Chapter 3
कल्लू कुम्हार की उनाकोटी
बोध-प्रश्न
1. 'उनाकोटी' का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तरः उनाकोटी का अर्थ है एक करोड़ से एक कम। दंतकथाओं के अनुसार इस जगह पर शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ बनी हुई हैं। इसलिए इस जगह का नाम उनाकोटी पड़ा।
2. पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः राजा भगीरथ ने अपने बेटों की मोक्ष प्राप्ति के लिए तपस्या की थी कि गंगा पृथ्वी पर अवतरित हो जाएँ। जब गंगा इस बात के लिए राजी हो गईं तो इस बात का खतरा था कि गंगा के वेग से पृथ्वी को भारी नुकसान पहुँचेगा।
3. कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया?
उत्तरःभगवान शिव ने शर्त रखी कि वह एक रात में एक करोड़ शिव मूर्तियों का निर्माण करे। सुबह होने पर एक मूर्ति कम निकली। इस प्रकार शिव ने उसे वहीं छोड़ दिया। इसी मान्यता के कारण कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से जुड़ गया ।
4. 'मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी-सी दौड़ गई'-लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है?
उत्तरःउसने लेखक को बताया कि दो दिन पहले उनका एक जवान यही विद्रोहियों के द्वारा मार डाला गया था। यह सुनकर लेखक विद्रोहियों के इरादों की कल्पना करके बुरी तरह डर गया । उस समय डर के मारे उसकी रीढ़ में एक झुरझुरी सी दौड़ गई।
5. त्रिपुरा 'बहुधार्मिक समाज' का उदाहरण कैसे बना?
उत्तरः त्रिपुरा में लगातार बाहरी लोग आते रहे। इससे यह बहुधार्मिक समाज का उदाहरण बना है। यहाँ उन्नीस अनुसूचित जन जातियाँ और विश्व के चार बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व है। यहाँ बौद्ध धर्म भी माना जाता है।
6. टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज-कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था?
उत्तरःटीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय समाज सेविका मंजु ऋषिदास और लोकगायक हेमंत कुमार जमातिया नामक हस्तियों से हुआ। मंजु ऋषिदास नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व करती थीं। उन्होंने वार्ड में नल लगवाने, नल का पानी पहुँचाने और गलियों में ईंटें बिछवाने के लिए कार्य किया था।
7. कैलासशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी?
उत्तरः जिलाधिकारी ने बताया कि किस प्रकार यहा उन्नत किस्म के आलू की खेती की जाती थी बुआई के लिए पारपरिक आलू के बीज की जरूरत दो मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर होती थी I
8. त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताइए?
उत्तरःत्रिपुरा में अनेकों घरेलू उद्योग चलते हैं; जैसे − अगरबत्ती बनाना, बाँस के खिलौने बनाना, गले में पहनने की मालाएँ बनाना, अगरबत्ती के लिए सीकों को तैयार किया जाता है। यह गुजरात और कर्नाटक भेजी जाती है।
Question Type Bikash Bora
Answer Type Bhargov jyoti Nath
Post ID: DABP001866