Chapter 2 

स्सृति

बोध-प्रश्न

1. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?

उत्तरः भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक डर गया था। उसे लगा कि उसके बड़े भाई झरबेरी से बेर तोड़-तोड़कर खाने के लिए डाँटेंगे और उसे खूब पीटेंगे।            

2. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?

उत्तरः लेखक के गाँव से मक्खनपुर जाने वाली राह में 36 फीट के करीब गहरा एक कच्चा कुआँ था। उसमें एक साँप न जाने कैसे गिर गया था। मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली उस कुएँ में इसलिए ढेले फेंकती थी ताकि साँप क्रुद्ध होकर फुफकारे और बच्चे उस फुफकार को सुन सकें

3. 'साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं'- यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

उत्तरः यह कथन लेखक की बदहवास मनोदशा को स्पष्ट करता है। जैसे ही लेखक ने टोपी उतारकर कुएँ में ढेला फेंका, उसकी ज़रूरी चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरी। उन्हें कुएँ में गिरता देखकर वह भौंचक्का रह गया। उसका ध्यान चिट्ठियों को बचाने में लग गया। वह यह देखना भूल गया कि साँप को ढेला लगा या नहीं और वह फुसकारा या नहीं।    

4. किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?

उत्तरः   लेखक द्वारा चिट्ठियों को कुएँ से निकालने के निम्नलिखित कारण हैं-  

क.लेखक को झूठ बोलना नहीं आता था।                                                              

.चिट्ठियों को डाकखाने में डालना लेखक अपनी जिम्मेदारी समझता था।                                                     

ग.लेखक को अपने भाई से रुई की तरह पिटाई होने का भय था।                                                                 

घ. वह साँप को मारना बाएँ हाथ का काम समझता था, जिससे चिट्ठियाँ उठाना उसे आसान लग रहा था।

    5. साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाई?

    उत्तरः साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने निम्नलिखित युक्तियाँ अपनाईं-                                                            उसने मुट्ठीभर मिट्टी फेंककर साँप का ध्यान उधर लगा दिया।                                                                उसने अपने हाथ का प्रहार करने की बजाय उसकी तरफ डंडा बढ़ा दिया, जिससे साँप ने सारा विष             डंडे पर उगल दिया।                                                                                                                  

     6. कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

    उत्तरः कुएँ में चिट्ठियाँ गिर जाने पर लेखक ने रोना-धोना छोड़कर भयानक निर्णय लिया। उसने अपनी और अपने छोटे भाई की पाँचों धोतियों को एक-दूसरे से बाँधा। इसके एक छोर में डंडा बाँधकर उसे कुएँ में उतार दिया और दूसरे सिरे को कुएँ की डेंग में बाँधकर भाई को पकड़ा दिया। अब उन धोतियों के सहारे लेखक कुएँ में उतर गया और कुएँ के धरातल से चार पाँच गज ऊपर लटककर साँप को देखने लगा। साँप भी फन फैलाए लेखक की प्रतीक्षा कर रहा था। लेखक ने कुएँ की दीवार में पैर जमाकर कुछ मिट्टी गिराई। इससे साँप का ध्यान बँट गया। वह मिट्टी पर मुँह मार बैठा।

    इस बीच लेखक ने डंडे से जब चिट्ठियाँ सरकाईं तो साँप ने जोरदार प्रहार किया और अपनी शक्ति के प्रमाण स्वरूप डंडे पर तीन-चार जगह विषवमन कर दिया। इससे लेखक का साहस बढ़ा। उसने चिट्ठियाँ उठाने का प्रयास किया तो साँप ने वार किया और डंडे से लिपट गया। इस क्रम में साँप की पूँछ का पिछला भाग लेखक को छू गया। यह देख लेखक ने डंडे को पटक दिया और चिट्ठियाँ उठाकर धोती में बाँध दिया, जिन्हें उसके भाई ने ऊपर खींच लिया। अब लेखक ने कुएँ की दीवार से कुछ मिट्टी साँप की दाहिनी ओर फेंकी। साँप उस पर झपटा। अब लेखक ने डंडा खींच लिया। लेखक ने मौका देखा और जैसे-तैसे हाथों के सहारे सरककर छत्तीस फुट गहरे कुएँ से ऊपर आ गया।

    7. इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

    उत्तरः स्कूल जाते समय रास्ते में शरारतें करना। रास्ते में आए कुएँ, तालाब, पानी से भरे स्थानों पर पत्थर फेंकना, पानी में उछलना। जानवरों को तंग करते हुए चलना। अपने आपको सबसे बहादुर समझना आदि अनेकों बाल सुलभ शरारतों का पता चलता है।


    8. 'मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं'- का आशय स्पष्ट कीजिए।

    उत्तरःकोई भी मनुष्य समय और परिस्थिति के अनुसार भावी योजनाएँ बनाता है और उसी के अनुसार कार्य भी करता है, परन्तु वह योजनाएँ कभी-कभी उल्टी भी पड़ जाती हैं जिस कारण मनुष्य जो चाहता है वह नहीं हो पाता अतः कल्पना और वास्तविकता में अंतर आ जाता है जो प्रतिकूल परिणाम भी दे सकता है जैसा कि लेखक के साथ साँप का सामना करते समय हुआ 

    9. "फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है'- पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

    उत्तरः  इस पंक्ति के द्वारा लेखक स्पष्ट करना चाहता है कि जब कोई व्यक्ति जो दृढ़ संकल्प कर लेता है तो फिर वह फल की चिंता नहीं करता। किसी भी काम का सुखद या दुखद अंत ईश्वर की इच्छा पर निर्भर करता है ।


    Question Type Bikash Bora 

    Answer Type Bhargov jyoti Nath


    Post ID: DABP001865