Lesson 3
(कवितावली)
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1. भरत की मांँ का क्या नाम था?
उत्तर: भरत की मांँ का नाम कैकेई था।
2. किसने राम, सीता और लक्ष्मण को वनवास दिया था?
उत्तर: कैकेई के कहने पर दशरथ ने राम को वनवास दिया था। परंतु पत्नी होने के नाते सीता ने राम का साथ दिया और भाई लक्ष्मण राम की सहायता करने हेतु उनके साथ वनवास को निकल पड़े।
3. ग्राम वधुएंँ सीता से क्या पूछती है?
उत्तर: ग्राम वधुएँ सीता से श्रीराम की ओर इशारा कर पूछने लगती है कि जिसके सिर पर जटाएँ हैं, छाती चौड़ी है, आंँखें लाल है, टेढ़ी भौंहें है तथा हाथ में धनुष धारण किए तुम्हारी ओर देखकर हम सभी का मन मोहित एवं आकर्षित कर रहे हैं। यह श्याम सलोने सुंदर राजकुमार आखिर में कौन है? तथा यह सुंदर पुरुष तुम्हारे क्या लगते हैं?
4. राम के रूप का एक शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: श्री राम अयोध्या के सूर्यवंशी राजा चक्रवर्ती सम्राट दशरथ के पुत्र थे। वनवास के दौरान राम ने समस्त राजकीय आभूषणों को त्याग, सन्यासियों का वस्त्र धारण किया था। हाथ में धनुष धारण किए वे इतने गंभीर भाव से चलते की उन्हें देखने वाले मोहित हो जाते। उनकी आंँखों में हमेशा चमक होती थी, चेहरे पर मधुर मुस्कान रहती थी। जिसके कारण इतने सौंदर्य और आकर्षक लगते थे कि समस्त नर-नारी उन्हें देख, उनकी ओर निहारते ही रह जाते थे।
5. 'कवितावली' में वर्णित ग्राम वधुएँ कैसी है?
उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास जी ने कवितावली में ग्रामीण वधुओं की सुंदर भावों एवं नीतिपरक बातों का वर्णन किया है। वे बड़े ही जिज्ञासु वधुएँ है। वे सभी राम के बारे में जानने के लिए बड़ी व्याकुल हो रही थी। इस कारण वे सीता से राम के बारे में कई प्रश्न पूछती है। ग्राम वधुओं को अच्छे और बुरे का ज्ञान था। तथा वे आपस में ही बातचीत करने लगते हैं कि दशरथ ने बिना कुछ जाने कैकेई की बात मान ली। जो कि मूर्खतापूर्ण कार्य था।
6. 'कवितावली' के प्रस्तुत पदों का भावार्थ प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: कवितावली में गोस्वामी तुलसीदास जी ने प्रस्तुत पदों में राम के वनवास को लेकर ग्राम वधुओं की प्रतिक्रियाओं को व्यक्त किया है। पहले पद में एक सखि दूसरे सखि से कहती है कि रानी तो बिल्कुल अज्ञान तथा मूर्ख है। परंतु राजा दशरथ ने बिना कुछ जाने, बिना कुछ समझे क्यों उनकी बात को स्वीकार लिया। क्या उन्हें राम पर दया नहीं आई। तथा हम ग्रामवासी अब उनके बिना कैसे जी सकेंगे। आखिर क्यों राम जैसे दिव्य पुरुष को वनवास दिया जा रहा है।
जब राम सीता और लक्ष्मण वनवास के लिए निकल रहे थे तब व्याकुल होकर ग्राम वधुएंँ सीता से प्रश्न पूछ बैठती है कि वह जो दिव्य पुरुष है जिसके सिर पर जटाएँ है, जिसके आंँखें लाल है, जिसकी छाती चौड़ी है, टेढ़ी भौंहें हैं, तथा हाथ में धनुष धारण किए हुए हैं आखिर में वह कौन है? जो बार-बार तुम्हारी ओर देखते ही जा रहे हैं। जिसे देख हमारा मन आकर्षित हो रहा है। आखिर वह तुम्हारे क्या लगते हैं? ग्राम वधुएँ सब कुछ जानते हुए भी जानबूझकर सीता से राम के बारे में प्रश्न पूछने लगती है।
