Lesson 4

         ( हिंदी के साधक)


1. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त में उत्तर लिखो:

(i) हिंदी भाषा किस भाषा से उत्पन्न हुई है?

उत्तर: हिंदी भाषा खड़ीबोली भाषा से उत्पन्न हुई है।


(ii) हिंदी के प्राचीन रूप क्या-क्या है?

उत्तर: संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि ही हिंदी के प्राचीन रूप है।


(iii)'द्विवेदी युग' कब से कब तक माना जाता है?

उत्तर: 'द्विवेदी युग' सन् 1901 से सन् 1920 ई० तक माना जाता है।


(iv) महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म कब और कहांँ हुआ था?

उत्तर: महावीर प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म सन् 1864 ई० को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के दौलतपुर गांँव में हुआ था।


(v) महावीर प्रसाद द्विवेदी किस पत्रिका के संपादक थे?

उत्तर: महावीर प्रसाद द्विवेदी 'सरस्वती' पत्रिका के संपादक थे।


(vi) द्विवेदी जी द्वारा रचित कुल ग्रंथ कितने हैं? उनके चार काव्य कृतियों के नाम लिखो।

उत्तर: द्विवेदी जी द्वारा रचित कुल ग्रंथ की संख्या लगभग 80 है। उनके द्वारा रचित चार काव्य कृतियों के नाम है- काव्य मंजुषा, सुमन, गंगालहरी और ऋतु-तरंगिणी।


(vii) द्विवेदी जी किन भाषाओं को जानते थे?

उत्तर: द्विवेदी जी संस्कृत, गुजराती, मराठी, बंगाली आदि भाषाओं को भी जानते थे।


(viii) खड़ी बोली के विकास में महान योगदान देने वाले दो महान साहित्यकारों के नाम लिखो।

उत्तर: खड़ीबोली के विकास में महान योगदान देने वाली दो महान साहित्यकारों के नाम है भारतेंदु हरिश्चंद्र और महावीर प्रसाद द्विवेदी।


2. निम्नलिखित प्रश्नों के व्याख्यात्मक उत्तर लिखो:


(i) महावीर प्रसाद द्विवेदी का आविर्भाव हिंदी साहित्य के लिए क्यों उल्लेखनीय है?

उत्तर: महावीर प्रसाद द्विवेदी का आविर्भाव हिंदी साहित्य के लिए इसलिए उल्लेखनीय है क्योंकि उन्होंने पूर्व प्रचलित ब्रजभाषा को त्याग कर खड़ीबोली को अपनाया था। खड़ीबोली को अपना हथियार बनाकर उन्होंने गद्य, पद्य, निबंध जैसे सभी विधाओं में  खड़ीबोली भाषा का इस्तेमाल करके काव्य कृतियों की रचना की थी। जनता तथा साहित्य प्रेमियों ने भी खड़ीबोली भाषा को दिल से अपनाया था। इसी कारण उन्हें आधुनिक हिंदी का जन्मदाता कहा जाता है।


(ii) महावीर प्रसाद द्विवेदी को क्यों महान आचार्य भी कहा जाता है?

उत्तर: महावीर प्रसाद द्विवेदी एक महान आचार्य भी थे। क्योंकि उन्होंने आचार्य की भांति हिंदी में रीति की स्थापना की, साहित्य रचना करने वालों को सुकवि और सुलेखक बना दिया। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, रामनरेश त्रिपाठी, श्रीधर पाठक जैसे महान कवियों को भी उन्होंने मार्ग-दर्शन दिया था। प्रेमचंद्र जैसे कहानीकार तथा पंडित रामचंद्र शुक्ल और बाबू श्यामसुंदर दास जैसे निबंधकार एवं आलोचक भी उनसे प्रभावित रहे। उन्होंने ऐसी उर्वर परिस्थिति का निर्माण किया जिसमें यह लेखक गण पल्लवित और पुष्पित हो सके।


(iii) द्विवेदी जी के जीवन का लक्ष्य क्या था?

उत्तर: जनसमाज की सेवा करना ही द्विवेदी जी के जीवन का मुख्य लक्ष्य था। रचना लिखने का उद्देश्य भी यही रहता था कि उनकी रचना पढ़कर लोगों में शिक्षा का प्रचार हो, उनके ज्ञान की वृद्धि हो, सत्साहित्य की ओर उनकी प्रवृत्ति हो, अपने अधिकारों और कर्तव्यों को वे पहचाने।


(iv) महावीर प्रसाद द्विवेदी को एक युग-प्रवर्तक क्यों कहा जाता है?

उत्तर: भारतेंदु जी के देहावसान के बाद महावीर प्रसाद द्विवेदी 'सरस्वती' पत्रिका के संपादक बने। उस दौरान उन्होंने सरस्वती की रचनाओं तथा अन्य रचनाओं को भी अपनी ओर से सुधारा और उन पर समालोचनाएंँ प्रस्तुत की। सरस्वती द्वारा उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में सुरुचि, सुशिक्षा और व्याकरण सम्मत हिंदी भाषा का प्रचार किया। उन्होंने युग और साहित्य का तथा साहित्य और समाज का गहरा संबंध स्थापित किया। इसी कारण वे अपने समय के बिना मुकुट के सरताज थे और एक महान युग-प्रवर्तक भी।


(v) 'सरस्वती पत्रिका' के संपादक के रूप में द्विवेदी जी ने क्या किया था?

