Lesson 2

पंचतंत्र


1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो:

(i) राजा अमरशक्ति किस राज्य के राजा थे?

उत्तर: राजा अमरशक्ति महिलारोप्य राज्य के राजा थे।


(ii) राजा अमरशक्ति के पुत्रों के नाम क्या-क्या थे?

उत्तर: राजा अमरशक्ति के पुत्रों के नाम थे बसुशक्ति, उग्रशक्ति और अनन्तशक्ति।


(iii) राजकुमार कैसे थे?

उत्तर: तीनों राजकुमार महामूर्ख, निकम्मे, नालायक और आलसी थे।


(iv) राजकुमार गुरुओं के साथ कैसा बर्ताव करते थे?

उत्तर: जब भी राजकुमारों को कोई गुरु पढ़ाने आते थे, तो वे चालाकी से उनको डरा-धमका कर भगा देते थे।


(v) मंत्रियों ने राजकुमारों को पढ़ाने के लिए किसके नाम का प्रस्ताव किया?

उत्तर: मंत्रियों ने राजकुमारों को पढ़ाने के लिए पंडित विष्णुशर्मा नाम का प्रस्ताव किया।


(vi) विष्णुशर्मा ने कितने दिनों के भीतर राजकुमारों को पंडित बनाने की प्रतिज्ञा की? 

उत्तर: विष्णुशर्मा ने छः महीनों के भीतर राजकुमारों को पंडित बनाने की प्रतिज्ञा की।


(vii) राजकुमार क्यों आश्चर्यचकित हुए?

उत्तर: विष्णुशर्मा ने दूसरे गुरुओं की तरह क्रोधित होकर पढ़ाने के बजाय मुस्कुराकर मित्रों जैसा व्यवहार करके पेड़ों के नीचे बैठाकर बातचीत करने की बात कही, जिसे देख राजकुमार आश्चर्यचकित हुए।


(viii) विष्णुशर्मा ने किस तरह इतने कम दिनों के भीतर राजकुमारों को ज्ञानी बनाया?

उत्तर: कहानी के भीतर की नीति शिक्षाओं को सुनाकर विष्णुशर्मा ने कम दिनों के भीतर राजकुमारों को ज्ञानी बनाया।


(ix) विष्णुशर्मा द्वारा सुनाई गई नीतिशिक्षा पर आधारित कहानियों को कितने भागों में विभक्त किया गया है?

उत्तर: विष्णुशर्मा द्वारा सुनाई गई नीतिशिक्षा पर आधारित कहानियों को पांँच भागों में विभक्त किया गया है।


(x) पंचतंत्र की कहानियों के पांँचों भेदों के नाम लिखो।

उत्तर: पंचतंत्र की कहानियों के पांँचों भेदों के नाम है मित्रभेद, मित्रप्राप्ति, मित्रलाभ, काकोलुकीय और अपरीक्षित कारकम।


(xi) पंचतंत्र के लेखक कौन है?

उत्तर: पंचतंत्र के लेखक विष्णुशर्मा है।


2. संक्षिप्त उत्तर दो: 

(i) राजा अमरशक्ति कैसे राजा थे? चर्चा करो।

उत्तर: राजा अमरशक्ति एक बहुत ही ज्ञानी दयाशील और दानी व्यक्ति थे। उनके राज्य में किसी की भी कमी नहीं थी। उनके प्रजा भी उनके शासन से खुश थे।


(ii) राजा किस बात पर हमेशा चिंतित रहते थे?

उत्तर: सब कुछ होने के बावजूद भी राजा दुखी रहा करते थे। क्योंकि उनके तीनों बेटे नालायक और निकम्मे थे। उन तीनों पुत्रों को किस प्रकार राज्य शासन करने के योग्य बनाया जाए इसी बात को लेकर वे हमेशा चिंतित रहा करते थे।


(iii) मंत्रियों ने राजा को किस पंडित के बारे में बताया और क्यों?

उत्तर: मंत्रियों ने राजा को विष्णुशर्मा नामक पंडित के बारे में बताया। क्योंकि राजा के तीनों बेटों के लिए एक ऐसे गुरु की आवश्यकता थी जो कि उन्हें समस्त शास्त्रों का ज्ञान दिला सके। विष्णुशर्मा भी एक ऐसे ही गुरु थे जो शिक्षा दान के क्षेत्र में कुशल और प्रिय थे, उनके छत्रछाया में नालायक निगम में भी ज्ञानी और पंडित बन जाते थे।


(iv) राजा की बातों से विष्णुशर्मा को क्यों गुस्सा आया? उन्होंने राजा से क्या कहा?

