संविधान- क्यों और कैसे

अध्यायः 1

1.इनमे कोन -सा सँविधान का कार्य नहीं है?

 क.यह नागरिको के अधिकार की गारंटी देता है.

ख.यह शासन की विभिन्न शाखाओं की शक्तियों के अलग-अलग क्षेत्र का रेखांकन करना है.

ग.यह सुनिशिचत करना है कि सत्ता में अच्छे लोग अयें .

घ. यह कुछ साझे मुल्यों को अभिव्यक्ति करना है.

उत्तरः

2.निम्नलिखित में कौन-सा कथन बात की एक बेहतर दलील है कि संविधान की प्रमाणिकता संसद से ज्यादा है?

क.संसद के अक्ष्तित्व में अने से कहीं पहले संविधान बनाया जा चुका था.

क. संसद के अस्तित्ब मे आने से पहले संबिदान बनाया जा चुका था.

ख.संबिदान के निर्मतता संसद के सदस्यों से कहों ज्यादा बडे नेता थे.

ग.संबिधान ही यह बताता है कि संसद कैसे बनायी जाय ओौर  इसे कौन -कौन-सी शक्तियाँ प्राप्त होगी.

घ.संसद,संबिधान का संशोधन नहीं कर सकते

उत्तरः

3.बतायें कि संबिधान के बारे में निम्नलिखित कथन सही है या गलत .

क.सरकर के गठन और ओसकी शक्तियों के बारे में संबिधान एक लिखित दस्ताबेज है.

उत्तरः

ख.संबिधान सिर्प लोकतांत्रिक देशों में होता है और उसकी जरुरत एसे ही देशों मे होती है.

उत्तरः

ग.संबिधान एक कानुन दस्ताबेज है और आदर्शो तथा मुल्यों से इसका कोइ सरोकार नहीं.

उत्तरः

घ.संबिधान एक नागरिक को नइ पहचान देता है .

उत्तरः

4.बतायें कि भारतीय संबिधान के निमण कि निम्नलिखित आनुमान सही हैं या नहीं?अपने उत्तर का कारण बतायें.

क.संविधान -सभा में भारतीय जनता की नुमाइंदगी नहीं हुइ.इसका निर्बाचन सभी नागरिकों दुरा नहीं हुआ था.

उत्तरः

ख.संविधान बनाने की प्रक्रिया में कोइ बडा फैसला नहीं लिया गया क्योंकि उस समय नेताओं के बीच संबिधान की बुनियादी रुपरेखा के बारे में आम सहमति  थी.

उत्तरः

ग.संविधान में कोइ मौलिकता नहीं है क्योंकि इसका अधिकांश हिस्सा दुसरे देशों से लिया गया है.  

उत्तरः

5.भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित प्रत्येक निच्कर्ष की पुच्दि में दो उदाहरण दें.

क.संविधान का निर्माण बिशबसनीय नेताआों दुारा हुआ. उनके लिए जनता के मन में आदर था .

ख. संविधान ने शक्तियों का बँढबारा इस तरह किया कि इसमें उलढ-फेर मुशिकल है .

ग.संबिधामन जनता की आशा और आकांश    का केंद्र है .

उत्तरः

6.किसी देश के लिए संबिधान में शक्तियों और जिम्मेदारियें का साफ-साफ निर्धारण क्यों जरुरी है ? इस तरह का निर्धारण नहो,तो क्या होगा ?

उत्तरः

7.शासकों की सीमा का निर्धारण करना संबिधान के लिए क्यों जरुरी है ? क्या  कोइ एसा भी शंबिधान हो सकता है जो नागरीकों को कोइ अधिकार न दे.

उत्तरः

8.जब जापान का संबिधान बना तब दुसरे बिसबयुदु में पराजित होने केबाद जापान अमेरिकी सेना को पसंद न  हो .क्या आपको लगता है कि संबिधान को इस तरह बनाने में कोइ कठिनार्इ है? भारत में संबिधान बनाने का अनुभब किस तरह इससे अलग है?

उत्तरः

9.रजत ने अपने शिक्षक से पुछा -संबिधान एक पचास साल पुराना दस्ताबाज है और इस कारण पुराना पड चुका है . किसी ने इसके लागु करने समय मु राय नहीं माँगी.यह इतनी कठिन भषा में लिखा हुआ है किमै इस समइ नहगां सकता. आप मुसे बतायें कि मैं इस दस्ताबेज की  बातों करुँ?अगर आप शिसक होते तो रजत को क्या उत्तर देते?

उत्तरः

10.संबिधान के क्रिया-कलाप से जुडे अनुभवों को लेकर एक चर्चा में कक्ताओं ने तीन अलग-अलग पस लिए-

क.हरबंस-भारतीय संबिधान एक लोकतांत्रक ढाँचा प्रदान करने में सफल रहा  है . 

ख. नेहा -संबिधान स्बतंत्रता, समत और भइचार सुनिशिचत करने का विधिवत वादा है.चुँकि एसा नहीं हुआ इससलिए संविधान असफल है.

ग.नाजिमा संविधान असफल नहीं हुआ, हमने उसे असफल बनाया. क्या आप इनमें से किसी पझ से सहमत है,यदि हाँ ,तो आप अपना पझ बतायों.  

उत्तरः