उत्तर: सरस्वती पत्रिका के संपादक के रूप में उन्होंने सरस्वती की रचनाओं को सुधारा और उन पर समालोचनाएँ प्रस्तुत की थी। जिसके चलते 'सरस्वती' द्वारा उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में सुरुचि, सुशिक्षा और व्याकरण सम्मत हिंदी भाषा का प्रचार किया था।


3. महावीर प्रसाद द्विवेदी को क्यों आधुनिक हिंदी को व्यवस्थित रूप देने का सारा श्रेय दिया जाता है?

उत्तर: महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अपनी रचनाओं में खड़ीबोली भाषा का इस्तेमाल कर साहित्य को एक नया रूप दिया। उन्होंने साहित्य की रचना जटिल ब्रजभाषा के बजाय सरल खड़ीबोली तथा हिंदी भाषा में की। खड़ी बोली में उनके द्वारा रचित निबंध, गद्य तथा काव्य कृतियों ने समाज में एक नई धारा ला दी थी। द्विवेदी जी का लक्ष्य था जनसमाज की सेवा करना, लोगों में शिक्षा का प्रचार किस प्रकार किया जाए, तथा लोगों में ज्ञान की वृद्धि किस प्रकार हो सके, लोग अपने अधिकारों और कृतित्व को कैसे पहचाने, इन्हीं उद्देश्य से वे साहित्य की रचना करते थे। इसीलिए उनके लेख समाज सुधार एवं प्रेरणा देने वाले हैं। इस कारण महावीर प्रसाद द्विवेदी को आधुनिक हिंदी को व्यवस्थित रूप देने का सारा श्रेय दिया जाता है।


4. हिंदी भाषा के विकास में 'सरस्वती' पत्रिका की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखो।

उत्तर: खड़ीबोली के प्रयोग और विकास में भारतेंदु हरिश्चंद्र और महावीर प्रसाद द्विवेदी के देन अत्यंत उल्लेखयोग्य है। ब्रजभाषा को त्याग कर खड़ीबोली द्वारा हिंदी साहित्य का विकास करना ही इन दोनों का लक्ष्य था। उस समय यह कार्य 'सरस्वती पत्रिका' द्वारा किया जाने लगा । सर्वप्रथम भारतेंदु हरिश्चंद्र जी इसके संपादक थे। बाद में इनके देहावसान के बाद महावीर प्रसाद द्विवेदी सरस्वती पत्रिका के संपादक बने। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने सरस्वती की रचनाओं को पहले से काफी सुधारा और उन पर समालोचनाएँ प्रस्तुत की। सरस्वती पत्रिका द्वारा साहित्य के क्षेत्र में  सुरुचि, सुशिक्षा और व्याकरण-सम्मत हिंदी भाषा का प्रचार किया। युग और साहित्यकार तथा साहित्य और समाज का गहरा संबंध 'सरस्वती पत्रिका' द्वारा संभव हो पाया। इसलिए हिंदी भाषा के विकास में 'सरस्वती पत्रिका' की अहम भूमिका रही है।


5. पढ़ो, समझो और लिखो:

उत्तर:

कवियों के नाम: 

(i) कबीर दास

(ii) महादेवी वर्मा

(iii) जायसी

(iv) तुलसीदास


कहानीकार:

(i) जयशंकर प्रसाद

(ii) भारतेंदु

(iii) धर्मवीर भारती

(iv) अज्ञेय


निबंधकार/समालोचक

(i) हजारी प्रसाद द्विवेदी

(ii) चंद्रधर शर्मा गुलेरी

(iii) बालकृष्ण भट्ट

(iv) श्यामा चरण दुबे


उपन्यासकार:

(i) प्रेमचंद

(ii) जयशंकर प्रसाद

(iii) निर्मल वर्मा

(iv) सुमित्रानंदन पंत


6. एक शब्द में प्रकट करो:

(i) जो अनुवाद करता है

उत्तर: अनुवादक।

(ii) जो समालोचना करता है

उत्तर: समालोचक।

(iii) जो दूर तक देख सकता है

उत्तर: दूरदर्शी।

(iv) जिसका कोई दुश्मन नहीं है

उत्तर: अजातशत्रु।

(v) जो विदेश में रहता है

उत्तर: प्रवासी।

(vi) जो किसी चीज का निर्माण करता है

उत्तर: निर्माता।

(vii) जिसे देखा नहीं जाता

उत्तर: अदृश्य।

(viii) जो पढ़ा-लिखा ना हो

उत्तर: अनपढ़।








Author- Reetesh Das 

MA in Hindi 



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