम किया, भला वह किस कानों से यह सुनती कि उनके बेटे को फांँसी के रस्सी से लटकाया जाएगा।


6. प्रस्तुत कहानी के जमींदार के चरित्र पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: इस कहानी में लेखक ने अपने आपको जमींदार के रूप में प्रस्तुत किया है। इस कहानी में जमींदार को एक सत्यवादी और नियमों के दायरों पर पहले वाले व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित किया गया है। जमींदार का जीवन एक आम इंसान की तरह ही था। उन्होंने कभी दूसरों का बुरा नहीं चाहा, हमेशा भला ही सोचा है तथा उनकी सहायता की है। इस कहानी में हमें जमीदार के कई चारित्रिक विशेषताएंँ देखने को मिलते हैं। उन्हें हम निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर चर्चा करेंगे-


(i) किताबों के प्रति रुचि:- लेखक तथा जमींदार को किताबें पढ़ना पसंद था। उनके घर में पुस्तकों से सजे बड़े-बड़े अलमारियांँ थी। उन्हें महान व्यक्ति की महान कृतियांँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता था। जिसका जिक्र उन्होंने खुद किया है। उनके अलमारियों में गेटे,रूसो, मेजिनी, शेक्सपियर जैसे कई कृतियांँ मौजूद थी।


(ii) कर्तव्य परायण: जमींदार एक सत्य और उदारवादी व्यक्ति थे। जमींदार का कर्तव्य था कि वह लाल और उसकी मांँ की देखभाल करें। उसने यह कर्तव्य निभाया भी, क्योंकि रामनाथ ने उसके पास कुछ हजार रुपए जमा कर रखे थे।उन पैसों से लाल और उसकी मांँ का खर्च चलता था। जमीदार भी आवश्यक अनुसार उन्हें पैसे दिया करते, तथा उसका देखरेख भी किया करते थे। उन्होंने कभी उन दोनों को पराया नहीं समझा। बल्कि उन्हें अपना ही मानते थे।


(iii) लाल के प्रति प्रेम: जमींदार लाल को अपने बेटी के समान ही मानते थे। जमींदार हमेशा उसकी भलाई के बारे में सोचता था। जब पुलिस ने लाल के बारे में पूछताछ की तब जमींदार चिंतित हो जाते हैं और लाल को समझाते हुए कहते हैं कि "मैं केबल चाचाजी नहीं तुम्हारा बहुत कुछ हूंँ। तुम्हें देखते ही मेरे आंँखों के सामने रामनाथ नाचने लगते हैं, तुम्हारी बूढ़ी मांँ घूमने लगती है। भला मैं तुम्हें बेहाथ होने दे सकता हूंँ? इस भरोसे न रहना।"

    

7. व्याख्या कीजिए:

        चाचाजी, नष्ट हो जाना तो यहांँ का नियम है। जो संँवारा गया है, वह बिगड़ेगा ही। दुर्बलता के डर से अपना काम नहीं रोकना चाहिए। कर्म के समय हमारी भुजाएंँ दुर्बल नहीं, भगवान की  सहस्र भुजाओं की सखियांँ है।


उत्तर:

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक हिंदी साहित्य संकलन के अंतर्गत पाण्डेय बेचन शर्मा जी द्वारा रचित कहानी 'उसकी मांँ' से लिया गया है।


प्रसंग: इस पंक्तियों के जरिए लाल चाचाजी को अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए कहता है कि देश के हित के लिए वह कुछ भी काम करने को तैयार है।


व्याख्या: जब चाचाजी ने लाल को समझाया कि इस उम्र में जिस सरकार के खिलाफ वह विद्रोह करने जा रहा है उनसे टकराने का मतलब खुद नष्ट हो जाना है। तब लाल उल्टा चाचाजी को समझाने लगता है कि संसार का नियम ही है नष्ट हो जाना। जो भी चीज संवारा जाता है वह एक न एक दिन बिगड़ता ही है। अगर हम अपने आप को दुर्बल समझ काम नहीं करेंगे तो कायर कहलाएंगे। इसलिए दुर्बलता  के डर से अपना काम न करें यह हो नहीं सकता।  तथा लाल कहता है कि कर्म करते समय हमारी भुजाएंँ दुर्बल नहीं बल्कि और शक्तिशाली हो जाती है। अर्थात लाल के कहने का आशय यह था कि वह समाज या राष्ट्र के लिए कुछ भी काम करने को तैयार है। चाहे उसे षड्यंत्र करना पड़े या विद्रोह या फिर चाहे हत्या ही क्यों न करना पड़े वह करेगा। 


8. लघु प्रश्न उत्तर:

(क) फिएट गाड़ी लेकर कौन आया था?

उत्तर: पुलिस सुपरिटेंडेंट।


(ख) लाल के पिताजी का नाम क्या था? और वे क्या करते थे?

उत्तर: लाल के पिता जी का नाम रामनाथ था। वे जमींदार के यहांँ मूख्य मैनेजर के रूप में काम करते थे।


(ग) सरकार ने किसे और कौन सी सजा सुनाई थी?

उत्तर: सरकार ने लाल, बंगड़ लठैत तथा दो और लड़कों को फांँसी की सजा और दस को 10 वर्ष से 7 वर्ष तक की कड़ी सजा सुनाई थी।


(घ) कौन सी महान कृति में लाल के हस्ताक्षर मौजूद थे?

उत्तर: मेजिनी की जिल्द पर।


(ङ) 'उसकी मांँ' कहानी में मुख्य क्रांतिकारी कौन है?

उत्तर: जानकी का पुत्र लाल है।


(च) लाल और उसके साथियों को पुलिस ने किस जुर्म के तहत गिरफ्तार किया था?

उत्तर: लाल और उसके साथियों को पुलिस ने देशद्रोह के जुर्म में गिरफ्तार किया था।


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Reetesh Das