Lesson-8
कबीर के पद
1. कबीर के राम कौन थे?
उत्तर: कबीर के राम निराकार परम ब्रह्म थे।
2. तीन लोक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: तीन लोक से हम पृथ्वीलोग, पाताललोक और स्वर्गलोग को समझते हैं।
3. 'सींचौ पेड़ पीवै सब डारी' से कबीरदास क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर: कबीरदास कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार पेड़ के जोड़ों में पानी देने से उसके सभी शाखाओं तक पानी पहुंँचता है। ठीक उसी प्रकार प्रभु राम की आराधना करने से हमारी सारी मनोकामनाएंँ पूर्ण हो जाती है। अतः हमें ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। तभी हमारा जीवन सफल होगा।
4. कबीर के अनुसार मनुष्य की मुक्ति कैसे हो सकती है?
उत्तर: कवि के अनुसार निर्गुण, निराकार परम ब्रह्म की भक्ति से ही मनुष्य की मुक्ति हो सकती है।
5. भ्रम में पड़कर मनुष्य क्या करते रहते हैं?
उत्तर: भ्रम में पड़कर मनुष्य संसार रूपी दुख के सागर में भटकता रहता है। उसे अनेक प्रकार के कष्ट एवं तकलीफें उठानी पड़ती है। उसे ज्ञात ही नहीं होता कि कैसे इस दुख भरे संसार से निकला जाए। जब वह ईश्वर की आराधना में विलीन होने लगता है, तब जाकर उसका भ्रम टूटता है और वह संसार रूपी दुख के सागर से बाहर निकल पाता है।
6. पठित पदों के आधार पर कबीर की भक्ति-भावना का परिचय दीजिए।
उत्तर: कबीरदास राम के उपासक थे। पर उनके राम दशरथ तनय राम नहीं थे। कबीर दास निर्गुण निराकार परम ब्रह्म की आराधना को ही प्रकृत आराधना मानते थे। उनके अनुसार दुखमय जिंदगी से मुक्ति पाने के लिए परमब्रह्म की उपासना करना अति आवश्यक है। इसीलिए गुरु का बखान करते हुए उन्होंने कहा है कि अगर सच्चे मन और भक्ति के साथ अपने ईश्वर को पुकारा जाए, तो ईश्वर अवश्य ही हमारी सुनेगा और हमारे द्वारा किए गए पापों को नष्ट कर दुखों के सागर से हमें मुक्ति भी दिलाएगा। अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए कवि ने सच्ची भक्ति तथा समर्पण की भावना को ही श्रेष्ठ मार्ग बताया है।
7. व्याख्या कीजिए-
(क) अब मोहि राम भरोसा तेरा,
.................................
कहै कबीर सेबी बनवारी, सींचौ पेड़ पीवै सब डारी।।
उत्तर:
संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक हिंदी साहित्य संकलन के अंतर्गत 'कबीर के पद' से लिया गया है।
प्रसंग- कवि ने यहांँ निर्गुण निराकार परमब्रह्म राम को अपना आराध्य मानते हुए उनका गुणगान किया है।
व्याख्या- कबीर दास का कहना है कि उनके आराध्य केवल परम ब्रह्म राम ही है। उनके शिवाय उन्हें और किसी पर भी भरोसा नहीं है। जब उनके पास राम जैसे स्वामी हैं, तो भला किसी और की आराधना करने की उन्हें क्या जरूरत है। जिस परमपिता प्रभु राम पर तीनों लोगों का दायित्व है, वह निश्चय ही अपने भक्तों की चिंता करेंगे। आगे कबीर कहते हैं कि जिस प्रकार पेड़ के जोड़ों पर पानी डालने से उनकी शाखाओं तक पानी अपने आप पहुंँच जाती है। ठीक उसी प्रकार यदि हम सच्चे मन एवं भक्ति के साथ राम की आराधना करेंगे, तो प्रभु राम अवश्य ही हमारी आराधना को सुनेंगे तथा हमारी हर मनोकामनाओं को सिद्ध कर हमारा कल्याण करेंगे।
(ख) राम कहौ न अजहूँ केते दिना, जब है है प्राँन तुम्ह लीनाँ।
............................................
कहै कबीर दुखभंजना, करौ दया दुरत निकंदना।।
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक हिंदी साहित्य संकलन के अंतर्गत 'कबीर के पद' से लिया गया है।
प्रसंग- कवि यहांँ अपने आराध्य से विनती कर रहे हैं कि उन्हें इस भ्रमरूपी संसार से मुक्ति पाना है। इसीलिए प्रभु आकर उनकी सहायता कर उनको भ्रम रुपी संसार से मुक्ति दिलाए।
व्याख्या- कबीर दास का कहना है कि उन्होंने इस संसार में यूंँ ही इतने दिन बिता दिए, लेकिन आज तक उन्होंने परमपिता प्रभु का नाम नहीं लिया। जिसके कारण आज तक वे माया-मोह के जाल में फंसे रहे। उनका जीवन लगभग समाप्त होने जा रहा है, अब तक उन्होंने प्रभु की दर्शन नहीं की है। अतः अब वह सार्थक समय आ गया है कि वह अपने आराध्य को पूजे। उनका जीवन मोहमाया रुपी संसार के भ्रम में पड़कर यूंँ ही व्यस्त हो गया है। तथा वे अब इस भ्रम के सागर से निकलना चाहते हैं। लेकिन इससे पार पाने के लिए उन्हें कोई रास्ता नहीं मिल रहा। इसलिए कवि अपने प्रभु से विनती करते हैं कि 'हे प्रभु तुम समस्त जगत के पापहर्ता हो। अतः मेरे भी पाप को नष्ट कर मुझे इस दुख के सागर से बाहर निकालो। तथा मेरा कल्याण करो।'
8. लघु प्रश्न उत्तर:
(क) कबीरदास का जन्म कब और कहांँ हुआ था?
उत्तर: कबीरदास का जन्म काशी में सन 1399 ई. में हुआ था।
(ख) कबीरदास किसे अशांति का कारण मानते थे?
उत्तर: जातिभेद, ऊंच-नीच भावना, धर्म भेद, अंधविश्वास और आडम्बर को कबीरदास अशांति का कारण मानते थे।
(ग) कौन सी रचना कबीर की प्रमाणिक रचना है?
उत्तर: 'बीजक' कबीर की प्रमाणिक रचना है।
(घ) बीजक के कितने भाग हैं और वह क्या-क्या है?
उत्तर: बीजक के तीन भाग है- साखी, सबद और रमैनी।
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Reetesh Das
(M.A in Hindi)