सीता वधुएँ द्वारा पूछे गए प्रश्नों को भाप लेती है और यह जान जाती है कि वे सब बड़ी चतुर है। उन्होंने जानबूझकर यह प्रश्न पूछा है। इसलिए सीता राम की ओर तिरछी निगाहों से देख कर ग्राम वधुओं को संबोधित कर मुस्कुराती हुई आगे बढ़ जाती है। इस स्थिति को देख तुलसीदास कहते हैं कि उस समय का वातावरण मनमोहक हो उठा था। मानों राम रूपी सूर्य के उदय होने से प्रेम स्वरूप तालाब में मनभावन कमल खिल उठा हो।
7.व्याख्या कीजिए-
(क) "सीस जटा, उर बाहु बिसाल,
बिलोचन लाल, तिरछी सी भौंहें।
..…….................................
पुछत ग्रामबधू सिय सों "कहौ
सांँवरे से, सखि रावरे को हैं।।"
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक हिंदी साहित्य संकलन के अंतर्गत गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित 'कवितावली' से लिया गया है।
प्रसंग: प्रस्तुत पदों में राम को लेकर ग्राम वधुएंँ सीता से कुछ प्रश्न पूछ रही होती है।
व्याख्या: जब राम और सीता वनवास के रास्ते आगमन कर रहे थे, तब ग्रामीण वधुएंँ राम के अनुपम रूप को देख सीता जी से प्रश्न पूछने लगती है कि वह जो दिव्य पुरुष है जिसके सिर में जटाएँ हैं, जिसकी आंँखें लाल हैं, छाती चौड़ी है, तथा हाथ में धनुष पकड़े तुम्हारी ओर बार-बार देखे जा रहे हैं और जिसे देख हमारा मन आकर्षित हो रहा है, आखिर में वह सांँवले से दिखने वाले पुरुष कौन है? तथा वे दिव्य पुरुष तुम्हारे क्या लगते हैं? ग्राम वधुएंँ सब कुछ जानते हुए भी सीता जी से इस प्रकार के प्रश्न पूछती है।
(क) "जानी मैं रानी अजानी महा, पबि
पाहन हू तें कठोर हियो है।
..................................…..
आंँखिन में सखि! राखिबे जोग,
इन्हैं किमि कै बनवास दियो है।।"
उत्तर:
संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक हिंदी साहित्य संकलन के अंतर्गत गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित 'कवितावली' से लिया गया है।
प्रसंग- प्रस्तुत पदों में वनवास को लेकर ग्राम वधुएँ आपस में किस तरह बात करती है इसका वर्णन किया गया है।
व्याख्या- एक सखी दूसरी सखी से कहती है कि रानी कैकेई तो अज्ञानी तथा मूर्ख है। उनका ह्रदय पाषाण जैसा कठोर एवं निष्ठुर है। परंतु राजा ने बिना कुछ जाने, बिना कुछ समझे अपनी पत्नी की बात क्यों स्वीकार कर ली। ऐसे सुंदर मनोहर मूर्ति के समान हमारे राम को क्यों वनवास भेजा जा रहा है। उनके बिना अब ग्रामवासी कैसे जिएंगे। उनके मनोहर छवि को क्या हम अब देख नहीं पाएंगे। अतः सखि कहती है कि आखिर क्या समझकर, किस दोष के लिए इन को वनवास दिया जा रहा है। क्या ऐसा करना उचित है। इस प्रकार के नाना प्रकार के प्रश्न सखियांँ आपस में बात कर रही होती है।
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Reetesh Das
(M.A in Hindi)