उत्तर: राजा की बातों से विष्णुशर्मा को इसलिए गुस्सा आया क्योंकि राजा ने राजकुमारों को राजयोग बनाने की खातिर धन-दौलत देने की बात कही थी। जिसे सुन विष्णुशर्मा को गुस्सा आ गया और राजा से कहने लगे कि वे लोभी नहीं है। उन्हें धन संपत्ति से कोई दिलचस्पी नहीं है। वह तो सिर्फ एक गुरु होने के नाते विद्यार्थियों का जीवन गढ़ते हैं। अतः विष्णुशर्मा राजा को वचन देते हैं कि वे उन तीनों को छः महीने के भीतर ही समस्त शास्त्रों में पंडित बना देंगे। और अंत में यह भी कहा कि अगर ऐसा वे नहीं कर पाते हैं तो वे अपना विष्णुशर्मा नाम ही त्याग देंगे।


(v) विष्णुशर्मा जी ने राजकुमारों को शिक्षा के प्रति किस तरह आकर्षित किया?

उत्तर: विष्णुशर्मा जी ने राजकुमारों को शिक्षा के प्रति आकर्षित करने हेतु पहले तो मित्रों जैसा व्यवहार कर तीनों को पेड़ के नीचे बैठाया और हर रोज बातचीत के माध्यम से कई कहानियांँ सुनाने लगे। उन कहानियों के माध्यम से विष्णुशर्मा ने नीति शिक्षा दी, जिसे सुनकर सभी मंत्र-मुग्ध हो जाते थे। इस तरह कहानियांँ सुन-सुन कर वे सभी राजनीति, समाजनीति, अर्थनीति आदि क्षेत्रों में ज्ञान हासिल कर लेते हैं।


3. आशय स्पष्ट करो:

(i) महाराज मैं लोभी नहीं हूंँ, और मुझे इस चीजों में कोई दिलचस्पी नहीं है अस्सी साल की इस उम्र में इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी।

उत्तर: इस पंक्ति का आशय यह है कि एक सच्चा गुरु धन का लोभी नहीं होता, वह तो ज्ञान का लोभी होता है। अपने शिष्य को ज्ञानी बनाना है उसका मुख्य उद्देश्य होता है। सच्चा गुरु समस्त जीवन ज्ञान का प्रचार करने में ही मग्न रहता है। अगर कोई व्यक्ति ज्ञान के बदले में धन-दौलत देने की भी बात करता है तो वे उसे स्वीकार नहीं करता। इसी तरह विष्णुशर्मा ने भी राजकुमार द्वारा दिए गए धन दौलत को ठुकरा दिया और बिना किसी लालसा के अपना गुरु धर्म निभाते हुए तीनों पुत्रों को ज्ञानी और राज योग्य बना दिया था।


(ii) मंत्रियों, मैं इतने बड़े एक राज्य का राजा हूंँ, मेरे राज्य में किसी की भी कमी नहीं है, राज्य में हर एक प्रजा सुख-चैन से जीवन बिता रहे हैं फिर भी मैं दुखी हूंँ।

उत्तर: इसका आशय यह है कि राजा अमरशक्ति एक बड़े राज्य के राजा थे, उनके पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी। प्रजा भी उनके शासन से खुश थे। लेकिन फिर भी राजा दुखी थे, क्योंकि उनके तीनों बेटे निकम्मे, नालायक और आलसी थे। वे इस बात को लेकर चिंतित रहा करते थे कि उनके बाद शासन भार किसे दिया जाए। शासन करने की योग्यता उनके तीनों बेटों में से किसी एक में भी नहीं थी। इसीलिए राजा अपने मंत्रियों को बुलाकर अपनी दुख भरी गाथा सुनाने लगते हैं।


4. 'क' अंश के साथ 'ख' अंश को मिलाओ:

उत्तर: 

        (क)                          (ख)  

विष्णु शर्मा           =          पंचतंत्र  

लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा=बूढ़ी आइर साधु

बाल्मीकि             =          रामायण

श्रीशंकरदेव          =        कीर्तनघोषा


5. विपरीतार्थक शब्द लिखो:

उत्तर:

गुण   -  दोष

उग्र    -   नम्र

ध्वंस  -  सर्जन

मृत्यु   -  जन्म

आय  -  व्यय

ज्ञानी  -  मूर्ख

समर्थन - विरोध

त्याग  -  मोह

मित्र  -  दुश्मन

ग्रामीण  -  शहरी

क्रय   -   विक्रय

आजादी -  गुलामी

निरक्षर  -  साक्षर

दिवस   -   रात्रि

तरल   -   ठोस


6. दो दो पर्यायवाची शब्द लिखो:

उत्तर:

आलसी  -   सुस्ती, शिथिलता

शिक्षक  -    गुरु, अध्यापक

राजा     -   नरेश, भूपति

धन      -    दौलत, संपत्ति

कहानी  -    गाथा, किस्सा

मूर्ख     -    अज्ञानी, गवार

तरकीब  -   उपाय, युक्ति

प्रसन्न    -    खुश, आनंद


Author: Reetesh Das

MA in Hindi



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