Lesson-3

हार की जीत

1. खड़क सिंह कौन था?

उत्तर: खड़क सिंह एक प्रसिद्ध डाकू था।


2. बाबा भारती के आश्रम में खड़क सिंह क्यों आया था?

उत्तर: बाबा भारती के आश्रम में खड़क सिंह उसके घोड़े सुलतान को देखने आया था।


3. सुलतान कौन था?

उत्तर: सुलतान बाबा भारती के घोड़े का नाम था।


4. 'इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।'- यहाँ कौन- सी घटना के बारे में कहा गया है?

उत्तर: जब डाकू खड़क सिंह ने  अपाहिज का रूप धारण कर बाबा भारती से उसका घोड़े छीन कर दौड़ने लगा, तब बाबा भारती को सदमा सा लगा कि अपाहिज का रूप धारण कर खड़क सिंह ने यह अच्छा नहीं किया। क्योंकि इस बात की खबर अगर दूसरों तक पहुंँच गई तो लोग किसी अपाहिज एवं गरीबों पर विश्वास करना छोड़ देंगे।इस कारण बाबा भारती ने खड़क सिंह को रोककर  कहा कि 'इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।'


5. डाकू खड़क सिंह के मन में क्यों परिवर्तन आया?

उत्तर: जब खड़क सिंह ने बाबा का घोड़ा छीना, तब खड़क सिंह को लगा  कि बाबा क्रोधित होकर उसे डांटने लगेंगे। पर बाबा ने बिल्कुल शांत होकर कहा कि अब वह घोड़े को वापस करने के लिए नहीं कहेगा, बल्कि उसकी सिर्फ एक ही विनती है कि इस घटना को वह किसी और के सामने प्रकट न करें। क्योंकि यदि लोगों को इस घटना का पता चलेगा तो कोई भी किसी गरीब या दीन-दुखियों पर विश्वास नहीं करेगा। बाबा की इसी बात पर खड़क सिंह पर गहरा प्रभाव पड़ा। वह सोचने लगा कि बाबा ने अपने घोड़े के बारे में न सोचकर मनुष्यत्व के बारे में सोचा है। तब बाबा उसके लिए देवता बन गया। तथा बाबा की वह हृदयस्पर्शी संवाद सुनने के बाद उसका मन परिवर्तन हो गया।


6. प्रस्तुत कहानी से हमें कौन सी शिक्षा मिलती है?

उत्तर: 'हार की जीत' कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अच्छे कार्य का परिणाम हमेशा अच्छा ही होता है। जो लोग समाज के हित की सोचते हैं, दुष्ट प्रवृत्ति व्यक्ति भी उनके बलिदानों को देख अपना मन बदल देते हैं। तथा उन्हें हानि नहीं पहुंँचाते। इसलिए हमें कभी छल या धोखे से किसी को लूटना नहीं चाहिए। 


7. 'निज की हानि को मनुष्यत्व की हानि पर न्योछावर कर दिया।'- कथन की पुष्टि कीजिए।

उत्तर: इस कथन का आशय यह है कि जो व्यक्ति हमेशा दूसरों की भलाई के बारे में सोचता है, ऐसे महान और उदार व्यक्ति कभी दूसरों की हानि होने नहीं देते। चाहे उसे अपना कोई प्रिय वस्तु ही क्यों न खोना पड़े, मनुष्यत्व के हित के लिए उसे भी वह न्योछावर कर देता है। 


8. खड़क सिंह के चरित्र की तीन विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।

उत्तर: 'हार की जीत' कहानी में खड़क सिंह को एक भयंकर डाकू के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उसके चारित्र को कहानी में प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है। विषय वस्तु के अनुसार हम खड़क सिंह के चरित्र की तीन विशेषताओं को रेखांकित करेंगे-


(i) खड़क सिंह एक प्रसिद्ध डाकू था। लोग उसका नाम सुनकर ही कांपते थे।


(ii) खड़क सिंह बड़ा लोभी इंसान था। उसकी विशेषता थी कि उसे जो पसंद आ जाए वह उसे हासिल कर ही लेता था। इसलिए उसने सुलतान को भी छल से हासिल किया था।


(iii) डाकू होने के बावजूद उसमें विवेक और सूझबूझ की समझ थी। जिसके चलते उसने अपनी भूल को स्वीकारा और उसे सुधारा भी।


9. बाबा भारती का चरित्र चित्रण करो।

उत्तर: बाबा भारती हार की जीत कहानी का मुख्य पात्र है। कहानीकार सुदर्शन जी ने बाबा भारती को एक साधु-संत के रूप में दर्शाया है। जो अपने घोड़े से अपार प्रेम करता है और उसके साथ ही सारा जीवन व्यतीत करना चाहता है। कहानी में बाबा भारती के कई चारित्रिक विशेषताएंँ उभर कर आई है। उन विशेषताओं को हम निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर चर्चा करेंगे:- 


(i) अपने घोड़े के प्रति प्रेम:-बाबा भारती को उसका घोड़ा सबसे प्यारा था। बाबा उसे प्यार से सुलतान कहकर पुकारते थे। सुलतान उन्हें इतना प्यारा था कि वह सुलतान से बिछड़ने की बात सोच भी नहीं सकते थे। उनके लिए सुलतान ही सब कुछ था। जब तक संध्या-समय सुलतान पर चढ़कर आठ दस मील का चक्कर न लगा लेते उन्हें चैन नहीं आता था।


(ii) नागरिक जीवन से घृणा: बाबा भारती को नागरिक जीवन से घृणा थी। उनके पास रुपया, माल, असबाब, जमीन आदि सब कुछ था, लेकिन उन्हें अकेले रहने में ही शांति मिलती थी। इसीलिए उन्होंने अपना सब कुछ त्याग दिया और एक छोटे से मंदिर में जाकर बस गए। वहांँ वे समय-समय भजन कीर्तन करते और अपने घोड़े के साथ सवारी में निकल पड़ते।


(iii) दीन-दुखियों के प्रति सहिष्णुता: भले ही बाबा भारती को सुलतान के सिवाय संसार से उसका कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन उसके मन में दीन-दुखियों के प्रति दया का भाव भी था। जिसका उदाहरण हमें कहानी के द्वारा ही मिलता है। जब खड़क सिंह ने अपाहिज का रूप धारण कर बाबा भारती से तीन मील तक के सफर के लिए उसके घोड़े पर सवार होने की प्रार्थना की, तब बाबा भारती उसकी सहायता करने के लिए घोड़े पर से उतरकर उसे घोड़े पर बिठा देता है। हालांकि उसे बाद में पता चलता है कि वह अपाहिज नहीं बल्कि डाकू खड़क सिंह था।


(iv) धैर्य एवं नम्रता के प्रतिमूर्ति: बाबा भारती धैर्य एवं नर्मदा के प्रतिमूर्ति थे। जब खड़क सिंह ने छल करके बाबा भारती से उसके जान से प्यारे घोड़े को छीन लिया था, तब बाबा भारती ने उल्टा उसे खरी खोटी सुनाने के बजाय धैर्य का प्रमाण देते हुए बड़ी नम्रता से एक ह्रदय स्पर्शी संवाद खड़क सिंह को सुनाते हैं। जिसको सुनने के बाद खड़क सिंह पर गहरा प्रभाव पड़ता है और बाबा को उसका घोड़ा लौटा दे आता है।

       इस प्रकार बाबा भारती का चरित्र मानवीय गुणों से भरपूर इस कहानी की मर्यादा बढ़ाने में सार्थक सिद्ध होता है।


10. लघु प्रश्न उत्तर:

(क) बाबा भारती अपने घोड़े को किस नाम से पुकारते थे?

उत्तर: बाबा भारती अपने घोड़े को सुलतान के नाम से पुकारते थे।


(ख) खड़क सिंह ने अपने आप को किसका सौतेला भाई कहाँ?

उत्तर: खड़क सिंह ने उसने आपको दुर्गा दत्त वैद्य का सौतेला भाई कहांँ।


(ग) जीत कर भी कौन हार गया था?

उत्तर: जीत कर भी डाकू खड़क सिंह हार गया था।


(घ) 'हार की जीत' कहानी में लेखक का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: डाकू के हृदय परिवर्तन के द्वारा मानवता की विजय का संदेश देना प्रस्तुत कहानी का उद्देश्य है।


(ङ) 'हार की जीत' कहानी में मुख्य नायक कौन है?

उत्तर: हार की जीत कहानी में मुख्य नायक बाबा भारती है।


(च) अपाहिज ने बाबा भारती को कहांँ जाने की बात कही थी?

उत्तर: अपाहिज ने बाबा भारती को रामांवाला के यहांँ जाने की बात कही थी।


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Reetesh Das